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Saturday, 29 March, 2025
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YouTube फ्री क्लास से टीचर्स अब रुख बदल रहे हैं, लेकिन कोचिंग सेंटर इससे तालमेल नहीं बिठा पा रहे

बड़ी संख्या में टीचर्स ने YouTube को बतौर टीचिंग प्लेटफॉर्म अपनाया है, जिससे शिक्षा में क्रांति आई है, खासकर कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के लिए.

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नई दिल्ली: साल 2009 में दिल्ली निवासी नेहा अग्रवाल एक सटीक रास्ते पर थीं — दिन में स्कूल में मैथ्स पढ़ाना और शाम को बच्चों को कोचिंग में पढ़ाना. यह एक स्टैबल करियर था, जिसके बारे में उन्हें लगता था कि यह उनकी ज़िंदगी बना देगा, लेकिन वक्त ने कुछ और ही सोच रखा था.

2025 में तेज़ी से आगे बढ़ते हुए उनकी क्लास अब चार दीवारी तक सीमित नहीं है. उनकी डेस्क के चारों ओर मुट्ठी भर स्टूडेंट्स की भीड़ के बजाय, देश भर से लाखों लोग उनके लेक्चर को सुनते हैं. मैथमेटिकल कॉन्सेप्ट्स को आसान बनाने वाले उनके YouTube चैनल के लाखों सब्सक्राइबर्स हैं — जो उनकी कल्पना से कहीं ज़्यादा है.

उन्हें न्यूयॉर्क स्थित भारतीय प्रोफेसर अश्वथ दामोदरन से प्रेरणा मिली, जो अपने YouTube चैनल पर फ्री कोचिंग और कंटेंट शेयर करते हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “यह बात मेरे दिमाग में बैठ गई — हम भारतीय संदर्भ में इस मॉडल को क्यों नहीं अपना सकते? इसलिए, मैंने 2017 में अपना चैनल शुरू किया.”

अग्रवाल ने कहा, “हालांकि, पहले पूरे साल मुझे केवल 1,000 सब्सक्राइबर ही मिले. मेरा हर सब्सक्राइबर कड़ी मेहनत और स्टूडेंट्स की मदद करने की इच्छाशक्ति से आया.” उनके पास मैथ्स में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री है. इसके अलावा दिल्ली यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड.) की डिग्री भी है.

उनके चैनल — ‘नेहा अग्रवाल मैथमेटिकली इनक्लाइंड’ — के 1.66 मिलियन सब्सक्राइबर हो गए हैं, जिसे ‘नेहा मैम आर्मी’ के नाम से जाना जाता है, जिसने उन्हें ऑनलाइन लर्निंग स्पेस में एक प्रमुख टीचर बना दिया है.

इसी तरह, 50-वर्षीय रानी सिंह, जो कभी दिल्ली के कोचिंग हब मुखर्जी नगर में एक छोटे से कमरे में बैठकर कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को अंग्रेज़ी पढ़ाती थीं, उन्होंने 2018 में एक YouTube चैनल लॉन्च करके अपनी पहुंच को बढ़ाया. उनका टारगेट वंचित पृष्ठभूमि के स्टूडेंट्स की मदद करना था, जो क्लास की फीस का खर्च नहीं उठा सकते थे.

उनके चैनल — ‘इंग्लिश विद रानी मैम’ के अब 2.68 मिलियन सब्सक्राइबर हैं और यह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), बैंक, कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए क्लास देता है. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अंग्रेज़ी में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री के साथ-साथ बी.एड. की डिग्री भी पूरी की है.

सिंह ने दिप्रिंट से कहा, “मुझे अपने फ्री YouTube क्लास के लिए स्टूडेंट्स से बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली. इसने मुझे 2019 से खुद को पूरी तरह से इसके लिए समर्पित करने के लिए प्रोत्साहित किया. कोविड-19 महामारी के बाद, मैंने ऑफलाइन क्लास बंद कर दीं और पूरी तरह से ऑनलाइन हो गई. मैं ऑनलाइन क्लास के पैसे लेती हूं, लेकिन YouTube पर फ्री कंटेंट भी शेयर करती हूं.”

अग्रवाल और सिंह की तरह बड़ी संख्या में टीचर्स ने पारंपरिक लर्निंग के तरीकों को बदलते हुए, YouTube को टीचिंग प्लेटफॉर्म के रूप में अपनाया है, जबकि अग्रवाल जैसे कुछ लोग पूरी तरह से फ्री क्लास देते हैं, ज़्यादातर अपनी कोशिश जारी रखने के लिए पेड या ऑफलाइन क्लास से बैलेंस बनाते हैं.

ऑनलाइन कोचिंग के उदय ने शिक्षा में क्रांति ला दी है, खासकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के लिए. यह खास पेशकश तेज़ी से फैल गई, जिसने ऑफलाइन इंस्टीट्यूट्स को बाधित कर दिया. इनमें से कई संस्थान हाल के वर्षों में या तो बंद हो गए हैं या उनका ऑपरेशन घट गया है. COVID-19 महामारी ने इस बदलाव को तेज़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे ऑनलाइन पढ़ाई आज के वक्त में ज़रूरी बन गई है.

इस साल जनवरी में, कोचिंग इंडस्ट्री के एक प्रमुख प्लेयर FIIT-JEE ने दिल्ली-एनसीआर में अपनी कई ब्रांच बंद कर दीं. फाइनेंशियल दिक्कतों से परे, इंस्टीट्यूट को ऑनलाइन एजुकेशन की ओर तेज़ी से हो रहे बदलाव के साथ तालमेल बिठाने में संघर्ष करना पड़ा.

ऑनलाइन कोचिंग कई तरह के फायदे देती है, जैसे टाइम की फ्लेक्सिबिलिटी, अपनी स्पीड से सीखने की क्षमता और कहीं से भी क्लास लेने की सुविधा. रिकॉर्डेड सेशन, किफायतीपन और इंटरैक्टिव सुविधाएं भी ऑनलाइन लर्निंग को मज़ेदार बनाती हैं.

कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष केशव अग्रवाल ऑफलाइन कोचिंग इंडस्ट्री पर पड़ने वाले महत्वपूर्ण प्रभाव को देखते हैं. “क्वालिटी कंटेंट और ऑनलाइन एक्सपर्ट्स टीचर्स तक आसानी से मुफ्त पहुंच के साथ, कई स्टूडेंट्स अब अपनी स्पीड से सीखना पसंद करते हैं, जिससे ऑफलाइन एडमिशन में कमी आई है.”

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “पारंपरिक कोचिंग सेंटर को मार्केट में बने रहने के लिए फीस कम करने, टीचिंग मैथड अपग्रेड करने और डिजिटल रणनीति अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.”

एजुकेटर्स का मानना ​​है कि पिछले साल भारत के कोचिंग हब कोटा में स्टूडेंट्स के एडमिशन में उल्लेखनीय गिरावट के लिए फ्री ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल की उपलब्धता भी जिम्मेदार है.

कोटा में एलन कोचिंग के एक फैकल्टी मेंबर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “एडमिशन में कमी का मुख्य कारण यह है कि कई स्टूडेंट्स जो एक साल का गैप ले रहे हैं, अब पारंपरिक कोचिंग के बजाय ऑनलाइन लर्निंग पसंद करते हैं. अपनी क्लास 11 और 12 के कोर्स को पूरा करने के बाद, वह ऑनलाइन रिसोर्स को रिवीज़न और अपनी समझ को गहरा करने के लिए अधिक प्रभावी पाते हैं. आज, क्वालिटी ऑनलाइन कंटेंट असीमित है.”


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कोर मिशन: हर स्टूडेंट की मदद करना

कई YouTube टीचर्स का मिशन क्लियर है — हर एक स्टूडेंट तक पहुंचना.

मोहित त्यागी ने भी इसी संकल्प से यात्रा शुरू की. मूल रूप से एटा, उत्तर प्रदेश के रहने वाले त्यागी ने 2001 में IIT दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करके अपना सपना पूरा किया.

बीटेक पूरा करने के बाद अपनी मनचाही नौकरी का इंतज़ार करते हुए, त्यागी ने दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में पार्ट-टाइम पढ़ाना शुरू किया, जहां उन्हें शिक्षा के प्रति अपने सच्चे जुनून का पता चला.

2002 में त्यागी कोटा चले गए, जहां उन्होंने 2013 तक किसी कोचिंग इंस्टीट्यूट में काम किया. इस दौरान, उन्होंने वंचित पृष्ठभूमि के स्टूडेंट्स को एक्स्ट्रा क्लास दीं.

अपनी पहुंच को और बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित, मोहित ने आधिकारिक तौर पर 2014 में अपना YouTube चैनल लॉन्च किया. उन्होंने कहा, “मैंने अपना सारा ज्ञान YouTube पर शेयर किया — बिना किसी रोक-टोक के. लोग कहते थे, ‘अगर आप सब कुछ फ्री में ऑनलाइन दे देंगे तो स्टूडेंट्स क्लास के लिए पैसे क्यों देंगे?’ लेकिन मैं ज़्यादा से ज़्यादा छात्रों की मदद करना चाहता था.”

आज, उनके नाम से YouTube चैनल के 2 मिलियन से ज़्यादा सब्सक्राइबर हैं.

सकारात्मक प्रतिक्रिया और छात्रों की बढ़ती संख्या के बाद, 2019 में मोहित और साथी टीचर्स ने ‘कॉम्पीटिशन’ लॉन्च किया — एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जो फ्री और पेड दोनों तरह की आईआईटी की तैयारी वाला कंटेंट उपलब्ध कराता है.

जयपुर में रहने वाले त्यागी ने कहा, “पेड कोर्स प्रैक्टिस, डाउट क्लियर और रिवीज़न पर फोकस करते हैं. कंटेंट के लिहाज़ से हमारा पेड और फ्री कंटेंट लगभग एक जैसा है.”

इस बीच, नेहा अग्रवाल दिल्ली यूनिवर्सिटी में अपने दिनों से ही हाशिए के समुदायों को फ्री एजुकेशन प्रदान करने के लिए समर्पित थीं.

उन्होंने कहा, “मैंने कई हाई फीस वाले ऑफर ठुकरा दिए क्योंकि मेरा टारगेट सभी के लिए क्वालिटी एजुकेशन को उपलब्ध कराना है. एक गलत धारणा है कि मैथ्स हर किसी के लिए नहीं है, लेकिन मैं अपने YouTube सेशन को मज़ेदार और इंटरैक्टिव बनाने की कोशिश करती हूं.”

नेहा ने कहा, “पिछले 8-9 साल में मैंने कोई स्पॉन्सरशिप स्वीकार नहीं की है. मैं पढ़ाने के लिए इंस्टीट्यूट्स के साथ साझेदारी करके या टीचर्स को ट्रेन करने के लिए प्रोजेक्ट लेकर फ्री एजुकेशन प्रदान करने के अपने मिशन पर फोकस हूं.”

अपनी टीचिंग को बढ़ाने के लिए रानी सिंह ने भी यही किया. उन्होंने कहा, “शुरू में मुझे एहसास हुआ कि मैं एक छोटे से कमरे में पढ़ाकर जितने स्टूडेंट्स तक पहुंचना चाहती थी, उतनी नहीं पहुंच पाऊंगी. अब देश के सबसे दूरदराज के इलाकों और यहां तक ​​कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के स्टूडेंट्स भी मेरे वीडियो फ्री में देखते हैं.”

महामारी ने इसे कैसे बढ़ाया

गाजियाबाद के फिजिक्स टीचर अनुराग त्यागी की कहानी इस बात की तसदीक देती है कि कैसे कोविड-19 महामारी ने भारत के कोचिंग लैंडस्कैप को नया रूप दिया.

महामारी से पहले, अनुराग त्यागी गाजियाबाद में क्लास चलाते थे, लेकिन महामारी के कारण आए आर्थिक संकट ने उन्हें बुरी तरह प्रभावित किया. उन्होंने कहा, “स्टूडेंट्स ने आना बंद कर दिया और मुझे अपने कर्मचारियों को सैलरी देने में मुश्किल हुई. कई स्टूडेंट्स ने फ्री क्लास का अनुरोध किया क्योंकि महामारी के दौरान उनके परिवारों की इनकम या, दुखद रूप से, प्रियजनों की इनकम नहीं रही.”

2021 में उन्होंने YouTube का रुख किया और अपना चैनल ‘फिजिक्स हेडक्वार्टर’ लॉन्च किया. आज, वह लगभग 600,000 स्टूडेंट्स को फ्री में पढ़ाते हैं और पूरे JEE (Main) सिलेबस को कवर करते हुए हफ्ते में तीन बार लाइव होते हैं. वह ज़ूम से पेड ऑनलाइन क्लास भी देते हैं.

अनुराग त्यागी ने बताया, “स्टूडेंट्स के संघर्ष ने मुझे एहसास दिलाया कि मार्गदर्शन की ज़रूरत है. मैंने महामारी के बाद भी फ्री कंटेंट शेयर करना जारी रखने का फैसला किया.”

उनके चैनल पर अब 3.4 लाख सब्सक्राइबर हैं.

नेहा अग्रवाल ने महामारी के बाद YouTube पर टीचर्स की बढ़ती संख्या पर ध्यान दिया. उन्होंने इस बदलाव का श्रेय ज़रूरत और अवसर को दिया: “सब कुछ ऑनलाइन हो गया, और लोगों को एहसास हुआ कि वह पैसे बचा सकते हैं और अपना दायरा बढ़ा सकते हैं. ऑनलाइन क्लास के लिए आपको किसी इमारत की नहीं बल्कि कैमरा और डिवाइस की ज़रूरत है.”

इसी तरह, मोहित त्यागी ने महामारी के बाद सब्सक्राइबर की संख्या में भारी वृद्धि देखी, लेकिन वह क्वालिटी के प्रति प्रतिबद्ध रहे.

उन्होंने जोर देकर कहा, “हमने सब्सक्राइबर बढ़ाने के लिए अपनी कंटेंट से समझौता नहीं किया. हमें सीरियस बच्चे चाहिए. हम कनेक्शन बढ़ाकर लाइक या सब्सक्रिप्शन का पीछा नहीं कर रहे हैं.”

ये टीचर्स YouTube व्यू और सब्सक्रिप्शन से अपनी इनकम बढ़ाने के लिए कई तरह की रणनीतियां अपनाते हैं. उदाहरण के लिए, सिंह, मोहित त्यागी और अनुराग त्यागी पेड ऑनलाइन क्लास देते हैं, वह बताते हैं कि वह पारंपरिक कोचिंग फीस से बहुत कम फीस लेते हैं.

इस बीच, अग्रवाल गेस्ट लेक्चर देने के लिए इंस्टीट्यूट के साथ कोलैबोरेट करते हैं और फैकल्टी ट्रेनिंग के लिए प्रोजेक्ट भी लेते हैं.

कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के केशव अग्रवाल ने इस बदलाव पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, “ऑनलाइन टीचिंग प्लेटफॉर्म के तौर पर YouTube के उदय ने भौगोलिक बाधाओं को तोड़कर कोचिंग इंडस्ट्री को बदल दिया है. गुणवत्तापूर्ण एजुकेशन लाखों लोगों के लिए सुलभ और सस्ती हो गई है. पारंपरिक कोचिंग सेंटर अब इनोवेशन कर रहे हैं, डिजिटल तरीकों को अपना रहे हैं और सिर्फ भौतिक बुनियादी ढांचे के बजाय मूल्य-संचालित कंटेंट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.”


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संवादात्मक और सुलभ

YouTube टीचर्स ने लाइव सेशन और रियस टाइम की बातचीत की पेशकश करके सीखने के लैंडस्कैप को बदल दिया है, जो खुद को पारंपरिक टीचिंग मैथ्डस से अलग करता है.

उदाहरण के लिए रानी सिंह हर रोज़ डेढ़ घंटे, सुबह 11:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक, लाइव YouTube क्लास के लिए समर्पित करती हैं, जिसमें सभी के लिए पहुंच के साथ ग्रामर और वोकेबुलरी सब्जेक्ट्स को शामिल किया जाता है.

सिंह अपने सेशन में बातचीत के महत्व पर जोर देती हैं, “मैं स्टूडेंट्स के कॉमेंट पढ़ती हूं और जवाब देती हूं क्योंकि मैं नहीं चाहती कि वह ऊब जाएं. जब स्टूडेंट्स मुझसे कहते हैं, ‘मैम, ऐसा लगता है कि आप हमारे सामने पढ़ा रहे हैं’, तो मुझे पता है कि मैंने अपना काम कर दिया है.”

मोहित त्यागी के YouTube चैनल पर, स्टूडेंट्स कभी भी फ्री में ‘A टू Z’ IIT की तैयारी के कोर्स तक पहुंच सकते हैं. इसी तरह, अनुराग त्यागी का चैनल कुल 12 घंटे के सिलेबस के साथ फिजिकल कोर्स देता है, जो सभी छात्रों के लिए फ्री में भी उपलब्ध है.

मोहित ने कहा, “पहले, ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों के पास कोई बेंचमार्क नहीं था और वह केवल लोकल टीचर्स के तरीकों पर निर्भर थे, लेकिन अब सब बदल गया है. उनके पास कई YouTube चैनल हैं, जिससे वह कंटेंट और टीचिंग स्टाइल की तुलना कर सकते हैं.”

16-वर्षीय JEE (मेन) के उम्मीदवार सुयांश कुमार ने कहा, “ऑफलाइन क्लास में आप अटक जाने पर रुक नहीं सकते, लेकिन ऑनलाइन ट्यूटोरियल मुझे अपनी स्पीड से सीखने की अनुमति देते हैं. मैं रुक सकता हूं, रिवाइंड कर सकता हूं या फास्ट फॉरवर्ड कर सकता हूं. यह बहुत इज़ी है.”

परीक्षा की तैयारी पर फोकस करने के लिए एक साल का गैप लेने वाले स्टूडेंट्स के लिए, YouTube एक अच्छा सोर्स है. मेरठ की 17- वर्षीय आयुषी शर्मा ने दिप्रिंट को अपने अनुभव के बारे में बताया: “एक साल तक रेगुलर कोचिंग करने और पिछले साल जेईई में असंतोषजनक रैंक पाने के बाद, मैंने अपने गैप ईयर के दौरान सेल्फ-स्टडी को चुना. मैंने ‘फिजिक्सवाला’ जैसे फ्री ऑनलाइन चैनल फॉलो करना शुरू किया और इस साल परीक्षा पास करने को लेकर आश्वस्त महसूस कर रही हूं.”

यह मीडियम अलग-अलग चैनलों के बेहतरीन टीचर्स से सीखने की आज़ादी भी देता है. लखनऊ के यूपीएससी उम्मीदवार आशीष वर्मा ने दिप्रिंट को बताया, “मुझे सिर्फ एक सोर्स से चिपके रहने की ज़रूरत नहीं है — मैं अपने लिए सबसे अच्छा कोर्स चुन सकती हूं, टफ सब्जेक्टस को दोबारा पढ़ सकती हूं और अपनी स्पीड से लर्न कर सकती हूं. यह पढ़ाई करने का सबसे अच्छा तरीका है.”

सभी YouTube टीचर्स कोचिंग नहीं चलाते, कुछ स्टूडेट्स का मार्गदर्शन करने और उनकी तैयारी की रणनीति बनाने में उनकी मदद करते हैं.

शिविन चौधरी YouTube चैनल ‘क्लैरिटी फॉर यूपीएससी बाय डॉ. शिविन’ चलाते हैं | यूट्यूब
शिविन चौधरी YouTube चैनल ‘क्लैरिटी फॉर यूपीएससी बाय डॉ. शिविन’ चलाते हैं | यूट्यूब

शिविन चौधरी, जो पूर्व आईआरएस अधिकारी हैं और मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस ग्रेजुएट हैं, 3.9 लाख सब्सक्राइबर के साथ YouTube चैनल ‘क्लैरिटी फॉर यूपीएससी बाय डॉ. शिविन’ चलाते हैं. उन्होंने 2022 में अपने दूसरे अटेम्प्ट में यूपीएससी पास किया.

उन्होंने यूपीएससी एस्पिरेंट्स के लिए एक ऑनलाइन मेंटरशिप प्लेटफॉर्म ‘सारथी आईएएस’ की सह-स्थापना की, जहां वह पेड क्लास और कंटेंट शेयर करते हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “गाइडेंस हमेशा फ्री होनी चाहिए. अगर कोई सेल्फ स्टडी करना चाहता है, तो उसे मदद मिलनी चाहिए. जब ​​मैंने तैयारी की थी, तो मेरे पास वह नहीं था, जिसकी वजह से मुझे अपने पहले अटेम्प्ट में नुकसान उठाना पड़ा. मैं दूसरों की वह मदद करना चाहता हूं.”

‘एजुकेटर्स, इनफ्लुएंसर्स नहीं’

हालांकि, कोचिंग सेंटर्स के टीचर्स ने ऑनलाइन “इनफ्लुएंसर-टीचर्स” की विश्वसनीयता के बारे में चिंता जताई है.

कोटा में एलन सेंटर के एक सीनियर फैकल्टी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “अनेक YouTube चैनल हैं जहां स्वयंभू शिक्षक भ्रामक वादे करते हैं, जैसे प्रश्नपत्र लीक करना या परीक्षा में आने वाले प्रश्नों को जारी करने का दावा करना. ये तथाकथित शिक्षक छात्रों के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि वह गलत जानकारी फैलाते हैं और छात्रों की शैक्षणिक अखंडता को खतरे में डालते हैं.”

ऑफलाइन कोचिंग सेंटर्स का तर्क है कि ऑनलाइन एजुकेशन अक्सर “एकतरफा संवाद” की तरह लगती है, जो छात्रों के बीच वास्तविक प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने में विफल रहती है.

दिल्ली में आकाश इंस्टीट्यूट के एक सेंटर के एक सीनियर टीचर ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “ऑनलाइन सेटिंग में टीचर्स स्टूडेंट्स की प्रोग्रेस की निगरानी उस तरह नहीं कर सकते, जिस तरह वह ऑफलाइन क्लास में कर सकते हैं. नतीजतन, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म औसत से नीचे के छात्रों को आकर्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जो अभी भी ऑफलाइन कोचिंग को अपनी पहली पसंद मानते हैं, जबकि YouTube मुख्य रूप से एक पूरक संसाधन के रूप में काम कर रहा है.”

लेकिन ये YouTube शिक्षक खुद को इनफ्लुएंसर्स से अलग करने के लिए उत्सुक हैं, मनोरंजन या पर्सनल ब्रांडिंग से ज़्यादा टीचिंग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं.

नेहा अग्रवाल इस अंतर पर दृढ़ हैं.

उन्होंने कहा, “मैं इन्फ्लुएंसर नहीं कहलाना चाहती. मैं एक टीचर हूं और बस इतना ही. मेरा मिशन अच्छी शिक्षा को सभी के लिए आसान बनाना है, न कि लाइक या फॉलोअर्स का पीछा करना.”

रानी सिंह का भी ऐसा ही संकल्प है, अपने काम की ईमानदारी पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “मैं YouTuber नहीं हूं; मैं YouTube को एक प्लेटफॉर्म की तरह इस्तेमाल करने वाली एक टीचर हूं. मेरे सभी सब्सक्राइबर ऑर्गेनिक हैं. अगर मुझे ज़्यादा सब्सक्राइबर चाहिए होते, तो मैं सनसनीखेज कंटेंट डाल सकती थी, या कंटेंट को आसान बना सकती थी, लेकिन यह मेरा तरीका नहीं है. मुझे क्वालिटी एजुकेशन देनी है, नंबर्स नहीं.”

मोहित त्यागी ऑनलाइन एजुकेशन की दिशा के बारे में गंभीर चिंता जताई. उन्होंने चेतावनी दी, “अयोग्य टीचर्स और इन्फ्लुएंसर्स की बढ़ती संख्या चिंताजनक है. कई लोग बिना किसी टीचिंग एक्सपीरियंस या साख के टॉप लेवल की एजुकेशन देने का दावा करते हैं. यह अनियंत्रित वातावरण छात्रों को गुमराह करता है और असल शिक्षकों को कमज़ोर करता है. यहीं पर शिक्षकों को एक सीमा तय करने की ज़रूरत है.”

ऑनलाइन टीचर्स ने मनोरंजन प्रभावितों की तुलना में वित्तीय असमानताओं को भी उजागर किया. अनुराग त्यागी ने कहा, “मनोरंजन प्रभावितों के विपरीत, हम उतने सब्सक्रिप्शन नहीं कमाते हैं, न ही हमें उतने पैसे मिलते हैं. यह टीचिंग के प्रति जुनून है जो हमें आगे बढ़ाता है, न कि वित्तीय पुरस्कार”.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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