नई दिल्ली: हिंदू धर्मग्रंथ व महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्य, भारतीय संतों की शिक्षाएं और एक धर्म व एक जीवन पद्धति के रूप में हिंदू धर्म का इतिहास. ये सब वे टॉपिक्स हैं जिन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी में अगले साल के पाठ्यक्रम में पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टरेट के स्तरों पर पढ़ाया जाएगा.
फैसला लेने वाली दिल्ली यूनिवर्सिटी की टॉप बॉडी, डीयू एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने ‘डिपार्टमेंट ऑफ हिंदू स्टडीज़’ ने पिछले शुक्रवार को स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के बाद अब इस तरह के पाठ्यक्रम वाला डीयू दूसरा केंद्रीय विश्वविद्यालय होगा.
हिंदू धर्म के इतिहास का अध्ययन करने के लिए एक अलग सेंटर पर विचार करने के लिए डीयू द्वारा 17 सदस्यीय समिति गठित करने के महीनों बाद यह निर्णय आया है.
विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि विभाग के बारे में और अन्य विवरण जैसे कितनी सीटों होंगी इत्यादि व पाठ्यक्रम की बारीकियों पर अभी भी काम किया जा रहा है.
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि लेकिन केवल हिंदू धर्म और इसकी बारीकियां ही नहीं सिखाई जाएंगी बल्कि पाठ्यक्रम तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि इसे “समकालीन जॉब स्किल्स” से भी जोड़ा जाए. इसका मतलब यह है कि “व्यावसायिक और कौशल-आधारित” विषय भी छात्रों को पढ़ाए जाएंगे. हालांकि, यह “छोटे विषयों” के रूप में होगे.
डीयू में डीन (अकादमिक गतिविधियां और परियोजनाएं) के. रत्नाबली के अनुसार, यह विचार न केवल “यह सुनिश्चित करने के लिए था कि हमारे छात्रों को हिंदू संस्कृति का ज्ञान हो, बल्कि वे वर्तमान के अनुसार नौकरी पाने के लिए भी तैयार हों”.
डीयू के हिंदू अध्ययन विभाग की संस्था ऐसे समय में अस्तित्व में आई है जब मोदी सरकार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और अन्य पहलों के जरिए व्यापक शिक्षा सुधारो करके एजुकेशन को Decolonise या “गैर-औपनिवेशिक बनाने” पर जोर दे रही है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार, एनईपी 2020 “हमारी भाषाओं, संस्कृति और ज्ञान में गर्व” की भावना पैदा करने में मदद करेगा.
दो साल पहले, भारत के उच्च शिक्षा नियामक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सबसे पहले हिंदू अध्ययन में स्नातकोत्तर डिग्री के लिए एक व्यापक पाठ्यक्रम जारी किया था.
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डीयू का पाठ्यक्रम
अधिकारियों के अनुसार, पाठ्यक्रम में वाल्मीकि द्वारा लिखित पारंपरिक पाठ सहित रामायण के अन्य संस्करण, महाभारत और इसमें महिलाओं की भूमिका, प्राचीन भारतीय साहित्य और भूगोल, ‘हिंदू’ शब्द का अर्थ और निहितार्थ व भारतीय साधुओं या संतों के विचार जैसे टॉपिक शामिल किए जाने की संभावना है.
इस बीच, विश्वविद्यालय उन छोटे विषयों को भी अंतिम रूप दे रहा है जिन्हें छात्रों को “रोजगार योग्य” बनाने के लिए लेना होगा. अधिकारियों ने कहा कि इसके लिए जिन विषयों पर विचार किया जा रहा है उनमें मैनेजमेंट स्टडीज़, कंप्यूटर साइंस, कंटेंट राइटिंग और वेब डिजाइनिंग शामिल हैं.
रत्नाबली ने दिप्रिंट को बताया, “हमने छोटे विषयों का एक पूल बनाने का फैसला किया है जो व्यावसायिक और कौशल-आधारित प्रकृति का होगा. कुल क्रेडिट में से चौबीस इन छोटे विषयों को दिए जाएंगे,”.
BHU, राज्य विश्वविद्यालय – और कहां-कहां है यह पाठ्यक्रम
यूजीसी के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2022 में 211 छात्र हिंदू अध्ययन परीक्षा में शामिल हुए थे और 159 ने इस महीने की शुरुआत में परीक्षा दी थी.
पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर हिंदू स्टडीज़ शुरू करने वाला पहला केंद्रीय विश्वविद्यालय बीएचयू था. दो वर्षीय पाठ्यक्रम, एमए हिंदू स्टडीज़, पहली बार 2021 में शुरू किया गया था और अब इस डिग्री पाने वाले छात्रों का पहला बैच आने वाला है.
बीएचयू के भारत अध्ययन केंद्र के समन्वयक सदाशिव कुमार द्विवेदी ने दिप्रिंट को बताया कि पाठ्यक्रम में वर्तमान में 80 छात्र हैं.
उन्होंने कहा कि एमए द्वितीय वर्ष के चार छात्र पहले ही नेट (शिक्षण पदों के लिए यूजीसी की योग्यता परीक्षा) पास कर चुके हैं, सभी छह जूनियर रिसर्च फेलो बनने वाले हैं.
उन्होंने कहा, “हिंदू संस्कृति एक मात्र ऐसी संस्कृति है जिसमें सिर्फ एक ही व्यक्ति धार्मिक उपदेश नहीं देता है, बल्कि इसमें विचारकों या साधुओं का एक समूह, समाज और प्रकृति के साथ चिंतन और ज्ञानार्जन करते हैं और फिर अपने आश्रम में वापस आकर अपने शिष्यों के साथ विचार-विमर्श करते हैं.”
उन्होंने कहा, ‘समय के साथ, इन प्राचीन शिक्षाओं का सार तत्व “कमजोर होता गया और ट्रांसलेशन में कहीं गुम हो गया. अब इस पाठ्यक्रम के जरिए हम अपने युवाओं को अपनी परंपराओं से फिर से परिचित करा रहे हैं”.
कम से कम चार राज्य विश्वविद्यालय भी डिग्री या अंशकालिक विषय के रूप में इस पाठ्यक्रम को पढ़ा रहे हैं. जबकि दो केंद्रीय विश्वविद्यालय केवल स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट पाठ्यक्रमों की पेशकश कर रहे है., बड़ौदा में महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी (MSU) जैसे विश्वविद्यालयों ने अपने स्नातक छात्रों के लिए भी इस तरह का पाठ्यक्रम तैयार करने का फैसला किया है.
एमएसयू में पाठ्यक्रम समन्वयक दिलीप कटारिया ने कहा कि विश्वविद्यालय स्नातक स्तर पर एक प्रारंभिक पाठ्यक्रम प्रदान करता है. उनके अनुसार, पाठ्यक्रम में न केवल मास्टर स्तर पर पढ़ाए जाने वाली मूल बातें शामिल हैं, बल्कि इसमें कला और वास्तुकला जैसे विषयों पर अतिरिक्त पेपर भी शामिल हैं.
“हम केवल इतिहास और संस्कृति के बारे में पाठ्यक्रम नहीं बनाना चाहते हैं. हम इसमें अन्य चीजों को भी शामिल करना चाहते हैं, यही कारण है कि स्नातक पाठ्यक्रम के लिए हमने इसमें इस तरह के पेपर्स को शामिल किया है ताकि इसे ज्यादा दार्शनिक बनाया जा सके.
विश्वविद्यालय के पास वर्तमान में स्नातक स्तर पर 60 सीटें हैं, जिनमें से 24 भरी हुई हैं. यहां पर पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स भी है.
कटारिया का कहना है कि ग्रेजुएट स्तर पर कम एनरोलमेंट होने के कारण 2022 में विभाग की स्थापना में देरी हुई.
इन सबके बीच, गुजरात टेक्निकल यूनिवर्सिटी हिंदू स्टडीज़ को एक वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाता है जबकि साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी में यह पार्ट-टाइम कोर्स के रूप में है.
इस तरह के कोर्स करने वाला एक और राज्य विश्वविद्यालय, मुंबई यूनिवर्सिटी है. 2022 से, विश्वविद्यालय हिंदू अभ्यास केंद्र के तहत इस विषय में मास्टर डिग्री प्रदान कर रहा है.
दो साल के इस कोर्स के लिए 60 सीटें हैं. अपने मास्टर और पीएचडी कार्यक्रमों के अलावा, केंद्र संबद्ध प्रमाणपत्र और डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है.
एक अधिकारी ने कहा, विश्वविद्यालय के अनुसार पाठ्यक्रम कॉरपोरेट्स के लिए फायदेमंद होगा और कंपनियों को “अपने कर्मचारियों के बीच प्रतिबद्धता, समर्पण और मनोबल बढ़ाने” में मदद करेगा.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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