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Thursday, 19 December, 2024
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कॉफी पीते पीते इस कैफे में सुनने को मिल रही है हनुमान चालीसा, अब अयोध्या में खुलेगा ऐसा ही कैफे

हनुमान चालीसा पढ़ने वाले इस बैंड की अलग बात है इस बैंड के यंग लड़के इंग्लिश बोलते हैं, जींस, टी-शर्ट पहनते हैं और साथ ही गिटार और ड्रम की ताल पर हनुमान चालीसा गाते हैं.

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गुरुग्राम: एक कप कॉफी में बहुत कुछ हो सकता है. कभी-कभी हनुमान चालीसा भी. गुरुग्राम के हुडा मार्केट के इस कैफे में हर मंगलवार को युवाओं को कॉपी केक और मस्ती के साथ यह भी मिलता है.  

हनुमान चालीसा पढ़ने वाले इस बैंड की अलग बात यह है कि इस बैंड के यंग लड़के इंग्लिश बोलते है, जींस, टी-शर्ट पहनते हैं और साथ ही गिटार और ड्रम की ताल पर हनुमान चालीसा गाते हैं. उनका इस तरह से भजन गाना कैफे के आस-पास भीड़ को बढ़ा देता है. यह बैंड रातों-रात सोशल मीडिया का हीरो बन गया. ये आर्टिस्ट कैफ़े के बाहर परफॉर्म करते हैं वहां पास बनी पार्किंग में लोगों के बैठने का इंतज़ाम भी किया गया है.

केक डिजायर नाम के इस कैफे के मालिक 42 साल के विवेक गुलाटी हैं, जो कांगो की बजाते हैं. गुलाटी बताते हैं कि इसके बाद से हर दिन फोन कॉल्स की बाढ़ आ गई है और मैं इससे बहुत खुश भी हूं.

गुलाटी मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘ मुझे नहीं पता था कि लोग इसे इतना पसंद करेंगे, यह सब बहुत अच्छा है कि हमारे कलाकारों को पहचान मिल रही है.’

गुलाटी ने अप्रैल 2022 में, 40 वर्षीय राहुल शाकिया नाम के एक कलाकार को अपने कैफे के बाहर गाने के लिए हायर किया था.  कोविड -19 महामारी के बाद से राहुल थोड़ी तंगी में थे इसलिए उन्होंने आसानी से इस प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और हर वीकेंड गाना शुरू कर दिया. कुछ ही महीनों में शाकिया को सुनने के लिए भीड़ जमा होने लगी और गाना गाने के दौरान कुछ मेहमान भी उसके साथ शामिल होने लगे.

इस तरह सिटिंग एरिया को ‘आर्टिस्ट चौक’ के नाम से जाना जाने लगा. गुलाटी और उनके साथी कलाकारों का परफॉरमेंस देखने के लिए हर वीकेंड शाम सात बजे लोगों का भीड़ इकट्ठा हो जाता था, और यह यह नाम लोगों द्वारा तारीफ मिलने के बाद गुलाटी और उनके साथियों ने रखा.


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जब टीनएजर्स और आईटी कर्मचारी आए एक साथ

तीन महीने पहले, 28 वर्षीय सोनू ठाकुर ने म्यूजिक पर पूरा ध्यान देने के लिए अपनी आईटी इंडस्ट्री की नौकरी छोड़ दी. उन्होंने कहा, यह एक कठिन निर्णय था लेकिन आर्टिस्ट चौक के साथियों ने उनका साथ दिया था. अब, ठाकुर हर मंगलवार और शनिवार को केक डिज़ायर में परफॉर्म करने आते हैं. शनिवार को धर्म से थोड़ा दूर जाते हुए वे बॉलीवुड के गाने गाते हैं और अपने परफॉरमेंस में एक नया रंग भरते है. वे आतिफ असलम और केके के गाने भी गाते हैं.

ठाकुर को कैफे में शाकिया ने पेश किया था, जो उसका दोस्त है.

ठाकुर ने एक कलाकार के रूप में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, ‘आठ महीने पहले, मैंने शाकिया का व्हाट्सएप स्टेटस देखा था और फिर उससे इसके बारे में पूछा. अगले दिन से मैं उसके साथ कैफे के बाहर लाइव जैमिंग करने लगा था. और तब के बाद से हमें बस तारीफ और सफलता मिलती ही चली गयी.’ उन्होंने कहा तभी उन्हें एहसास हुआ कि संगीत ही उनकी आखरी मंजिल है.

17 वर्षीय राज जायसवाल, जो गिटार बजाते हैं और कलाकार चौक पर परफॉरमेंस शुरू करने से पहले ठाकुर के दोस्त थे, वह बैंड में सबसे कम उम्र के कलाकारों में से एक है.

जायसवाल हंसते हुए कहते हैं, ‘शुरुआत में, मेरे अंदर ज्यादा कॉन्फिडेंस नहीं था. [मैं] लोगों के सामने गाने में झिझकता था.’ जायसवाल ग्रेजुएशन के लिए एक म्यूजिक स्कूल में एड्मिशन लेने की तैयारी कर रहे हैं.

बैंड से जुड़े कुछ कलाकार पहले ऑडिएंस का हिस्सा थे, लेकिन वो म्यूजिक से इतना इंस्पायर हुए ही उसमें शामिल ही हो गए. झारखंड के मूल निवासी और गुरुग्राम में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में मैनेजर अजहर खान उनमें से एक हैं.

खान ने कहा, ‘पिछले साल सितंबर में, मैंने [कलाकार चौक पर] परफॉरमेंस में भाग लिया क्योंकि मुझे गाने का बहुत शौक था और आखिरकार मैं बाकि आर्टिस्ट्स से जुड़ गया. अब मैं गुरुग्राम के [दूसरे] कैफे में परफॉर्म करता हूं.’ खान वीकडेस में ऑफिस जाते हैं और वीकेंड्स में म्यूजिक परफॉरमेंस करते हैं.

सभी के लिए एक मंच

केक डिज़ायर के बाहर का माहौल संगीतमय, उत्साह और हंसी से भरा हुआ है. यहां उम्र कोई बंधन नहीं, लोग म्यूजिक का आनंद लेने के लिए घड़ी में 7 बजने का इंतज़ार करते हैं ताकि वो स्ट्रीमिंग का आनंद उठा सके. यहां कुछ लोग गाना गाते है तो कुछ धुन पर नाचते हैं. कई लोगों के लिए ये काम के थकान को दूर करने का एक जरिया है तो वहीं कुछ के लिए ये उनके भीतर छिपे कलाकार को खोजने का एक मंच हैं.

गुलाटी का कहना है कि वह हमेशा से ड्रमर बनने का सपना देखा करते थे, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण ऐसा नहीं हो सका. इसलिए, जब उन्होंने चार साल पहले कैफे खोला, तो वे अपने दोस्तों के साथ संसाधनों की कमी वाले कलाकारों के लिए रास्ता बनाने के तरीकों पर विचार करने लगे.

कांगो को अपनी उंगलियों से बजाते हुए गुलाटी कहते है, ‘कलाकार बनना बहुत मुश्किल है. कई कलाकारों के पास अपनी कला को एक्सप्लोर करने के लिए संसाधन नहीं हैं. मैं हमेशा से उनके लिए कुछ करना चाहता था. यहां सभी कलाकारों का स्वागत है. यह मंच सभी के लिए है.’

आर्टिस्ट चौक की लोकप्रियता को देखते हुए, गुलाटी इसे भारत के अन्य राज्यों में ले जाने की योजना बना रहे हैं, जिसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के अयोध्या से होगी. उनका कहना है कि इस टूर का मकसद कलाकारों को बढ़ावा देना और इससे मिलने वाले फण्ड से स्ट्रगल कर रहे लोगों का मदद करना है.

उन्होंने आगे कहा कि मैंने अयोध्या चुना क्योंकि हनुमान चालीसा पर जैमिंग करने से पहले हमें कोई नहीं जानता था. इसलिए मैं भगवान को धन्यवाद देने के साथ वहीं से शुरुआत करना चाहता हूं. वह अपने कैफे का नाम बदलकर थैंक गॉड इट्स फ्राइडे भी रख सकते है.

दो हफ्ते पहले, गुलाटी ने बस ऐसे ही अचानक अन्य कलाकारों के साथ मिलकर हनुमान चालीसा गाना शुरू कर दिया था. जब उन्हें बड़े पैमाने पर लोगो से तारीफ मिली, तो उन्होंने फैसला किया कि मंगलवार उनका स्पिरिचुअल जैमिंग वाला दिन होगा.

गुलाटी ने आंख मारते हुए कहा, ‘मुझे लगता है हनुमान जी को भी हमारा नए अंदाज़ में हनुमान चालीसा गाना पसंद आएगा.’

(संपादन: अलमीना खातून)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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