scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमफीचरग्रेटर नोएडा का साउथ दिल्ली है GreNo, यहां सब मिलता है चौड़ी सड़कें, हरियाली, पार्किंग

ग्रेटर नोएडा का साउथ दिल्ली है GreNo, यहां सब मिलता है चौड़ी सड़कें, हरियाली, पार्किंग

नोएडा से दिल्ली तक रोज सफर करने वाले थके हुए लोगो को अक्सर यह याद दिलाया जाता हैं कि वो कभी साउथ दिल्ली से जुड़ नहीं सकते हैं, लेकिन GreNo इन सभी सवालों का जवाब है.

Text Size:

नई दिल्ली: ग्रेटर नोएडा अपने ही छोटे नाम-GreNo के साथ Def Col, KNags और South-Ex की श्रेणी में शामिल हो गया है. नोएडा से दिल्ली तक रोज सफर करने वाले थके हुए लोगो को अक्सर यह याद दिलाया जाता हैं कि वो कभी साउथ दिल्ली से जुड़ नहीं सकते हैं, लेकिन GreNo इन सभी सवालों का जवाब बनकर आया है, और यह शहर के बड़े बड़े घरों के ड्राइंग रूम और पार्कों में बातचीत का विषय भी बन गया हैं.

जेवर हवाई अड्डे के लिए पहली उड़ान का उद्घाटन करने की जल्दी – जैसा कि सीएम आदित्यनाथ ने वादा किया था – केवल एक चीज नहीं है जो ग्रेटर नोएडा को दिल्ली से जोड़ रही है. अंग्रेजी नाम GreNo भी क्षेत्र की स्थिति को ऊपर उठाने में अपनी भूमिका निभा रही है. उस संबंध में, GreNo ग्रेटर नोएडा को गुरुग्राम के करीब लाता है, जो बेवर्ली पार्क, बेलेयर, मैगनोलियास और कैमेलिया जैसे नामों वाले अपार्टमेंट परिसरों से भरा हुआ है.

अनुपमा सिंह, आरजे और एंकर, जो पिछले 20 वर्षों से शहर में रह रही हैं, ने कहा, “ग्रेनो ग्रेटर नोएडा को और अधिक जीवंत बनाता है. ग्रेटर नोएडा पहले नोएडा की सौतेली बहन लगती थी. अब, ऐसा लगता है कि यह आखिरकार GreNo के साथ आ गया है.”

पिछले 18 साल से रियाल्टार रहे प्रवीण गर्ग कहते हैं कि ग्रेटर नोएडा को यह नाम विकास कार्यों की वजह से मिला है. मेट्रो कनेक्टिविटी, एक्सप्रेसवे, नए मॉल और कैफे ने दिल्ली-एनसीआर से अधिक लोगों को ग्रेटर नोएडा में स्थानांतरित कर दिया है.

गर्ग ने कहा, “GreNo ग्रेटर नोएडा के आधुनिकीकरण का परिणाम है. पिछले एक साल में 60 फीसदी निवेशक दिल्ली-एनसीआर से रहे हैं. और कोविड-19 के बाद धारणा बदल गई है. लोग अधिक खुली, शांत जगहों की तलाश करने लगे है.”

यह नाम इसके निवासियों की अपने शहर को पॉश, ट्रेंडी और थोड़ा अलग के रूप में चित्रित करने की इच्छा को भी दर्शाता है. दक्षिण मुंबई अपने पिछले नाम, बॉम्बे के लिए SoBo बन गया. न्यू यॉर्क शहर के कुछ अब तक के सबसे अच्छे क्षेत्रों के नाम बहुत ही बोरिंग हैं. सोहो वास्तव में ह्यूस्टन के दक्षिण में है, ट्रिबेका नहर के नीचे त्रिभुज है, और नोलिता लिटिल इटली का उत्तर है.

सोशल मीडिया प्रभावकार समरथ सिन्हा का कहना है कि GreNo ग्रेटर नोएडा को अधिक लोकप्रिय और वांछनीय बनाता है.

सिन्हा ने कहा, “यह युवाओं के लिए आकर्षक है. इसने ग्रेटर नोएडा को गुड़गांव और मुंबई के बराबर बना दिया है और इससे मुझे गर्व होता है.”

ऐसा लगता है कि GreNo एंटरप्राइजेज, ग्रेनो सर्विसेज, GreNo हाउस जैसे नामों के साथ आने वाले प्रतिष्ठानों के साथ, नए नाम ने उद्योग में भी कर्षण प्राप्त कर लिया है.

संतोष देसाई, लेखक और ब्रांड सलाहकार ने कहा, “ये सब और अधिक प्रसिद्ध या फिर यूं कहे कि कूल दिखने के लिए किया जा रहा हैं. एक ट्रेंड जैसा जहां आप क्षेत्र को एक अपमार्केट जैसा दिखाना चाहते हैं. इससे पहले, ग्रेटर नोएडा को नोएडा के लिए बी-क्लास विकल्प माना जाता था.”

उन्होंने उस समय को याद किया जब नोएडा में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को अपमानजनक रूप से ‘यमुना पार’ का कहा जाता था. लेकिन अब, एक स्वीकृति है क्योंकि जब विकास होता है तो स्वीकार भी कर ही लिया जाता है.


यह भी पढ़ें: सुनील कानूगोलू, कांग्रेस के ‘PayCm’ और ‘40% सरकार’ अभियान के मास्टरमाइंड , बनेंगे मुख्यमंत्री सलाहकार


ग्रेटर नोएडा से GreNo

GreNo की उत्पत्ति उतनी नाटकीय नहीं है. इसकी शुरुआत स्थानीय हिंदी अखबारों ने सुर्खियां बटोरने की कोशिश से हुई. अंग्रेजी अखबारों ने पीछा किया, और जल्द ही इसने स्थानीय शब्दकोष में अपना रास्ता बनाना शुरू कर दिया.

सिटीजन ग्रुप ऑफ ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष और पर्यावरणविद हरेंद्र भाटी इसे इसके हरे रंग के कारण पसंद करते हैं. उनकी किताब में GreNo का मतलब ग्रीन नोएडा है.

भाटी ने कहा, “हम इसे GreNo कहते हैं क्योंकि यहां बहुत सारे पेड़ हैं, और हम यह सुनिश्चित करते हैं कि बहुत अधिक पेड़ लगाए जाएं. ग्रेटर नोएडा हरियाली और ताजी हवा के साथ उत्तराखंड की तरह है.”

GreNo ने निवासियों के विभिन्न समूहों के लिए अलग-अलग अर्थ प्राप्त किए हैं. और कुछ के लिए यह उनकी क्रिकेट टीम का नाम है.

व्यवसायी सत्येंद्र नागर (40) ग्रेनो इंडियंस नाम की एक स्थानीय खेल टीम का नेतृत्व करते हैं. हालांकि वो इसके इन्नोवेटर होने का दवा नहीं करते लेकिन क्रिकेट टीम पहले आती हैं. उन्हें विश्वास नहीं था कि यह यहां तक पहुंच बना लेगा.

उन्होंने कहा, “GreNo आकर्षण का केंद्र बन गया है. चौड़ी सड़कें, हरियाली और पार्किंग की वजह से लोग दिल्ली से नोएडा शिफ्ट हो रहे हैं. इससे पहले, यह कल्पना करना कठिन था कि दिल्ली से कोई ग्रेनो में स्थानांतरित हो जाएगा.”

उन्होंने कहा, “GreNo कुछ हद तक फैशनेबल है. लेकिन यह योगी हैं जो यहां की किसी भी चीज़ को और बड़ा बना देते हैं.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: राज्य और केंद्रीय बोर्डों में ई-लर्निंग पाठ्यक्रम का मानकीकरण करने की कैसे कोशिश कर रही सरकार


share & View comments