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Sunday, 17 November, 2024
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स्टैंड-अप, वेब सीरीज़ से लेकर मीम्स और बॉलीवुड- कैसे भारतीय पॉप कल्चर का हिस्सा बनता जा रहा है UPSC

डॉक्टरों और इंजीनियरों की जगह अब आईपीएस, आईएएस अधिकारियों ने ले ली है, उनकी यात्रा और संघर्ष स्क्रीन पर छाए रहते हैं, चाहे वह मीम्स के माध्यम से हो या फिल्मों के माध्यम से.

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नई दिल्ली: मुखर्जी नगर के एक कोचिंग सेंटर में दो घंटे की लंबी क्लास के बाद, आईएएस उम्मीदवार मनीष त्यागी ने अपने दिमाग को शांत करने के लिए अपने फोन पर कुछ रील्स को स्क्रॉल करते हुए एक कप चाय की चुस्की ली. और तभी उनकी नजर यूपीएससी की तैयारी पर अनुभव सिंह बस्सी के स्टैंड-अप पर पड़ी. यह लगभग ऐसा था मानो स्टैंडअप कॉमिक सीधे त्यागी से ही बात कर रहा हो. इस तरह का कंटेट मिलना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. यूपीएससी अब यूनाइटेड पॉपुलर सोशल कल्चर बन चुका है.

भारत के स्टील फ्रेम का हिस्सा बनने की इच्छा जाति, वर्ग और लिंग से परे है, और मनोरंजनकर्ता इस बाजार में प्रवेश करना चाहते हैं. वे ट्रेंडिंग बातों का हिस्सा बन चुका है.

बस्सी अपने शो में कहते हैं, “मुखर्जी नगर में, हर कोई यूपीएससी की तैयारी कर रहा है और जो लोग परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं, वे बस मोमोज बेचना शुरू कर देते हैं.” बस्सी उम्मीदवारों के सामने आने वाली कई कठिनाइयों का वर्णन किया, जिसमें रहने की जगह ढूंढने से लेकर एग्जाम पैटर्न की कठिनाइयों तक का जिक्र किया गया. यूट्यूब पर लगभग 40 मिनट की वीडियो अपलोड करने के बाद से तीन हफ्तों में, वीडियो को 28 मिलियन से अधिक बार देखा गया है.

एक कमेंट में लिखा था- “स्क्रीन पर हमारे जीवन के उदाहरण देखना अच्छा लगता है. कम से कम कोई लोगों को बता रहा है कि एक आकांक्षी होना कितना कठिन है.”

26 वर्षीय त्यागी कहते हैं, ”मोमोज़ और हाउस-हंटिंग चुटकुले वे हैं जिनसे मैं सबसे अधिक जुड़ा हूं.”

यूपीएससी को दिल्ली, कोटा, प्रयागराज और पटना के भीड़-भाड़ वाले कोचिंग केंद्रों से बाहर खींचकर मुख्यधारा की मनोरंजन मशीन में ला दिया गया है. संदर्भ हर जगह हैं – स्टैंडअप कॉमेडी से लेकर टीवीएफ की एस्पिरेंट्स जैसी वेब सीरीज़ तक (जिसमें तीन दोस्त दिल्ली के राजिंदर नगर में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करते हैं) और रॉकी और रानी की प्रेम कहानी जैसी बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर फिल्मों में.

प्रतिस्पर्धी यूपीएससी परीक्षा को पास करने के लिए लंबी मेहनत लगती हैं. कोचिंग संस्थानों में खर्च किए गए वर्षों और लाखों रुपये, माता-पिता और बच्चों की महत्वाकांक्षाएं, पुस्तकालयों और तंग पीजी में बिताए गए घंटे, सब इसका हिस्सा हैं.

डॉक्टर और इंजीनियर, जो कभी मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस. जैसी फिल्मों से बॉलीवुड पर हावी थे. लेकिन धीरे-धीरे ट्रेंड बदल रहा है. पूर्व निर्देशक, विधु विनोद चोपड़ा, इस प्रवृत्ति में कूद रहे हैं. उनकी अगली फिल्म, 12वीं फेल, ‘लाखों सच्ची कहानियों से प्रेरित’ है और वास्तविक यूपीएससी उम्मीदवारों के साथ मुखर्जी नगर में फिल्माई गई है. यह आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार शर्मा के बारे में अनुराग पाठक के उपन्यास बारहवीं फेल: हारा वही जो लड़ा नहीं पर आधारित है.

यहां तक ​​कि बॉलीवुड की नवीनतम पेशकश रॉकी और रानी की प्रेम कहानी में भी यूपीएससी का जिक्र मिलता है. जब रानी (आलिया भट्ट) रॉकी (रणवीर सिंह) से पूछती है कि भारत का राष्ट्रपति कौन है, तो वह तपाक से जवाब देता है: “ये प्यार नहीं यूपीएससी का एग्जाम है बहन***.” इसका उद्देश्य व्यापक युवा लोगों को आकर्षित करना है.

2021 की हिट सीरीज़ एस्पिरेंट्स लिखने वाले दीपेश सुमित्रा जगदीश कहते हैं, “यूपीएससी एक बहुत ही महत्वाकांक्षी चीज़ है और हमारे देश को आकांक्षा पसंद है.” एक कथित चायवाले से प्रधानमंत्री तक नरेंद्र मोदी के उत्थान ने एक पीढ़ी को बड़े सपने देखने के लिए प्रोत्साहित किया है.

“आप कुछ भी नहीं. लेकिन अगले ही पल आप सबसे शक्तिशाली पदों में से एक पर होते हैं. लोग इस बदलाव को पसंद करते हैं और यह जितना अधिक कठिन होता जाता है, उतना ही अधिक आकांक्षापूर्ण होता जाता है.”

संघर्ष 

बस्सी, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा का प्रयास किया था, उन्होंने यह भी बताया कि कैसे माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को इस रास्ते पर मजबूर करते हैं. जब उन्होंने लोगों को वीडियो की टिप्पणियों में अपनी तैयारी के अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया तो उन्होंने सारी बातें खोल दीं.

एक एस्पिरेंट ने कहा, “यह देखने इसलिए आया क्योंकि हमारे सर हमारी कोचिंग क्लास में उन्हें उद्धृत करते रहते हैं. बहुत अच्छा.”

एक अन्य व्यक्ति जिसने प्रीलिम्स में जगह नहीं बनाई उसने ठहाकों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया. एक प्रशंसक ने कहा, “मुखर्जी नगर के प्रत्येक उम्मीदवार ने इन 37 मिनटों के दौरान अपनी तैयारी के दिनों को फिर से जी लिया होगा…मुझे निश्चित रूप से यह महसूस हुआ, खासकर ‘पानी की टंकी’ वाला क्षण.”

मल्टीमीडिया कलाकार अनुराग माइनस वर्मा यूपीएससी को भारत का पसंदीदा साहसिक खेल बताते हैं. एक वीडियो निबंध में उन्होंने कहा है कि अगर परीक्षा जुआ है तो मुखर्जी नगर लास वेगास है. हर साल लाखों अभ्यर्थी दिल्ली के कोचिंग संस्थानों में दाखिला लेने के लिए राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के गांवों और शहरों में अपना घर छोड़ देते हैं.

कोचिंग ट्यूशन फीस पर लाखों खर्च करने के बाद हर कोई आराम से नहीं रह सकता. वे किराये की तंगी के लिए अंधेरी गलियों में तंग कमरों में रहते हैं. वे भोजन बचाने के लिए मोमोज खाते हैं और मैगी नूडल्स खाते हैं. वे चायवालों, जूस बनाने वालों और सिगरेट विक्रेताओं के आसपास इकट्ठा होते हैं, जिन्होंने सफलता का वादा करने वाले चमकदार होर्डिंग के नीचे अस्थायी गाड़ियां लगा रखी हैं. और अपने जागने के घंटे अध्ययन करने, दोहराने और एक-दूसरे के साथ समसामयिक मामलों पर चर्चा करने में बिताते हैं.

यह एक अनुष्ठान है जो वर्षों तक चलता रहता है जब तक कि वे तो हार नहीं मान लेते. उनके जीवन को यूट्यूब, टीवी और फिल्मों में देखना उनके सत्ता, प्रतिष्ठा और लोकप्रियता के सपनों की खट्टी मीठी पुष्टि है.

शो एस्पिरेंट्स दूसरे पहलू पर भी नजर डालने से नहीं कतराता. सीरीज़ में बताए गए दोस्तों की तिकड़ी में से केवल एक ही आईएएस अधिकारी बनता है.

द वायरल फीवर द्वारा निर्मित वेब सीरीज़ तुरंत हिट हो गई थी. IMDB पर इसकी रेटिंग 9.2 है, प्रत्येक एपिसोड को 30 मिलियन से अधिक बार देखा गया है. यहां तक ​​कि जो लोग नौकरशाही का हिस्सा बनने का सपना नहीं देखते हैं, वे भी इस जीवन के बारे में उत्सुक हैं.

एक नवनियुक्त आईआरएस अधिकारी जो अपना नाम नहीं बताना चाहता था, एस्पिरेंट्स और बस्सी के बारे में कहते हैं, “ये कॉमेडी शो, किताबें और टीवी सीरीज़ अच्छी हैं. वे उम्मीदवारों के जीवन को दिखा रहे हैं.”

लेकिन AGMUT कैडर के एक आईपीएस अधिकारी विकास मीना, यूपीएससी पर बढ़ती सामग्री को स्वीकार करते हुए, लोगों को इसे अंकित मूल्य पर लेने से सावधान करते हैं. आख़िरकार, यह अभी भी मनोरंजन है. उन्हें एस्पिरेंट्स के कुछ हिस्से अवास्तविक लगते हैं.

वो कहते हैं, “यूपीएससी के प्रति इस बढ़ते क्रेज में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं. एक ओर, परीक्षा, तैयारी और उसके बाद के जीवन के बारे में जागरूकता है. इसने परीक्षा के बारे में कुछ मिथकों को भी खारिज कर दिया है. दूसरी ओर, वे अक्सर उम्मीदवारों और चयन के बाद के जीवन की सच्ची तस्वीर नहीं दिखाते हैं और कभी-कभी थोड़े पक्षपाती लग सकते हैं.”


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‘गंभीरता खत्म हो गई’

लेखक नीलोत्पल मृणाल का दावा है कि यूपीएससी की बातचीत को मेनस्ट्रीम तक लाने का काम उन्होंने किया है. साल 2015 में उनका उपन्यास, डार्क हॉर्स: एक अनकही दास्तान आया था जिसे हिंदी युग्म ने छापा था. उपन्यास बिहार के एक यूपीएससी उम्मीदवार के संघर्ष पर आधारित था, जो दिल्ली के मुखर्जी नगर में आता है. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की यात्रा मृणाल ने अपने नायक संतोष के साथ साझा की है.

कहानी की प्रामाणिकता पाठकों को पसंद आई. मृणाल ने अपनी पुस्तक के लिए हिंदी श्रेणी में 2016 साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार जीता.

वो कहते हैं, “यूपीएससी एक खुला मैदान है और हर कोई इस पर खेलना चाहता है.” मृणाल ने 2013 में अतिरिक्त प्रयासों के लिए विरोध प्रदर्शन और 2014 में CSAT विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था जब इसे पेश किया गया था. यह विरोध ही था जिसने उन्हें डार्क हॉर्स लिखने के लिए प्रेरित किया.

लेकिन वह पॉप संस्कृति में प्रारंभिक अनुष्ठान के ‘कॉमेडी’ पहलू के समर्थक नहीं हैं. वो कहते हैं, “यूपीएससी का शोषण किया गया है. यूपीएससी की तैयारी में लोग कॉमेडी भी ले आए हैं. इसकी गंभीरता ख़त्म हो गई है.”

वह एक तरह से शुद्धतावादी भी हैं और कोचिंग संस्थान उद्योग के व्यावसायीकरण, इसके गंदे ढांचे और बेईमानों की शिकारी प्रथाओं को अस्वीकार करते हैं.

मृणाल कहते हैं, ”कॉर्पोरेट यूपीएससी के क्षेत्र में आ गए हैं और इसे भ्रष्ट कर दिया है, उनके पास छात्र नहीं बल्कि ग्राहक हैं.” उनका आरोप है कि कोचिंग संस्थान तैयारी के लिए तैयार सामग्री में भारी निवेश कर रहे हैं. एस्पिरेंट्स के यूट्यूब थंबनेल पर भी लिखा है ‘अनएकेडमी द्वारा प्रस्तुत’.

“इसका सीधा मतलब यह है कि ये लोग [कोचिंग संस्थान] ज़मीन पर हीरो बनाकर छात्रों को आकर्षित करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए अब वे स्क्रीन पर कहानियाँ बना रहे हैं.”

लेकिन निर्माता और शो-संचालक इस दृष्टिकोण का खंडन करते हुए कहते हैं कि अच्छी कहानियां बताने के लिए हमेशा धन की आवश्यकता होती है. दीपेश कहते हैं, ”फिल्म निर्माण के लिए पैसे की जरूरत होती है और हम इसे हमेशा मुनाफे के लिए नहीं करते हैं, हम इसे पैशन से करते हैं.”

एस्पिरेंट्स में संदीप भैया का किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि टीवीएफ ने उन पर आधारित एक स्पिन-ऑफ सीरीज़ का निर्माण किया, उसे  भी ‘अनएकेडमी द्वारा प्रस्तुत’ किया गया, जिसका प्रीमियर जून में हुआ. नए यूपीएससी अभ्यर्थियों को ‘बड़े भाई’ की तरह सलाह देने वाले वरिष्ठ अभ्यर्थी सोशल मीडिया और मीम्स पर छाए हुए हैं.

Quora पर एक यूज़र ने लिखा, “हर किसी को संदीप जैसे भाई, मार्गदर्शक की ज़रूरत होती है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे यूपीएससी या आईआईटी या किसी अन्य चीज की तैयारी कर रहे हैं, आपको जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए उनके जैसे मार्गदर्शक की आवश्यकता है.”

ग्लैमर 

यूपीएससी की तैयारी का मनोरंजन मूल्य ट्रेंडिंग बातचीत के हर कोने में घुसपैठ कर चुका है. सामग्री को चमकाया और महिमामंडित किया गया है. वे सत्ता पर ध्यान केंद्रित करते हैं – शक्तिशाली आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के आसपास कारों और परिचारकों का काफिला. यह वह जीवन है जो लाखों छात्रों को इस पेशे की ओर आकर्षित करता है.

नेक्स्ट आईएएस के संस्थापक और मुख्य प्रबंध निदेशक बी सिंह कहते हैं, “यह परीक्षा वंचित छात्रों के लिए स्थिरता और सम्मान प्रदान करती है, एक सफल परिणाम परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने का अवसर दर्शाता है.”

एस्पिरेंट्स में एक दृश्य है जहां दोस्तों में से एक, गुरी, शराब पीते हुए अपने पिता के बारे में बात करना शुरू करता है जिनके पास 20 एकड़ जमीन है. गांव में हर कोई उनसे डरता था, लेकिन एक दिन एक आईएएस अधिकारी आता है और उनके पिता को डरा देता है. अपने पिता को सहमे हुए देखना युवा गुरी के लिए एक रहस्योद्घाटन था. गुरी कहते हैं, “तभी उन्हें पता चला कि आईएएस ही असली ताकत है. तभी मैंने आईएएस अधिकारी बनने का फैसला कर लिया.”

एक लोकप्रिय यूट्यूब शॉर्ट में सड़क पर कारों का एक काफिला दिखाया गया है – जिसका उद्देश्य शक्ति का प्रतीक है. वीडियो पर लिथा है: “हम मेहनती हैं; हम उड़ान भरने में अपना समय लेंगे लेकिन एक समय आएगा जब हमारे लिए कारों की कतारें होंगी.

सिविल सेवाओं का यह स्वच्छ दृष्टिकोण ही है जिसके प्रति आईपीएस अधिकारी मीना सतर्क रहते हैं.

विकास मीना कहते हैं, ”ऐसी चीज़ें कुछ लोगों को इस जाल में फंसने के लिए गुमराह कर सकती हैं जो चयन के बाद एक शानदार और शक्तिशाली जीवन का वादा करती हैं.”

यह क्रेज सिर्फ शॉर्ट्स और रील तक ही सीमित नहीं है, यह लोक संगीत उद्योग तक भी पहुंच गया है. एक भोजपुरी गाना-बबुआ हमार डीएम होइहे (हमारा बेटा डीएम बनेगा)-इस बारे में है कि एक नवजात शिशु कैसे आईएएस अधिकारी बनेगा. संगीत वीडियो को YouTube पर 26 मिलियन से अधिक बार देखा गया है. यह गाना उन जश्न के मौकों के दौरान मुख्य आधार होता है जब कोई बिहार या पूर्वी उत्तर प्रदेश से यूपीएससी परीक्षा पास करता है.

लेकिन परीक्षा उत्तीर्ण करने के तुरंत बाद, टॉपर्स को पता चलता है कि ग्लैमरस जीवन का यह वादा भ्रामक है.

वो कहते हैं, “अगर हम कुछ प्रेरक रील या वेब सीरीज़ देख रहे हैं, तो यह ठीक है. लेकिन जैसे ही हम ग्लैमर की ओर आकर्षित होने लगते हैं, यह एक समस्या बन जाती है.”

शाम 4 बजे, उत्तर प्रदेश के आईएएस उम्मीदवार मोनू त्रिपाठी एक कप चाय के लिए एक निजी पुस्तकालय से बाहर निकलते हैं. जिस तरह से कंटेंट उनके और उनके जैसे लाखों लोगों के सपनों को निशाना बना रहा है, उससे वह नाराज हैं.

वो कहते हैं, “वे लाभ के लिए हमारी भावनाओं का उपयोग कर रहे हैं. उनमें से बहुत कम लोग वास्तव में हमारी या हमारी मानसिक स्थिति की परवाह करते हैं.” दूसरे छात्रों द्वारा अल्प विराम लेने से सड़क तेजी से भर जाती है, और वह पुस्तकालय में लौट आता है.

दीपेश इस बात से सहमत हैं कि यूपीएससी सामग्री निर्माताओं के लिए नवीनतम सुनहरा हंस है.

दीपेश ने कहा, “लेकिन यह फीका पड़ जाएगा क्योंकि हर किसी की यात्रा एक जैसी होती है. आप एक ही कहानी को बार-बार नहीं बेच सकते. आप कब तक एक ही भावना का दोहन करेंगे?”

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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