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Monday, 18 November, 2024
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कैसे गंगा-जमुनी विरासत को फरीदाबाद थिएटर ग्रुप ने उर्दू रामायण से रखा है ज़िंदा

दिल्ली की सुंदर नर्सरी में चार दिवसीय उत्सव के एक हिस्से में ‘दास्तान-ए-रामायण: उर्दू में रामलीला’ का प्रदर्शन किया गया. इसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों आयोजक हैं जो उर्दू नहीं जानते.

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नई दिल्ली: मसरूर, मेहर-ओ-मोहब्बत, फलक, सादिक़ जैसे उर्दू अल्फाज़ से सराबोर रामायण का प्रदर्शन उन लोगों के खिलाफ एक शक्तिशाली बयान हो सकता है जो धर्मों, भाषाओं और इतिहास को कभी ने भेद्य पाने वाले किलों की तरह देखते हैं.

‘दास्तान-ए-रामायण’ का केंद्रीय मैसेज उर्दू रामायण नहीं है और न ही इसे विरोधाभासी होने की ज़रूरत है: उर्दू में रामलीला, दिल्ली की सुंदर नर्सरी में फरीदाबाद थिएटर समूह श्रद्धा रामलीला द्वारा आयोजित एक प्रोग्राम था.

नर्सरी में एक सफेद टेंट में चहल-पहल का माहौल है. 43-वर्षीय शमीम अहमद, रावण का किरदार निभाने के लिए जल्दबाज़ी में मेकअप लगा रहे हैं, ड्रामा बढ़ाने के लिए वे ध्यान से अपनी आंखों में काजल लगा रहे हैं. इस बीच, राम अपने डायलॉग्स याद कर रहे हैं. उत्साह की लहर में सीता, राम और लक्ष्मण ‘सीता हरण’ के मंचन करने के लिए मंच पर आते हैं.

लक्ष्मण राम से कहते हैं, “आप के चरणों पे स्वामी सीम-ओ-ज़र क़ुर्बान हैं, सौ तफ़ा क़ुर्बान चरणों पर मेरी जान है.”

The artist who played Hanuman rehearsing his dialogues | Heena Fatima, ThePrint
हनुमान का किरदार निभाने वाले कलाकार अपने डायलॉग याद करते हुए | फोटो: हिना फ़ातिमा/दिप्रिंट

श्रद्धा रामलीला उर्दू में रामायण की विरासत को ज़िंदा रखे हुए है — और गंगा-जमुनी तहज़ीब को भी संरक्षित कर रही है. ‘दास्तान-ए-रामायण: उर्दू में रामलीला’ का प्रदर्शन 22 फरवरी 2024 को सुंदर नर्सरी में शुरू हुए चार दिवसीय जश्न-ए-उर्दू उत्सव का एक हिस्सा था. यह प्रोग्राम दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा विभाग और उर्दू अकादमी के सहयोग से आयोजित किया गया था.

उर्दू रामलीला के निदेशक अनिल चावला ने कहा, “हिंदी और उर्दू बहनें हैं. दोनों को राजनीति ने बांट दिया है. हमने धर्मग्रंथों से कोई बदलाव किए बिना उर्दू में डायलॉग का इस्तेमाल किया है.”

The Urdu Ramleela based on the Ramayana was the main attraction at the Urdu Festival. The translation of Urdu Ramayana is based on the Ramcharitmanas written by Tulsidas | Heena Fatima, ThePrint
उर्दू महोत्सव में रामायण पर आधारित उर्दू रामलीला मुख्य आकर्षण रही. उर्दू रामायण का अनुवाद तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस पर आधारित है | फोटो: हिना फ़ातिमा/दिप्रिंट

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रामायण और तहज़ीब

1976 में थिएटर ग्रुप श्री श्रद्धा रामलीला ने हरियाणा के पलवल में रामलीला दिखाना शुरू किया. समूह में अधिक सदस्यों के शामिल होने के कारण केंद्र को फरीदाबाद में शिफ्ट कर दिया गया. इस रामायण का आयोजन हिंदू और मुस्लिम दोनों मिलकर करते हैं.

रावण अंगद संवाद के सीन के मंचन के लिए मंच पर एक महल का भव्य सेट बनाया गया था, जो बड़े-बड़े राज सिंहासनों और राक्षसों की तलवारों से सुसज्जित था. हनुमान एक सीन में प्रवेश करते हैं.

रावण अपनी तेज़ आवाज़ में बोलता है, “मेरी तलवार के आगे ज़माना सर झुकाता है, फलक तक मेरे डर से खौफ खाता है, मेरी दशहत से आलम का कलेजा कांप जाता है.”

खास बात यह है कि ये कलाकार उर्दू पढ़ना नहीं जानते और इसके कई अल्फाज़ से रूबरू भी नहीं हैं. वो अपने निर्देशक पर भरोसा करते हैं कि वो उन्हें सिखाएं कि उन्हें कैसे बोला जाए और उनके मतलब को सही तरीके से कैसे व्यक्त किया जाए. कलाकारों का कहना है कि उन्होंने हमेशा अपने बुर्जुर्गों को उर्दू में रामायण पढ़ते देखा है और अब भी वे इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. उन्हें अपने मेकअप आर्टिस्ट शमीम आलम पर भी बहुत गर्व है, जो न केवल मंच को निखारते हैं बल्कि गंगा-जमुनी तहज़ीब को भी अपने ग्रुप में शामिल करते हैं.

In 1976, Ramleela began in Palwal, Haryana. With more members joining the group, it was relocated from Palwal to Faridabad. Both Hindus and Muslims are jointly organising this Ramayana | Heena Fatima, ThePrint
1976 में हरियाणा के पलवल में रामलीला की शुरुआत हुई. समूह में अधिक सदस्यों के शामिल होने के कारण, इसे पलवल से फरीदाबाद शिफ्ट कर दिया गया. इस रामायण का आयोजन हिंदू और मुस्लिम दोनों मिलकर करते हैं | फोटो: हिना फ़ातिमा/दिप्रिंट

‘भाषा एक भाषा है’

रामलीला के बाद एक चर्चा में बोलते हुए उर्दू आलोचक और साहित्यिक इतिहासकार खालिद अल्वी ने कहा कि लगभग 400 साल पहले, फ़ारसी मुगलों के अधीन राज्य की आधिकारिक भाषा थी. उस समय आमतौर पर हिंदी और उर्दू बोली जाती थी, जिसे ‘हिंदुस्तानी’ कहा जाता था. उन्होंने दावा किया कि अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यह सुझाव दिया था कि उर्दू मुसलमानों के लिए और हिंदी हिंदुओं के लिए है.

आज की तारीख में उर्दू में 300 से अधिक रामायण मौजूद हैं. गीता, महाभारत, रामायण और रामचरितमानस के उर्दू और फ़ारसी में 700 से अधिक अनुवाद हैं. अल्वी के अनुसार, उर्दू में दो प्रकार की रामायण हैं: गद्य और पद्य, जो हिंदुओं और मुसलमानों ने लिखी हैं.

अलवी ने कहा, “उर्दू शायरी में जो कुछ भी लिखा गया है, वो रामायण के किरदारों पर उसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर केंद्रित है.”

अल्वी के मुताबिक, लोगों ने रामायण को पवित्र ग्रंथ मान लिया है और उसे दरकिनार कर दिया है. हालांकि, रामायण परिभाषित करती है कि ‘धर्म’, ‘मित्र धर्म’ और ‘राज धर्म’ क्या हैं. रामायण के उस पहलू को बरकरार रखने की ज़रूरत है. वे कहते हैं कि यह पाठ उस समय की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति को समझने और समझाने के लिए एक बेहतरीन किताब और सामाजिक दस्तावेज़ है.

राम का किरदार निभाने के लिए खासतौर पर मुंबई से दिल्ली आए 22 साल के कुणाल चावला को हर किरदार के डायलॉग याद हैं. वे प्रदर्शन के लिए केवल संकेत का इंतज़ार करते हैं. वे हिंदी में लिखे गए उर्दू शब्दों की अपनी लिपि को बड़ी बारीकी से सहेज कर रखते हैं और उसे किसी धर्मग्रंथ से कम नहीं मानते हैं.

कुणाल ने कहा, “बचपन से हम इसे देखते आ रहे हैं. हमारे लिए तो रामलीला की भाषा उर्दू हो गई है. भाषा तो भाषा ही होती है. इसका कोई धर्म नहीं है. उर्दू रामायण में और अधिक आकर्षण जोड़ती है.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस फीचर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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