नई दिल्ली: सोनीपत के राजीव गांधी एजुकेशन सिटी में स्थित अशोका यूनिवर्सिटी अपने कैंपस के साथ-साथ विज्ञान विभाग का भी विस्तार करने जा रही है. यह विश्वविद्यालय मुख्य रूप से अपने लिबरल-आर्ट्स पाठ्यक्रमों के लिए जाना जाता है.
अशोका एक निजी संस्थान है जिसने भारत और विदेशों के कुछ सबसे प्रतिष्ठित शिक्षा केंद्रों को अपने साथ जोड़ा है. इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), यूके की कैम्ब्रि ज यूनिवर्सिटी और यूएस की बफ़ेलो यूनिवर्सिटी शामिल हैं.
अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक और ट्रस्टी प्रमथ राज सिन्हा ने दिप्रिंट को बताया, ‘साइंस एक ऐसा विषय है जिसे आप सिर्फ एक संस्थान तक सीमित रहकर नहीं पढ़ सकते हो. आपको अन्य संस्थानों के साथ चर्चा करने और बातचीत करने की जरूरत है.’
इस समय विश्वविद्यालय में साइंस के कुछ ही पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसके संस्थापक ‘पाठ्यक्रम’ का विस्तार करते हुए साइंस और ह्यूमैनिटी के क्षेत्र में रिसर्च को एक नए मुकाम पर पहुंचाने की योजना बना रहे हैं. एक बार नए विंग- जिसमें एक विज्ञान पार्क और प्रयोगशालाएं शामिल हैं- का काम पूरा हो जाने के बाद विश्वविद्यालय अपने परिसर को लगभग 100 एकड़ भूमि पर फैला लेगा.
सिन्हा ने कहा, ‘हमारा इरादा मल्टीडिसीप्लिनरी साइंस की तरफ जाने का है. हम भौतिकविदों, कैमिस्ट, कंप्यूटर साइंटिस्ट, गणितज्ञों, दार्शनिकों, मनोवैज्ञानिकों को एक छत के नीचे लाकर एक साथ काम कराना चाहते हैं. हमें लगता है कि मल्टीडिसीप्लिनरी यानी अध्ययन की विभिन्न शाखाओं को एक साथ लाना पुराने और प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए मुश्किल है. चूंकि हम इसमें नए हैं, यह स्वाभाविक रूप से हमारे पास आएगा…’
उन्होंने आगे कहा, ‘योजना हमेशा से छात्रों को बेहतर पूर्ण लिबरल आर्ट्स एजुकेशन देने की रही है, जिसमें साइंस भी शामिल रहा है … निश्चित रूप से हम साइंस की तरफ बढ़ रहे थे. हम इसे कुछ इस तरह से देखते हैं कि ह्यूमैनिटी पहले से थी और अब विज्ञान भी है.’
सिन्हा ने दिप्रिंट को बताया कि इंजीनियरिंग, एमबीए और कानून जैसे प्रोफेशनल प्रोग्राम उपलब्ध कराने की बजाए विश्वविद्यालय टेक्निकल लिबरल आर्ट्स मसलन ह्यूमैनिटी, नेचुरल साइंस और कंप्यूटर साइंस पर ध्यान देना चाहता है.
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साइंस पार्क, स्कूल फॉर एडवांस्ड कंप्यूटिंग
अशोका विश्वविद्यालय के साइंस कैंपस में स्वास्थ्य और बायोसाइंसेज के उभरते क्षेत्रों के लिए ‘स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज’, गणित, भौतिक विज्ञान और खगोल विज्ञान के लिए ‘स्कूल फॉर मैथमेटिक्स एंड फिजिकल साइंसेज’ और कंप्यूटर साइंस के लिए ‘स्कूल फॉर एडवांस्ड कंप्यूटिंग’ पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे.
उभरती संक्रामक बीमारियों, मानव प्रतिरक्षा विज्ञान, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग इन क्लीनिकल एंड एपिडेमियोलॉजिकल सेटिंग्स पर खास ध्यान देने के लिए ‘सेंटर फॉर डिजीज बायोलॉजी’ वाला एक विज्ञान पार्क भी नए परिसर में बनाया जाएगा.
इंफेक्शन और कैंसर पर अध्ययन करने के लिए ‘सेंटर फॉर इन्फ्लेमेशन बायोलॉजी’ और ‘सेंटर फॉर सिंथेटिक बायोलॉजी’ की भी योजना बनाई जा रही है. ये पाठ्यक्रम हाई रिज़ॉल्यूशन और समय व स्पेस की गुणवत्ता पर जीवित कोशिकाओं में जैव रासायनिक घटनाओं को समझने पर केंद्रित होंगे.
विश्वविद्यालय को उम्मीद है कि छात्र 2023 तक स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज में शोध में भाग लेना शुरू कर पाएंगे.
विश्वविद्यालय अपने कंप्यूटर साइंस पाठ्यक्रम में भी विस्तार करने की योजना बना रहा है और इस साल ‘स्कूल फॉर एडवांस कंप्यूटिंग’ की शुरुआत हो जाएगी.
सिन्हा ने दिप्रिंट को बताया कि विश्वविद्यालय दुनिया भर से शिक्षकों की भर्ती कर रहा है. आईआईटी दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर शुभाशीष बनर्जी कंप्यूटर साइंस पढ़ाते हैं, तो वहीं दिल्ली स्थित सीएसआईआर इंस्टिट्यूट ऑफ गेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के पूर्व निदेशक अनुराग अग्रवाल उन नामों में से एक है जिन्हें फैकल्टी में शामिल किया गया है.
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