जयपुर : “22 जनवरी आने दो, पूरे राजस्थान में दिवाली मनेगी.” जयपुर के हवामहल विधानसभा चुनाव क्षेत्र के निवासी कैलाश सैनी ने सोमवार को अपने दोस्तों के साथ अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन पर चर्चा के दौरान चाय की चुस्की लेते हुए ये बात कही.
कुछ घंटे पहले, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्र अंबर में एक रैली को संबोधित करते हुए सभी दर्शकों को अयोध्या में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था.
उसी दिन, 300 किमी से अधिक दूर पाली में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर हमला किया और कांग्रेस पर ‘सनातन धर्म’ (सभी हिंदुओं के लिए एक कर्तव्यों के तौर पर बताते हुए) को नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि विपक्षी गुट इंडिया द्वारा सनातन धर्म को खत्म करने का कोई भी कदम राजस्थान की संस्कृति को “पूरी तरह विनाश” की ओर ले जाएगा.
मंगलवार को, कोटा में एक रैली को संबोधित करते हुए, पीएम ने राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर “तुष्टीकरण की राजनीति” का आरोप लगाया था, यह कहते हुए कि राजस्थान में हनुमान जयंती और रामनवमी जुलूस रोक दिए गए, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ), एक प्रतिबंधित संगठन को, पिछले साल कोटा में एक मार्च आयोजित करने की अनुमति दी गई थी.
हवा महल के सैनी एकमात्र ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो राजस्थान में भाजपा के जोर-शोर से किए जा रहे हिंदुत्व-केंद्रित अभियान से प्रभावित हुए हैं. जयपुर के सीताराम पुरी इलाके में चाय की दुकान चलाने वाले ओम प्रकाश अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया, ”यह बात कांग्रेस या बीजेपी को लेकर नहीं है, यह केवल हिंदू और मुस्लिम राजनीति के बारे में है.”
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बाकी राज्यों की तुलना में राजस्थान में भाजपा के अभियान ने एक अलग रास्ता अपनाया है.
जबकि पार्टी ने अन्य राज्यों में अयोध्या राम मंदिर के बारे में बात की, जहां उसका अभियान कल्याणकारी योजनाओं और मुफ्त की चीजों पर ज्यादा केंद्रित था. मध्य प्रदेश में, लाडली बहना योजना की सफलता ने भाजपा को सीएम शिवराज सिंह चौहान की कल्याणकारी नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया, जबकि छत्तीसगढ़ में, भूपेश बघेल सक्रिय रूप से कई योजनाओं और परियोजनाओं के साथ हिंदू भावनाओं से जुड़ रहे थे, जिस वजह से भाजपा ने अपना ध्यान भ्रष्टाचार, फ्री की चीजों और विकास के मुद्दों पर केंद्रित किया.
हालांकि, राजस्थान में भाजपा ध्रुवीकरण के नैरेटिव के साथ पूरी ताकत से आगे बढ़ रही है. मोदी ने बार-बार उदयपुर के दर्जी कन्हैयालाल साहू की हत्या के बारे में बात की, पिछले साल कथित तौर पर दो मुस्लिम लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी.
बीजेपी के एक पदाधिकारी के मुताबिक, मतदान होने में कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी नेताओं को हिंदुत्व के मुद्दे पर और अधिक आक्रामक तरीके से प्रचार करने का निर्देश दिया है.
भाजपा नेता ने दिप्रिंट को नाम न बताने की शर्त पर बताया, “मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच अंतर यह है कि कल्याणकारी योजनाएं हमारे चुनाव अभियान का प्रमुख घटक थीं, जबकि यहां हम दोनों के बारे में एक ही तरह से बात कर रहे हैं – राम और विकास (प्रगति) साथ-साथ हैं.”
इस बीच, भाजपा के हिंदुत्व के मुद्दे का मुकाबला करने के लिए, गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पहले ही गोवंश कल्याण के लिए 3,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं. साथ ही, इसने पुजारियों के लिए मानदेय भी बढ़ाया है और मंदिर के विकास के लिए पैसा खर्च किया है.
कांग्रेस की कोशिश है कि चुनाव का फोकस विकास और कल्याण के मुद्दों पर रहे. शुक्रवार को सागवाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि यह जनता को तय करना है कि धर्म के नाम पर वोट मांगने वाले जनता के लिए काम करते हैं या नहीं. उन्होंने कहा, “जनता को तय करना है कि आपका काम किसने किया है या करेगा.”
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राहुल गांधी और प्रियंका समेत कांग्रेस नेता, मतदाताओं को भाजपा के जाल में फंसने के प्रति आगाह करते रहे हैं. इसी रैली में प्रियंका ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ”चुनाव के दौरान ये लोग धर्म के नाम पर वोट मांगकर जनता को गुमराह करते हैं. उनके बहकावे में न आएं और पक्की गारंटी की सोच के साथ आगे बढ़ रही कांग्रेस को पूरा समर्थन दें. इसलिए, परंपरा को तोड़ें और राज्य में कांग्रेस सरकार दोबारा बनाएं.”
लोकल लीडरशिप हिंदुत्व और स्थानीय मुद्दों के बीच संतुलन बनाने में
बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में मंदिरों और मठों से जुड़े कई संतों को अपना उम्मीदवार बनाया है. उदाहरण के लिए, हवा महल निर्वाचन क्षेत्र की गलियां हाथोज धाम के महंत (मुख्य पुजारी) बालमुकुंद आचार्य के पोस्टरों से पटी हुई हैं, जिन्हें पार्टी ने कांग्रेस के आरआर तिवारी के खिलाफ मैदान में उतारा है. इस सीट का प्रतिनिधित्व अभी कांग्रेस के राजस्थान मंत्री महेश जोशी कर रहे हैं, जिन्हें इस बार टिकट नहीं दिया गया है.
“बालमुकुंद आचार्य, लंबे समय से हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अभियान चला रहे हैं. वह एक जाना-पहचाना चेहरा हैं.” हवा महल निवासी सैनी ने कहा, “उन्होंने हाल ही में निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिम बहुल परकोटा क्षेत्र का दौरा किया था और बताया था कि इन क्षेत्रों में सैकड़ों मंदिर थे, जिन्हें साजिश के तहत ध्वस्त कर दिया गया था. उन्होंने हर मंदिर की पहचान कर उनका जीर्णोद्धार करने का वादा किया है. यह भाजपा ही है जो हिंदुओं के बारे में सोचती रही है. राम मंदिर का निर्माण हुआ है और भाजपा के कारण ही हम आज सुरक्षित हैं. इसलिए, हम उन्हें राज्य स्तर पर भी चाहते हैं.”
योगी आदित्यनाथ के भाषण भी राज्य में कई लोगों के लिए एक रेफरेंस पॉइंट बन गए हैं और कई मतदाताओं से दिप्रिंट ने बात की और जिन्होंने कहा कि राज्य को कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए “योगी जैसे किसी व्यक्ति” की जूरूरत है.
जयपुर जिले के बस्सी निवासी प्रह्लाद ने कहा, “अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो वे निश्चित रूप से एक नया चेहरा लाएगी… कोई ऐसा व्यक्ति जो योगीजी जैसा सख्त हो. वोट तो मोदी और योगी के नाम पर पड़ेंगे.”
हालांकि, भले ही भाजपा हिंदुत्व को एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन कई मतदाताओं का मानना है कि विकास भी प्राथमिकता होनी चाहिए. जयपुर में भवन निर्माण ठेकेदार राम गोपाल ने कहा, “कांग्रेस सरकार ने अपनी सात गारंटियों के साथ कई वादे किए हैं और उन्होंने 2018 में किए गए कई वादों को पूरा किया है. काम बोलता है (काम खुद बोलता है)….”
जहां बाहर से बीजेपी के केंद्रीय नेता हिंदुत्व के मुद्दे को और अधिक जोर-शोर से उठा रहे हैं, वहीं स्थानीय नेतृत्व हिंदुत्व फैक्टर के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों, दोनों में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है.
उदाहरण के लिए, अंबर में, राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष, सतीश पूनिया, कांग्रेस की कथित तुष्टीकरण की राजनीति की आलोचना करते हुए, लोगों से यह वादा भी कर रहे हैं कि एक बार भाजपा सत्ता में आएगी, तो न केवल कानून-व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि वह गांव में नए स्कूल और पुस्तकालय भी सुनिश्चित करेंगे. पूनिया ने दिप्रिंट से कहा, ”राम और विकास साथ-साथ चलते हैं.”
जयपुर में एक पार्टी पदाधिकारी ने बताया, “हालांकि राजस्थान में मुस्लिम आबादी लगभग 10 प्रतिशत है, वे जयपुर जिले की कुछ सीटों समेत 40 सीटों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. बीजेपी ने इस बार एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है. जिस तरह से महंतों और संतों को मैदान में उतारा गया है, और कई एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के उम्मीदवार मैदान में हैं, पार्टी वोटों के ध्रुवीकरण के जरिए विजयी होने की उम्मीद कर रही है.”
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