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Thursday, 28 March, 2024
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कर्नाटक चुनाव: कांग्रेस के सीएम दावेदार शिवकुमार जीते और सिद्धारमैया अपने निर्वाचन क्षेत्र में आगे

चुनाव आयोग के आंकड़ों में शिवकुमार को कनकपुरा विधानसभा सीट से जीत गए हैं. वरुणा सीट से सिद्धारमैया भी आगे चल रहे हैं.

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नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस के दो प्रमुख चेहरे और मुख्यमंत्री पद के दावेदार राज्य इकाई के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया शनिवार को अपनी-अपनी सीटों पर आगे चल रहे थे, जबकि 10 मई को हुए चुनावों की मतगणना में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने का संकेत मिला था.

चुनाव आयोग की वेबसाइट के आंकड़ों में दिखाया गया कि शिवकुमार रामनगर जिले की कनकपुरा विधानसभा सीट से 77,891 मतों से आगे चल रहे हैं. बीजेपी के पूर्व डिप्टी सीएम आर. अशोक ने 11,752 वोट हासिल किए थे, जबकि जेडी (एस) के उम्मीदवार बी.आर. रामचंद्र को 13,634 वोट मिले थे.

2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में, शिवकुमार ने अपने तत्कालीन निकटतम प्रतिद्वंद्वी, जद (एस) के नारायण गौड़ा को उसी सीट से लगभग 80,000 मतों से हराया था.

इस बीच, सिद्धारमैया वरुण निर्वाचन क्षेत्र में लिंगायत नेता और मंत्री भाजपा के वी. सोमन्ना से 57,393 मतों से आगे चल रहे हैं. वरुणा, मैसूर क्षेत्र में, लिंगायत गढ़ माना जाता है. सोमन्ना और जद (एस) के भारती शंकर ने क्रमशः 34,380 और 724 वोट जीते.

सिद्धारमैया ने इसे अपना आखिरी चुनाव बताया है.

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वोक्कालिगा नेता और सात बार के विधायक शिवकुमार को एक ऐसे संगठन व्यक्ति के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने कांग्रेस को अच्छी तरह से तेल में डुबो कर रखा है और भ्रष्टाचार के आरोपों को उजागर करके और राज्य में अभियान के दौरान कथित कुशासन के मुद्दों को उठाकर सत्ताधारी भाजपा को लगातार बैकफुट पर ला कर खड़ा कर दिया है.

अपने कार्यकाल के दौरान, शिवकुमार ने दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के साथ एक संतुलित संबंध भी बनाए रखा है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य इकाई के कारोबार का संचालन करने में काफी हद तक मुक्त हाथ है.

इस बीच, कुरुबा नेता सिद्धारमैया कांग्रेस का चेहरा रहे हैं और उन्हें पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में देखा जाता है.

हालांकि शिवकुमार और सिद्धारमैया कांग्रेस के जीतने पर मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, लेकिन उन्होंने चुनावों के लिए एक एकजुट चेहरा पेश किया है.

उनकी साख के बावजूद, सिद्धारमैया के लिए मुकाबला कठिन था क्योंकि भाजपा ने लिंगायत समुदाय के भारी वजन वाले सोमन्ना को ऐसी सीट पर उतारा था, जहां लिंगायत वोट लगभग 40 प्रतिशत हैं. हालांकि, एक ओबीसी नेता के रूप में, सिद्धारमैया का पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जातियों के बीच एक बड़ी फैन फॉलोइंग है, जिनकी निर्वाचन क्षेत्र में भी अच्छी उपस्थिति है.

2008 में बनने के बाद से वरुणा विधानसभा क्षेत्र सिद्धारमैया परिवार के पास है. जबकि सिद्धारमैया ने इस सीट को दो बार जीता है, उनके बेटे यतींद्र ने 2018 में उसी सीट पर जीत हासिल की थी.

पिछला चुनाव, सिद्धारमैया ने दो सीटों – चामुंडेश्वरी और बादामी से लड़ा था. जबकि वह चामुंडेश्वरी हार गए, उन्होंने बादामी सीट जीती.

2019 में, जेडी(एस)-कांग्रेस सरकार के सत्ता से हटने के बाद, सिद्धारमैया को कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस के विधायक दल का नेता बनाया गया था.


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