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Thursday, 19 December, 2024
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दिल्ली शराब घोटाले मामले को BJP ने ‘नशे में धुत पति के पत्नियों को पीटने’ के मुद्दे में किया तब्दील

भाजपा नीति परिवर्तन, लाइसेंस, ईडी छापे और अदालती कार्यवाही के बारे में चर्चा किए बिना दिल्ली के मतदाताओं के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार की कथित शराब नीति घोटाले को सरल बना रही है.

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नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कथित शराब घोटाले के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अभियान का एक नया लक्ष्य है: महिला मतदाता. इन खिलाड़ियों ने भ्रष्टाचार के मामले को घरेलू दुर्व्यवहार की समस्या में बदल दिया है.

यह बीजेपी के लिए सीधी रेखा है. दिल्ली में अधिक शराब ठेके का मतलब है अधिक मारपीट करने वाले पति.

दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार में दुर्गा मंदिर के पास स्थित पांच मंजिला आवासीय इमारत की बैसमेंट के एक छोटे से कमरे में लगभग 15 महिलाएं मौजूद हैं, उनकी आवाज़ें शिकायतों के शोर में घुलमिल जाती हैं, एक ही चिंता है: आम आदमी पार्टी (आप) की शराब नीति का उनकी ज़िंदगी पर प्रभाव.

दक्षिणी दिल्ली बीजेपी मंडल अध्यक्ष समकेश सिद्धू ने कहा, “इस बार जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आएंगे तो वे इन शराब की दुकानों को बंद करवा देंगे.”

महिलाओं की शिकायत है कि दिल्ली सरकार द्वारा 2021 में शुरू की गई आबकारी नीति के तहत शराब की बिक्री में बढ़ोतरी के कारण वे घरेलू हिंसा का शिकार हो गई हैं.

दिल्ली बीजेपी के मीडिया विभाग के प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने कहा, “महिलाओं में पहले से ही गुस्सा था और हमें इसका फायदा मिला है.”

कथित घोटाला भाजपा को महिलाओं के बीच अपना गढ़ मजबूत करने का मौका देता है. इसके अलावा, पार्टी आप को “भ्रष्ट” की तरह पेश करने की कोशिश कर रही है.

भाजपा के अभियान में घर-घर पहुंचना, कार्यालय बैठकें, पार्कों में लोगों के साथ बातचीत, विरोध प्रदर्शन, चमकदार रोशनी वाले केजरीवाल के बंगले के मॉडल की प्रदर्शनी, “भ्रष्टाचार के महल में 52 करोड़ रुपये का निवेश” संदेश वाले बड़े पोस्टर, जनपथ बाज़ार जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाकों में रैलियां शामिल हैं. इन रणनीतियों का उद्देश्य दिल्ली के निवासियों को सरकार से सवाल पूछने और उसकी नीतियों को चुनौती देने के लिए प्रोत्साहित करना है.

मीम्स, पोस्टर और बैनर के अलावा, अभियान का सबसे आकर्षक तत्व शराब की बोतलों के साथ केजरीवाल के पुतले हैं.

2022 में भाजपा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिष्ठित हॉलीवुड फिल्म, द गॉडफादर (1972) से एक जुड़ा मीम शेयर किया. मीम में केजरीवाल को फिल्म के नायक की तरह काला सूट पहने दिखाया गया है, जिसका कैप्शन है “द फ्रॉडफादर”. इस तस्वीर के साथ एक रूपांतरित डायलॉग है, “मैंने शराब माफिया को एक प्रस्ताव दिया था जिसे वे मना नहीं कर सके!#sharabghotala.”

ये सब तरीके नीतियों के परिवर्तन, लाइसेंस, प्रवर्तन निदेशालय के छापे और अदालती कार्यवाही के पचड़े में पड़े बिना जनता को समझने के लिए “घोटाले को सरल बनाते हैं”.

उधर, आम आदमी पार्टी बीजेपी पर गबन का आरोप लगा रही है. पार्टी का आरोप है कि बीजेपी ने शराब डीलरों से 55 करोड़ रुपये की रिश्वत ली है.

Delhi BJP President Virendra Sachdeva and Bansuri Swaraj watching the model of Arvind Kejriwal's house | Special Arrangement
अरविंद केजरीवाल के घर का मॉडल देखते दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और बांसुरी स्वराज | स्पेशल अरेंजमेंट

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महिला विशेष

प्रियंका शर्मा ने कहा, “यहां हर घर में पानी तो नहीं मिलेगा, लेकिन शराब ज़रूर मिल जाएगी.”

सभी जानकारियां पब्लिक डोमेन में हैं. जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब लाइसेंस देने के लिए कमीशन और रिश्वत लेने का आरोप लगाया था. कुमार ने दावा किया कि नई शराब नीति में अनियमितताओं के कारण सरकारी खजाने को लगभग 586 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ. कथित तौर पर कमीशन और रिश्वत से मिले पैसों का इस्तेमाल आप ने गोवा और पंजाब के विधानसभा चुनावों में किया था. अगस्त 2022 में सीबीआई ने सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था.

हालांकि, दिल्ली की महिलाओं के लिए यह सिर्फ भ्रष्टाचार से कहीं अधिक है. वे न केवल बच्चों में मादक द्रव्यों के सेवन में वृद्धि के बारे में चिंतित हैं, बल्कि अपने इलाकों में बढ़ते अपराध के लिए इस नीति को भी दोषी मानती हैं. निजी कंपनियों को “पिंक ठेका” — विशेष रूप से महिलाओं के लिए समर्पित शराब की दुकानें — खोलने की अनुमति देने वाली आबकारी नीति ने भी कई लोगों की भौंहें चढ़ा दीं. भाजपा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इससे महिलाओं में सार्वजनिक रूप से शराब पीने को बढ़ावा मिलेगा.

दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया था कि नई नीति के तहत, खुदरा शराब क्षेत्र पूरी तरह से निजी खिलाड़ियों द्वारा संचालित है और कोई नामित “पिंक ठेके” नहीं है. इसके बजाय, दुकान मालिकों के पास महिलाओं के लिए विशेष काउंटर बनाने का विकल्प है.

दुपट्टे के साथ हल्के गुलाबी रंग का सूट पहने एक कोने में बैठी प्रियंका शर्मा अपने इलाके में 15 शराब की दुकानों के कारण खुद को मुसीबत में उलझा हुआ पाती हैं. वे इसके खिलाफ काफी मुखर हैं. पहली बार भाजपा महिला मंडल की बैठक में शामिल होकर वे अन्य महिलाओं के साथ जुड़ना चाहती हैं. अभी कुछ दिन पहले बीजेपी महिला मोर्चा की सदस्य सीमा सोनी ने उनका दरवाजा खटखटाया और उन्हें अपने क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं से अवगत कराया. टूटी सड़कें, पानी की भारी कमी, राशन कार्ड मिलने में परेशानी और शराब ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु थे जिन्होंने शर्मा को बैठक में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया.

 BJP activists conducting a meeting against liquor contracts in Sangam Vihar | Heena Fatima, ThePrint
संगम विहार में शराब ठेकों के खिलाफ बैठक करते भाजपा कार्यकर्ता | फोटो: हिना फ़ातिमा/दिप्रिंट

शर्मा का कहना है कि वे दशकों से संगम विहार में किराए पर रह रही हैं. उसके पति को शराब पीने की आदत है और वे अक्सर लड़ाई-झगड़ा करता है और उसका शारीरिक शोषण करता है और आप की शराब नीति ने स्थिति को और खराब कर दिया है.

सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “यहां हर घर में पानी तो नहीं मिलेगा, लेकिन शराब ज़रूर मिल जाएगी.”

शर्मा बताती हैं कि उन्हें अपने इलाके के एक बंगले में घरेलू काम करके अपने तीन लोगों के परिवार का भरण-पोषण करना पड़ता है. उसका पति अपनी कमाई शराब पर खर्च कर देता है, जिससे अक्सर वे किराया नहीं दे पाती हैं.

उनका आरोप है कि जब से आप सत्ता में आई है, उनके क्षेत्र में शराब की दुकानों की संख्या के साथ-साथ अपराध के मामलों में भी वृद्धि हुई है. उन्होंने संगम विहार थाने में पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

उन्होंने दावा किया, “मैंने पिछले महीने लिखित शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है.” बैठकों और विरोध प्रदर्शनों में शामिल सभी महिलाओं की कहानियां एक जैसी हैं.

10 अप्रैल को आईटीओ में AAP कार्यालय के पास, छतरपुर की 48-वर्षीया पुष्पा पंत शराब नीति के खिलाफ भाजपा के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं. एक दिन पहले उन्हें “बीजेपी महिला मोर्चा” नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक मैसेज मिला था कि सभी बहनों को आईटीओ पर इकट्ठा होना चाहिए.

वे चिल्लाईं, “केजरीवाल ने शराब तो मुफ्त कर दी, लेकिन दूध के पैकेट मुफ्त क्यों नहीं किए?” विरोध प्रदर्शन में कुछ महिलाओं ने “गुलाबी ठेके” के खिलाफ भी आवाज़ उठाई.

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “महिलाएं शराब कैसे पी सकती हैं? यह हमारी भारतीय संस्कृति के खिलाफ है.”

संगम विहार में बैठक में कपूर ने कहा कि महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान करके केजरीवाल सरकार ने कुछ ऐसा हासिल किया है जो किसी से अलग नहीं है — शराब को सभी के लिए सुलभ बनाना.

चितरंजन पार्क में आप पार्षद आशू ठाकुर ने भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार किया. उनका दावा है कि केजरीवाल पर कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ है. ठाकुर ने कहा कि कैसे AAP नेता संजय सिंह को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने के बाद भी जेल से रिहा कर दिया गया.

ठाकुर का कहना है कि उनकी पार्टी महिलाओं की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए काम करती है और बढ़ती घरेलू हिंसा के आरोपों को खारिज करती है.

उन्होंने कहा, “इस मामले में महिलाएं हम पर आरोप नहीं लगा रही हैं. भाजपा सदस्य इसे मुद्दा बना रहे हैं. वे AAP से डरते हैं.”

Delhi BJP President Virendra Sachdeva delivering a speech against the liquor policy in Delhi | Special Arrangement
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा दिल्ली में शराब नीति के खिलाफ भाषण देते हुए | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

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महिला विरोधी नीति

उनके मुताबिक, पिछले दो साल में उनकी पार्टी ने शराब नीति के खिलाफ करीब 35 या उससे ज्यादा विरोध रैलियां निकाली हैं, जिसमें कई लाख रुपये खर्च हुए हैं. इस अभियान में बीजेपी कार्यकर्ता अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं.

दिल्ली भाजपा के सदस्य गर्व से घोषणा कर रहे हैं कि केजरीवाल और अन्य लोग उनके अभियान के कारण सलाखों के पीछे हैं. सिद्धू ने महिलाओं से कहा कि केजरीवाल उन्हें उसी तरह धोखा दे रहे हैं जैसे उन्होंने अन्ना हज़ारे को दिया था.

सिद्धू ने कहा, “जनता को यहां बुनियादी सुविधाओं की ज़रूरत थी, लेकिन उन्होंने शराब की दुकानें खोल दीं. इसकी कोई ज़रूरत नहीं थी.”

कपूर का कहना है कि पार्टी आने वाले दिनों में अभियान को तेज़ करने की तैयारी कर रही है. वे AAP से जुड़े अन्य मामलों जैसे दिल्ली जल बोर्ड मामला, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस और नकली दवा सहित अन्य मामलों पर भी बात करने की योजना बना रहे हैं और बीजेपी 2025 के विधानसभा चुनाव तक अपना अभियान जारी रखेगी. पार्टी के लिए उत्पाद नीति सबसे अहम मुद्दा है.

कपूर के मुताबिक, इसका असर कई लोगों पर पड़ रहा था. सस्ती शराब की उपलब्धता किसी की भी कल्पना से परे थी. प्रत्येक खरीद पर एक बोतल मुफ्त देने की योजना ने इसे और भी लोकप्रिय बना दिया.

दिल्ली में भाजपा कार्यालय कैंटीन में ठंडी कॉफी पीते हुए कपूर ने कहा, “केजरीवाल की शराब नीति का सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है. एक बोतल पर दूसरी बोतल मुफ्त की योजना महिलाओं को चिढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाती है.”

उनके मुताबिक, पिछले दो सालों में उनकी पार्टी ने शराब नीति के खिलाफ करीब 35 या उससे ज्यादा विरोध रैलियां निकाली हैं, जिसमें कई लाख रुपये खर्च हुए हैं. इस अभियान में बीजेपी कार्यकर्ता अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं.

शाम 7 बजे, सिद्धू बैठक समाप्त करती हैं और अपनी डायरी और पोस्टरों का एक गुच्छा उठाती हैं, जिनमें प्रमुख रूप से मोदी की तस्वीर होती है. वे अपने गुलाबी स्पोर्ट्स शूज़ बांधती हैं और पड़ोस में प्रचार करने के लिए महिलाओं के एक समूह के साथ निकल जाती हैं.

एक महिला ने दूसरे से कहा, “बताओ क्या अब औरतें शराब खरीदने के लिए ठेके पर जाएंगी?” सिद्धू के मुताबिक, शहर का माहौल खराब करने के लिए ऐसा किया गया है.

वे महिलाओं को संबोधित करते हुए कहती हैं, “केजरीवाल ने महिलाओं को खराब करने के लिए ऐसा किया. यह महिलाओं और बच्चों को पूरी तरह से बर्बाद कर देगा.”

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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