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Saturday, 23 November, 2024
होमफीचरकैमरा, चॉकलेट और समझौता- मुजफ्फरनगर का मुस्लिम बच्चा अपनी कहानी बार-बार दोहराने को मजबूर

कैमरा, चॉकलेट और समझौता- मुजफ्फरनगर का मुस्लिम बच्चा अपनी कहानी बार-बार दोहराने को मजबूर

टिकैत ने कहा है कि पीड़ित परिवार मामले को कानूनी तौर पर आगे नहीं बढ़ाएगा और इसे सामाजिक रूप से सुलझाएगा और कोई उन पर दबाव नहीं है. लेकिन बच्चे और उसके माता-पिता का बयान बदलना उन पर पड़ रहे दबाव की अलग ही कहानी बयां कर रहा है.

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मुजफ्फरनगर: गुरुवार को सात साल के अली* को एक टीचर के कहने पर हिंदू बच्चों ने कक्षा में उसे थप्पड़ मारा. अड़तालीस घंटे बाद, वह अभी भी जूट की खाट पर बैठा है और उसके बगल में उसका नीला स्कूल बैग रखा है. वह अभी भी घबराया हुआ है और टीवी समाचार, राजनेताओं और गांववालो के सामने सैकड़ों बार अपने अपमान के बारे में बता चुका है.

अपने घर के बाहर इकट्ठे हुए कैमरामैनों को उसने बताया कि, “मैडम ने कक्षा के अन्य बच्चों से उसे (मुस्लिम बच्चे को) थप्पड़ मारने के लिए कहा. और उन सभी ने मुझे एक घंटे तक थप्पड़ मारा.”

पांच का पहाड़ा याद नहीं कर पाने पर उसे कक्षा में ये झेलने के लिए मजबूर किया गया. जिसकी वजह से वह सुन्न पड़ गया है. जब लोग उससे सवाल पूछते हैं तो वह अपनी मां की बाहों में छुप जाता है और अपना चेहरा उसके सफेद दुपट्टे में छिपा लेता है.

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में इस मुस्लिम बच्चे पर हुए इस हमले ने इंटरनेट पर तूफान मचा दिया. पश्चिमी यूपी के राजनेता फल, बिस्कुट और सलाह लेकर उससे मिलने के लिए इस छोटे से गांव में आ रहे हैं. वे उसकी और उसके माता-पिता की काउंसलिंग कर रहे हैं और समझौता कराने में जुटे हैं.

मुजफ्फरनगर के खुब्बापुर गांव में अपने घर पर 7 वर्षीय बच्चा अपनी मां के साथ | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

उससे मिलने आने वाले राजनेताओं का एकमात्र उद्देश्य स्कूली बच्चों के बीच झगड़े में उसके अपमान और पिटाई को कम करना है और उस हिंदू टीचर तृप्ता त्यागी को दोषमुक्त साबित करना है, जो एक कुर्सी पर बैठकर बच्चों को एक-एक करके अली* को मारने का आदेश दे रही थी. और उन बच्चों को डांटती थी जो उसे थप्पड़ नहीं मार रहे थे. लड़के के मुलायम गालों पर थप्पड़ मारे जाने वाले उस वीडियो से ध्यान हटाने के लिए अली* द्वारा दूसरे बच्चे को गले लगाने के नए दृश्य सोशल मीडिया पर जारी किए गए हैं.

भाजपा सांसद संजीव बालियान से लेकर किसान नेता नरेश टिकैत तक, कई कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने गांव का दौरा अभी तक कर लिया है.गांव आने वाले राजनेताओं की सूची लंबी है. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने परिवार को न्याय और मदद का आश्वासन दिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस हमले के खिलाफ एक्स (ट्वीट) किए हैं.

उस मुस्लिम बच्चे के पिता ने कहा कि, “यह हिंदू-मुस्लिम मामला नहीं बनना चाहिए”.

उन्होंने कहा, खुब्बापुर गांव के प्रधान पति मनोज पाल ने दोनों परिवारों को एक मंच पर लाने में अहम भूमिका निभाई है. “2013 के दंगों के दौरान भी हमारा गांव में शांति रही थी.”

अली* के घर में, कार्यकर्ता शिक्षक को दोषी साबित करने में जुटे हैं जिसके लिए वे, बच्चे को चॉकलेट खिलाते हैं, उसे गले लगाते हैं और मीडिया को बाइट्स देते हैं. ग्राम प्रधानों से लेकर स्थानीय राजनेताओं तक, हर कोई मुजफ्फरनगर में हिंदू-मुस्लिम संघर्ष को रोकने की कोशिश कर रहा है, एक जिला जो अभी भी दस साल बाद भी अनिश्चित बना हुआ है, क्योंकि एक अफवाह के कारण दंगा भड़का था, जिसमें 62 लोग मारे गए थे और 500000 लोग बेघर हो गए थे.

मुजफ्फरनगर में नरेश टिकैत को बच्चे और उसके पिता से मिलते देख रहे ग्रामीण | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

टिकैत ने कहा है कि पीड़ित परिवार मामले को कानूनी तौर पर आगे नहीं बढ़ाएगा और इसे सामाजिक रूप से सुलझाएगा और कोई उन पर दबाव नहीं है. लेकिन बच्चे और उसके माता-पिता का बयान बदलना उन पर पड़ रहे दबाव की अलग ही कहानी बयां कर रहा है.


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हमला और उसके परिणाम

अली* ने दो साल पहले त्यागी द्वारा संचालित नेहा पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया था. मासिक शुल्क के रूप में 300 रुपये और होम ट्यूशन के लिए अतिरिक्त 300 रुपये के साथ, अली के माता-पिता अपने बेटे को वह शिक्षा प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं जो उसके सभी पड़ोस के दोस्तों को मिलती है.

वास्तविक दो कमरे का स्कूल मुजफ्फरनगर के खुब्बापुर गांव में नेहा पब्लिक स्कूल/ ज्योति यादव/दिप्रिंट

अली* की मां ने कहा, “हमने उसकी स्कूल यूनिफॉर्म और अन्य सामान पर सालाना 5,000 रुपये खर्च किए हैं. हम केवल यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वह पढ़ लिख ले उसे भी शिक्षा मिले.” उनका सबसे बड़ा बेटा, जिसकी उम्र 18 साल है, ने 10वीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया और अपने पिता की मदद करने के लिए एक मोबाइल दुकान पर काम करता है. 16 साल का बेटा और 7 साल का अली* कक्षा 11 और यूकेजी में पढ़ते हैं. अली* को घर पर उर्दू और कुरान भी पढ़ाई के जाती है.

अली* की मां के मुताबिक, एक हफ्ते पहले वह अपने एक गाल पर थप्पड़ का निशान लेकर स्कूल से घर लौटा था.

उन्होंने आगे बताया कि, “उसने मुझे बताया कि स्कूल के बाद कुछ बच्चों ने उसे थप्पड़ मारा. फिर वह स्कूल न जाने के लिए बहाने बनाने लगा. जब तक हमने ये वीडियो नहीं देखा तब तक हमें कुछ समझ नहीं आया.”

वीडियो में अली* अपने टीचर के बगल में खड़ा दिख रहा है. उसके सहपाठी एक के बाद एक उसके पास आते हैं और उसके रोने और चिल्लाने पर उसे थप्पड़ मारते हैं. उसी दौरान टीचर एक बच्चे से पूछ रही है कि वह अली* को जोर से क्यों नहीं मार रहा है.

वो टीचर आगे कहती है, “उसका चेहरा लाल हो रहा है, उसकी कमर पर मारना शुरू करो.”

कुछ लोगों के लिए, यह वीडियो मुज़फ़्फ़रनगर में एक खतरे से कम नहीं है ठीक वैसी ही जैसी 2013 में हुई जानलेवा हिंसा के बाद शांति के लिए कड़ी लड़ाई लड़ी है.

मुस्लिम बच्चे की मां ने कहा, “अपने बच्चे को उसके सहपाठियों द्वारा थप्पड़ खाते हुए देखकर किसी को कैसा महसूस होगा? यह एक बच्चे की आत्मा को मार सकता है, वह उस दर्द का वर्णन नहीं कर सकती जो उसे वीडियो देखकर महसूस हुआ.”

अली*, एक शांत बच्चा जो ज्यादातर अकेले समय बिताता है, के लिए अचानक मीडिया एक्सपोज़र भारी है. उसने कहा, “मेरे अच्छे दोस्तों ने मुझे थप्पड़ नहीं मारा, केवल उन बच्चों ने मुझे थप्पड़ मारा जो मेरे दोस्त नहीं थे.”

एक माफी और एक कार्रवाई

एमए और बीएड डिग्री वाली टीचर तृप्ता त्यागी पिछले दो दशकों से गांव में पढ़ा रही हैं. सबकी नज़रो में आने से पहले, उसने कथित तौर पर अली* के परिवार को धमकी दी थी कि वह माफी नहीं मांगेगी.

अली* की मां ने कहा, “उसने फीस वापस कर दी और हमसे कहा कि हम अपने बच्चे को कहीं और ले जाएं क्योंकि वह स्कूल चलाने के तरीके को नहीं बदलेगी.” पुलिस द्वारा घटना का संज्ञान लेने से एक दिन पहले वह और उनके पति त्यागी परिवार से मिले थे.

गांव वालों ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि, वे त्यागी को एक “अच्छे टीचर” के रूप में जानते हैं. एक ग्रामीण प्रधान पति ने कहा, “उसकी गलती सिर्फ इतनी है कि उसने बच्चे को दूसरे बच्चों से थप्पड़ लगवाए.”

इसके बाद त्यागी ने मीडिया से माफी मांगते हुए दावा किया कि वह शारीरिक रूप से विकलांग हैं और इसलिए वह खुद बच्चे को मारने के लिए नहीं उठ सकीं और अन्य बच्चों से उसे थप्पड़ मारने के लिए कहा.

जब यह खबर सामने आई, तो मुजफ्फरनगर पुलिस ने एक वीडियो बयान जारी कर कहा कि, त्यागी को “मुस्लिम बच्चों” के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए सुना जा सकता है, जिसकी जांच की जा रही है. पुलिस अब कह रही है कि त्यागी की टिप्पणी धार्मिक रूप से प्रेरित नहीं थी.

यूपी पुलिस ने आईपीसी की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एफआईआर दर्ज की है. उन्होंने एक गैर-संज्ञेय रिपोर्ट दर्ज की है, जिसकी अदालत की अनुमति के बाद ही आगे की जांच की जाएगी.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने ट्वीट किया है कि बाल अधिकार निकाय ने मामले का संज्ञान लिया है और नागरिकों को वीडियो साझा करने के खिलाफ चेतावनी दी है. सोशल मीडिया साइट एक्स से पहले ही वीडियो हटा दिया है.

कार्रवाई की मांग की

26 अगस्त की सुबह, जिला बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने अली* को सलाह देने के लिए गांव का दौरा किया.

मुजफ्फरनगर के शाहपुर ब्लॉक के करीब 1800 मतदाताओं वाले खुब्बापुर गांव में अब वीडियो शूट करने वाले शख्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठने लगी है.

त्यागी के बेटे ने कहा, “वीडियो को एडिट और हेरफेर किया गया है.”

“टिकैत और बालियान ने त्यागी से सख्ती से कहा कि वे मीडिया में कोई बयान न दें. हम आगे मीडिया से उलझेंगे नहीं.”

अली* के बड़े चचेरे भाई ने इन दावों का खंडन किया है कि वीडियो में हेरफेर की गई है. उसने स्पष्ट किया की टीचर कह रही थी कि “मुस्लिम बच्चों” को तब पीड़ा होती है जब उनकी माताएं अपने माता-पिता के घर पर महीनों बिताती हैं, जिससे उनके बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है.

अली* की मां ने इसे धार्मिक रंग में रंगा हुआ पाया और दावे को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, “मेरे पास खेती के लिए 4 बीघे ज़मीन और एक भैंस है. मैं घर से दूर महीनों क्यों बिताऊंगी?”

40 वर्षीय निद्धू पाल, जिनकी बेटी त्यागी के स्कूल में पढ़ती है, ने मुस्लिम परिवार को दोषी ठहराया, उन पर धमकी देने और पैसे निकालने के लिए वीडियो का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

उसने कैमरे पर चिल्लाते हुआ कहा, “हम सर्वसम्मति से उनके (त्यागी) पीछे हैं क्योंकि वह एक अच्छी शिक्षिका रही हैं. उसकी कोई गलती नहीं है. वह सौ प्रतिशत सही है.”

इस बीच, पीपली लाइव की तरह ही अवसर का भरपूर उपयोग करते हुए, टीवी कैमरे टीआरपी के थिएटर में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. वे अली* और गांव के एक अन्य हिंदू बच्चे को गले लगाने के लिए मजबूर करते हैं फिर रिपोर्टर और कैमरे को अपनी ओर मोड़ते हैं और घोषणा करते हैं कि शांति भंग नहीं हुई है और बच्चों ने चीजें ठीक कर ली हैं.

सिवाय इसके कि अली* को गले लगाने वाला बच्चा उसका पड़ोस का दोस्त है, जिसने उसकी कमर पर थप्पड़ मारा था.

(अली* मुस्लिम बच्चे का बदला हुआ नाम है)

(अनुवाद/ आशा शाह)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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