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Wednesday, 18 December, 2024
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‘राजस्थान का योगी’, कौन हैं महंत बालकनाथ, जो राजस्थान में BJP की बढ़त के साथ ही चर्चा में हैं

राजनीति में पहली बार बालकनाथ चर्चा में तब आएं जब बीजेपी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें उतारने का फैसला लिया.

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नई दिल्ली: राजस्थान चुनाव के दौरान कई नेताओं ने सुर्खियां बटोरी, जिसमें बीजेपी के टिकट पर अलवर के तिजारा सीट से चुनाव लड़ रहे बीजेपी नेता बाबा बालकनाथ भी शामिल हैं. बता दें कि बालकनाथ अलवर से सांसद भी हैं. बालकनाथ की तुलना उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की जा रही है. बीजेपी कार्यकर्ता उन्हें ‘राजस्थान का योगी’ कहकर संबोधित कर रहे हैं.

चुनाव से पहले अपने नामांकन में बालकनाथ ने घोषणा की थी कि उनकी आयु 39 साल है और उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की है. बालकनाथ ने चुनावी एफिडेविट में खुद को अविवाहित बताया. बता दें कि बालकनाथ नाथ संप्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी रोहतक स्थित बोहर मठ के महंत हैं. बोहर मठ का रोहतक में बड़ा प्रभाव माना जाता है क्योंकि इस मठ की कई सारी यूनिवर्सिटी, कॉलेज, हॉस्पिटल, स्कूल आदि हैं.

ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बालकनाथ ने अपनी चुनावी एफिडेविट में बताया कि उनके पास नकदी 45 हजार रुपए हैं जबकि बैंकों में कुल जमा राशि 13,79,558 रुपए हैं.

‘राजस्थान के अलवर में जन्म’

महंत बालकनाथ का जन्म राजस्थान के अलवर जिले के कोहराना गांव में साल 1984 में हुआ था. उनके पिता सुभाष यादव एक किसान थे जबकि उनकी माता उर्मिला देवी गृहिणी थीं. बालकनाथ अपने माता पिता के इकलौते संतान थे. उनके परिवार ने 6 साल की उम्र में अध्यात्म की पढ़ाई के लिए उन्हें महंत खेतानाथ के पास भेज दिया. महंत खेतानाथ के बाद वो महंत चांद नाथ के साथ रहने लगे. महंत चांद नाथ ने साल 2016 में उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुना. बालकनाथ नाथ संप्रदाय के आठवें संत हैं और साथ ही योगी बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के चांसलर भी हैं. बालकनाथ उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं. योगी भी नाथ संप्रदाय से ही ताल्लुक रखते हैं और नाथ संप्रदाय के मुताबिक योगी इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और बालकनाथ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष.

राजनीति में पहली बार बालकनाथ चर्चा में तब आएं जब बीजेपी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें उतारने का फैसला लिया. राजस्थान के अलवर से उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह को 3 लाख से भी अधिक वोटों से मात दी.


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