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Monday, 23 December, 2024
होमएजुकेशन2020-21 में J&K से रिकॉर्ड 480 छात्राओं और पूर्वोत्तर में 504 को टेक्निकल एजुकेशन स्कॉलरशिप मिली

2020-21 में J&K से रिकॉर्ड 480 छात्राओं और पूर्वोत्तर में 504 को टेक्निकल एजुकेशन स्कॉलरशिप मिली

एआईसीटीई की तरफ से मेरिट से इतर इन क्षेत्रों की सभी गरीब छात्राओं को छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिए जाने के बाद 2019-18 की तुलना में 2020-21 में जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में स्कॉलरशिप हासिल करने वालों की काफी संख्या बढ़ी है.

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नई दिल्ली: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की तरफ से वर्ष 2020-21 के लिए जम्मू-कश्मीर की 500 छात्राओं और करीब इतनी ही संख्या में पूर्वोत्तर राज्यों की छात्राओं को स्कॉलरशिप ‘प्रगति’ प्रदान की गई है.

‘प्रगति’ तकनीकी शिक्षा से जुड़ी एक स्कॉलरशिप है जो इंजीनियरिंग और प्रबंधन या इसी तरह के अन्य पाठ्यक्रमों में शामिल होने वाली छात्राओं को दी जाती है और इसे डिप्लोमा और डिग्री दोनों ही स्तर के पाठ्यक्रमों के लिए दिया जाता है.

2019-20 की तुलना में 2020-21 में स्कॉलरशिप पाने वाली छात्राओं की संख्या में काफी उछाल आया है, जब जम्मू-कश्मीर में आंकड़ा शून्य रहा था और पूर्वोत्तर राज्यों में से केवल आठ छात्राएं ही इसे हासिल कर पाई थीं. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, इसी तरह का ट्रेंड 2018-19 में भी नजर आया था.

अधिकारियों के मुताबिक, छात्रवृत्ति पाने वालों की संख्या में वृद्धि विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों की छात्राओं के बीच तकनीकी शिक्षा में बढ़ती रुचि का संकेत है.

एआईसीटीई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने जम्मू-कश्मीर के पुंछ, गंदरबल, डोडा, किश्तवाड़ और त्रिपुरा और नगालैंड के कुछ पिछड़े इलाकों जैसे कुछ सबसे दूरदराज के क्षेत्रों क्षेत्रों की छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान की है. इससे पता चलता है कि लड़कियों में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने की रुचि है और अगर उन्हें वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाए तो वे इसके लिए निश्चित तौर पर आगे आएंगी.’

यह आंकड़ा बढ़ने के लिए स्कॉलरशिप की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ नीतिगत बदलावों को भी एक वजह माना जा सकता है.

2019-20 के शैक्षणिक सत्र तक परिषद की तरफ से 4,000 स्कॉलरशिप दी जाती थीं, लेकिन 2020 से यह संख्या बढ़ाकर 10,000 कर दी गई.

इसके अलावा, पिछले साल तक स्कॉलरशिप मेरिट के आधार पर दी जाती थी. हालांकि, 2020 में एआईसीटीई ने फैसला किया कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों- जैसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अंडमान और निकोबार, दमन और दीव और पूर्वोत्तर राज्यों की सभी गरीब छात्राओं के आवेदन मेरिट से इतर स्वीकारे जाएंगे.

अधिकारियों ने कहा- योजना के विस्तार के लिए छात्रवृत्ति बढ़ाई

एआईसीटीई के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की 110 लड़कियों को डिग्री स्तर के पाठ्यक्रमों के लिए स्कॉलरशिप मिली, जबकि 370 ने डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रमों के लिए स्कॉलरशिप हासिल की. पूर्वोत्तर में डिग्री स्तर पर कुल 253 और डिप्लोमा स्तर पर 251 छात्राओं को स्कॉलरशिप दी गई है. इनमें से अधिकांश छात्राएं असम की रहने वाली हैं.

अधिकारियों ने इस पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर की छात्राओं की बढ़ती भागीदारी से यह योजना और विस्तारित हो सकेगी जिस कार्यक्रम का उद्देश्य ही देश के सभी कोनों से अधिक से अधिक लड़कियों को इसमें शामिल करना है.


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अधिकारी ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर की छात्राओं के लिए और ज्यादा स्कॉलरशिप निश्चित तौर पर हमारे लिए उत्साहजनक है. इस वर्ष अधिक भागीदारी का एक कारण राज्य और जिला स्तर पर योजना के बारे में अधिक जानकारी मुहैया कराना भी है और यह इस बात को भी दर्शाता है कि तकनीकी पाठ्यक्रमों में आगे बढ़ने को लेकर लड़कियों में खासी रुचि है.’

एआईसीटीई के तकनीकी शिक्षा के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले तीन वर्षों में जम्मू और कश्मीर में विभिन्न तकनीकी पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वाली लड़कियों की संख्या लगभग 1,000 के आंकड़े के करीब पहुंच गई है. इस बीच, राज्य में इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले लड़कों का आंकड़ा दोगुना है,

ऐसी ही स्थिति पूर्वोत्तर में है. अकेले असम में तकनीकी शिक्षा में प्रवेश लेने वाले लड़कों की संख्या यहां लड़कियों की संख्या के तुलना में करीब चार गुना ज्यादा है. उदाहरण के तौर पर 2020-21 में इन पाठ्यक्रमों में 5,374 लड़कों की तुलना में 1,895 छात्राओं ने ही प्रवेश लिया.

एआईसीटीई अधिकारियों का कहना है कि इस लैंगिक अंतर को घटाया जा सकता है यदि छात्राओं को प्रगति स्कॉलरशिप जैसे बेहतरीन वित्तीय अवसर मुहैया कराए जाएं.

छात्राओं को तकनीकी शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 2014 में शुरू की गई यह स्कॉलरशिप तीन वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रमों और चार वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रमों दोनों के लिए दी जाती है. इसके तहत कॉलेज की फीस भरने और कंप्यूटर, स्टेशनरी, किताबें और अन्य जरूरी चीजों की खरीद के लिए एकमुश्त राशि के रूप में 50,000 रुपये प्रदान किए जाते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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