करनाल/अमृतसर: गुरुवार को दोपहर 3:30 बजे 25-वर्षीय शुभम राणा करनाल के कलरोन गांव से अपनी बाइक पर स्थानीय दलाल से मिलने के लिए निकले थे उनका एक ही मिशन था: अपने पिता द्वारा अपने भाई को अमेरिका भेजने पर खर्च किए गए 65 लाख रुपयों को वापस लेना.
उनका 20-वर्षीय भाई आकाश, जिसने अवैध रूप से ‘डंकी रूट’ अपनाया था, उन 104 अवैध प्रवासियों के पहले ग्रुप में शामिल था, जिन्हें अमेरिका ने भारत वापस भेजा है. अब, परिवार कर्ज़ में डूबा हुआ है.
राणा ने कहा, “हमने एजेंट से कहा कि या तो वह पैसे लौटा दे या फिर हम पुलिस के पास जाएंगे.” और जब दलाल ने पैसे लौटाने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने अपनी धमकी को सच साबित कर दिया. गुरुवार रात को करनाल पुलिस ने एजेंट रोकी जालंधर के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की. एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने कहा कि और भी शिकायतें आएंगी.
इस हाई-प्रोफाइल डिपोर्टेशन ने हरियाणा, पंजाब और पड़ोसी राज्यों में कानूनी और अवैध दोनों तरह की इमिग्रेशन इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है. स्थानीय निवासियों के गुस्से और कानून के लंबे हाथों के डर से दलाल अपने घरों से भाग रहे हैं, अपने फोन काट रहे हैं और अंडरग्राउंड हो रहे हैं.
हथकड़ी लगाए निर्वासितों के अमृतसर हवाई अड्डे पर अमेरिकी सी-17 सैन्य विमान से उतरने के 24 घंटे से भी कम समय बाद — उनमें से 30 पंजाब के और 33 हरियाणा के थे — ध्यान एजेंटों और उनके नेटवर्क की ओर मुड़ गया है. पुलिस गांवों और कस्बों में जाकर नाम पूछ रही है. लोकल मुखबिरों की चांदी हो रही है.
डंकी इंडस्ट्री कैंपस वीरान है. अब इस पर तीर चलाया जा रहा है. 6 फरवरी को संसदीय बहस के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “हमारा ध्यान अवैध इमिग्रेशन इंडस्ट्री पर कड़ी कार्रवाई पर होना चाहिए.”
दोनों राज्यों की पुलिस ने डंकी रूट के दलालों के बारे में जानकारी के लिए निर्वासितों को बुलाना शुरू कर दिया है. कुछ इमिग्रेशन सेंटर अपने कारोबार को चालू रखने के प्रयास में कानूनी प्रमाणपत्र प्राप्त करने और बकाया टैक्स को चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और अमृतसर में, यहां तक कि स्टडी एब्रॉड (विदेश में पढ़ाई) और इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म भी खाली हैं. उनकी सेवाओं की मांग करने वाले ग्राहकों की बाढ़ के बजाय, अब उन्हें शक की निगाहों से देखा जा रहा है.
एसोसिएशन ऑफ वीज़ा एंड आईईएलटीएस सेंटर्स के अध्यक्ष और केबीसी इंटरनेशनल इमिग्रेशन सर्विसेज के संचालक बिक्रम चभल ने कहा, “जब बाइडन राष्ट्रपति थे, तब एक लाख से अधिक भारतीयों को निर्वासित किया गया था, लेकिन यह चार्टर्ड विमानों पर चुपके से किया गया था. यह कोई बड़ी खबर नहीं बनी. इस निर्वासन को लेकर सार्वजनिक तमाशा ने व्यापक दहशत पैदा कर दी है.”
एफआईआर पर एफआईआर
करनाल, कुरुक्षेत्र, अमृतसर और पानीपत में दलालों ने नाराज़ परिवारों से बचने के लिए अपने मोबाइल फोन बंद कर लिए हैं.
करनाल पुलिस जालंधर की तलाश कर रही है, जिस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 406 और 420 (आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी) और उत्प्रवास अधिनियम, 1983 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
एफआईआर में शुभम राणा ने बताया, “मेरा भाई आकाश घूमने के लिए दिल्ली गया था. आकाश की मुलाकात संदीप नाम के एक लड़के से हुई…उसने कहा, अगर तुम विदेश जाना चाहते हो, तो मैं तुम्हें एजेंट का नंबर दूंगा…एजेंट ने अपना नाम रोकी जालंधर बताया और हमने मेरे भाई आकाश को विदेश भेजने के लिए 42 लाख 50 हज़ार रुपये में डील की.”
मधुबन थाने के सहायक उपनिरीक्षक लक्ष्मण सिंह ने कहा, “एजेंट के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अगर ज़रूरत पड़ी तो उसे गिरफ्तार भी किया जाएगा.”
परिवार ने 2.5 किला ज़मीन बेची है, लेकिन यह संभावना नहीं है कि उन्हें “पैसा वापस” मिलेगा और वह अकेले ऐसे नहीं हैं जिन्हें यह एहसास हुआ है.
करनाल के बस्सी गांव के सुमित सिंह ने भी दलाल प्रदीप राणा और सुमित से उनका परिचय कराने वाले विक्रम सिंह के खिलाफ असंध थाने में एफआईआर दर्ज कराई है.
दलाल ने सुमित से अमेरिका भेजने के नाम पर 40 लाख रुपये मांगे. सुमित ने उसे 1.5 एकड़ ज़मीन बेचने के बदले में 8 लाख रुपये नकद दिए.
25 जनवरी को वे मैक्सिको से अमेरिका पहुंचे और बॉर्डर पर अमेरिकी सेना ने उन्हें पकड़ लिया. 5 फरवरी को उन्हें भारत भेज दिया गया.
हर एफआईआर में एक ही कहानी है. पीड़ितों के पास कानूनी तरीके से आवेदन करने के लिए शैक्षिक योग्यता, स्किल या स्पोंसर नहीं थे. अपने छोटे शहरों और गांवों में नौकरियों के कम मौकों के कारण, उन्होंने दलालों पर भरोसा किया.
अब, वह घबरा रहे हैं. सोशल मीडिया पर निर्वासित लोगों की तस्वीरें और रील्स उनके टूटे सपनों और खतरनाक यात्रा के बारे में बात कर रही हैं. एक पोस्ट में लिखा है, “26 मई को दिल्ली एयरपोर्ट, 31 जुलाई को यूएसए बॉर्डर क्रॉसिंग, 3 महीने अमेरिका की जेल में, 23 अक्टूबर को भारत डिपोर्टेड. सपना पूरा नहीं हुआ.”
पंजाब के अमृतसर के सलेमपुरा गांव के निवासी दलेर सिंह (37) निराश और कर्ज़ में डूबे हैं. उन्होंने भी अपने दलाल सतनाम के खिलाफ शुक्रवार सुबह शिकायत दर्ज कराई है.
जब उनकी पत्नी उनके लिए चाय लेकर आई, तो उन्होंने मंजे (चारपाई) पर बैठे हुए कहा, “मैंने अपने एजेंट को फोन किया और उससे 60 लाख रुपये में से कम से कम 40 लाख रुपये वापस करने को कहा, लेकिन उसने मुझे धमकाना शुरू कर दिया.”
सतनाम ने दलेर को धमकाते हुए दावा किया कि उसके पुलिस के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन हताश सिंह ने सतनाम की धमकियों की परवाह नहीं की और शिकायत दर्ज करा दी.
राजसांसी थाने ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 318(4) और पंजाब ट्रैवल प्रोफेशनल्स रेगुलेशन एक्ट, 2014 की धारा 13 के तहत एफआईआर दर्ज की.
इसमें कहा गया है कि दलेर सिंह को एक रिश्तेदार ने दलाल से मिलवाया था. एफआईआर में लिखा है, “एजेंट ने मुझे 60 लाख रुपये में अमेरिका भेजने का सौदा किया. मैंने सतनाम को एडवांस के तौर पर 5 लाख रुपये दिए और अपना पासपोर्ट भी उसे दे दिया.”
सतनाम ने पहले दलेर को नाइजीरिया भेजा, लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ा क्योंकि वे आगे की फ्लाइट नहीं ले पाए थे. इसके बाद दलाल ने दलेर को दुबई और फिर ब्राजील भेज दिया. उस समय दलेर की पत्नी चरणजीत कौर ने सतनाम को आगे की यात्रा की सुविधा के लिए 15 लाख रुपये दिए थे. इसके बाद, पैसे भेजने की प्रक्रिया — नकद और गूगल पे के ज़रिए — तब तक जारी रही जब तक दलेर आखिरकार मैक्सिको और फिर अमेरिका नहीं पहुंच गए.
पुलिस ने कोटली खैरा में सतनाम के घर पर छापा मारा, लेकिन वह पहले ही फरार हो चुका था.
डीएसपी सरदार इंद्रजीत सिंह ने कहा, “हम जालंधर रोड पर दबुर्जी में उसके पुराने ऑफिस गए, लेकिन उसने इसे हमेशा के लिए बंद कर दिया है. हम उसके घर भी गए, लेकिन वह फरार है. हमने अमृतसर और जालंधर में उसकी तस्वीर भेजी है.”
उन्होंने कहा कि पुलिस ने अमृतसर में सक्रिय दलालों का पता लगाने के लिए साइबर और तकनीकी टीमों की मदद ली जा रही है.
दलेर ने कहा कि सतनाम अब उसे नए-नए नंबरों से कॉल कर रहा है, उससे आधे पैसे लेने और शिकायत वापस लेने के लिए कह रहा है. हालांकि, दलेर ने इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि वह ठगा हुआ और अपमानित महसूस कर रहे हैं.
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छिपे हुए दलाल
जालंधर और सतनाम जैसे दलाल बिचौलिए भी नहीं हैं. वह भारत, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और मैक्सिको में फैले एक जटिल नेटवर्क में सबसे निचले पायदान पर हैं. उनके ऊपर बिचौलिए हैं जो नई दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों से काम करते हैं. टॉप बॉस दुबई, सऊदी अरब और यहां तक कि मैक्सिको में रहते हैं.
वह अमेरिका और कनाडा जाने के सपने को पूरा करने का एक शॉर्टकट पेश करते हैं. कोई आईईएलटीएस या टीओईएफएल नहीं. कोई डिग्री नहीं. कोई कागज़ी कार्रवाई नहीं, लेकिन अमेरिका और कनाडा का उनका रास्ता लंबा और जोखिम भरा है.
इस व्यवसाय को छोड़ने वाले एक पूर्व दलाल ने कहा कि उसने बहुत पैसा नहीं कमाया.
उसने कहा, “अब डंकी एजेंटों के बीच मुकाबला है क्योंकि उनकी संख्या बढ़ गई है. एक ग्राहक पाने के लिए, आपको कई बिचौलियों को पैसा देना पड़ता है और अंत में, आपके पास केवल एक या दो लाख रुपये बचते हैं.”
राणा ने जिस दलाल जालंधर से सौदा किया था, उसने परिवार से वादा किया था कि आकाश अमेरिका जाएगा. शुभम ने कहा, “बाद में हमें पता चला कि उसे भी डंकी रूट से जाना पड़ेगा, लेकिन इतना वक्त और पैसा खर्च हो चुका था कि अब पीछे मुड़ने का कोई रास्ता नहीं था. यह हमारी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती थी. हम 65 लाख में भारत में कारोबार शुरू कर सकते थे.”
उनके गांव में लोग अपनी कार्ययोजना पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए. कई लोग अपने बेटों के बारे में चिंतित हैं जो डंकी रूट पर हैं, लेकिन दलालों के पास कोई जवाब नहीं है.
करनाल में छिपे एक दलाल ने कहा, “दो दिनों में परिवार के सदस्यों ने हम पर जितना दबाव डाला है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ.”
उनको उम्मीद नहीं थी कि अमेरिकी सरकार इतनी तेज़ी से कार्रवाई करेगी.
पिछले दस सालों से वह इस कारोबार में है, उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा था, जो परिवार अमेरिका पहुंचने के लिए भुखमरी और संभावित मौत का जोखिम उठाने को तैयार थे, वह अब इस सपने को छोड़ रहे हैं.
पुलिस ने कसा शिकंजा
पंजाब और हरियाणा में पुलिस ने दलालों पर शिकंजा कसना तेज कर दिया है, जिसकी शुरुआत अमेरिका में कुछ हफ्तों पहले हुई थी.
करीब दो हफ्ते पहले जालंधर पुलिस ने एक दलाल को गिरफ्तार किया था, जिसके पास से आधा दर्जन वर्क वीज़ा मिले थे, लेकिन जालंधर के एक पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि आरोपी, जिसका नाम सतपाल था, पंजाब और हरियाणा में सक्रिय इमिग्रेशन दलालों के एक बड़े नेटवर्क का एक छोटा सा हिस्सा था.
उसकी गिरफ्तारी से जालंधर और अमृतसर में काम करने वाले कई और दलालों का पता चला, लेकिन उनका असली मालिक अब भी पकड़ से बाहर है. पुलिस अधिकारी ने कहा, “वह दुबई में बैठा है, हमारी पहुंच से बाहर. वह सिर्फ वॉट्सऐप कॉल और मैसेज के ज़रिए उनसे संपर्क करता था.”
कानूनी एजेंसिया अब उन अवैध अप्रवासियों के परिवारों से संपर्क कर रही हैं, जिन्हें निर्वासित किया गया था, ताकि दलालों का पता लगाया जा सके.
ट्रंप ने रातों-रात हमारा काम खत्म कर दिया है. उन्होंने हमें वित्तीय संकट में डाल दिया है
— करनाल के डंकी एजेंट
आमतौर पर मुखबिर ही पुलिस को इन दलालों की जानकारी देते हैं. वह उन पीड़ितों की शिकायतों की भी जांच कर रहे हैं जो अमेरिका नहीं पहुंच पाए और अब अपने पैसे वापस मांग रहे हैं.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम उनके फोन नंबर ट्रैक करते हैं और साइबर पुलिस को भी सूचित करते हैं. भले ही उनके फोन नंबर बंद हों, फिर भी हम उन्हें ट्रेस कर सकते हैं. पुष्टि होने के बाद, हम उनके ठिकानों पर छापेमारी करते हैं.”
हाल ही में इस प्रक्रिया के बाद, पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इन दलालों पर शिकंजा कसने के निर्देश मिले हैं. अधिकारी ने कहा, “हम इन एजेंटों को पकड़ने के लिए और अधिक मुखबिर नेटवर्क बना रहे हैं.” और इस बार, उन्हें ग्रामीणों का समर्थन है.
करनाल में छिपे दलाल को नहीं पता कि स्थानीय निवासियों के भरोसे के बिना अब वह पैसे कैसे कमाएगा, या क्या वह जेल जाएगा.
उन्होंने कहा, “ट्रंप ने रातों-रात हमारा काम खत्म कर दिया है। उन्होंने हमें वित्तीय संकट में डाल दिया है.”
शक के घेरे में एजेंट
अमृतसर में आलीशान रंजीत एवेन्यू में इमिग्रेशन सेंटर के बिलबोर्ड लगे हुए हैं, जिनमें से हर एक सपना बेच रहा है — कनाडा, न्यूजीलैंड, यूके, ऑस्ट्रेलिया और यूएस में एक नई ज़िंदगी, लेकिन गुरुवार को सभी ऑफिस खाली थे.
रंजीत एवेन्यू मार्केट के ब्लॉक बी में अपने केबिन में बैठी एक एजेंट ने कहा, “यहां तक कि लाइसेंस प्राप्त और रजिस्टर्ड एजेंटों को भी अब शक की निगाहों से देखा जा रहा है. इस निर्वासन ने ग्राहकों में दहशत पैदा कर दी है.”
उनका दिन का ज़्यादातर वक्त चिंतित माता-पिता को यह बताने के लिए कॉल करने में बीता कि जो इमिग्रेशन सेवाएं वह दे रहे हैं, वह वैध हैं.
कनाडा और भारत के बीच बढ़ते तनाव, बढ़ते वीज़ा रिजेक्शन और जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार की सख्त इमिग्रेशन नीतियों के कारण व्यापार पहले ही प्रभावित हो चुका था.
अमृतसर स्थित एक एजेंट ने कहा कि इसने ध्यान अमेरिका की ओर स्थानांतरित कर दिया है. अवैध मार्गों से कनाडा पहुंचने की चाह रखने वाले किसी भी ग्राहक को बताया गया कि जल्दी पैसे कमाने, बेहतर ज़िंदगी जीने के लिहाज़ से अमेरिका बेहतर विकल्प है.
कई एजेंटों ने कहा कि हाल ही में निर्वासन आखिरी तिनका हो सकता है.
कुछ समय तक इंडस्ट्री पर इसका असर रहेगा, लेकिन उसके बाद यह अपने असली रूप में वापस आ जाएगी.
ट्रंप ने जो किया है, वह बिल्कुल सही है.
— रजत नारंग, संस्थापक, डॉलर वन कंसल्टेंसी
आईईएलटीएस कोचिंग और ट्रैवल एजेंसियों की हब करनाल की मुगल कैनाल रोड भी उतनी ही सुनसान है. शाम 4 बजे, आईईएलटीएस कोर्स कराने वाले संस्थानों में मुट्ठी भर छात्र ही नज़र आए.
अमेरिका में ट्रंप के सत्ता में आने से कुछ महीने पहले ही क्लाइंट्स में उल्लेखनीय गिरावट आई थी और अब यह और भी बदतर हो गई है.
डेढ़ साल पहले करनाल में डॉलर वन कंसल्टेंसी खोलने वाले रजत नारंग अपनी लागत वसूलने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने इमिग्रेशन सेक्टर में सोने की मुर्गी का लालच देकर बैंकिंग सेक्टर में अपनी नौकरी छोड़ दी. विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2016 से फरवरी 2021 के बीच पंजाब और चंडीगढ़ से लगभग 10 लाख लोग पलायन कर गए. अनिवार्य रूप से, इस अवधि में 33 में से 1 पंजाबी विदेश चला गया.
उन्होंने कहा, “डंकी के धंधे ने हमारी इंडस्ट्री को लगभग नष्ट कर दिया है और इमिग्रेशन को एक नकारात्मक शब्द बना दिया है.”
2023 के अंत में इस धंधे पर असर पड़ना शुरू हुआ और यह धीरे-धीरे बदतर होता गया.
उन्होंने कहा, “हम 30 से 40 प्रतिशत पूछताछ को ग्राहकों में बदल देते थे, लेकिन आज यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 4-5 प्रतिशत रह गया है. कोई मुनाफा नहीं कमा पा रहा है.”
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने अपने इमिग्रेशन कानूनों को कड़ा कर दिया है.
महामारी के बाद के दौर में ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और यू.के. में वीज़ा रिजेक्शन के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. हेनले पासपोर्ट इंडेक्स पर भारत की वैश्विक रैंकिंग भी 80 से गिरकर 85 हो गई है. एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 12 महीनों में यू.एस. में वीज़ा रिजेक्शन की दर 16.32 प्रतिशत, यू.के. में 17 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया में 30 प्रतिशत और न्यूज़ीलैंड में 32.45 प्रतिशत थी.
लेकिन नारंग को इस सब में एक उम्मीद की किरण नज़र आती है. उन्हें यकीन है कि दलालों के अंडरग्राउंड होने और हाल ही में निर्वासन के बाद, परिवार उनके जैसी वैध एजेंसियों से संपर्क करना शुरू कर देंगे.
उन्होंने कहा, “कुछ समय तक इंडस्ट्री पर इसका असर रहेगा, लेकिन उसके बाद यह अपने असली रूप में वापस आ जाएगी. ट्रंप ने जो किया है, वह बिल्कुल सही है.”
करनाल में 17 साल से जीआरडी ओवरसीज चला रहे अजीत सिंह ने भी इस बात पर सहमति जताई. आम सहमति यह है कि निर्वासन से लंबे समय में कानूनी सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. सिंह को अवैध अप्रवासियों और उनके परिवारों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है.
उन्होंने कहा, “जो लोग डंकी रूट अपनाते हैं, उन्हें पता है कि वो अवैध रूप से देश में घुस रहे हैं, लेकिन अब वह खुद को पीड़ित बता रहे हैं और कह रहे हैं कि एजेंटों ने उनके साथ धोखाधड़ी की है.”
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