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Monday, 23 December, 2024
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UP में कक्षा 1-5 तक के स्कूल खोलने के सरकार के विचार से ‘सहमत नहीं’ छात्रों के परिवार

UP सरकार ने 5 फरवरी को ऐलान किया कि कक्षा 1-5 तक के स्कूल 1 मार्च से फिर से खुल सकते हैं. गाइडलाइन्स में कहा गया है कि फिर से खुलने के लिए स्कूलों को पैरेंट्स से सलाह मशविरा करना होगा.

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नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश ने आगे बढ़कर कक्षा 1-5 के कम उम्र छात्रों के लिए स्कूलों को फिर से खोलने का ऐलान कर दिया है. सरकार ने कहा है कि स्कूल पहली मार्च से खुल सकते हैं, और उसने कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं लेकिन कोविड-19 अभी गया नहीं है, इसलिए पैरेंट्स और स्कूल अभी सतर्कता बरत रहे हैं.

जहां स्कूलों का कहना है कि फिर से खुलने को लेकर वो पैरेंट्स के साथ चर्चा कर रहे हैं, वहीं बहुत से पैरेंट्स अभी अपने बच्चों को वापस स्कूल भेजने को तैयार नहीं हैं.

उनका कहना है कि फिर से खुलने की ये तारीख़, उसके आसपास है जब सत्र समाप्त होता है, इसलिए वो अप्रैल में नया शैक्षणिक कैलेंडर शुरू होने तक, इंतज़ार करना चाहेंगे.

अधिकांश राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों में, मार्च के मध्य तक कक्षाएं होती हैं, जिसके बाद उनमें इम्तिहानों या नए शैक्षणिक सत्र शुरू होने तक ब्रेक हो जाता है. सीबीएसई और सीआईएससीई स्कूलों में शैक्षणिक सत्र, मध्य मार्च तक चलता है, जिसके बाद ब्रेक हो जाता है और फिर अप्रैल में नया सत्र शुरू होता है, जिसके बाद स्कूल फिर से गर्मियों के लिए बंद हो जाते हैं. राज्य के बोर्ड स्कूलों में मध्य-मार्च तक कक्षाएं चलती हैं, जिसके बाद इम्तिहान होते हैं. उनके यहां नया सत्र जुलाई में शुरू होता है.

कोविड-19 के मद्देनज़र, अधिकांश स्कूल ऑनलाइन क्लासेज़ चला रहे थे, जिसके बाद अक्टूबर में केंद्र सरकार ने, राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों को एक चरणबद्ध तरीक़े से फिज़िकल रूप में कक्षाएं शुरू करने की अनुमति दे दी.

राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों ने 9 से 12वीं तक के सीनियर छात्रों के लिए स्कूल फिर से खोल दिए हैं और गुजरात तथा कर्नाटक ने तो 6-8 कक्षा के छात्रों को भी फिर से बुला लिया है, हालांकि छोटी उम्र के छात्रों को वापस बुलाने की संभावना अभी भी सतर्कता की भावना से घिरी हुई है.

लेकिन, 5 फरवरी को यूपी सरकार ने ऐलान कर दिया कि कक्षा 1-5 के लिए स्कूल 1 मार्च से फिर खुल सकते हैं.

शिक्षा विभाग की ओर से साझा की गई गाइडलाइन्स के अनुसार, किसी भी एक दिन 50 प्रतिशत छात्रों को स्कूल में आना है. सोमवार और बृहस्पतिवार पहली तथा 5वीं क्लास के लिए होंगे, मंगलवार और शुक्रवार दूसरी और चौथी क्लास के लिए होंगे और बुधवार तथा शनिवार तीसरी क्लास के लिए होंगे. गाइडलाइन्स में कहा गया है कि पैरेंट्स के साथ उनकी चिंताओं पर परामर्श करने के बाद ही स्कूल खोले जाएंगे.


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क्या कहते हैं स्कूल

राज्य सरकार की घोषणा के बाद से स्कूल पैरेंट्स से संपर्क करके उनकी राय ले रहे हैं कि क्या वो अपने बच्चों को, फिज़िकल क्लासेज़ के लिए स्कूल भेजेंगे. अन्य बातों के अलावा, स्कूल ये भी पूछ रहे हैं कि वो अपने बच्चों को कितने समय और कितने दिनों के लिए- स्कूल भेजने को तैयार हैं.

स्कूलों का कहना है कि अभी तक उन्हें, एक मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है, जिसमें बहुत से पैरेंट्स इस विचार का विरोध कर रहे हैं.

लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) ऋषि खन्ना ने कहा, ‘क्लास 1 से 5 तक के लिए स्कूलों को खोलने के लिए, हम राज्य सरकार की गाइडलाइन्स का पालन कर रहे हैं. हम फिर से खोलने के लिए तैयार हैं. फिलहाल, हम पैरेंट्स से पूछ रहे हैं और उनके फैसले के आधार पर इस महीने के आख़िरी दिनों में हम कोई फैसला लेंगे. अभी तक हमें एक मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है’.

लखनऊ के एक और बड़े निजी स्कूल, लखनऊ पब्लिक स्कूल के पीआरओ विजय मिश्रा ने कहा कि उन्होंने, क्लास 1 से 5 तक के लिए स्कूलों को फिर से खोलने के बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया है लेकिन वो सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे’.

उन्होंने आगे कहा, ‘फिलहाल, हम पैरेंट्स से पूछ रहे हैं कि क्या वो अपने बच्चों को भेजने के लिए तैयार हैं और उसके बाद ही हम कोई अंतिम फैसला लेंगे’.

स्कूल ने पैरेंट्स से जो सवाल किए हैं, उनमें ये पूछा गया है कि उन्हें बच्चों के लिए ट्रांसपोर्ट सुविधा की ज़रूरत होगी या वो उन्हें ख़ुद से छोड़ेंगे और वो कितने समय के लिए बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार हैं.

नोएडा स्थित निजी संस्थान शिव नाडर स्कूल ने कहा कि वो अभी भी छोटे बच्चों के लिए उनके पैरेंट्स से फीडबैक लेने की प्रक्रिया में हैं.

स्कूल प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने उनसे पूछा है कि वो किस तरह की क्लास चुनना चाहते है ऑनलाइन या हाईब्रिड; ट्रांसपोर्ट का साधन क्या होगा; और अगर वो कैंपस में भेजने का विकल्प चुनते हैं तो किन तारीख़ों में वो अपने बच्चों को स्कूल भेजना पसंद करेंगे.

स्कूल प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘हमें अभी भी पैरेंट्स से फीडबैक मिल रहा है लेकिन हमने देखा है कि सीनियर स्कूल के लिए प्रतिक्रिया मिली-जुली है. हमें पैरेंट्स से मिले-जुले जवाब मिल रहे हैं. कुछ पैरेंट्स अपने बच्चों को कैंपस भेजना पसंद करेंगे, जबकि कुछ दूसरे पैरेंट्स ऑनलाइन मोड पसंद कर सकते हैं’. प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘अपनी ओर से हम एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करेंगे, ताकि पैरेंट्स विश्वास के साथ बच्चों को स्कूल भेज सकें’.

कुछ मामलों में, स्कूलों ने बड़े छात्रों के लिए पैरेंट्स की प्रतिक्रिया का अंदाज़ा लगाने के बाद छोटे बच्चों के लिए स्कूल नहीं खोलने का फैसला किया है.

जीपीएम कालेज बरेली एक ऐसा ही स्कूल है.

स्कूल के प्रशासनिक अधिकारी सुव्रत प्रसाद ने कहा, ‘हमने अपना स्कूल 9-12 कक्षाओं के लिए दो शिफ्टों में खोला है. कोविड संकट को देखते हुए, पैरेंट्स अभी भी बहुत आश्वस्त नहीं दिख रहे हैं और अपने बच्चों को स्कूल भेजने में सावधानी बरत रहे हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘हम पैरेंट्स को इस शनिवार प्रिंसिपल के साथ एक मीटिंग के लिए बुला रहे हैं, ताकि उनमें कुछ विश्वास जगाया जा सके’.

लखनऊ के स्प्रिंगडेल स्कूल की प्रिंसिपल रीता खन्ना ने कहा, ‘फिलहाल हम छोटे बच्चों के साथ कोई जोखिम नहीं लेना चाहेंगे’.

उन्होंने आगे कहा, ‘हम मार्च में प्री-नर्सरी से क्लास 5 तक के लिए स्कूल नहीं खोलेंगे. सभी कक्षाओं के लिए नया सत्र अप्रैल से शुरू होगा लेकिन वो पैरेंट्स की सहमति पर भी निर्भर करेगा’.

‘नए शैक्षणिक सत्र से’

दिप्रिंट से बात करते हुए बहुत से पैरेंट्स ने कहा कि वो छोटे बच्चों के लिए मार्च से स्कूल खोलने के विचार से ‘सहमत’ हैं. उन्होंने ये भी कहा कि वो अपने बच्चों को, अगले शैक्षणिक वर्ष से भेजना पसंद करेंगे जो अप्रैल में शुरू होता है.

एक 37 वर्षीय प्रोफेशनल ने, जिनका बेटा नोएडा के दिल्ली पब्लिक स्कूल में चौथी क्लास में पढ़ता है ने कहा: ‘स्कूल ने हाल ही में पैरेंट्स से पूछा कि क्या वो बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं. मुझे अपने बेटे को स्कूल भेजने में कोई दिक़्क़त नहीं है, लेकिन बहुत से पैरेंट्स हैं जो इस क़दम का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने बच्चों के स्वास्थ्य का डर है’.

श्वेता पाण्डे, जिनकी बेटियां ग़ाज़ियाबाद के एक स्कूल में पहली और तीसरी क्लास में पढ़ती हैं ने कहा: ‘स्कूल ने हमारी राय पूछी है, लेकिन मैं अपनी बेटियों को स्कूल वापस भेजने को लेकर सहज नहीं हूं. वैसे भी अप्रैल में नया सेशन शुरू होने में कोई ज़्यादा समय नहीं बचा है.’

लखनऊ के रहने वाले व्यवसायी संदीप सोनकर, जिनका बेटा एक निजी स्कूल में तीसरी क्लास में पढ़ता है, भी इससे सहमत थे.

सोनकर ने कहा, ‘मेरी समझ में नहीं आता कि सरकारें, स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला करते हुए, क्या सोचती हैं…क्या ये समय है कि बच्चों को वापस स्कूल भेजा जाए? मार्च के मध्य में तो सेशन वैसे ही ख़त्म हो रहा है’. उन्होंने आगे कहा, ‘हम तो उन्हें तभी भेजेंगे, जब नया शैक्षणिक सत्र शुरू होगा’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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