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Sunday, 3 November, 2024
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ऑक्सफोर्ड और अन्य विदेशी विश्वविद्यालयों ने भारत में प्रवेश के लिए UGC को क्या सुझाव दिया है?

विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने कैंपस स्थापित करने के लिए यूजीसी का मसौदा मानदंड जनवरी में आया था. इसके फीडबैक में संकाय पात्रता मानदंड, क्लस्टर कॉलेज अप्रूवल जैसे सुझाव शामिल हैं.

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नई दिल्ली: विदेशी विश्वविद्यालय को भारत में परिसर स्थापित करने की अनुमति देना, संकाय पात्रता मानदंडों को स्पष्ट रूप से बताना और विदेशी संकाय के मामले में, देश में रहने की उनकी आवश्यक समय के बारे में बताना- ये ऑक्सफोर्ड सहित प्रमुख विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा दिए गए प्रमुख सुझावों में से हैं. दिप्रिंट को पता चला है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को ऐसे विश्वविद्यालयों द्वारा भारतीय परिसरों की स्थापना की सुविधा प्रदान करने के लिए कहा गया है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने कहा: “भारत में अपने परिसर स्थापित करने की योजना बना रहे विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए मसौदा दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने से पहले यूजीसी इन सुझावों पर विचार कर रहा है. अंतिम नियम ही इन मामलों में स्पष्टता लाएगा.”

यूजीसी अध्यक्ष के अनुसार, भारत के उच्च शिक्षा नियामक को अब तक 200 से अधिक भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों से सुझाव प्राप्त हुए हैं, जिनमें मेलबर्न विश्वविद्यालय, नॉर्थईस्टर्न विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, टेक्सास विश्वविद्यालय, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय, इस्टिटूटो मारांगोनी और सेंट पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय शामिल हैं. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, फ़्रांस और रूस के भी कई विश्वविद्यालयों से बात चल रही है.

कुमार ने कहा, “हमें उम्मीद है कि ऑक्सफोर्ड सहित विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में एक परिसर स्थापित करने में रुचि है और यही कारण है कि वे प्रतिक्रिया दे रहे हैं. विदेशी प्रतिनिधिमंडलों के साथ यूजीसी में अनौपचारिक बैठकों के दौरान, यह स्पष्ट था कि वे रुचि रखते थे.”

क्लस्टर कॉलेज वे होते हैं जहां दो या दो से अधिक विश्वविद्यालय एक परिसर शुरू करने के लिए एक साथ जुड़ते हैं. यूजीसी अभी भी विदेशी उच्च शिक्षा संस्थानों (एफएचईआई) के लिए तौर-तरीकों पर काम कर रहा है, जो भारत में कैंपस खोलते समय उस प्रारूप के तहत काम करना चाह सकते हैं.

कुमार ने कहा, “हम कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा दिए गए क्लस्टर कॉलेजों के सुझाव पर विचार कर रहे हैं. दोनों विश्वविद्यालयों में से कौन पंजीकरण के लिए आवेदन करेगा और कौन सा विश्वविद्यालय डिग्री देगा जैसे मुद्दों पर चर्चा की जा रही है. अगर ऐसा कोई अनुरोध आता है, तो यूजीसी जांच करेगा और फिर निर्णय लेगा.”

कुमार ने कहा, “हमारा दृष्टिकोण विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों में शिक्षा प्रदान करने में आसानी का एक तंत्र बनाना होगा.”

विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में कैंपस स्थापित करने का प्रावधान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सुझाया गया था. यूजीसी इस साल जनवरी में यूजीसी (भारत में विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन) विनियम 2023 का मसौदा लेकर आया था. मसौदा भारत में अपने परिसर स्थापित करने के लिए एफएचईआई के लिए मानदंड बताता है.

विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपना परिसर स्थापित करने की अनुमति देने के लिए जनवरी में यूजीसी द्वारा जारी मसौदे के अनुसार, भारतीय परिसर के लिए भर्ती किए जाने वाले संकाय के पास घरेलू परिसर में नियुक्ति के लिए आवश्यक समान योग्यता होनी चाहिए. इसके अलावा, भारतीय परिसरों में भर्ती किए गए संकाय को “उचित अवधि के लिए” देश में रहना होगा. हालांकि, FHEI को अपने भर्ती मानदंडों के अनुसार भारत और विदेश से संकाय की भर्ती करने की स्वायत्तता होगी.


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‘2024 तक शुरू हो सकता है सत्र’

कुमार ने कहा कि दिशानिर्देश का मसौदा तैयार होने के बाद यूजीसी विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों से आवेदन आमंत्रित करना शुरू कर देगा. उन्होंने कहा, “हम दस्तावेज़ को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं.”

कुमार के अनुसार, एक बार एफएचईआई से आवेदन प्राप्त होने के बाद, यूजीसी को इसे मंजूरी देने में लगभग 90 दिन लगेंगे. यूजीसी से ‘आशय पत्र’ मिलने के बाद, एफएचईआईएस दो साल के भीतर परिसर स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है और फिर संचालन शुरू कर सकता है.

यूजीसी ने विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए विशिष्ट विवरण के साथ आवेदन करने के लिए एक एप्लिकेशन पोर्टल भी विकसित किया है.

यह कहते हुए कि यदि विश्वविद्यालय अपनी प्रक्रिया में तेजी लाते हैं तो आगामी शैक्षणिक सत्र से अधिक विदेशी विश्वविद्यालय परिसर चालू हो सकते हैं, कुमार ने कहा, “यदि बुनियादी ढांचे और अन्य संसाधनों की उपलब्धता तेजी से की जाती है, तो हम शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों को चालू होते देख सकते हैं.”

अब तक दो ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों, डीकिन्स और वोलोंगोंग ने पुष्टि की है कि वे भारत में परिसर स्थापित करेंगे. जबकि डीकिन्स ने कहा है कि वह अपना परिचालन “जितनी जल्दी हो सके और 2024 के मध्य तक शुरू करने की योजना बना रहा है”, वोलोंगोंग विश्वविद्यालय ने जुलाई में उल्लेख किया था कि वह 2023 के अंत तक अपना परिसर शुरू कर सकता है, लेकिन अभी तक इसे आगे नहीं बढ़ाया है और न ही इसके संबंध में कोई घोषणाएं हुई है.

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले बताया था कि एफएचईआई द्वारा पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों में साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशीन लर्निंग, जैव प्रौद्योगिकी, वित्तीय प्रबंधन और बिजनेस एनालिटिक्स जैसे विषय शामिल होने की संभावना है, जो छात्रों द्वारा “मांग” किए जाते हैं और अच्छी नौकरी की संभावनाएं प्रदान करते हैं.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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