scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमएजुकेशनसुप्रीम कोर्ट ने रद्द की NLSIU बेंगलुरू की प्रवेश परीक्षा, CLAT 2020 के तहत मिलेगा दाखिला

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की NLSIU बेंगलुरू की प्रवेश परीक्षा, CLAT 2020 के तहत मिलेगा दाखिला

भारत के 22 एनएलयू में कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) के नेशनल एक्ज़ाम के जरिए प्रवेश मिलता है. बेंगलुरू का नेशनल लॉ स्कूल आफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) इनमें से एक है.

Text Size:

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू), बेंगलुरू द्वारा अपनी प्रवेश परीक्षा कराने से जुड़ा नोटिफिकेशन रद्द कर दिया. नेशनल लॉ एप्टीट्यूड टेस्ट-2020 नाम की इस परीक्षा का आयोजन 12 सितम्बर को हुआ था. शीर्ष अदालत ने एनएलएटी-2020 प्रवेश परीक्षा रद्द करते हुए यह भी निर्देश दिया कि सभी 22 राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों (एनएलयू) में प्रवेश सीएलएटी-2020 के तहत हो, जिसका आयोजन 28 सितम्बर को होना है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू), बेंगलुरू के पूर्व कुलपति और एक अभ्यर्थी के अभिभावक प्रोफेसर आर वेंकट राव की ओर से दायर उस याचिका पर दिया, जिसमें उन्होंने एनएलएटी-2020 को चुनौती दी थी. बेंच में न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह भी शामिल थे. बेंच ने कहा कि एनएलयू को अपना शैक्षणिक सत्र अक्टूबर के मध्य तक शुरू करना चाहिए.

भारत के 22 एनएलयू में कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) के नेशनल एक्ज़ाम के जरिए प्रवेश मिलता है. बेंगलुरू का नेशनल लॉ स्कूल आफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) इनमें से एक है. पिछले 17 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने एनएलएटी-2020 अधिसूचना रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिका में पांच साल के बीए, एलएलबी (ऑनर्स) पाठ्यक्रम 2020-21 में प्रवेश के लिये जारी चार सितंबर की अधिसूचना रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

न्यायालय ने 11 सितंबर को इस मामले की सुनवाई करते हुये एनएलएसआईयू, बेंगलुरू को 12 सितंबर को अलग से प्रवेश परीक्षा के आयोजन की अनुमति प्रदान कर दी थी लेकिन उसे इस याचिका के लंबित होने के दौरान परीक्षा के नतीजे घोषित करने और किसी भी छात्र को प्रवेश देने से रोक दिया था. बेंच ने कहा था कि यह महत्वपूर्ण मामला है जिस पर फैसले की जरूरत है. साथ ही बेंच ने एनएलएसआईयू और इसके कुलपति प्रो सुधीर कृष्णास्वामी को नोटिस जारी करके उनसे जवाब मांगा था.

याचिका में इस विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा अलग से कराने को पूरी तरह ‘मनमाना और गैरकानूनी’ बताया गया था. याचिका में दावा किया गया था कि एनएलएसयूआई की इस कार्रवाई ने एक अप्रत्याशित अनिश्चितता पैदा कर दी है और छात्रों पर भी अनावश्यक बोझ डाल दिया है, जो अब भावी कार्यक्रम को लेकर अनिश्चय की स्थिति में हैं. अधिसूचना में कहा गया था कि एनएलएसआईयू शैक्षणिक साल 2020-2021 में प्रवेश के लिए सीएलएटी-2020 के स्कोर स्वीकार नहीं करेगा और एनएलएटी परीक्षा ऑनलाइन आयोजित की जाएगी.


यह भी पढ़ें: मोदी के मंत्री क्यों महाभारत के युधिष्ठिर की तरह बोलते नजर आ रहे हैं


 

share & View comments