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Tuesday, 17 December, 2024
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गहलोत महंगाई राहत के तहत गैस, बिजली और पेंशन दे रहे, लेकिन अब लोगों को सेलफोन का इंतजार है

मुख्यमंत्री भाजपा पर पलटवार कर रहे हैं, जो उनकी सरकार पर 'रेवड़ी संस्कृति' का आरोप लगाती है और जोर देकर कहती है कि वे मुफ्त नहीं बांट रहे बल्कि फाइनेंशियल मैनेजमेंट कर रहे हैं.

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जयपुर: अशोक गहलोत के चुनावी राज्य राजस्थान में सारी चर्चा अलग-अलग रंगों के कार्डों को लेकर है. आपके पास कितने कार्ड हैं यह निर्धारित करते हैं कि आप टमाटर, प्याज और आलू की बढ़ती कीमतों का कितनी अच्छी तरह मुकाबला कर सकते हैं.

तो, जयपुर की महापुरा पंचायत के संविदा कर्मचारी 50 वर्षीय बाबू लाल बैरवा के पास पीले और गुलाबी रंग के गारंटी कार्ड से भरा एक प्लास्टिक बैग अब परिवार के आभूषणों और दस्तावेजों के साथ एक संदूक (तिजोरी) में सुरक्षित रखा हुआ है.

गहलोत का नया महंगाई विरोधी अभियान, जिसे महंगाई राहत शिविर (महंगाई राहत केंद्र) कहा जाता है, तीन महीने पहले बैरवा के गांव महापुरा में शुरू हुआ था. बढ़ती कीमतों पर संभावित मतदाताओं के गुस्से को बेअसर करने के लिए केंद्र एक महत्वपूर्ण चुनावी पिच हैं. ये कार्ड इस साल के अंत में राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले महत्वाकांक्षी, फिजूलखर्ची वाले कल्याणकारी प्रयासों के एक समूह का हिस्सा हैं.

बाबू लाल को यकीन नहीं है कि छह गारंटी कार्ड उसे कर्ज से कैसे बाहर निकालेंगे, या उसकी बेटी को एक निजी स्कूल में दाखिला दिलाने में कैसे मदद करेंगे – उसके सभी दोस्त वहां हैं. लगातार बिगड़ती मुद्रास्फीति ने पहले ही घर के पुनर्निर्माण की उनकी योजना को पटरी से उतार दिया था.

तीन साल पहले, उन्होंने अपने बेटे की शादी के लिए परिवार की 40 साल पुरानी एक मंजिला इमारत बनाने के लिए अपनी सारी बचत – 3 लाख रुपये – निवेश कर दी और 4 लाख रुपये का ऋण लिया. उन्होंने बरामदे में चमचमाती नई टाइल्स और लोहे का एक मजबूत गेट लगवाया. यह गांव में चर्चा का विषय था, जब तक कि एक निजी कंपनी में काम करने वाले उनके बेटे की महामारी के दौरान नौकरी नहीं चली गई. इससे, परिवार की आय पर असर पड़ा और उनके बेटे को हर महीने मिलने वाले 9,000 रुपये मिलने बंद हो गए.

उन्होंने अपनी जीवनभर की बचत और कर्ज़ लेकर घर का अगला हिस्सा बनाया ही था कि अचानक महंगाई बढ़ने लगी. पहले कोविड के दौरान काम का नुकसान, फिर ईंधन की बढ़ती कीमतें और अब ज़रूरी सब्जियों की कीमतों में बढ़ोत्तरी.

ड्रिलिंग और बढ़ईगिरी का काम लंबे समय से बंद है. घर के अंदर वाले हिस्से के टूटे-फूटे कमरे और सीलन भरी रसोई अब चमकदार सामने वाले नए हिस्से के सामने जीर्ण-शीर्ण अवस्था में दिखाई दे रहे हैं.

बाबू लाल की थाली से टमाटर गायब हो गया है और हरी मिर्च कम हो गई है.


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राहत

कार्ड से बाबू लाल को कुछ फौरी राहत ज़रूर मिली. वह पिछले दो महीनों में बिजली बिल पर कम से कम एक हजार रुपये बचाने में सफल रहे हैं. यह उनके 12,000 रुपये मासिक वेतन में जोड़ा जाता है. वह ग्राम पंचायत के साथ काम करते हैं और अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए घरों में पानी की आपूर्ति करते हैं. बाबू लाल ने बचत के बारे में कैलकुलेट करते हुए कहा, “हमनें अभी तक गैस सिलेंडर नहीं भरवाया है. अगर हम इसे फिर से भरवाएंगे, तो हम 500 रुपये और बचा लेंगे.”

लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.

उनकी पत्नी, 47 वर्षीय लछमा देवी, परिवार की न्यूट्रीशन संबंधी ज़रूरतों और स्वाद का ध्यान रखते हुए बढ़ती कीमतों के साथ सामंजस्य बनाते बनाते एक्सपर्ट एकाउंटेंट बन गई हैं और नए-नए व्यंजनों के बारे में इनोवेशन करती हैं. रसोई में हर दिन क्रिएटिविटी दिखानी पड़ती है. लेकिन वह जो खाना बनाती हैं वह थोड़े कम मसालेदार होते हैं.

कार्डों ने मदद की है; अब उन्हें 250 ग्राम सब्ज़ी में सात लोगों के परिवार का पेट भरने के लिए “पानी वाली सब्जी” बनाने की ज़रूरत नहीं पड़ती. अब, बचाए गए पैसे से, वह थोड़ी और लौकी, टिंडा और भिंडी खरीद सकती है.

बाबू लाल ने महंगाई से निपटने के लिए गहलोत के अत्यधिक प्रचारित महंगाई राहत शिविरों में से एक से कार्ड एकत्र किए. लाखों लाभार्थियों को गहलोत सरकार की 10 प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंचने में मदद करने के लिए 24 अप्रैल से 30 जून के बीच जयपुर से कोटा से कोटपूतली तक पूरे राजस्थान में 3,000 से अधिक शिविर लगाए गए.

योजनाओं में 500 रुपये के लिए सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर, 100 यूनिट मुफ्त बिजली, 2,000 यूनिट कृषि बिजली मुक्त, एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) लाभार्थियों के लिए अन्नपूर्णा खाद्य पैकेट, मनरेगा के तहत अतिरिक्त 25 दिन, शहरी के तहत 125 दिन का काम शामिल है. रोजगार योजना (इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना), 1,000 रुपये की वृद्धावस्था पेंशन, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 25 लाख रुपये की बीमा योजना, 10 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवरेज, और मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना के तहत 40,000 रुपये का पशु बीमा.

सरकार के अनुसार, 18.2 मिलियन परिवारों ने महंगाई राहत शिविरों के लिए पंजीकरण कराया.

मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, “महंगाई को हराना आज से शुरू! जयपुर के महापुरा में देश के पहले ऐतिहासिक महंगाई राहत शिविर का उद्घाटन किया,”

गहलोत के गारंटी कार्ड से बैरवा गांवों को सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर, बिजली, मुफ्त भोजन पैकेट, ग्रामीण रोजगार, स्वास्थ्य बीमा और दुर्घटना बीमा योजनाएं मिलेंगी. ये उपाय मतदाताओं को मुद्रास्फीति की मार से राहत दिलाने के लिए हैं. लेकिन इसने गहलोत को तीसरा कार्यकाल देने के लिए मतदाताओं को लुभाने के लिए बेताब सरकार से और अधिक उपहारों की होड़ को भी जन्म दिया है.

राजस्थान की खुदरा महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. जुलाई तक, इसने भारत के सभी राज्यों में सबसे अधिक खुदरा मुद्रास्फीति 9.7 प्रतिशत दर्ज की थी. जुलाई में ग्रामीण मुद्रास्फीति 9.3 प्रतिशत थी, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह दोहरे अंक (10.4 प्रतिशत) पर थी.

इस बीच, टमाटर गांव में नकारात्मक तरीके से हास्य का विषय बन गया है. यहां तक कि जिस ग्राम प्रधान ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान एक एसयूवी खरीदी थी, वह भी इस बात पर उदास होकर मजाक करता है कि कैसे चुनावी राज्य में प्याज की जगह टमाटर नई राजनीतिक सब्ज़ी के रूप में उभर रहा है. इसके बाद लोग गंभीरता से लोग हंसते हैं.

बाबू लाल के छोटे भाई, 45 वर्षीय हनुमान, कम दूध खरीदकर खर्च में कटौती कर रहे हैं.

एक पेट्रोल पंप पर 9,000 रुपये प्रति माह कमाने वाले हनुमान ने कहा, “हमने दूध की खपत में आधा लीटर की कटौती की है.” उनकी पत्नी एक निजी स्कूल में सहायक के रूप में काम करके प्रति माह 6,000 रुपये कमाती हैं.

दोनों एक साथ मिलकर पांच गारंटी कार्ड्स के हकदार थे.

उन्होंने कहा, “हम बिजली पर 1,000 रुपये और गैस सिलेंडर पर 500 रुपये बचा सकते हैं.”

इन दोनों परिवारों का अनुभव पूरे राज्य में दिखता है. बढ़ी हुई वृद्धावस्था पेंशन के साथ गैस सिलेंडर और बिजली सब्सिडी ने राजस्थान के लाखों परिवारों को संकट से निपटने में मदद की.

लेकिन चुनावी वर्ष में गहलोत सरकार द्वारा शुरू किए गए कल्याणकारी उपायों की लंबी सूची ने मतदाताओं के बीच और अधिक मुफ्त सुविधाओं की उम्मीद भी जगा दी है. इस महीने, मुख्यमंत्री ने अन्नपूर्णा खाद्य पैकेट योजना शुरू की, जिसके तहत हर महीने 10.4 मिलियन से अधिक परिवारों को मुफ्त भोजन पैकेट वितरित किए जाएंगे. 19,000 करोड़ रुपये के मुद्रास्फीति राहत पैकेज का हिस्सा, लाभार्थियों को एक किलोग्राम चना दाल, चीनी और नमक, एक लीटर रिफाइंड खाद्य तेल और मिर्च पाउडर, धनिया और हल्दी जैसे मसाले मिलेंगे.

उन्होंने 1.33 करोड़ महिलाओं के लिए मुफ्त मोबाइल फोन का वादा किया है, राजस्थान के लिए जाति जनगणना का समर्थन किया है और घोषणा की है कि सरकार ओबीसी कोटा 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करेगी.

लछमा ने कहा, “शायद यह चुनाव तक चलेगा. हम अभी भी उस भोजन पैकेट और मोबाइल फोन का इंतजार कर रहे हैं जिसकी घोषणा की गई थी.”

लाखों लाभार्थी और लाखों आशाएं

घोषणाओं ने पूरे राजस्थान में आशा और उत्साह पैदा किया है. बाबू लाल, हनुमान, उनकी पत्नियां और उनके बच्चे उन 1.79 करोड़ परिवारों में से थे जो शिविरों में आए थे.

ग्राम प्रधानों से लेकर बीडीओ, एसडीएम और डीएम के साथ-साथ विभिन्न विभागों के अधिकारियों की पूरी राज्य मशीनरी को इसमें शामिल किया गया था. योजनाओं की घोषणा गहलोत के बड़े-टिकट वाले बजट में की गई थी, आखिरी बजट उन्होंने चुनाव से पहले पेश किया था और उसके बाद एक ऐडवरटाइज़िगं टैग लाइन, ‘बचत, राहत, बढ़त’ (बचत, राहत, समृद्धि) के साथ पेश किया. वहां होर्डिंग्स, अखबारों के विज्ञापन, सोशल मीडिया कैंपेन थे – इन सभी में मुस्कुराते हुए गहलोत की तस्वीर थी.

शीर्ष स्तर से स्पष्ट निर्देश था – योजनाओं को न्यूनतम शोर और बिना किसी लालफीताशाही के लाभार्थियों तक पहुंचना था. डिज़ाइनबॉक्स्ड, कंपनी जिसने कार्यक्रम की योजना बनाई और को-ऑर्डिनेट किया, ने कहा कि किसी भी अन्य सरकारी योजना के विपरीत, शिविरों में कोई बिचौलिया नहीं था. एक सेकेंडरी लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण उद्देश्य हाई-वोल्टेज चुनाव कैंपेन से पहले कांग्रेस कैडर में लड़ने की भावना पैदा करना है.

डिज़ाइनबॉक्स्ड के एक प्रतिनिधि ने कहा, “लोग उन लाभों से बेखबर हैं जिनके वे हकदार हैं और इससे उनमें सत्ता विरोधी लहर पैदा होती है. इससे पार्टी के कैडर के भीतर जनता के बीच जाने और सेवा करने को लेकर उत्साह में कमी आती है.”

इसे ट्रेंडिंग टॉपिक बनाने के लिए एक चालाकी वाले मार्केटिंग कैंपेन ने सोशल मीडिया का सहारा लिया. गहलोत ने ‘जन सम्मान वीडियो प्रतियोगिता’ शुरू की और 10 प्रमुख योजनाओं पर लघु वीडियो क्लिप ऑनलाइन अपलोड करने के लिए 2.75 लाख रुपये के नकद पुरस्कार की पेशकश की.

विकसित हो रही गिग इकॉनमी के प्रति असंतोष का फायदा उठाते हुए, राजस्थान सरकार ने भी श्रमिकों के लिए अपनी तरह का पहला विधेयक पारित किया. राजस्थान प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक 2023 सभी श्रमिकों को पंजीकृत करने, सामाजिक सुरक्षा की गारंटी की सुविधा प्रदान करने और उन्हें शिकायतों का समाधान करने का अवसर देने का प्रयास करता है.

मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करते हुए सभी 33 जिलों की कई यात्राएं कीं. डिज़ाइनबॉक्स द्वारा साझा किए गए एक नोट में कहा गया है कि सीएम ने राज्य भर में 10,000 किमी से अधिक की यात्रा की.

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, राज्य ने 7.60 करोड़ गारंटी गार्ड वितरित किए हैं. डिज़ाइनबॉक्स्ड द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा और दुर्घटना बीमा 1.32 करोड़ लाभार्थियों के साथ और मवेशी बीमा 1.08 करोड़ लाभार्थियों के साथ चार्ट में शीर्ष पर है.

मुख्यमंत्री भाजपा पर पलटवार कर रहे हैं, जो उनकी सरकार पर ‘रेवड़ी कल्चर’ का आरोप लगाती है और जोर देकर कहती है कि यह मुफ्तखोरी नहीं बल्कि फाइनेंशिय मैनेजमेंट हैं. नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी विधायक राजेंद्र राठौड़ ने सरकारी खजाने के दोहन को लेकर सरकार पर हमला बोला.

उन्होंने जोर देकर कहा कि जमीन पर कोई राहत नहीं मिली है, “इस चुनाव प्रचार की कोई बजटीय योजना नहीं है. यह पूरी तरह से चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए है.”

उन्होंने कहा, “एक हजार रुपये की बिजली सब्सिडी महंगाई से राहत नहीं है. अधिकांश लोगों की शिकायत है कि उन्हें कोई लाभ ही नहीं मिला. लेकिन गहलोत सरकार इसे सफल दिखाने के लिए मार्केटिंग पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है.”

अपनी ओर से, भाजपा ने अपने 2018 के घोषणापत्र में निजी क्षेत्र में 50 लाख और सरकारी क्षेत्र में 30,000 नौकरियां, 21 साल से कम उम्र के युवाओं को 5,000 रुपये बेरोजगारी भत्ता, नरेगा की तर्ज पर एक शहरी रोजगार गारंटी योजना, प्रत्येक जिले के लिए योग भवन, अन्य योजनाओं के अलावा गांवों में स्टार्ट-अप के लिए 250 करोड़ रुपये का आवंटन का वादा किया था.

राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह दोस्तारा ने पलटवार करते हुए कहा, ”भाजपा हमारे मास्टर स्ट्रोक, 25 लाख की चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का मुकाबला नहीं कर सकती.”


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गहलोत का उपहार

मुस्कुराते हुए गहलोत की तस्वीरें और होर्डिंग राजस्थान के पैलेस, झीलों और ऊंटों की तरह ही इसके सीनरी का हिस्सा बन चुके हैं. वह हर जगह है – हाईवे पर लगे बिलबोर्ड से लेकर सरकारी इमारतों के सामने, चाय की दुकानों और किराना दुकानों के बैनरों से लेकर पुलों और रेलवे स्टेशनों पर लगे पोस्टरों तक.

सरकार मुफ्त मोबाइल योजना पर आगे बढ़ी है जिसके तहत 1.33 करोड़ महिलाओं को मोबाइल फोन और मुफ्त इंटरनेट दिया जाएगा.

बाबू लाल और हनुमान जैसे लाभार्थी अपने द्वारा प्राप्त सभी गारंटी कार्डों को समझने की कोशिश कर रहे हैं. पंचायत समिति द्वारा उन्हें बताया गया है कि उन्हें बिजली और गैस सिलेंडर सब्सिडी के रूप में तत्काल राहत मिली है, अप्रत्यक्ष लाभ इन कार्डों के रूप में मिलेगा.

लेकिन महिलाओं के लिए मोबाइल फोन का वादा एक ऐसी चीज़ है जिसने हर किसी को बात करने पर मजबूर कर दिया है.

टोंक जिले की निवाई तहसील में, बैरवा और मीना समुदाय की पांच महिलाओं का एक समूह चर्चा करता है कि वे अपनी भैंसों के चरने से लौटने का इंतजार करते हुए कैसे इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगी. इसके बाद बातचीत तेजी से इस तरफ झुक जाती है कि किसके पास कितना कार्ड है. ये कार्ड गहलोत की उदारता का सबसे स्पष्ट संकेत हैं.

सुनीता, सीता, आशा, लाली और गुड्डी ने कहा कि उनमें से अधिकांश को औसतन 5 से 7 कार्ड मिले और वे 1,500-2,000 रुपये के बीच बचाने में सफल रहे.

“लेकिन क्या यह जीवन में गुणवत्तापूर्ण बदलाव लाने के लिए पर्याप्त है?” उनमें से एक सुनीता ने पूछा. हालांकि, एक अन्य महिला सीता ने कहा कि शायद मोबाइल फोन से कुछ बेहतर होगा.

गांवों में पंचायतें अगले बड़े आयोजन की प्लानिंग से काफी खुश हैं.

पंचायत समिति में एलडीसी (क्लर्क) आशा शर्मा ने कहा, “हम अभी-अभी एमआरसी से बाहर निकले हैं और अब हम एक अन्य कार्यक्रम-मोबाइल फोन के लिए योजना बना रहे हैं.” वह मुफ्त योजना के चरण 1 में मोबाइल लाभार्थियों की पहली सूची की दोबारा जांच कर रही है.

अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे ग्राम प्रधान हनुमान सहाय चौधरी को ये योजनाएं बिल्कुल राजनीतिक लगती हैं. उन्होंने हाल ही में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मुद्दे को उठाने के लिए जयपुर में भाजपा द्वारा बुलाई गई एक विरोध रैली में भाग लिया.

उन्होंने कहा, “राज्य ने राहत शिविरों के दौरान वादा किए गए भोजन के पैकेट नहीं भेजे हैं, लेकिन वे हर दिन नए विचार लेकर आ रहे हैं.”

“कुछ राहत मिली है लेकिन उतनी नहीं जितनी आप राज्य भर में लगे होर्डिंग्स में देख रहे हैं.”

राजस्थान विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान विभाग से सेवानिवृत्त प्रोफेसर राजीव गुप्ता शिविरों को कांग्रेस के लिए फायदे के रूप में देखते हैं, भले ही इसका लाभ राजस्थान के हर कोने तक नहीं पहुंचा हो.

उन्होंने कहा, “अधिक मांग से पता चलता है कि लाभार्थी असंतुष्ट नहीं हैं. भाजपा के पास राहत शिविरों का कोई प्रभावी जवाब नहीं है.”. इसके अलावा, मुद्रास्फीति राहत शिविर जिसे वह “प्रभावशाली प्रदर्शनी और प्रचार” कहते हैं, उसका सिर्फ एक हिस्सा है, जिससे कांग्रेस को फायदा हुआ है.

उन्होंने कहा, “जो लोग सामाजिक कल्याण योजनाओं से अछूते रह गए थे, उनमें लाभार्थी बनने की इच्छाएं होंगी.”

निवाई तहसील में, पांच महिलाएं अपने जीवन में पहली बार मोबाइल फोन रखने की संभावना से खुश हैं.

सीता ने कहा, “हमने सुना है कि जन आधार योजना के तहत केवल एक महिला को मोबाइल फोन दिया जाएगा. तो इस नियम के मुताबिक हमारी सास को मोबाइल दिया जाएगा. सरकार सास-बहू के बीच एक नई लड़ाई शुरू करेगी.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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