नई दिल्ली: फिटजी नोएडा सेंटर के बारे में अपनी बेटी को मिलने वाला हर WhatsApp मैसेज राजेंद्र कुमार के लिए बुरी खबर थी. सबसे पहले, टीचर्स की सैलरी में देरी हुई. इसका असर क्लास पर पड़ा. फिर कैफेटेरिया बंद हो गया. पानी खत्म होने लगा और आखिर में, उनके फोन पर चौंकाने वाली खबर आई कि सेंटर बंद हो गया.
नोएडा में बिलबोर्ड FIITJEE टॉपर्स और सक्सेस रेट के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन कोचिंग इंस्टीट्यूट खुद गायब हो गया है — टीचर्स, गार्डों, सफाई कर्मचारियों के साथ. ये बिलबोर्ड ही थे जिन्होंने कुमार के अपनी बेटी को IIT में भेजने के सपने को आगे बढ़ाया. इस सेंटर से करीब 500 स्टूडेंट्स जुड़े थे और यह 2008 से चालू था. इसमें करीब 150 लोगों का स्टाफ था.
कुमार दिल्ली-एनसीआर, भोपाल, पटना और वाराणसी के ऐसे हज़ारों पैरेंट्स में से हैं, जो FIITJEE की सफलता की कहानियों से आकर्षित हुए. उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई एक प्रतिष्ठित संस्थान में निवेश की, जिसने दो दशकों से भारत में इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम पर अपना दबदबा बनाए रखा है, लेकिन अब, वह भरोसा टूट गया है.
FIITJEE की शुरुआत दिल्ली के कालू सराय में हुई थी और एक IITian की बदौलत इसने स्टूडेंट्स को भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता दिलाई, जिससे IIT के लिए दरवाजे खुल गए. अब, 2,000 करोड़ रुपये के कारोबार वाला यह साम्राज्य शहरों में इसके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर और कर्मचारियों द्वारा सैलरी नहीं मिलने के आरोपों के कारण ढह रहा है. बोर्ड एग्जाम के दबाव में पहले से ही परेशान स्टूडेंट्स के लिए उनके सेंटर का बंद होना किसी बुरे सपने से कम नहीं है. FIITJEE का पतन भारत की करोड़ों डॉलर वाली कोचिंग इंडस्ट्री के लिए एक चिंताजनक संकेत है, जो काफी हद तक अनियमित और लगातार उतार-चढ़ाव में है.
भारत में कोचिंग इंडस्ट्री काफी हद तक विज्ञापन, भारी फीस स्ट्रक्चर और बेहतरीन टीचर्स की सीमित संख्या पर निर्भर करता है, जो अक्सर बिजनेस को बना या बिगाड़ सकते हैं.
इस रिपोर्ट के लिए दिप्रिंट ने FIITJEE मैनेजमेंट से कॉल और मेल के ज़रिए संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

हालांकि, जनवरी में जारी अपने बयान में, FIITJEE ने अकादमिक उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. “पिछले 28 साल में JEE मेन, JEE एडवांस्ड, NTSE और ओलंपियाड में टॉप रिजल्ट देने की हमारी विरासत बेजोड़ है. स्टूडेंट्स FIITJEE में इसके सिस्टम और विरासत के लिए शामिल होते हैं, न कि प्राइवेट टीचर्स के लिए.”
पिछले साल जून में ही नोएडा निवासी कुमार ने अपनी ग्यारहवीं क्लास में पढ़ने वाली बेटी को इंस्टीट्यूट के ग्रेटर नोएडा सेंटर में FIITJEE के दो साल वाले बेसिक कोर्स में एडमिशन दिलाया था.
कुमार जो शारदा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं, उन्होंने बताया, “इस बारे में पहले से कोई इन्फॉर्मेशन या नोटिस नहीं दिया गया था. टीचर्स ने व्हाट्सएप पर एक मैसेज किया, जिसमें लिखा था कि सैलरी में देरी की वजह से वह क्लास नहीं ले पाएंगे.”
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सुनहरे दिन
1992 में आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियर करने वाले डीके गोयल द्वारा स्थापित, FIITJEE ने कालू सराय क्षेत्र में कोचिंग के क्षेत्र को गति दी, जो आखिरकार एक स्टडी प्वाइंट में बदल गया.
कालू सराय में, FIITJEE के लगभग 10 दफ्तर हैं, जिनमें कॉर्पोरेट स्पेस, किताबों के लिए गोदाम और फैकल्टी ऑफिस शामिल हैं, लेकिन उनमें से ज़्यादातर आज सूने पड़े हैं. सीनियर मैनेजमेंट पिछले एक महीने से यहां नहीं आया, दूर से ही काम कर रहा है. फरवरी की एक व्यस्त दोपहर में, 100 से अधिक लोगों के बैठने की जगह वाले इस दफ्तर में बमुश्किल 10-12 कर्मचारी मौजूद थे.
FIITJEE के कालू सराय ऑफिस में अकाउंट टीम के एक मेंबर ने कहा, “सिर्फ सात सेंटर बंद हुए हैं. बाकी अभी भी चालू हैं और हमें उनके लिए काम करते रहना है. सीनियर मैनेजमेंट प्रभावित सेंटर्स में आ रही दिक्कतों को ठीक करने पर फोकस कर रहा है. यह इंस्टीट्यूट के खिलाफ एक साजिश है.”
बता दें कि FIITJEE के पूरे भारत में लगभग 74 सेंटर हैं.
34-वर्षीय अमित सिंह ने 2008 में FIITJEE के पटना सेंटर में दाखिला लिया था. राज्य की राजधानी के व्यस्त कोचिंग हब में स्थित और प्रमुख रियल एस्टेट वाला यह इंस्टीट्यूट भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला पाने के इच्छुक लोगों के लिए एक पसंदीदा जगह थी. सिंह ने बेंगलुरु के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में अपने सिलेक्शन का क्रेडिट FIITJEE को दिया.
सिंह के बैच में करीब 400 एस्पिरेंट्स थे. टीचिंग क्वालिटी टॉप लेवल की थी और इलाके का एकमात्र सबसे बड़ा सेंटर होने की वजह से, इसने झारखंड, पश्चिम बंगाल और यहां तक कि अरुणाचल प्रदेश से भी स्टूडेंट्स को आकर्षित किया. जनवरी में सेंटर ने ऑपरेशन बंद कर दिया और इसके सभी टीचिंग कर्मचारी प्रतिद्वंद्वी कोचिंग इंस्टीट्यूट्स में चले गए, स्टूडेंट्स को उनके साथ जाने के लिए कहा — एक ट्रेंड जो हाल ही में बंद हुए कई FIITJEE सेंटर्स में देखी गई है.
अमित ने कहा, “पटना में यह बहुत बड़ी बात हुआ करती थी इस कोचिंग की वजह से ही मैंने कर्नाटक के मेडिकल, इंजीनियरिंग और डेंटल कॉलेजों में (COMEDK) सफलता हासिल की और बैंगलोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एडमिशन लिया.” वह इस वक्त पुणे स्थित ट्राइकॉन इंफ्रा बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड में वाइस-प्रेजिडेंट हैं.
FIITJEE के गुरुग्राम सेंटर में पांच साल तक काम करने वाले एक टीचर ने कहा कि 2018 से पहले चीज़ें स्थिर थीं. इंस्टीट्यूट ने टीचर्स को अच्छे कॉन्ट्रैक्ट दिए, जिसके तहत उन्हें इस्तीफा देने से पहले कम से कम तीन साल तक बने रहना था. कॉन्ट्रैक्ट टफ था, लेकिन काम करने की स्थिति अच्छी होने के कारण ज़्यादातर टीचर्स वहीं रहे, कुछ ने तो रिटायरमेंट तक का प्लान बना लिया था.
मुझे अच्छे से याद है इंस्टीट्यूट इवैल्यूएशन के वक्त कुछ टीचर्स की सैलरी को दोगुना कर देता था. सेंटर हेड के पास सीमित अधिकार थे और ज़्यादातर बड़े फैसले दिल्ली के कॉर्पोरेट ऑफिस से आते थे
— FIITJEE के पूर्व फैकल्टी
रिजल्ट देने और हाई एडमिशन रेट सुनिश्चित करने का प्रेशर कम था और टीचर्स का फोकस क्लास चलाने पर रहता था. ऑनलाइन लेक्चर्स के ज़रिए सोशल मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए हर फैकल्टी की अवधारणा अज्ञात थी.
उक्त टीचर ने कहा, “मुझे अच्छे से याद है इंस्टीट्यूट इवैल्यूएशन के वक्त कुछ टीचर्स की सैलरी को दोगुना कर देता था. सेंटर हेड के पास सीमित अधिकार थे और ज़्यादातर बड़े फैसले दिल्ली के कॉर्पोरेट ऑफिस से आते थे.”
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बिजनेस मॉडल में बदलाव
FIITJEE बीते कुछ सालों से परेशानियों से घिरा हुआ है, लेकिन 2023 में यह सब पब्लिक हो गया, जब एक विज्ञापन में एक स्टूडेंट का मज़ाक उड़ाया गया, जो प्रतिद्वंद्वी इंस्टीट्यूट में चला गया था. इस विज्ञापन की काफी आलोचना की गई और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच इंस्टीट्यूट की बढ़ती इनसिक्योरिटी का संकेत दिया गया.
विज्ञापन में सुझाव दिया गया था कि FIITJEE से दूसरे इंस्टीट्यूट में जाने वाले स्टूडेंट्स को अपने फैसले पर पछतावा होता है. FIITJEE को अकादमिक उत्कृष्टता पर फोकस करने के बजाय स्टूडेंट्स को शर्मिंदा करने की कोशिश करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा.
कई लोगों ने दिप्रिंट से बात करते हुए विफलता के लिए मैनेंजमेंट और मालिक को दोषी ठहराया. एक समय पर बाज़ार पर राज चलाने वाला लीडर इंस्टीट्यूट अब पैरेंट्स और टीचर्स को जवाब देने के लिए संघर्ष कर रहा है, प्रतिद्वंद्वी इंस्टीट्यूट पर अपने बंद होने का आरोप लगा रहा है.
कोचिंग फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष केशव अग्रवाल ने कहा, “FIITJEE के साथ कई चीज़ें गलत हुईं, परेशानी 2018 में शुरू हुईं, लेकिन जब कोविड आया तो इसका असर छिप गया. फिर, 2022 में ऑफलाइन कोचिंग बाज़ार में उछाल आया, लेकिन FIITJEE को भारी शिकार का सामना करना पड़ा. फिजिक्स वाला के बाज़ार में उतरने के साथ, FIITJEE ने स्टूडेंट्स को आकर्षित करने के लिए अपनी फीस कम की, लेकिन खराब इन्वेस्टमेंट ने इसकी परेशानियों को और बढ़ा दिया. फाइनेंशियल दिक्कत इसकी बैठकों में साफ था.
FIITJEE को ऑनलाइन टीचिंग की ओर तेज़ी से हो रहे बदलाव के अनुकूल होने में संघर्ष करना पड़ा, डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाने वाले प्रतिस्पर्धियों से पिछड़ गया. इस देरी की वजह से तकनीक-प्रेमी प्रतिद्वंद्वियों के लिए स्टूडेंट्स का एक बड़ा हिस्सा खो गया. इसके अलावा, FIITJEE का फाइनेंशियल मैनेजमेंट जांच के दायरे में आ गया है. रिपोर्ट बताती है कि फंड्स को इसके मुख्य कोचिंग बिजनेस से असंबंधित उपक्रमों में डायवर्ट किया गया, जिससे कैश फ्लो और ऑपरेशन में रुकावटें आई.

फाइनेंशियल स्ट्रैन तब और स्पष्ट हो गया जब कंपनी ने कैश फ्लो के मुद्दों का हवाला देते हुए सैलरी देने में देरी की. बड़े भौतिक बुनियादी ढांचे को बनाए रखने से जुड़ी उच्च परिचालन लागतों ने स्थिति को और खराब कर दिया, जो एडमिशन में गिरावट के बीच अस्थिर हो गया.
इंस्टीट्यूट के नोएडा सेंटर से जुड़े एक टीचर ने कहा, कोचिंग की दिग्गज कंपनी ने दो ग्लोबल स्कूल और छह यूनिवर्सिटी चलाने का भी काम किया और ऑनलाइन क्लास का विस्तार किया, लेकिन ये नए उद्यम लाभदायक नहीं रहे. सैलरी देने का भार पूरी क्षमता से चल रहे सेंटर पर पड़ा.
एक ऐसे सेट-अप के लिए जो मुख्य रूप से ऑफलाइन है, महामारी ने उनके रेवेन्यू पर काफी असर डाला. हालांकि, FIITJEE ने दो साल पहले अपने कर्मचारियों को भेजे गए ईमेल में कहा है कि उनके वित्तीय संघर्ष केवल कोविड-19 के कारण नहीं थे. इसने सेंटरों को चलाने वाली अपनी टीमों के नॉन-परफॉर्मेंस का हवाला दिया, जिसने मैनेंजमेंट के मुताबिक, संगठन पर देनदारियों का बोझ डाला. उनके अनुसार, खराब परफॉर्म करने वाले सेंटर्स ने कुल मिलाकर घाटे में योगदान दिया, जिससे समय पर सैलरी और एफएनएफ करने की उनकी क्षमता प्रभावित हुई.
FIITJEE ने 2008 में मेडिकल एस्पिरेंट्ल के लिए भी कोर्स शुरू किए थे — एक ऐसा क्षेत्र जिसमें आकाश जैसी कंपनियों का दबदबा था, लेकिन इसका मेडिकल कोचिंग बिजनेस इंजीनियरिंग क्लास जैसी सफलता को दोहराने के काबिल नहीं था.
2019 के बाद, सीनियर मैनेजमेंट ने सेंटर हेड्स को अधिक शक्ति सौंप दी और उनमें से कुछ ने गलत फैसले लिए, कथित तौर पर पहले अपनी जेबें भरीं. अब बंद हो चुके नोएडा सेंटर में काम करने वाले टीतर्स के अनुसार, इसने आखिरकार सेंटर्स को बंद करने में योगदान दिया.
बड़े संकट (अलग-अलग सेंटर्स पर घाटे और एडमिशन बढ़ाने के दबाव) का सामना करने के बाद, इंस्टीट्यूट ने कुछ महीने पहले दिल्ली के हयात होटल में बैठकें कीं. यह तीन दिनों के लिए बुक किया गया था. वह पैसे बचाने के तरीकों पर समीक्षा बैठकें आयोजित करने के लिए पांच सितारा होटलों में यह सारा पैसा खर्च कर रहे थे
— पूर्व FIITJEE फैकल्टी
फिटजी ने अपने नेतृत्व का पुनर्गठन किया और ज़्यादा फायदा कमाने के विचार से सेंटर हेड्स का नाम बदलकर मैनेजमेंट पार्टनर रख दिया. नए मॉडल में सेंटर से आने वाले रेवेन्यू का 40 प्रतिशत कॉर्पोरेट कार्यालय के लिए सुरक्षित रखा गया और बाकी मैनेजमेंट पार्टनर के हाथों में छोड़ दिया गया. उस वक्त, कई सेंटर पहले से ही घाटे में चल रहे थे.
पुराने मॉडल में, यह कॉर्पोरेट ऑफिस था जो सेंटर हेड्स और टीचर्स के बीच फंड्स बांटता था.
गुरुग्राम सेंटर से पहले जुड़े एक टीचर ने कहा, “(नए मॉडल में) स्टूडेंट्स की फीस कॉर्पोरेट ऑफिस को जाती है जो 40 प्रतिशत की कटौती करता है और बाकी पैसे सेंटर हेड्स को देता है. यह राशि वास्तविक खर्च से अधिक या कम हो सकती है. अब यह सेंटर हेड्स पर है कि वह इसे कैसे खर्च करते हैं.”
फैकल्टी ने कहा कि सेंडर हेड्स के पास हर महीने कर्मचारियों को सैलरी बदल-बदल कर देने का अधिकार है. टीचर्स के परफॉर्मेंस का विश्लेषण करने और राशि तय करने के लिए एक टैलेंट मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जाता है. फैकल्टी ने आरोप लगाया, “सेंटर हेड्स ने बजट को मैनेज करने के लिए सैलरी कम की. टीएमएस सिर्फ एक बहाना था. शिक्षक ने आरोप लगाया कि मैनेजमेंट पार्टनरों ने उन लोगों की सैलरी कम की, जिन्हें वह पसंद नहीं करते थे.”
विघटनकारी बिजनेस मॉडल वाले खिलाड़ियों के अलावा, फैकल्टी की खरीद-फरोख्त एक और फैक्टर है जिसने FIITJEE को कमज़ोर किया है. सबसे पहले, इसके मुख्य प्रतियोगी और विरासत खिलाड़ी ALLEN द्वारा, फिर फिजिक्स वाला जैसे एडटेक स्टार्टअप द्वारा. बंद सेंटर्स से पलायन के नवीनतम दौर में, कई फैकल्टी आकाश इंस्टीट्यूट में चले गए.
उक्त फैकल्टी ने कहा, “बड़े संकट (अलग-अलग सेंटर्स पर घाटे और एडमिशन बढ़ाने के दबाव) का सामना करने के बाद, इंस्टीट्यूट ने कुछ महीने पहले दिल्ली के हयात होटल में बैठकें कीं. यह तीन दिनों के लिए बुक किया गया था. वह पैसे बचाने के तरीकों पर समीक्षा बैठकें आयोजित करने के लिए पांच सितारा होटलों में यह सारा पैसा खर्च कर रहे थे.”
FIITJEE ने इसका दोष सेंटर के मैनेजमेंट पार्टनरों पर डाला है.
इंस्टीट्यूट ने इस बात पर जोर दिया कि हर सेंटर लाभ-साझाकरण मॉडल के तहत स्वतंत्र रूप से संचालित होता है.
उन्होंने जो भी बयान दिया है, वह झूठ है. हमें सैलरी नहीं मिल रही थी, इसलिए हमें इस्तीफा देना पड़ा. आकाश ने मैका दिया और हमारे पास उन्हें स्वीकार करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं था. कुछ लोगों को कम सैलरी पर आना पड़ा, जबकि बाकी उसी पर बने रहे. उन्हें (आकाश को) अपना आईआईटी-जेईई वर्टिकल भी बनाना है
— FIITJEE के एक पूर्व सेंटर हेड
FIITJEE के जनवरी के बयान में कहा गया है, “मैनेजिंग पार्टनर्स के पास रेगुलर सैलरी प्राप्त करने के अलावा लाभ-साझाकरण मॉडल है. उन्होंने कॉरपोरेट मैनेजमेंट को सभी संग्रहों पर नियंत्रण करने के लिए मज़बूर किया (एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करके जो उन्हें मैनेजिंग पार्टनर बनाता है), जिससे उन्हें काफी नुकसान हुआ. स्टूडेंट्स के हित में कंपनी को उनकी मांगों का पालन करना पड़ा.”
सेंटर मैनेजिंग पार्टनर ने दिप्रिंट से बात करते हुए FIITJEE के बयान को झूठ बताया.
एक पूर्व सेंटर हेड ने कहा, “उन्होंने जो भी बयान दिया है, वह झूठ है. हमें सैलरी नहीं मिल रही थी, इसलिए हमें इस्तीफा देना पड़ा. आकाश ने मैका दिया और हमारे पास उन्हें स्वीकार करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं था. कुछ लोगों को कम सैलरी पर आना पड़ा, जबकि बाकी उसी पर बने रहे. उन्हें (आकाश को) अपना आईआईटी-जेईई वर्टिकल भी बनाना है.”
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सैलरी में देरी
पिछले साल दिसंबर में FIITJEE एडमिनिस्ट्रेशन की एक वर्चुअल मीटिंग के दौरान, एक कर्मचारी द्वारा कुछ इन्वेस्टमेंट फैसलों पर सवाल उठाए जाने के बाद अध्यक्ष और संस्थापक गोयल अपना आपा खो बैठे. इस पर हंगामा मच गया और “चीफ मेंटर” गोयल ने सत्र को सबसे खराब गालियों से भर दिया. यह कथित तौर पर एक मेंटरिंग सेशन था.
तब से, सैकड़ों टीचर्स ने सैलरी में देरी और कटौती का हवाला देते हुए विभिन्न FIITJEE सेंटर को छोड़ दिया है. अब बंद हो चुके सेंटर के फैकल्टी कुछ वक्त से ऐसी शिकायतें कर रहे थे, लेकिन उनका आरोप है कि प्रबंधन ने उनकी चिंताओं का समाधान नहीं किया.
इंस्टीट्यूट के ग्रेटर नोएडा सेंटर से जुड़े एक फैकल्टी ने कहा, “पिछले एक साल में, हमें केवल छह बार सैलरी मिली और वह भी कटौती के साथ. हमें वादा किया गया था कि चीज़ें बेहतर होंगी, लेकिन हाल ही में वह आश्वासन भी बंद हो गए. हमें एहसास हुआ कि इस जगह पर कुछ भी बेहतर नहीं होगा और यहां से चले जाना ही बेहतर है.”
गुरुग्राम सेंटर से जुड़े फैकल्टी ने कहा, “मैंने 2021 में इस्तीफा दे दिया और अभी भी इंस्टीट्यूट से अपने दो लाख रुपये नहीं ले पाया हूं.”
नाम न बताने की शर्त पर एक अन्य फैकल्टी ने कहा कि उन्होंने FIITJEE के गुरुग्राम सेंटर से दो महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था. उनका दावा है कि उनके 15 लाख रुपये इंस्टीट्यूट में अटके हैं और मैनेजमेंट उनके फोन और ईमेल का कोई जवाब नहीं दे रहा है. उन्हें वक्त पर सैलरी नहीं मिल रही थी और वे कर्ज़ में डूबे थे. अब वे गुज़ारा चलाने के लिए प्राइवेट क्लास लेते हैं.
पिछले साल हमें पांच महीने तक सैलरी और बाकी खर्चे नहीं मिले. बावजूद इसके, हमने कभी भी इसका असर अपनी क्लास पर नहीं पड़ने दिया, लेकिन पारिवारिक खर्चों को संभालना लगातार मुश्किल होता गया, जिसके कारण हमें सामूहिक रूप से FIITJEE से इस्तीफा देना पड़ा और गुरुग्राम में आकाश इंस्टीट्यूट के नए लॉन्च किए गए IIT JEE एडवांस्ड विंग, INVICTUS-एडवांस्ड इंजीनियरिंग प्रोग्राम में जाना पड़ा. यहां, फैकल्टी और स्टूडेंट्स दोनों को फायदा होगा
— FIITJEE के पूर्व फैकल्टी
FIITJEE बदलते वक्त के साथ तालमेल बिठाने में विफल रहा, पारंपरिक चॉकबोर्ड पर ही टिका रहा जबकि प्रतियोगियों ने डिजिटल लर्निंग, यूट्यूब और रिकॉर्ड की गई क्लास का तरीका अपनाया. उन्होंने तेज़ी से बढ़ते NEET मार्केट को नज़रअंदाज़ किया और दक्षिण भारत को छोड़कर लगभग पूरी तरह JEE पर फोकस किया.
फाइनेंशियल मुद्दों को संभालने के बजाय, इंस्टीट्यूट ने कम सैलरी पर अनुभवहीन फैकल्टी को नियुक्त करके लागत में कटौती की, जिससे क्वालिटी गिरने लगी.
इस्तीफा देने वाले कई फैकल्टी ने FIITJEE के साथ अपने तीन साल के कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ा, जिसके परिणामस्वरूप उनकी सिक्योरिटी राशि लैप्स हो गई — उनकी मैन सैलरी का एक हिस्सा समय से पहले इस्तीफा देने के लिए दंड के रूप में रोक दिया गया.
उक्त फैकल्टी ने कहा, “नौकरी के मौकों की तलाश करने के बजाय मैं एक वकील की तलाश कर रहा हूं जो मेरी इस मामले में मदद कर सके.”
FIITJEE के कॉन्ट्रैक्ट में सख्त शर्तें थीं — अनुभव की परवाह किए बिना, सभी टीचर्स को तीन महीने की ट्रेनिंग अनिवार्य थी, जिससे इंस्टीट्यूट को ट्रेनिंग लागत का दावा करने और तीन साल से पहले छोड़ने पर वित्तीय दंड लगाने की अनुमति मिलती थी. इस्तीफे केवल नवंबर में स्वीकार किए गए, छह महीने की नोटिस अवधि के साथ, प्रभावी रूप से फैकल्टी को आसानी से नौकरी बदलने से रोक दिया गया. इसके अलावा, उनके मूल वेतन का 30 प्रतिशत तीन वर्षों के लिए “sincerity amount” के रूप में काटा गया, जिसे कई लोगों ने नौकरी छोड़ने पर कभी नहीं प्राप्त किया, साथ ही बाकी सैलरी और ग्रेच्युटी भी.
फैकल्टी ने कहा, “अगर कोई फैकल्टी नवंबर की अवधि के बाहर इस्तीफा देता है, तो उसका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाता है, जिससे उन्हें अगले मौके के लिए तीन साल और इंतज़ार करना पड़ता है, जो लोग अपना कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने से पहले छोड़ देते हैं, उन्हें अक्सर शर्तों का “उल्लंघन” करने के लिए 20-40 लाख रुपये के हर्जाने की मांग करने वाले कानूनी मामलों का सामना करना पड़ता है.”
कॉन्ट्रैक्ट ने इवैल्युएशन को भी अप्रत्याशित बना दिया, जिसमें स्पष्ट मानदंडों के बिना अक्सर सैलरी बढ़ने में देरी होती थी या उसे अस्वीकार कर दिया जाता था. कई टीचर्स ने बताया कि सेवा के वर्षों के बावजूद, सैलरी को मामूली रूप से बढ़ाया जाता था, जबकि नए कर्मचारियों को कभी-कभी बेहतर पैकेज मिलते थे, जिससे असंतोष होता था.
गुरुग्राम सेंटर के FIITJEE के एक पूर्व फैकल्टी ने आरोप लगाया, “यह सैकड़ों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी है, लेकिन किसी को इसका एहसास नहीं है.”
FIITJEE ने कहा है कि सेंटर बंद करना इंस्टीट्यूट के खिलाफ साजिश का हिस्सा है.
“यह पूरी कहानी निहित स्वार्थ वाले लोगों द्वारा रची गई आपराधिक साजिश का हिस्सा है. विस्तृत जांच के बाद जल्द ही सच्चाई सामने आ जाएगी.”
गुरुग्राम सेंटर जो जनवरी में बंद हो गया था, वहां के फैकल्टी ने प्रतिद्वंद्वी आकाश इंस्टीट्यूट में जाने से पहले सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया था.
एक फैकल्टी ने कहा, “पिछले साल हमें पांच महीने तक सैलरी और बाकी खर्चे नहीं मिले. बावजूद इसके, हमने कभी भी इसका असर अपनी क्लास पर नहीं पड़ने दिया, लेकिन पारिवारिक खर्चों को संभालना लगातार मुश्किल होता गया, जिसके कारण हमें सामूहिक रूप से FIITJEE से इस्तीफा देना पड़ा और गुरुग्राम में आकाश इंस्टीट्यूट के नए लॉन्च किए गए IIT JEE एडवांस्ड विंग, INVICTUS-एडवांस्ड इंजीनियरिंग प्रोग्राम में जाना पड़ा. यहां, फैकल्टी और स्टूडेंट्स दोनों को फायदा होगा.”
सैलरी से जुड़े मुद्दों से परे, फैकल्टी का मानना है कि FIITJEE के सेंटर मैनेजिंग पार्टनर्स (CMP) बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने, डिजिटल लर्निंग में इन्वेस्ट करने या NEET मार्केट में विस्तार करने में विफल रहे. पुराने ढर्रे वाले तरीके जारी रहे, जबकि फैकल्टी के विकास और सहायता को नज़रअंदाज़ किया गया, जिससे मनोबल गिरा.

परेशान पैरेंट्स, जांच का दायरा बढ़ा
स्टूडेंटस, फैकल्टी और पैरेंट्स वकीलों और पुलिस थानों के बीच फंसे हुए हैं. गाजियाबाद, नोएडा और भोपाल में पुलिस ने FIITJEE के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. ग्रेटर नोएडा में पुलिस ने 12 बैंक खातों से 11.11 करोड़ रुपये से अधिक जब्त किए हैं. प्रीत विहार सेंटर बंद होने के बाद दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा भी मामले की जांच कर रही है.
दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में पैरेंट्स ने FIITJEE मैनेजमेंट के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए ग्रुप बनाए हैं. राजेंद्र कुमार ऐसे दो ग्रुप्स के मेंबर हैं, एक नोएडा के सैकड़ों परेशान पैरेंट्स का और दूसरा ग्रेटर नोएडा सेंटर में पढ़ने वाले बच्चों के पैरेंट्स का, जिसमें करीब 60-70 सदस्य हैं. हालांकि, समय के साथ ये ग्रुप्स शांत हो रहे हैं और केवल कभी-कभार ही इसमें न्यूज़ लिंक शेयर किए जाते हैं.
कुमार ने कहा, “कुछ दिन पहले, नोएडा पुलिस ने 11 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था, जिसमें करीब 11 करोड़ रुपये के लेनदेन पकड़े गए थे, लेकिन इससे हमें कोई मदद नहीं मिली. हम जानना चाहते हैं कि हमें अपना पैसा कब वापस मिलेगा.”
मनीष डागर के बेटे ने गुरुग्राम के FIITJEE सेंटर में फाउंडेशन कोर्स में एडमिशन लिया था. दो साल के कोर्स में उन्हें पांच महीने हुए थे और उन्होंने पहले ही 4 लाख रुपये खर्च कर दिए थे. अब उन्होंने दूसरे इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेने के लिए 50,000 रुपये और दिए हैं.

डागर ने कहा, “मैं बस यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि मेरे बेटे की पढ़ाई न रुके. यह सैकड़ों करोड़ रुपये का बहुत बड़ा घोटाला है और इसकी जांच होनी चाहिए.”
कुमार की बेटी ने भी संस्थान बदल लिया है, लेकिन उनके कई टीचर्स वही हैं. उन्होंने अपनी बेटी को दूसरे इंस्टीट्यूट में दाखिला दिलाने के लिए 25,000 और भी खर्च किए. वे अपनी बेटी के IIT सपने से समझौता नहीं करना चाहते थे.
FIITJEE की वेबसाइट पर इसके मार्गदर्शक सिद्धांत और मूल्य प्रणाली सूचीबद्ध हैं. “हम 100% ट्रांसपेरेंट और सत्यनिष्ठ हैं. हमारी मूल्य प्रणाली में कोई समझौता नहीं है. हमारी कंपनी में, बच्चे अच्छे वैल्यू और पॉजिटिव पर्सनैलेटि को आत्मसात करेंगे. हम अपने यहां आने वाले हर व्यक्ति को प्रेरित करने के लिए नैतिक रूप से काम करते हैं.”
लेकिन कुमार अपनी बेटी के भविष्य को लेकर परेशान हैं. “मुझे हर दिन ठगा हुआ महसूस होता है. एग्जाम (आईआईटी एंट्रेंस) इंतज़ार नहीं करेगा, इसलिए मेरे पास इसके साथ जाने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं था.”
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