नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) अगले सत्र से एक साल में दो बार साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) का आयोजन करने पर विचार करेगी.
कुमार ने कहा कि सीयूईटी से न तो बोर्ड परीक्षाओं की प्रासंगिकता समाप्त होगी और ना ही इससे ‘कोचिंग की संस्कृति’ को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि स्नातक पाठ्यक्रम दाखिला प्रक्रिया में राज्य बोर्ड के छात्रों को नुकसान नहीं होगा.
सीयूईटी का आयोजन कराने की जिम्मेदारी एनटीए की है.
कुमार ने कहा कि सीयूईटी का काम केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले तक ही सीमित नहीं होगा, क्योंकि कई प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालयों ने संकेत दिया है कि वे स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा के अंकों का इस्तेमाल करने के इच्छुक हैं.
उन्होंने कहा, ‘शुरुआत में इस साल सीयूईटी का एक बार आयोजन किया जाएगा, लेकिन एनटीए आगामी सत्र से साल में कम से कम दो बार परीक्षा आयोजित करने पर विचार करेगी. प्रवेश परीक्षा केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयेां तक सीमित नहीं होगी, बल्कि निजी विश्वविद्यालय भी इसका इस्तेमाल करेंगे. कई प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालयों ने संकेत दिया है कि वे भी इससे जुड़ना चाहते हैं और सीयूईटी के जरिए छात्रों का दाखिला करने के इच्छुक हैं.’
कुमार ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए 12वीं कक्षा के अंक नहीं, बल्कि सीयूईटी के अंकों का उपयोग अनिवार्य होगा और केंद्रीय विश्वविद्यालय अपना न्यूनतम पात्रता मापदंड तय कर सकते हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या इस परीक्षा से स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए ‘कोचिंग संस्कृति’ को बढ़ावा मिलेगा, कुमार ने कहा, ‘परीक्षा के लिए किसी कोचिंग की आवश्यकता नहीं होगी, इसलिए इससे कोचिंग संस्कृति को बढ़ावा मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता. परीक्षा पूरी तरह 12वीं के पाठ्यक्रम पर आधारित होगी. कई छात्रों को इस बात की चिंता है कि क्या परीक्षा में 11वीं कक्षा के पाठ्यक्रम के भी सवाल पूछे जाएंगे, तो इसका जवाब है ‘नहीं’.
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