जाजपुर: ओडिशा में जश्न का मौसम अब 21 अंतिम संस्कारों के साथ खत्म हो गया. मौतों की संख्या आगे और बढ़ सकती है. यह सब जाजपुर जिले में तीन दिन के राजा त्योहार, शादियों और सगाइयों के दौरान हुई शानदार दावतों से शुरू हुआ. हजारों लोगों ने एक साथ खाना खाया. उसके तुरंत बाद लोगों को उल्टी होने लगी और वे बेहोश होकर गिरने लगे. अब डायरिया और हैजा का प्रकोप अस्पतालों को पूरी तरह जकड़ चुका है. जो संक्रमण जाजपुर से शुरू हुआ था, वह अब कम से कम आठ अन्य जिलों में फैल चुका है.
अब तक लगभग 2,500 मामलों का अनुमान है. ओडिशा की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव अस्वथी एस ने बताया कि जांच किए गए सैंपलों में से 10 प्रतिशत में हैजा पाया गया है. प्रभावित क्षेत्रों से लिए गए कम से कम 10 पानी के नमूनों में ई. कोलाई की पुष्टि हुई है, जो इस बात का संकेत है कि पानी बुरी तरह से दूषित है.
अब राज्य सरकार ने सभी 30 जिलों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है. कंट्रोल रूम चौबीसों घंटे हालात पर नजर रख रहे हैं. खाने-पीने की दुकानों पर छापे मारे जा रहे हैं. पानी की सफाई और संक्रमण-रोधी अभियान चल रहे हैं. एक केंद्रीय टीम ज़मीन पर काम कर रही है और साफ-सफाई, खाने और पानी की सुरक्षा पर जागरूकता अभियान चला रही है.
इस बीच आलोचकों ने इसे “व्यवस्था की अनदेखी” बताया है. उनका कहना है कि जाजपुर जैसे जिलों में ग्रामीण घरों में आधे से अधिक लोग बिना साफ किए बोरवेल या खुले जल स्रोतों से पानी पीते हैं, और नालियां व टूटी-फूटी सीवरेज व्यवस्था बारिश में गंदगी को ज़मीन के नीचे के पानी में मिला देती है. ओडिशा में हैजा बार-बार आता रहा है. पिछली बार दिसंबर 2023 में राउरकेला में यह फैला था, जहां कम से कम 1,000 लोग बीमार पड़े थे और 6 की मौत हुई थी. एक 2022 की स्टडी के अनुसार, राज्य में 2011 से 2020 के बीच 19 बार हैजा फैला.
इस बार मामले 10 जून से आने लगे थे, जाजपुर की कलेक्टर अवनीषा रेड्डी ने बताया. उन्होंने इसका कारण बताया कि त्योहार और शादियों जैसे बड़े सामूहिक आयोजनों के कारण यह संक्रमण फैला.
उन्होंने कहा, “लोग ऐसे ही जश्न मनाते हैं; वे पूरे गांव को बुला लेते हैं. यह सब खाने और पानी की गंदगी से हुआ. हमने लोगों को निर्देश दिया है कि वे नदई, तालाब या नालों के पानी का इस्तेमाल न करें. और उबला हुआ पानी ही पिएं.”

जाजपुर के 13 स्वास्थ्य केंद्रों में कुल 233 मरीज इलाज करा रहे हैं, जिन्हें गंदे पानी या खाने से बीमारियां हुई हैं. बुधवार तक हैजा के 17 सक्रिय मामले थे, जिनमें से एक उसी दिन की पुष्टि हुई थी. अब तक 117 मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं. जिन जिलों में संक्रमण फैला है, उनमें भद्रक, केंद्रापड़ा, कटक, ढेंकनाल, क्योंझर, पुरी और बालासोर शामिल हैं.
लोगों को बाहर का खाना न खाने की सलाह दी गई है. सड़क किनारे लगने वाले फास्ट फूड ठेले गायब हो गए हैं. पानी के कैन बेचने वालों की जांच की जा रही है. आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं और हर घर में ओआरएस व हॉलोजन की गोलियां बांटी जा रही हैं.
जाजपुर निवासी मनोज जेना ने कहा, “प्रशासन हर ब्लॉक और गांव में जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है. हर पंचायत के वॉट्सऐप ग्रुप में वीडियो भेजे जा रहे हैं, ताकि लोग जान सकें कि ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए.”
दहशत में जिला
पच्चीस साल की पूजा सामदा की शादी पांच साल पहले घचिबा मुंडा से हुई थी. जब वे राजा त्योहार मनाने बाहर गए, तब नहीं जानते थे कि यह उनका आखिरी साथ होगा. मंगलवार रात को पूजा को उल्टी और लूज मोशन होने के बाद बेहोशी आ गई. मुंडा उन्हें तुरंत चुना भाटी ब्लॉक अस्पताल ले गए, लेकिन अस्पताल पहुंचने के 30 मिनट के भीतर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
मुंडा का एक रिश्तेदार कहता है, “वह अब किसी से बात नहीं करता. खाना भी नहीं खा रहा है. बस घर के एक कोने में चुपचाप बैठा रहता है. उन्होंने साथ में पूरी ज़िंदगी की योजना बनाई थी और अब वह बोझ उसे अकेले उठाना है.”
पूरा गांव पूजा की मौत का शोक मना रहा है. ब्लॉक काउंसलर हर दिन उनके दो कमरे के घर पर आता है. गांव में और भी लोग बीमार हैं. सिस्टम उनकी सेहत ठीक करने और नए मामले रोकने की कोशिश कर रहा है.
पूजा को मिलाकर जाजपुर में पिछले कुछ दिनों में कम से कम नौ लोगों की मौत तेज़ डिहाइड्रेशन और गंभीर दस्त के लक्षणों के बाद हो चुकी है. अधिकारियों का कहना है कि कई लोग शॉक में चले गए और अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया या उन्हें देर से अस्पताल लाया गया.
चुना भाटी ब्लॉक से कुछ किलोमीटर दूर, 26 वर्षीय दिलीप कुमार मलिक की मौत कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज में हैजा से हुई. स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस सप्ताह उनकी मौत की पुष्टि की. तराइलो, कालापाड़ा और नानपुर जैसे गांवों के लोग राजा उत्सव के दौरान बीमारी फैलने से डर और चिंता में हैं.
जाजपुर में स्थिति की निगरानी कर रही केंद्रीय टीम ने बताया कि जांचे गए 49 मल सैंपलों में से 16 में हैजा की पुष्टि हुई, यानी संक्रमण दर 33 प्रतिशत है.

हैजा एक गंभीर और अत्यधिक संक्रामक जीवाणु संक्रमण है, जो वाइब्रियो कॉलरे नाम के बैक्टीरिया से होता है. यह तेज़ दस्त और तेजी से डिहाइड्रेशन का कारण बनता है. जहां सामान्य दस्त वायरस, बैक्टीरिया या खाने की असहिष्णुता से हो सकते हैं, वहीं हैजा ज़्यादा खतरनाक होता है और इलाज न मिलने पर जल्दी मौत का कारण बन सकता है.
जाजपुर जिला अस्पताल के सीडीएमओ विजय कुमार मिश्रा ने कहा, “हैजा में लोगों का मल चावल के पानी जैसा होता है, जिससे शरीर का तरल बहुत तेज़ी से निकलता है और इलाज न मिलने पर यह शरीर को शॉक या मौत तक पहुंचा सकता है. साफ-सफाई बहुत जरूरी है — हाथ धोना, बाहर का खाना न खाना, और साफ शौचालय का इस्तेमाल करना.”
सुखना साहू, एक आशा कार्यकर्ता, हर दिन 50 से 70 घरों में जाकर लोगों को हैजा और उससे बचाव के बारे में समझाती हैं. फिलहाल यह उनका मुख्य काम है, जो वह रोज़ करीब सात घंटे तक करती हैं.
उन्होंने कहा, “यह आपात स्थिति है. लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. मैं लोगों से मिलती हूं और उन्हें समझाती हूं कि यह बीमारी कैसे होती है. पानी की गंदगी क्या होती है, यह भी लोगों को नहीं पता. फिर उन्हें बताती हूं कि अगर किसी को बीमारी हो जाए तो क्या करना चाहिए.” ऐसा कहते हुए वह तेज़ी से अगले घर की ओर बढ़ गईं.
‘हम नहीं जानते कि हैजा क्या है’
38 साल की ममता बारिक को बुधवार सुबह अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनके भाई दिव्याकर बारिक उनके पास बैठे थे और उन्हें ढांढस बंधा रहे थे, जबकि ममता के हाथ में ड्रिप लगी हुई थी.
उन्होंने कहा, “उसने बहुत ज्यादा चिकन खा लिया था, उसी से लूज मोशन हो गए. हमें नहीं पता है कि हैजा क्या होता है. हमें बस इतना पता है कि उसे लूज मोशन जैसे लक्षण हैं, जैसे मोहल्ले के और लोगों को हैं. उसके टेस्ट लिए गए हैं. मैं रिपोर्ट का इंतजार कर रहा हूं.”
उनके पास ही 30 साल की सरोधी जेना थीं, जो पांच दिन वार्ड में रहने के बाद घर जाने की तैयारी कर रही थीं. उनके दो बच्चे घर पर इंतजार कर रहे थे, जबकि उनके पति दिलीप जेना परिवार को सुरक्षित रखने के तरीके सीख रहे थे.
दिलीप जेना ने लूज मोशन वार्ड में मास्क ठीक करते हुए कहा, “ये सब पानी की गंदगी से होता है. अब से हम सिर्फ उबला हुआ पानी ही पिएंगे. बहुत मुश्किल समय था. मुझे डर था कि ये ठीक नहीं हो पाएगी. हमने तो कोई सामूहिक कार्यक्रम में भी हिस्सा नहीं लिया, फिर भी संक्रमण हो गया. लेकिन ये हैजा नहीं था, सामान्य लूज मोशन था.”

यहां ज्यादातर मरीज महिलाएं हैं. अस्पताल की लॉबी में लगा सफेद बोर्ड हर छह घंटे में अपडेट किया जाता है. बुधवार सुबह 11 बजे तक 56 मरीजों का दस्त का इलाज चल रहा था — 33 महिलाएं और 23 पुरुष. उसी सुबह दो महिलाएं और एक पुरुष इन लक्षणों के साथ भर्ती किए गए.
डॉक्टर ने राउंड लेते हुए कहा, “बोर्ड अब काफी बेहतर दिख रहा है. एक हफ्ते पहले हालत बहुत खराब थी. पुराने भवन में दस्त के मरीजों के लिए सिर्फ 22 बिस्तर थे. इसलिए हमने पूरे फ्लोर को दस्त वार्ड में बदल दिया. अब कुछ बिस्तर खाली हैं. मरीजों की हालत गंभीर नहीं है और स्थिति नियंत्रण में आ रही है.”
स्वास्थ्य मंत्री से लेकर स्वास्थ्य सचिव और विधायक तक, सभी वरिष्ठ अधिकारी जाजपुर का दौरा कर रहे हैं. बुधवार दोपहर के आसपास, मंत्री सूर्यवंशी सूरज और विधायक आकाश दास गुप्ता ने जिला अस्पताल का दौरा किया, मरीजों से मिले और कलेक्टर व सीडीएमओ के साथ स्थिति की समीक्षा की.
सूरज ने कहा, “मामलों की संख्या अब नियंत्रण में आ रही है. प्रशासन पूरे इलाके में संक्रमण-रोधी अभियान चला रहा है. आशा कार्यकर्ता हर घर जा रही हैं और लोगों को सुरक्षित रहने की जानकारी दे रही हैं. हैजा के मामले भी बढ़ नहीं रहे हैं. हम स्थिति पर कड़ी निगरानी रखेंगे.”
सुरक्षा उपाय
राज्य की मशीनरी तुरंत हरकत में आ गई है. रोजाना समीक्षा की जा रही है, घर-घर अभियान चल रहे हैं और सोशल मीडिया वीडियो के ज़रिए जागरूकता फैलाई जा रही है. इलाज, पानी की सफाई और ठीक हो चुके मरीजों की निगरानी के लिए अलग-अलग कंट्रोल रूम बनाए गए हैं.
कलेक्टर रेड्डी, जो मंत्री के दौरे के दौरान अस्पताल में मौजूद थे, ने कहा, “एक टीम मामलों की निगरानी कर रही है, दूसरी संक्रमण रोकने का काम कर रही है. हम लोगों को शौचालय के इस्तेमाल की सलाह दे रहे हैं. हर जल स्रोत, चाहे सरकारी हो या निजी, को संक्रमणमुक्त किया जा रहा है. लूज मोशन के मामले ज़्यादा हैं. हैजा के मामले मुश्किल से 5 से 10 प्रतिशत हैं. हमने स्वास्थ्य पर सलाह जारी की है और स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं.”
14 सदस्यों वाली एक केंद्रीय टीम को भी तैनात किया गया है, जो हालात का आकलन कर रही है, स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों की मदद कर रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि ज़मीनी स्तर पर अमल में कोई कमी न रह जाए. केंद्रीय टीम की सदस्य शिबानी लाहिड़ी ने कहा कि स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है.

उन्होंने कहा, “यह हैजा का प्रकोप नहीं है. यह एक स्थानीय बीमारी है जिसमें मामलों की थोड़ी बढ़ोतरी हुई है. हमने लूज मोशन से जुड़ी बीमारियों के प्रकोप को देखा है. हमने राज्य को पानी की सुरक्षा, खाने की सुरक्षा, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने और जागरूकता बढ़ाने पर सुझाव दिए हैं.”
लेकिन राज्य के अधिकारी कोई जोखिम नहीं ले रहे हैं.
अस्वथी ने पत्रकारों को बताया, “हम लगातार केंद्रीय टीम के संपर्क में हैं, जो कह रही है कि यह प्रकोप अभी महामारी की स्थिति में नहीं है. लेकिन हम कोई ढिलाई नहीं बरत रहे हैं और उन 25 ज़िलों के जल स्रोतों को भी संक्रमणमुक्त कर रहे हैं जिन्हें अभी हॉटस्पॉट नहीं माना गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं, जो अगले सात दिनों तक जारी रहेगा.”
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