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Monday, 18 November, 2024
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संसद से लेकर लॉ फर्म्स तक: बीजेपी राज में राष्ट्रावादी फेलोशिप की इंटर्नशिप्स को मिल रहे हैं पंख

थिंक इंडिया छात्रों के लिए एक राष्ट्रीय इंटर्नशिप प्रोग्राम है. यह उन्हें सरकार, संसद, थिंक टैंक और कानून फर्मों में उपयुक्त राष्ट्रवादी सलाहकारों से जोड़ता है.

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नई दिल्ली: आदित्य कश्यप, राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ में पढ़ाई करने के लिए बिहार से पटियाला आए थे. वह अपने परिवार की ऐसी पहली पीढ़ी थे जिन्होंने लॉ की पढ़ाई की. कॉलेज में आने के बाद वह थिंक इंडिया नामक एक राष्ट्रवादी विचारधारा वाली संस्था के साथ जुड़ गए जिसने उनकी प्रतिभा को निखारने में मदद की.

अपने लॉ के आखिरी साल के अंत तक, आदित्य कश्यप सांसद वरुण गांधी और निनॉन्ग एरिंग, दिल्ली उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के वकील जे साई दीपक और डी भरत कुमार और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (सुप्रीम कोर्ट) विक्रमजीत बनर्जी के साथ इंटर्नशिप करने में कामयाब रहे.

अब अपने 17वें वर्ष में, थिंक इंडिया छात्रों के लिए एक राष्ट्रीय इंटर्नशिप प्रोग्राम है. यह उन्हें सरकार, संसद, थिंक टैंक और कानून फर्मों में उपयुक्त राष्ट्रवादी सलाहकारों से जोड़ता है. यह एनएलयू, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम, एम्स, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी आदि जैसे पेशेवर संस्थानों में छात्रों के बीच से चलाया जाता है. सत्ता में भाजपा सरकार के नौ वर्षों के दौरान, थिंक इंडिया पहले से कहीं अधिक व्यापक हो गया है. 2014 के बाद से सैकड़ों छात्रों ने कई  मंत्रियों और सांसदों के साथ इंटर्नशिप की है.

कश्यप कहते हैं, ”हमने छात्रों को नितिन गडकरी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, राकेश सिन्हा के पास भी इंटर्नशिप के लिए भेजा है.”

दिल्ली उच्च न्यायालय में वकील के तौर पर काम करने वाले आदियत्य कश्यप साल 2019-2021 तक थिंक इंडिया के राष्ट्रीय सह-संयोजक थे. अब वह अन्य छात्रों को सलाह देते हैं और संगठन की गतिविधियों में भाग लेते हैं. वो बताते हैं, “हम केवल एक पुल के रूप में काम करते हैं और किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करते हैं. छात्रों को जो भी मिलता है, सांसद कार्यालय से मिलता है.”

कश्यप का कहना है कि उन्होंने थिंक इंडिया द्वारा आयोजित सत्रों और वार्ताओं में भाग लेने से शुरुआत की, जिससे उन्हें इंटर्नशिप के अवसर मिले. ऑनलाइन या कॉलेज परिसरों में इनका कोई विज्ञापन नहीं हैं, हालांकि RSS से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की वेबसाइट पर कार्यक्रम के लिए समर्पित एक पूरा खंड है.

इंट्रोडक्शन में लिखा है, “देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को एक साथ लाने और उनमें ‘राष्ट्र प्रथम’ दृष्टिकोण डालने के लिए एक अखिल भारतीय पहल, जिसका उद्देश्य राष्ट्रवादी भावना विकसित करना और युवा भारत को समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित करना है.”

फैलोशिप इकोसिस्टम

दिल्ली में इंटर्नशिप कार्यक्रम सबसे अधिक मांग वाले हैं. वे युवा स्नातकों को सार्वजनिक नीति, राजनीति और विधायी अभ्यास के सत्ता गलियारों की आकर्षक झलक देते हैं. सबसे प्रतिष्ठित इंटर्नशिप में से कुछ में पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च (एलएएमपी, या संसद सदस्यों के विधायी सहायक), स्वनीति इनिशिएटिव और यंग लीडर्स फॉर एक्टिव सिटिजनशिप (वाईएलएसी) द्वारा संचालित फेलोशिप शामिल हैं.

राज्य स्तर पर, मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी (हरियाणा), जिला विकास फ़ेलोशिप (पंजाब), और मुख्यमंत्री शहरी नेता फ़ेलोशिप और दिल्ली विधानसभा अनुसंधान केंद्र फ़ेलोशिप (दिल्ली) जैसे फ़ेलोशिप कार्यक्रम हैं. हाल के वर्षों में नए लोग भी इसमें शामिल हुए हैं जैसे कि नरेंद्र मोदी स्टडी सर्कल द्वारा प्रायोजित मुखर्जी फ़ेलोशिप जिसका मासिक वजीफा 20,000 रुपये से 80,000 रुपये तक है.

थिंक इंडिया का स्टूडेंट बेस कई पेशेवर में है. वर्तमान में, छात्रों द्वारा संचालित इस संगठन में हजारों सदस्य हैं, लेकिन इसके व्हाट्सएप ग्रुप में लगभग 250 सक्रिय सदस्य हैं, जो सेमिनार और सम्मेलनों में भाग लेते हैं.

थिंक इंडिया का दावा है कि यह संगठन छात्रों द्वारा बनाया गया था और छात्रों द्वारा ही चलाया जा रहा है.

कश्यप कहते हैं, ”कुछ लोगों के एक समूह ने, जो ज्यादातर निम्न सामाजिक पृष्ठभूमि से थे, इस संगठन की शुरुआत की.” लेकिन उन्होंने उनका नाम नहीं बताया.

उन्होंने आगे कहा कि वे अभी तक पूर्व छात्रों या संस्थापक सदस्यों के बारे में कोई डेटा नहीं रखते हैं, लेकिन वे इसे जल्द ही शुरू करने की योजना बना रहे हैं.

संगठन साल में दो बार इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करता है. इसके छह इंटर्नशिप वर्टिकल हैं- विधि-द लीगल इंटर्नशिप, नीति-द पब्लिक पॉलिसी इंटर्नशिप, अनुभूति-द सोशल इंटर्नशिप, संवाद-द जर्नलिज्म इंटर्नशिप, संसदिया-द पार्लियामेंटेरियन इंटर्नशिप, और शुरूआत-द स्टार्ट-अप इंटर्नशिप. विधि और संसदिया सबसे लोकप्रिय हैं.

इंटर्नशिप एक या दो महीने की अवधि के लिए होती है. अगला सेशन शीतकालीन अवकाश के दौरान शुरू होगा.

23 वर्षीय मेधावी मिश्रा को सोशल मीडिया के माध्यम से थिंक इंडिया के बारे में पता चला. जब उन्होंने 2019 में संगठन की संसदीय इंटर्नशिप के लिए आवेदन किया था, तब वह मेनका गांधी के साथ एक लिगल इंटर्न के रूप में काम कर रही थीं. उनका चयन किया गया और उन्होंने हरियाणा से भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल के साथ काम किया.

थिंक इंडिया अपने इंटर्न्स के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित करता है जहां वे अपने अनुभव साझा करते हैं. मिश्रा कहती हैं, ”मैंने कई बार पशु अधिकारों के बारे में बात की, क्योंकि मैंने मेनका गांधी के साथ इस पर काम किया था, लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं हुआ.”


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पूर्व छात्रों के फंड से मदद मिली

अन्य फ़ेलोशिप के विपरीत, थिंक इंडिया अपने सदस्यों का माइक्रो मैनेज नहीं करता है और कोई फंड भी प्रदान नहीं करता है. सदस्यों को कठोर या सख्त चयन प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता है और उन्हें केवल एक आवेदन और सीवी जमा करना होता है. Google फॉर्म एप्लिकेशन उम्मीदवारों से उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि और इंटर्नशिप करने की इच्छा के कारणों के बारे में पूछता है.

कश्यप बताते हैं, “हमें विधि के लिए 2,500 और संसदीय के लिए 2,000 आवेदन प्राप्त होते हैं, लेकिन हम केवल 300 और 50 का चयन कर सकते हैं. संसदीय के लिए, कभी-कभी हम केवल 10 या 20 आवेदकों का चयन करते हैं, जो सहमत सांसदों की संख्या पर निर्भर करता है [थिंक इंडिया इंटर्न रखने के लिए]. ”

तुलनात्मक रूप से, पीआरएस की एलएएमपी फेलोशिपकरने के लिए, उम्मीदवारों को साक्षात्कार के कई दौर से गुजरना पड़ता है. चयनित लोगों को 20,000 रु प्रति माह का वजीफा मिलता है.

थिंक इंडिया अपने पूर्व छात्रों से चंदा इकट्ठा करता है. उन्होंने आईआईटी, आईआईएम और एनएलयू में सेमिनार, व्याख्यान और सम्मेलन आयोजित किए हैं.

थिंक इंडिया के सदस्य शुभम शुक्ला कहते हैं, “हमें कहीं से भी कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलती है [पूर्व छात्रों से दान के अलावा]. अगर किसी को जिनेवा में अंतर्राष्ट्रीय कानून आयोग में इंटर्नशिप मिलती है और उसके पास जाने के लिए पैसे नहीं हैं, तो हम उस व्यक्ति के लिए धन जुटाते हैं.”

प्रतिस्पर्धा की कम दर और इंटर्नशिप की छोटी अवधि वजीफे की कमी को पूरा करती है.

शुक्ला कहते हैं, ”हम जाति के आधार पर आवेदकों का चयन नहीं करते हैं लेकिन हम भेदभाव भी नहीं करते हैं.” उन्होंने कहा, “हम योग्यता देखते हैं और इन मानदंडों को पूरा करने वालों को इंटर्नशिप प्रदान करते हैं.”

मानदंड शैक्षणिक प्रदर्शन पर आधारित हैं.

संगठन का राष्ट्रवाद पर ज़ोर है. कश्यप कहते हैं, “हम राष्ट्रवाद के मुद्दे पर समझौता नहीं करते हैं लेकिन इसकी कोई सख्त, समान और विस्तृत परिभाषा नहीं है. हमारे पास ऊपर से नीचे तक का दृष्टिकोण नहीं है.”

शुक्ला इसे ‘राष्ट्र-निर्माण’ प्राथमिकता बताते हैं.

कई आरएसएस सदस्यों और अन्य दक्षिणपंथी राजनेताओं को थिंक इंडिया के सम्मेलनों और कार्यक्रमों में देखा गया है, लेकिन संगठन का कहना है कि यह राजनीतिक स्पेक्ट्रम के लोगों को आमंत्रित करता है और कई लोग सम्मेलनों में भाग लेते हैं.

यह फोरम राष्ट्रीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों में Y20 कार्यक्रमों के लिए आउटरीच भागीदार था. उन्हें यह सहयोग उनके “पूर्व छात्र कनेक्शन” के माध्यम से मिला.

Y20 के हिस्से के रूप में उन्होंने आईआईटी-रुड़की के साथ ‘जी20 इम्पैक्ट समिट-अनलीशिंग द पोटेंशियल्स’ का आयोजन किया. उपस्थित अतिथियों में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी; आदित्य अग्रवाल, सीईओ, फिजिक्सवाला और कृष्ण गोपाल, आरएसएस के संयुक्त महासचिव शामिल हुए.

बेंगलुरु से दिल्ली तक

थिंक इंडिया में विभिन्न पृष्ठभूमियों से आए पूर्व छात्रों का एक मजबूत नेटवर्क है. वर्तमान में, भारत में विभिन्न परिसरों में इसके लगभग 150 सक्रिय सदस्य हैं.

थिंक इंडिया की शुरुआत 2006 में बेंगलुरु में शहर-स्तरीय कार्यशालाओं के आयोजन से हुई. पहला वार्षिक थिंक इंडिया कन्वेंशन 2007 में रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग इंडिया द्वारा संचालित आश्रम में आयोजित किया गया था. तीन साल बाद, छात्र एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क स्थापित करने के लिए नई दिल्ली में एकत्र हुए.

शुक्ला कहते हैं, ”2017 में, हमने अधिक परिसरों और राज्यों में विस्तार किया.” अब, थिंक इंडिया की उपस्थिति पूरे भारत में है.

वह कहते हैं, ”हम समाज के हर वर्ग से नेताओं को तैयार करना चाहते हैं.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में लिखने के लिए यहां क्लिक करें)


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