मानसा: लंबे-चौड़े कद-काठी वाले चंद सिंह अब पंजाब की सड़कों पर सिर्फ अपने व्यक्तित्व के भरोसे सुरक्षित नहीं रह सकते. खासकर बठिंडा में यूट्यूबर और कंटेंट क्रिएटर कमल कौर की इसी महीने गला घोंटकर हुई हत्या के बाद. अब मानसा जिले के इस इन्फ्लुएंसर को अपनी जेब में रखी छोटी पिस्तौल और अपने साथ चलने वाले साथियों के कंधों पर रखी दो बड़ी देसी राइफलों से ही राहत मिलती है.
बांदरा गांव से ‘जट्ट बेब बांदरा तो’ नाम से एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चलाने वाले सिंह उन कई पंजाबी इन्फ्लुएंसर्स में से हैं, जिन्हें कमल कौर की हत्या के आरोपी अमृतपाल सिंह मेहरोन ने जान से मारने की धमकी दी है. खुद को सिख पंथ का ‘रक्षक’ बताने वाला मेहरोन सोशल मीडिया पर अश्लील माने जा रहे कंटेंट के खिलाफ एक सार्वजनिक जंग छेड़े हुए है.
पंजाब भर में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर घबराए हुए हैं, उन्हें डर है कि कहीं अगला नंबर उनका न हो. दीपिका लूथरा, चंद सिंह और प्रीत जट्टी उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें मेहरोन ने सोशल मीडिया पर धमकी दी है कि वे ‘अश्लील’ कंटेंट पोस्ट कर रहे हैं. कुछ लोगों ने, जैसे कि चंद सिंह ने, खुद को हथियारों से लैस कर लिया है. कुछ ने खुद को घर में बंद कर लिया है, पुरानी आपत्तिजनक पोस्ट डिलीट कर दी हैं और सार्वजनिक माफीनामे जारी किए हैं. यह तथ्य कि मेहरोन पुलिस से बचकर दुबई भाग गया, पंजाब पुलिस पर विश्वास को और भी कमजोर करता है.
“मेहरोन बड़े गायकों और अभिनेताओं को निशाना नहीं बना सकता जो अपने कंटेंट में गालियों का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए वह छोटे गांवों के छोटे कंटेंट क्रिएटर्स को टारगेट करता है जो अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं,” चंद सिंह ने अपने गांव बांदरा में नए बने कमरे से कहा. “मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है. मैंने माफीनामा जारी कर दिया है और कसम खाई है कि अब मैं अपने कंटेंट को एक नई दिशा दूंगा. मेरा मकसद पंजाबी समाज को ठेस पहुंचाना नहीं है.”
इन माफीनामों और खुद पर लगाई गई सेंसरशिप की बाढ़ ने 1980 के दशक की उथल-पुथल की यादें ताजा कर दी हैं, जब गायकों और कलाकारों को उग्रवादियों से धमकियां मिलती थीं. 8 मार्च 1988 को मोटरसाइकिल सवार हथियारबंद लोगों द्वारा गायक अमर सिंह चमकीला और अमरजोत कौर की हत्या ने पूरे राज्य को हिला दिया था. अब एक बार फिर डर है कि पंजाब कहीं वही बुरा दौर फिर से तो नहीं देख रहा.
पंजाब यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान विभाग के डीन रोंकी राम ने कहा, “पंजाब के युवाओं के बीच यह कट्टरता और नैतिक पहरेदारी असल में अमृतपाल सिंह (विवादास्पद उपदेशक और मौजूदा सांसद, जो फिलहाल जेल में है) से शुरू हुई थी.” उन्होंने आगे कहा, “कट्टरपंथी निगरानीकर्ता फिर से चर्चा में हैं, और यह 1984 के काले दिनों की याद दिलाता है.” 2023 में अभिनेता दीप सिद्धू की हत्या के बाद से खालिस्तान समर्थक इस सांसद का उभार पंजाब की सामाजिक संरचना को लगातार प्रभावित कर रहा है. यह सब उस समय हो रहा है जब पंजाब बेरोजगारी, कर्ज और नशे की लत जैसी समस्याओं से जूझ रहा है.
एक 15 मिनट के वीडियो में, जिसमें मेहरोन कमल कौर की हत्या की ज़िम्मेदारी लेता है, वह निहंग संप्रदाय की पारंपरिक पोशाक में नजर आता है.
वह वीडियो में कहता है, “सिर्फ बठिंडा में ही नहीं, हर शहर में पार्किंग लॉट हैं. और याद रखना, हर बार कोई लाश बरामद नहीं होती.”
मुख्य ग्रंथी ज्ञानी मलकित सिंह, जिनसे सोमवार को मीडिया ने बात की, ने कौर की हत्या को “उचित” बताया और कहा कि किसी को मारने में “कुछ भी गलत नहीं” है अगर वह सिख नाम का गलत इस्तेमाल कर रहा हो और अश्लील कंटेंट बना रहा हो. “जो लोग अपना नाम बदलकर दूसरे धर्मों के नाम रखते हैं और अश्लीलता फैलाकर सिख कौम को बदनाम करते हैं, उनका यही हश्र होना चाहिए. जो हुआ है, वो गलत नहीं है.”
राम ने कहा कि कौर की हत्या दिखाती है कि पंजाब में फिर से कट्टरपंथी निगरानीकर्ता (विजिलांटिज़्म) उभर रहे हैं. और 1980 के दशक के विपरीत, अब वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने संदेश फैलाने के लिए कर रहे हैं.

बिजनेस के लिए लालच देना, फिर हत्या करना
अमृतसर की एक युवा कंटेंट क्रिएटर दीपिका लूथरा ने धीरे-धीरे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपनी पहचान बनाई. वह अमृतसर और आसपास के ज़िलों में किसी कपड़ों के शोरूम या नए कैफे जैसे छोटे हाइपरलोकल ब्रांड्स का प्रचार करके अतिरिक्त कमाई करती हैं.
इसलिए जब फरवरी के आख़िर में उन्हें तरनतारण के चीमा कलां गांव में एक नए मोबाइल फोन स्टोर का प्रचार करने के लिए कॉल आया, तो यह उनके लिए कोई असामान्य बात नहीं थी. क्लाइंट ने एडवांस में 2,000 रुपये भी भेजे. 2 मार्च 2024 को वह तय जगह पर पहुंचीं.
लेकिन यह एक बुरा सपना बन गया.

लूथरा और उनके कैमरा पर्सन को कथित तौर पर अमृतपाल सिंह मेहरोन और उसके साथियों ने बंधक बना लिया. उनकी कार को ब्लॉक कर दिया गया ताकि वे वहां से निकल न सकें, और उन्हें घुटनों के बल बैठकर माफ़ी मांगने के लिए मजबूर किया गया.
लूथरा ने कहा, “सात-आठ लोग नीले (निहंग कपड़ों) में वहां मौजूद थे. उन्होंने मेरा फोन और कार की चाबियां छीन लीं और मेरा फोन चेक करने लगे. वे मेरी पोस्ट की गई कंटेंट को लेकर मुझ पर चिल्ला रहे थे.”
स्थिति को जल्दी शांत करने के लिए लूथरा ने वादा किया कि वह अपने पेज पर “डबल मीनिंग” यानी यौन संकेत वाले पोस्ट करना बंद कर देंगी. लेकिन उन लोगों ने इस पर ज़ोर दिया कि वह अपनी पूरी सोशल मीडिया मौजूदगी हटा दें. यह उनके लिए संभव नहीं था, क्योंकि यही उनकी आमदनी का जरिया है.
लूथरा ने कहा, “उसने भीड़ के बीच सड़क पर अपनी किरपान रखी और मुझे कहा कि मैं उस पर झुक कर माफ़ी मांगूं, पंजाब की जनता से माफ़ी मांगूं कि मैं कैसी कंटेंट पोस्ट कर रही हूं. मैंने लिखित रूप में भी माफ़ी दी. मैंने पूरा सहयोग किया, फिर भी उनकी धमकियां बंद नहीं हुईं.”
मेहरोन के लिए, ऑनलाइन ऐसा कंटेंट पोस्ट करने वाली महिलाएं पहले से संकट में पड़ी पंजाबी संस्कृति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा हैं. हालांकि लूथरा को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, लेकिन एक अन्य इन्फ्लुएंसर कमल कौर इतनी भाग्यशाली नहीं रहीं.
कौर को भी इसी तरह एक बहाने से बठिंडा बुलाया गया—एक स्टोर का प्रचार करने के नाम पर—जहां उन्हें कथित तौर पर अमृतपाल के साथियों, दो निहंग सिख जसप्रीत सिंह और निम्रतजीत सिंह ने गला घोंटकर मार डाला. उनका शव 12 जून को मिला, तीन दिन बाद जब वह अपने घर से निकली थीं.