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Thursday, 19 December, 2024
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राजस्थान के अलवर ग्रामीण सीट से अपने ही पिता को टक्कर देने वाली मीना का बुरा हाल, कांग्रेस दोनों से आगे

मीना कुमारी ने अलवर ग्रामीण सीट से अपने पिता बीजेपी के जयराम जाटव के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा. जाटव भी कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी टीकाराम जूली से पीछे चल रहे हैं.

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नई दिल्ली: घर में कथित भेदभाव के विरोध में अलवर ग्रामीण सीट से अपने पिता, बीजेपी के जयराम जाटव के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ने वाली मीना कुमारी दोपहर 1.30 बजे तक 500 से भी कम वोट जीतकर कर अपनी छाप छोड़ने में असफल रहीं.

उनके लिए सांत्वना की बात यह हो सकती है कि उनके पिता भी हार की ओर बढ़ते दिख रहे हैं. वह अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के टीकाराम जूली से 22,000 वोटों से पीछे चल रहे हैं, जिन्होंने 2018 में भी सीट जीती थी.

2013 के चुनाव में जाटव ने अलवर ग्रामीण से बीजेपी के सिंबल पर जीत हासिल की थी.

इस सीट पर इस बार कुल 10 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के मुकेश कुमार, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के जगदीश प्रसाद और आम आदमी पार्टी (आप) के मजाविर राजोरिया शामिल हैं.

प्रचार अभियान के दौरान दिप्रिंट से बात करते हुए, कुमारी ने कहा था कि घर में “खराब व्यवहार” के कारण उन्हें अपने पिता के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए “रसोई से बाहर आने के लिए मजबूर” होना पड़ा था. उन्होंने अपने पिता जाटव को एक “अंधविश्वासी व्यक्ति” बताया, जिसने उन्हें “प्रताड़ित” किया.

उन्होंने कहा, “मैं इसलिए चुनाव लड़ रही हूं क्योंकि वह अपनी बेटी का सम्मान नहीं करते हैं. तो वह दूसरों की बेटियों का सम्मान कैसे कर सकते हैं?”

दूसरी ओर, जाटव ने उस समय दावा किया था कि उनकी बेटी शायद ही चुनाव में कोई फैक्टर है. उन्होंने दावा किया था कि उनकी लड़ाई सीधे तौर पर कांग्रेस की जूली के साथ है.

जाटव ने दिप्रिंट को बताया था कि मीना कुमारी वोट काटने के लिए मैदान में थीं लेकिन सफल नहीं हुईं. उनके अभियान के पीछे “कांग्रेसी चाल” का आरोप लगाते हुए, उन्होंने यह भी दावा किया कि “कांग्रेस उम्मीदवार ने फंडिंग और लालच के माध्यम से पिछले छह महीनों में (अपनी उम्मीदवारी को बढ़ावा देने के लिए) यह कोशिश की”.

‘पिता मेरी बात नहीं सुनते’

कुमारी के पति की ओर से परिवार के एक सदस्य ने पहचान बताने से इनकार करते हुए कहा था कि उनका बचपन काफी कठिन बीता.

परिवार के सदस्य ने कहा, “जाटव का पहला बेटा जन्म के तुरंत बाद मर गया. उसके बाद कुमारी का जन्म हुआ. किसी ने उन्हें (जाटव को) बताया कि बेटी अपने साथ दुर्भाग्य लेकर आई और यही उनके बेटे की मौत का कारण बनी.”

वोट के लिए प्रचार करते समय कुमारी ने दिप्रिंट से कहा था, “मैं राजनीति में इसलिए आई क्योंकि मेरे पिता मेरी बात नहीं सुनते, लेकिन उम्मीद है कि लोग सुनेंगे.”

जब जाटव ने 2013 में अलवर ग्रामीण से चुनाव लड़ा, तो कुमारी प्रचार अभियान में अपने पिता के साथ थीं. तब उन्होंने जूली को 26,799 वोटों से हराया था.

2018 में, जूली ने बीजेपी के रामकिशन – जिन्हें जाटव की जगह टिकट दिया गया था – को 26,477 वोटों के बड़े अंतर से हराकर वापसी की.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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