नई दिल्ली: परीक्षा सुधारों पर सरकार द्वारा नियुक्त पैनल ने प्रवेश परीक्षाओं के लिए एक हाइब्रिड मॉडल की सिफारिश की है, जिसमें ऑनलाइन मूल्यांकन और मल्टी-लेवल NEET-UG को प्राथमिकता दी गई है, साथ ही आउटसोर्सिंग परीक्षा केंद्रों की सीमा, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के लिए स्थायी कर्मचारियों की भर्ती और एक मजबूत उम्मीदवार प्रमाणीकरण प्रणाली के कार्यान्वयन का सुझाव दिया है. दिप्रिंट को जानकारी मिली है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन के नेतृत्व में सात सदस्यीय पैनल का गठन इस साल की NEET-UG परीक्षा में हुई गड़बड़ियों के आरोपों के बाद जून में किया गया था. देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा पेपर लीक और धोखाधड़ी के आरोपों से घिरी हुई थी, जिसके कारण काउंसलिंग में लगभग दो महीने की देरी हुई थी.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, परीक्षा प्रक्रिया, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल और NTA की संरचना और कार्यप्रणाली में सुधार का सुझाव देने के लिए पैनल ने हाल ही में मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी है.
प्रवेश परीक्षाओं के लिए हाइब्रिड मोड
अधिकारियों ने बताया,पैनल ने सभी प्रवेश परीक्षाओं में ऑनलाइन परीक्षा की सिफारिश की है और उन क्षेत्रों में “हाइब्रिड मोड” अपनाने का सुझाव दिया है जहां कंप्यूटर-आधारित परीक्षण (सीबीटी) आयोजित करना संभव नहीं है. इसके अलावा, पैनल ने यह भी सिफारिश की है कि जहां भी परीक्षा ऑफलाइन आयोजित की जाती है, वहां प्रश्नपत्र ऑनलाइन मोड में भेजे जाने चाहिए.
वर्तमान में NEET-UG सहित ऑफलाइन मोड में आयोजित होने वाली परीक्षाओं के प्रश्नपत्र बैंकों को भेजे जा रहे हैं और जहां से उन्हें परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाया जाता है.
जुलाई में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (NEET-UG) 2024 के पेपर लीक में शामिल होने के लिए संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार किए गए लोगों में एक सिविल इंजीनियर भी शामिल था, जिसने कथित तौर पर झारखंड के हजारीबाग में एक ट्रंक से प्रश्नपत्र चुराया था.
मल्टी लेवल-NEET-UG
पैनल ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (एडवांस्ड) के समान मल्टी-लेवल NEET-UG परीक्षाएं लागू करने का प्रस्ताव दिया है, जिसके लिए उम्मीदवारों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) और अन्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए पहले JEE (मुख्य) पास करना अनिवार्य है.
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “इस दृष्टिकोण से उम्मीदवारों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि NEET-UG में वर्तमान में हर साल बहुत अधिक संख्या में छात्र शामिल होते हैं; उदाहरण के लिए, इस साल 23.3 लाख छात्र उपस्थित हुए.”
इसके अलावा, पैनल ने JEE (एडवांस्ड) की तरह NEET-UG के लिए अटेम्प्ट की संख्या को दो तक सीमित करने का सुझाव दिया है. वर्तमान में अटेम्प्ट की कोई सीमा नहीं है, जिसके कारण हर साल बड़ी संख्या में मेडिकल उम्मीदवार शामिल होते हैं.
अधिक परीक्षा केंद्र, अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति
पैनल ने NTA को CBT प्रारूप के लिए अपने स्वयं के परीक्षा केंद्र विकसित करने के लिए भी कहा है, ताकि उसे केंद्रों को आउटसोर्स न करना पड़े.
अधिकारियों के अनुसार, मंत्रालय ने 20 सितंबर को विभिन्न राज्यों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों के साथ बैठक की थी और परीक्षण एजेंसी के लिए सीबीटी केंद्र स्थापित करने के लिए उनके उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध स्थानों के बारे में जानकारी भी मांगी थी.
उक्त अधिकारी ने कहा, “इसी तरह, केंद्रीय संस्थानों में भी इसी तरह की कवायद करने के लिए सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और आईआईटी, एनआईटी और अन्य केंद्रीय वित्त पोषित संस्थानों के निदेशकों के साथ बैठक की गई थी.”
इसके अलावा, एनटीए को अधिक स्थायी कर्मचारियों को नियुक्त करने और परीक्षा केंद्रों में प्रवेश से पहले उम्मीदवारों को प्रमाणित करने के लिए जांच की एक फुलप्रूफ प्रणाली लागू करने की सिफारिश की गई थी.
मंत्रालय ने जुलाई में संसद को सूचित किया था कि एजेंसी के पास 170 से अधिक कर्मचारी या तो संविदा पर हैं या आउटसोर्स किए गए हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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