नई दिल्ली: पिछले 18 महीनों में भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनैन- जो एक शौकीन फोटोग्राफर हैं- ने पटना, बड़ौदा, दिल्ली, अहमदाबाद, विशाखापत्तनम और मुंबई जैसे शहरों में अपनी यात्रा के दौरान भारत को करीब से देखा और उसे अपने कैमरे की आंखों से देखते हुए कैद कर लिया है. इसके लिए उन्होंने अपने लीका 35 मिमी कैमरे का इस्तेमाल किया.
52 वर्षीय राजनयिक की तस्वीरों का निजी संग्रह अब इंडिया हैबिटेट सेंटर के विजुअल आर्ट्स गैलरी में एक प्रदर्शनी में तब्दील हो गया है. ‘इनविजिवल पोएट्री’ शीर्षक वाली प्रदर्शनी में पब्लिक टॉयलेट के शॉट्स से लेकर सफेद कपड़ों से ढकी धार्मिक मूर्तियों की तस्वीरें तक शामिल हैं.
48 तस्वीरों का संग्रह विशेष रूप से ब्लैक एंड व्हाइट में है. लेनैन ने बताया कि यह उनका खुद का निर्णय था और वह भारतीय संस्कृति की ‘जीवंतता के पीछे कुछ छिपी हुई चीजों’ को खोजना चाहते थे.
फ्रांसीसी राजनयिक के साथ काम करने वाली अल्का पांडे ने कहा, ‘शानदार रंगों से भरे इस देश को दिखाने के लिए ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर लेना लेनैन के लिए आसान विकल्प नहीं था.’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि, लेनैन ने भारत में ‘अपने विदेशी नजर’ से घूमना शुरू किया, एक ऐसा मंत्र जिसके अधिकांश आगंतुक शिकार होते हैं.’
दिल्ली के बाद अप्रैल में कोलकाता के भारतीय संग्रहालय में और फिर अगस्त में पटना के बिहार संग्रहालय में ‘इनविजिवल पोएट्री’ की प्रदर्शनी लगाई जाएगी.
फोटोग्राफी के लिए फ्रांसीसी राजदूत का जुनून कई अवसरों पर एक राजनयिक के रूप में उनके अनुभवों से जुड़ा हुआ दिखाई देता है. उदाहरण के लिए, 2010 से 2015 तक शंघाई में फ़्रांस के महावाणिज्यदूत के रूप में सेवा देने के बाद, चीन में ली गई उनकी तस्वीरों की एक श्रृंखला को 2016 में पेरिस में मैसन यूरोपीन डे ला फ़ोटोग्राफ़ी (MEP) में प्रदर्शित की गई थी.
पिछले साल, उन्होंने राजनयिक और प्रतिष्ठित भारतीय फोटोग्राफर रघु राय के साथ मिलकर संयुक्त रूप से एक पुस्तक, थ्रू देयर आइज़: रघु राय और इमैनुएल लेनैन का विमोचन किया. इसमें लेनैन द्वारा भारत में ली गई तस्वीरें और राय की पेरिस में ली गई तस्वीरें थीं.
2 फरवरी को दिल्ली में प्रदर्शनी लोगों के लिए खुलने के बाद से, लेनिन नियमित रूप से अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर उसकी तस्वीरें पोस्ट कर रहे थे. अपने इंस्टाग्राम के बायो में उन्होंने ‘पेशेवर राजनयिक, शौकिया’ लिखा है.
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तस्वीरों की विस्तृत श्रृंखला
प्रदर्शनी को तीन अलग-अलग वर्गों में बांटा गया है, जिनके शीर्षक हैं- ‘भारत की अदृश्य संरचना’, ‘वस्तुओं का दूसरा जीवन’, और ‘अप्राकृतिक परिदृश्य’.
पहले खंड में, पब्लिक टॉयलेट, लाइट स्विच और मूवी थियेटर की सीटों की तस्वीरें मिलती हैं जो समरूपता और संरचना के विषय से जुड़ी हुई हैं. इसमें भारतीय जोड़े की तस्वीरें हैं- जैसे दो महिला पुलिस अधिकारी बैठी हुई हैं या दो पुरुष हवाई अड्डे पर विमान की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
दूसरे खंड में वस्तुओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है, जो यह दिखाता है कि कोई वस्तु को एक बार छोड़े जाने पर वह अपना नया जीवन प्राप्त कर लेती है. इसमें पुलिस अधिकारी की वर्दी से लेकर देवताओं की मूर्तियों की तस्वीरें शामिल हैं जिन्हें या तो हटा दिया गया है या दूर रख दिया गया है.
उदाहरण के लिए, चंडीगढ़ में ली गई एक तस्वीर में सफेद कपड़े में ढकी दो धार्मिक मूर्तियों की तस्वीर दिखाई गई है, जिसमें केवल उसका केवल पैर दिखाई दे रहा है. इस तस्वीर के बारे में लेनैन पूछते हैं, ‘मूर्तियों को तराशने या ढ़ालने के बाद उसे छिपा देना या बांध देना एक अजीब आदत है. क्या हम आजादी से इतने डरे हुए हैं?’
लेनैन कहते हैं, ‘वस्तुएं अक्सर अपने स्वयं के जीवन को प्राप्त करती हैं, कई बार यह विचित्र और पेचीदा होती हैं. भारत में ऐसे कई दृश्य देखने को मिलते हैं जहां अक्सर यह महसूस होता है कि फिल्म ‘नोयर’ कोई का एक दृश्य चल रहा है.’
प्रदर्शनी के अंतिम खंड में भारत भर में अजीब और अद्भुत परिदृश्यों को दर्शाया गया है – पार्क में लगी हुई एक बेंच से लेकर एक टूटे-फूटे घरों में उगने वाले पेड़ तक. लेनैन उसे भारत के मेगासिटी में पाए जाने वाले ‘प्रकृति के लुप्तप्राय नुक्कड़’ के रूप में बताते हैं.
प्रदर्शनी का शीर्षक- ‘अदृश्य कविता’- भारतीय समाज और परिदृश्यों के अनूठे पहलुओं का एक संदर्भ दिखाता है जिन्हें अक्सर सांसारिकता में जोड़ दिया जाता है.
एक नोट में जो प्रदर्शनी के प्रस्तावना के रूप में है, लेनैन बताते हैं: ‘मैं केवल आशा कर सकता हूं कि मैं अंततः इस अद्भुत देश के एक अनूठे पहलू को चित्रित करने में सफल रहा हूं जो इसे अन्य सभी से इसे अलग करता है, जो कि सबसे समृद्ध देश के भीतर ‘इनविजिवल पोएट्री’ जैसा है.’
भारत और फ्रांस के द्विपक्षीय संबंधों के 75 साल पूरे होने के अवसर पर लेनैन की प्रदर्शनी आई है.
(संपादन: ऋषभ राज)
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