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Wednesday, 10 September, 2025
होमफीचरसेना का सपना टूटा, ओलंपिक का सपना ज़िंदा — वर्ल्ड पुलिस गेम्स में गोल्ड जीतने वाले IPS अधिकारी इंगित सिंह

सेना का सपना टूटा, ओलंपिक का सपना ज़िंदा — वर्ल्ड पुलिस गेम्स में गोल्ड जीतने वाले IPS अधिकारी इंगित सिंह

बचपन में डालडा के डब्बों पर निशाना साधने से लेकर वर्ल्ड पुलिस गेम्स में 10-मीटर एयर राइफल में गोल्ड जीतने तक का सफर. आईपीएस इंगित प्रताप सिंह आज भी ओलंपिक के सपने के पीछे भाग रहे हैं.

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नई दिल्ली: अमेरिका के एक होटल रूम में 41-वर्षीय आईपीएस अधिकारी इंगित प्रताप सिंह ने दीवार पर एक टारगेट चिपकाया, अपनी राइफल उठाई और ड्राई फायरिंग शुरू कर दी. यह उनका फौरी जुगाड़ था क्योंकि वर्ल्ड पुलिस गेम्स से पहले प्रैक्टिस करने वाली शूटिंग रेंज बंद हो गई थी, लेकिन इस सीमित तैयारी के बावजूद, उन्होंने बर्मिंघम, अलबामा में आयोजित 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीत लिया. अब उनका निशाना इससे भी बड़े लक्ष्य पर है.

दिल्ली स्थित अपने घर के पीछे बने इंडोर शूटिंग रेंज की ओर इशारा करते हुए सिंह ने कहा, “मैंने हर दिन होटल रूम में दो घंटे प्रैक्टिस की. मुकाबला करीब 75 मिनट लंबा था, जिसमें मैंने 60 शॉट फायर किए. यह गोल्ड मेडल मेरे ओलंपिक सपने के थोड़ा और करीब लाता है.”

2011 बैच के आईपीएस अधिकारी इंगित सिंह इस समय भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) में संयुक्त महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं, लेकिन जैसे ही दफ्तर का समय खत्म होता है, उनका पूरा ध्यान निशानेबाज़ी पर होता है. यह जुनून बचपन में शुरू हुआ जब वे सात साल के थे और उनके पिता ने उन्हें पहली राइफल गिफ्ट की थी.

नेशनल डिफेंस अकादमी (NDA), इंडियन मिलिट्री अकादमी (IMA) और फिर IPS ट्रेनिंग—इन सभी के दौरान शूटिंग ही उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा रही, यहां तक कि कई निजी कठिनाइयों के बावजूद भी.

सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा, “शूटिंग मेरा बचपन का पैशन है, जिसने मुझे फोर्सेज़ से जुड़ने के लिए प्रेरित किया, लेकिन जब किस्मत ने मुझे आर्मी की हरी वर्दी नहीं पहनने दी, तो मैंने खाकी पहन ली.”

“लक्ष्य बचपन में तय हो गया था, लेकिन सालों की ट्रेनिंग ने मुझे इसके लिए तैयार किया.”

अलबामा में विश्व पुलिस खेलों में पदक विजेताओं के साथ आईपीएस अधिकारी इंगित प्रताप सिंह. उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट
अलबामा में विश्व पुलिस खेलों में पदक विजेताओं के साथ आईपीएस अधिकारी इंगित प्रताप सिंह. उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

वर्ल्ड पुलिस गेम्स में इस गोल्ड से पहले उन्होंने 2023 में इसी प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. अब वे नवंबर या दिसंबर में होने वाली नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप की तैयारी में जुटे हैं.

एक नए पिता के तौर पर भी उनका शेड्यूल बेहद सख्त है.

उन्होंने कहा, “मैं इस सपने को पाने के लिए बहुत उबाऊ ज़िंदगी जीता हूं. पारिवारिक फंक्शनों में नहीं जाता, परिवार को बहुत सीमित समय देता हूं और ज़्यादातर फुर्सत का वक्त शूटिंग रेंज पर बिताता हूं.”

सिंह ने अपनी 6 महीने की बेटी को गोद में उठाए हुए कहा, “मैं हर दिन कम से कम दो घंटे प्रैक्टिस करता हूं और वीकेंड पर यह बढ़कर 8 घंटे तक हो जाती है.”

हालांकि, सिंह को बचपन से शूटिंग का शौक था, लेकिन प्रतिस्पर्धात्मक शूटिंग में उन्होंने कुछ ही साल पहले कदम रखा. अब उनका अगला लक्ष्य है — ओलंपिक.


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एक सपना खत्म, दूसरा शुरू

इंगित प्रताप सिंह का शूटिंग का सपना उनके बचपन के घर की छत से शुरू हुआ था. हर दिन, वह और उनके पिता, जो IRS अधिकारी थे, डॉलडा के डिब्बे लाइन में लगाते और उन पर निशाना साधते थे.

लेकिन स्कूल में शूटिंग को लेकर कोई सुविधा नहीं थी, इसलिए इंगित ने हॉकी, क्रिकेट और वॉलीबॉल जैसे खेलों की ओर रुख किया. राइफल को थोड़ा पीछे धकेल दिया गया, लेकिन वो उनकी पहली मोहब्बत थी और उन्हें हमेशा यकीन था कि वे किसी वर्दीधारी सेवा में ज़रूर जाएंगे. सब कुछ योजना के मुताबिक चल रहा था, जब तक किस्मत ने अचानक कई झटके नहीं दिए.

इंगित ने कहा, “मैंने 2001 में NDA जॉइन किया था, लेकिन सात महीने की ट्रेनिंग के बाद मेरी तबीयत खराब हो गई, जिससे मुझे बीच में ही छोड़ना पड़ा.”

बचपन में इंगित की शूटिंग प्रैक्टिस | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट
बचपन में इंगित की शूटिंग प्रैक्टिस | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

वे दिल्ली लौटे, ग्रेजुएशन पूरी की और फिर से सशस्त्र सेवाओं की तैयारी शुरू की. इस बार उन्होंने 2003 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी में दाखिला लिया, लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. उन्हें टीबी की बीमारी हो गई और ट्रेनिंग फिर छोड़नी पड़ी. इलाज के बाद उन्होंने दोबारा जॉइन किया, लेकिन इस बार घुटने की लिगामेंट टूट गया. यहीं से उन्होंने सिविल सर्विसेज की ओर रुख करने का फैसला किया.

उन्होंने कहा, “वो मेरी जिंदगी का सबसे मुश्किल वक्त था. मैं सोचता रहता था कि ये सब मेरे साथ ही क्यों हो रहा है? फिर मैंने ब्रेक लिया और UPSC की तैयारी शुरू की. मेरी पहली पसंद IFS थी, लेकिन मुझे IPS मिला. अब लगता है, शायद मैं खाकी वर्दी के लिए ही बना था.”

इसके बाद किस्मत बदलनी शुरू हुई. 2011 में, जब वह लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी में IPS ट्रेनिंग कर रहे थे, उन्होंने हाई जंप में 17 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया.

इंगित प्रताप सिंह सैन्य ट्रेनिंग के दौरान. उन्होंने कहा, “जब किस्मत ने मुझे ऑलिव ग्रीन वर्दी नहीं दी, तो मैंने खाकी पहन ली.” | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट
इंगित प्रताप सिंह सैन्य ट्रेनिंग के दौरान. उन्होंने कहा, “जब किस्मत ने मुझे ऑलिव ग्रीन वर्दी नहीं दी, तो मैंने खाकी पहन ली.” | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

उन्होंने कहा, “वो रिकॉर्ड एक पंजाबी IPS अधिकारी ने बनाया था. मैंने 1.60 मीटर जंप किया और रिकॉर्ड तोड़ा—आज भी वही रिकॉर्ड कायम है.”

IPS ट्रेनिंग के दौरान इंगित ने हर खेल में हिस्सा लिया, लेकिन शूटिंग रेंज ही उनके लिए सबसे खास थी. नेशनल पुलिस अकादमी में ट्रेनी जोड़ी में अभ्यास करते थे और एक-दूसरे को सिखाते थे. जिस साथी के साथ इंगित ने ट्रेनिंग की, वह बाद में उस बैच का सबसे अच्छा शूटर बना.

नाम न छापने की शर्त पर इंगित के एक बैचमेट ने याद किया, “हम ट्रेनिंग में बडीज़ थे और इंगित मेरे शूटिंग टीचर थे. वह सबसे अनुशासित इंसान हैं. उन्होंने मुझे बहुत अच्छी ट्रेनिंग दी. जब हम अच्छा प्रदर्शन नहीं करते थे, तो हमें बुरा लगता था, लेकिन हर शूटिंग सेशन से पहले हम बहुत उत्साहित होते थे और उसी की बातें करते थे.”

जुनून, अभ्यास और पुलिसिंग

अब इंगित प्रताप सिंह के घर के पीछे एक छोटा शूटिंग रेंज बना हुआ है, जहां उनकी जूते, राइफलें और बाकी गियर हमेशा तैयार रहते हैं. वह हर सुबह और शाम कम से कम दो-दो घंटे वहां प्रैक्टिस करते हैं और जब कोई प्रतियोगिता पास आती है, तो और भी ज़्यादा समय देते हैं.

लेकिन शूटिंग में गंभीरता से वापसी उन्हें 2015 में मिली, जब उनकी पोस्टिंग अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हुई. वहां उन्होंने एक छोटा सा शूटिंग रेंज बनाया और एयर पिस्टल से रेगुलर प्रैक्टिस शुरू की. तब से लेकर अब तक उन्होंने शूटिंग नहीं छोड़ी.

सिंह ने बताया, “बाद में जब मैं साउथ वेस्ट दिल्ली में DCP के तौर पर पोस्टेड था, तब भी मैंने शूटिंग नहीं छोड़ी. मैं ऑफिस का सारा काम खत्म करने के बाद घर पर अभ्यास करता था.”

इंगित प्रताप सिंह अपने दिल्ली स्थित घर के इनडोर शूटिंग रेंज में निशाना साधते हुए | फोटो: मोहम्मद हम्माद/दिप्रिंट
इंगित प्रताप सिंह अपने दिल्ली स्थित घर के इनडोर शूटिंग रेंज में निशाना साधते हुए | फोटो: मोहम्मद हम्माद/दिप्रिंट

2022 में इंगित प्रताप सिंह ने तय किया कि अब समय है अगला कदम उठाने का — प्रोफेशनल ट्रेनिंग और जब फैसला लिया, तो सबसे बेहतरीन ट्रेनिंग ही चुनी. दिल्ली में पोस्टेड होने के बावजूद उन्होंने महाराष्ट्र के पनवेल में एक शूटिंग अकादमी में नाम लिखवाया, जिसे पूर्व ओलंपियन सुमा शिरूर चलाती हैं. उन्होंने 2004 ओलंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.

सिंह ने कहा, “मैंने इस बारे में एक दोस्त से बात की, उसने मुझे सुमा शिरूर मैम से मिलवाया. ट्रेनिंग में 22 से 24 सेशन होते हैं, जो एक साल में पूरे होते हैं. मैंने करीब 15–16 सेशन पूरे किए.”

2025 वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में गोल्ड मेडल जीतना इंगित प्रताप सिंह के लिए एक बड़ी जीत थी. अब उनकी नज़र अगली चुनौती पर है — नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट
2025 वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में गोल्ड मेडल जीतना इंगित प्रताप सिंह के लिए एक बड़ी जीत थी. अब उनकी नज़र अगली चुनौती पर है — नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

इस प्रोफेशनल ट्रेनिंग का मतलब था बेहद व्यस्त यात्रा शेड्यूल. इंगित प्रताप सिंह हर वीकेंड फ्लाइट पकड़कर पनवेल के लक्ष्या शूटिंग क्लब जाते, सेशन अटेंड करते और फिर हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली लौटकर अपनी ड्यूटी निभाते.

उनकी लगन सबको साफ दिखती थी.

लक्ष्या शूटिंग क्लब की हेड कोच स्मिता कांबले ने बताया, “शिरूर मैम उन्हें ट्रेन करती थीं और बाद में उन्होंने मेरे अंडर प्रैक्टिस शुरू की. जब वो दिल्ली में होते थे, तो अपनी प्रैक्टिस और पोज़चर की तस्वीरें और वीडियो भेजते थे और मैं यहीं से उन्हें गाइड करती थी. अब हम नेशनल्स की तैयारी पर फोकस कर रहे हैं.”

जैसे ही फॉर्मल ट्रेनिंग शुरू हुई, प्रतियोगिताएं भी शुरू हो गईं. 2022 में दिल्ली स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में सिंह ने सिल्वर मेडल जीता. इस पूरे सफर में उनकी पत्नी श्वेता ने उन्हें लगातार सपोर्ट किया और उन्हें ट्रैक पर बनाए रखा. दोनों ने दिनचर्या को लेकर कड़े नियम तय कर रखे हैं.

इंगित ने मुस्कराते हुए कहा, “हमारी बेटी सिर्फ छह महीने की है, तो मैं उसे हर दिन कम से कम एक घंटा ज़रूर देता हूं. हम महीने में सिर्फ एक बार वीकेंड पर बाहर जाते हैं. हां, ये लाइफ थोड़ी बोरिंग लग सकती है, लेकिन अपने सपने को पाने के लिए अनुशासन ज़रूरी है.” पास में बैठीं उनकी पत्नी श्वेता सहमति में सिर हिला रही थीं. उनके ड्राइंग रूम की दीवार पर अब तक जीते सभी मेडल खूबसूरती से फ्रेम होकर लगे हैं.

इंगित प्रताप सिंह के ट्रेनिंग स्पेस में टंगी शूटिंग जैकेट्स | फोटो: मोहम्मद हम्माद/दिप्रिंट
इंगित प्रताप सिंह के ट्रेनिंग स्पेस में टंगी शूटिंग जैकेट्स | फोटो: मोहम्मद हम्माद/दिप्रिंट

इंगित प्रताप सिंह की ओलंपिक के प्रति दीवानगी इतनी गहरी है कि उन्होंने अपने कुत्ते का नाम भी “रियो” रखा — रियो ओलंपिक्स के नाम पर.

सिंह ने कहा, “मैं ओलंपिक खेल देखते हुए बड़ा हुआ हूं. बचपन में सोचता था कि एक दिन मैं भी वहां जाऊंगा. जब कोई मेरी उम्र पूछता था, तो मैं कहता था – मैं 10 ओलंपिक पुराना हूं.” उन्होंने अपने बचपन की एक तस्वीर दिखाई जिसमें वह राइफल थामे हुए हैं.

अब तक अपने शूटिंग के सफर का ज़्यादातर खर्च सिंह ने खुद उठाया है. हाल ही में हुए वर्ल्ड पुलिस गेम्स के लिए उन्हें एक स्पॉन्सर मिला, जिसने यात्रा का आधा खर्च कवर किया. अब वे उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले समय में उन्हें पूरा स्पॉन्सरशिप मिलेगा.

फिलहाल, वे इस बात के लिए शुक्रगुज़ार हैं कि उनकी मौजूदा पोस्टिंग उन्हें प्रैक्टिस के लिए पर्याप्त समय देती है.

सिंह ने बताया, “डिपार्टमेंट ने मुझे पूरा सपोर्ट किया है. मेरे सीनियर्स ने मुझे ऑफिस के ज़रूरी कामों से ज़्यादा कोई अतिरिक्त ज़िम्मेदारी नहीं दी. मैंने खुद ये डिप्युटेशन मांगा था, क्योंकि इस पोस्ट में मुझे वीकेंड्स और नेशनल हॉलीडे मिलते हैं. नेशनल्स की तैयारी के लिए अब और भी समय चाहिए होगा.”

जब प्रतियोगिताएं पास होती हैं, तो उनकी शूटिंग प्रैक्टिस रोज़ाना आठ घंटे तक पहुंच जाती है.

सिंह ने अपने गोल्ड मेडल को दिखाते हुए कहा, “ये सब इस सफर का हिस्सा है. मेरा आखिरी लक्ष्य ओलंपिक्स है — और वहां तक पहुंचने के लिए मुझे कई माइलस्टोन पार करने होंगे.”

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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