कोलकाता: 30 साल की एक पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर ने आरोप लगाया है कि प्रमुख संस्थान ने उनके प्राइवेट इंस्टाग्राम प्रोफाइल की फोटो को ‘आपत्तिजनक पोस्ट’ बताते हुए उन्हें पिछले साल कोलकाता के सेंट जेवियर्स यूनिवर्सिटी से इस्तीफा देने के लिए कहा था.
शिक्षक ने कहा कि कथित रूप से बिकनी, शॉर्ट्स और जिम के कपड़ों में उनकी तस्वीरों को ‘आपत्तिजनक’ बताया था. उन्होंने इन तस्वीरों को ‘इंस्टाग्राम स्टोरीज’ पर डाला था. यह एक सोशल मीडिया फीचर है जिसमें यूजर अपनी कुछ तस्वीरें पोस्ट कर सकता है जो 24 घंटों के बाद गायब हो जाती हैं.
पूर्व सहायक प्रोफेसर के अनुसार, इन स्टोरीज को उन्होंने यूनिवर्सिटी ज्वाइन करने से पहले अगस्त 2021 में पोस्ट किया था और उनकी इस पोस्ट को सिर्फ उनके करीबी दोस्त ही देख सकते थे. उन्होंने इसी कॉलेज से अपनी पढ़ाई भी पूरी की है.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘ वाइस-चांसलर फादर फेलिक्स ने मुझसे पूछा कि क्या मेरी मां ने इन तस्वीरों को मंजूरी दी है और क्या वे उचित ड्रेस कोड का पालन करते हैं. एक अन्य महिला… ने मुझसे पूछा कि क्या इस तरह की तस्वीरें पोस्ट करना सही है.’
पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर ने कहा कि उन्हें इस मामले के लिए माफी मांगने के लिए कहा गया था. उन्होंने ऐसा ही किया. लेकिन फिर भी उन्हें कॉलेज छोड़ने के लिए कहा गया.
मामला अक्टूबर 2021 का है. लेकिन पूर्व सहायक प्रोफेसर ने कहा कि वह अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ जनवरी 2022 में पुलिस शिकायत दर्ज करा पाई थी.
उन्होंने इस साल 1 मार्च को यूनिवर्सिटी को कानूनी नोटिस भी भेजा था. इसके बाद विश्वविद्यालय ने बदले में उन्हें 99 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेज दिया. दिप्रिंट के पास इन दोनों दस्तावेजों की कॉपी है.
दिप्रिंट ने जेवियर के जेंडर सेल के प्रमुख से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए बोलने से इनकार कर दिया कि मामला ‘ विचाराधीन’ है और ‘प्रोफेशनल कमिटमेंट’ उन्हे संबंधित मामले को लेकर विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अलावा किसी और से बात करने की अनुमति नहीं देता है. अधिकारी मामले में चल रही कानूनी लड़ाई के बारे में कह रही थीं.
दिप्रिंट ने मंगलवार शाम को इस मामले पर प्रतिक्रिया लेने के लिए वाइस-चांसलर और रजिस्ट्रार कार्यालयों को ईमेल भेजे थे. लेकिन रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनका कोई जवाब नहीं मिला.
पूर्व सहायक प्रोफेसर ने कहा कि पूरे प्रकरण ने उनके परिवार पर भारी असर डाला है.
उसने दिप्रिंट को बताया, ‘मेरे पिता चिंता में दो बार सड़क पर गिर चुके हैं. जेवियर्स के पूर्व छात्र के रूप में वह इसे समझ नहीं पा रहे हैं. उन्होंने ही मुझे इस नौकरी को करने के लिए कहा था.’
वह सोशल मीडिया पर भी वापसी नहीं कर पाई हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं कुछ भी पोस्ट नहीं कर पा रही हूं. मैं सिर्फ अतीत के परिणामों के बारे में सोच रही हूं. मैंने न सिर्फ अपनी नौकरी खोई है, बल्कि अपनी कानूनी फीस को भी क्राउडफंड करना पड़ा. मैं अपने माता-पिता के इलाज के लिए भी पैसे नहीं दे सकती हूं’
पूर्व शिक्षक की वकील झुमा सेन ने दिप्रिंट को बताया कि वह यूनिवर्सिटी के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है.
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ये कैसे हुआ
7 अक्टूबर 2021 को पद संभालने के दो महीने बाद पूर्व सहायक प्रोफेसर को कथित तौर पर यूनिवर्सिटी से एक फोन आया जिसमें उन्हें वाइस-चांसलर से मिलने के लिए कहा गया था.
उन्हें कथित तौर पर एक कमरे में ले जाया गया जहां कुलपति रजिस्ट्रार और पांच महिलाओं के साथ बैठे थे – दो प्रोफेसर और विभिन्न विभागों के दो सहायक प्रोफेसर और एक सचिव.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘यह एक इंटेरोगेशन चैंबर था. वहां एक महिला ने मेरे सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में एक छात्र के पिता की शिकायत पढ़ी थी.’
पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर ने दावा किया कि उन्हें छात्र का नाम नहीं बताया गया था. सिर्फ ये कहा गया कि जेवियर्स जेंडर सेल के प्रमुख को एक शिकायत मिली है. शिकायत में कहा गया कि उन्होंने अपने प्राइवेट इंस्टाग्राम अकाउंट पर आपत्तिजनक कंटेंट शेयर किया है.
‘मैं चौंक गई,’ उन्होंने दिप्रिंट को बताया. ‘मेरी इंस्टाग्राम स्टोरी को मिले लाईक, जिसे मैंने अपनी फ्रेंड लिस्ट के लोगों के एक प्राइवेट ग्रुप के साथ शेयर किया था, उसे कमरे में सर्कुलेट किया जा रहा था ताकि मैं इसका जवाब दे सकूं’
पूर्व सहायक प्रोफेसर ने दावा किया कि यूनिवर्सिटी की सिर्फ एक कर्मचारी उनकी फ्रेंड लिस्ट में थी. वह एक जेंडर सेल की प्रमुख हैं जो कमरे की पांच महिलाओं में से एक थी.
‘अपमान, आघात और इस्तीफा’
उस दिन पूर्व सहायक प्रोफेसर को कथित तौर पर एक रिपोर्ट जमा करने और माफी मांगते हुए एक पत्र लिखने के लिए कहा गया.
उन्होंने बताया, ‘मैंने एक माफी पत्र दिया. उसमें मैंने लिखा कि मेरा विश्वविद्यालय को बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था. लेकिन पत्र को पढ़े बिना कुलपति ने कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से मुझे हटाने की सिफारिश की है. उन्होंने मुझसे निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा देने को कहा.
कथित तौर पर उनसे कहा गया था कि उन्हें पद पर बनाए रखने से विश्वविद्यालय की छवि ‘खराब’ होगी.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने यह कहते हुए विरोध किया कि यह सही नहीं है. लेकिन फिर इस्तीफा देने का फैसला कर लिया. मैं अपने आपको काफी अपमानित महसूस कर रही थी.’
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कानूनी लड़ाई
इसके बाद से कानूनी लड़ाई शुरू हो गई. पूर्व शिक्षिका ने दावा किया कि उसने अक्टूबर 2021 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन इसे एफआईआर में नहीं बदला गया.
उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग को भी लिखा. महिला आयोग ने कोलकाता पुलिस को कार्रवाई के कहा था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
वह बताती हैं, ‘इस साल फरवरी में मेरे वकील ने मुझे सुझाव दिया कि मैं एक दीवानी मुकदमा दायर करूं और मैंने किया,’ वह आगे कहती हैं, ‘ यूनिवर्सिटी ने एक महीने के बाद जवाब दिया कि मैंने विश्वविद्यालय को बदनाम किया है और मुझसे हर्जाने में 99 करोड़ रुपये की मांग की.’
आखिरकार 24 फरवरी 2022 को कोलकाता के टेक्नो सिटी पुलिस स्टेशन ने एक प्राथमिकी दर्ज की. लेकिन यह ‘अज्ञात व्यक्तियों’ के खिलाफ थी. एफआईआर की एक प्रति दिप्रिंट के पास है. उसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (सी) (दृश्यरतिकता) और 509 (एक महिला की शील भंग) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मई में पूर्व सहायक प्रोफेसर ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 (स्वीकारोक्ति और बयानों की रिकॉर्डिंग) के तहत एक मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया था.
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