नई दिल्ली: स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य सरकारें अपनी इच्छानुसार पढ़ाने का विकल्प चुन सकती हैं. केरल सरकार द्वारा छात्रों के उन हिस्सों को पढ़ाने के निर्णय के संदर्भ में जिन्हें राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से हटा दिया गया है.
सचिव ने जी-20 शिक्षा कार्य समूह की बैठक के मौके पर विशेष रूप से दिप्रिंट से बात की, जो वर्तमान में भुवनेश्वर में चल रही है.
कुमार ने कहा, “जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शिक्षा एक समवर्ती विषय है और एससीईआरटी (स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) तय कर सकते हैं कि वे अपने पाठ्यक्रम में क्या शामिल करना चाहते हैं. अगर केरल अपने छात्रों को कुछ सिखाना चाहता है, तो ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है.”
केरल एससीईआरटी ने सोमवार को कहा कि वह एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से हटाए गए कुछ हिस्सों को पढ़ाने जा रहा है. दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था कि भारत भर के कुछ स्कूलों ने भी छात्रों को पुरानी किताबों से विज्ञान विषय पढ़ाने का फैसला किया है क्योंकि नई किताबों में कुछ कॉन्सेप्ट गायब हैं.
इस महीने नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ देश भर के स्कूलों में “तर्कसंगत” पाठ्यक्रम वाली नई किताबें पेश की गईं. कोविड-19 के मद्देनजर छात्रों पर “बोझ कम करने” के नाम पर हुई रेशनेलाइजेशन में इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से कुछ विषय हटाए गए थे, जैसे कि मुगल इतिहास पर एक पूरे अध्याय को हटाया गया, जाति और असमानता के संदर्भ, 2002 का गुजरात दंगा और महात्मा गांधी के जीवन और नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या के बारे में एक अंश को भी हटाया गया.
विषय हटाए जाने पर काफी आलोचना भी हुई. कुछ इतिहासकारों ने यह भी मांग की थी कि परिवर्तनों को वापस लिया जाए. विज्ञान की किताबों से भी कुछ महत्वपूर्ण अवधारणाएं हटाई गईं.
इस मुद्दे के बारे में बात करते हुए, कुमार ने कहा कि “कोई विवाद नहीं है” और जो कुछ भी किया गया था वह कोविड-19 महामारी के कारण था.
उन्होंने आगे कहा कि 2024 में आने वाली नई किताबें “अध्यापन की एक नई शुरुआत का सूत्रपात करेंगी”. वे एक “सुविचारित अभ्यास” पर आधारित होंगे.
कुमार ने कहा, “हमारी किताबें अवधारणाओं पर आधारित होंगी और उम्मीद है कि बच्चे कल्पना कर पाएंगे.” उन्होंने कहा कि 2024-25 के अगले शैक्षणिक सत्र के शुरू होने से पहले किताबें आ जाएंगी.
उन्होंने यह भी कहा कि किताबें कौशल आधारित शिक्षा को सिद्धांत के साथ जोड़ देंगी. कक्षाओं और शिक्षण काल को भी नई किताबों के अनुसार बदला जाएगा.
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‘छात्रों को विकल्प कैसे दें’
कुमार ने कहा कि विज्ञान प्रयोगशालाओं के अलावा, स्कूलों में कौशल प्रयोगशालाएं होंगी, जहां छात्रों का उन कौशलों का परीक्षण किया जाएगा जो उन्होंने कक्षा में सीखे हैं.
उन्होंने बताया, “अगर वे अपने हाथों से कुछ करना सीख रहे हैं, तो उन्हें उसके लिए परीक्षा देनी होगी.”
नई किताबें राष्ट्रीय करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) पर आधारित होंगी, जिसका मसौदा शिक्षा मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में जारी किया था. अन्य बातों के अलावा, मसौदा बच्चों के लिए गणित को आसान बनाने और इतिहास की किताबों में स्थानीय नायकों की कहानियों को शामिल करने की बात करता है.
सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए मसौदे को एनसीईआरटी की वेबसाइट पर ऑनलाइन रखा गया है. एक बार अंतिम रूप देने के बाद, मसौदा राज्यों को भेज दिया जाएगा.
कुमार ने कहा, “राज्य या तो एनसीएफ को अपना सकते हैं या उस अनुसार ढल सकते हैं. यह उनकी पसंद है कि वे क्या रखना चाहते हैं.”
कौशल-आधारित शिक्षा पर चर्चा भी जी-20 शिक्षा कार्य समूह द्वारा आयोजित की जा रही चर्चाओं का एक हिस्सा है, जिसका विषय “भविष्य का काम” है.
स्कूल शिक्षा सचिव के मुताबिक इतने सारे विकल्पों के साथ छात्रों को यह चुनने का मौका देना होगा कि वे क्या पढ़ना चाहते हैं. उन्होंने कहा, “हम इस बात पर भी काम करने की कोशिश कर रहे हैं कि छात्रों को कैसे विकल्प दिया जाए और वे क्या कर सकते हैं.”
(संपादन: कृष्ण मुरारी)
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