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Friday, 19 April, 2024
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छात्रों के लिए नई योजनाएं, जल्द जारी होंगे ऑनलाइन पढ़ाई के नियम- UGC प्रमुख जगदीश कुमार

जेएनयू के पूर्व कुलपति रहे जगदीश कुमार ने अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) जैसी योजनाओं के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

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नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नवनियुक्त अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने बुधवार को दिप्रिंट के साथ एक बातचीत में बताया कि केंद्र सरकार ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के लिए कई सारी नई पहलों के लिए तैयार है और अगले एक महीने में इसके बारे में नियम-कायदे भी जारी करेंगे.

उन्होंने छात्रों के बीच अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) और उनके लाभ के लिए की जा रहीं कई अन्य पहलों के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व कुलपति रहे कुमार ने इस महीने की शुरुआत में इस संस्था के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला जो पूरे भारत में विश्वविद्यालयों के लिए नियम-कायदे तैयार करता है.

आईआईटी के प्रोफेसर रहे कुमार ने हाल ही में घोषित डिजिटल यूनिवर्सिटी और ऑनलाइन शिक्षा के नियमों के बारे में भी बातें की और बताया कि कैसे एडटेक कंपनियां इसमें मदद कर सकती हैं.

उन्होंने कहा, ‘अगले कुछ महीनों के दौरान सरकार ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के लिए सारी पहलों की शुरुआत करेगी. उन सभी को एक साथ आना होगा ताकि छात्र इसका अधिक से अधिक लाभ उठा सकें.’

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ऑनलाइन शिक्षा वाली पहल के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने जिक्र किया कि डिजिटल यूनिवर्सिटी के साथ-साथ एबीसी योजना को व्यापक रूप से लागू किया जाना चाहिए.

एबीसी योजना

एबीसी योजना छात्रों को उनकी जरूरतों के हिसाब से डिग्री प्राप्त करने में मदद करेगी, जिसका अर्थ है कि वे अलग-अलग विश्वविद्यालयों से विभिन्न पाठ्यक्रमों को चुनने और क्रेडिट एकत्र करने का विकल्प चुन सकते हैं, जिसे बाद में एक डिग्री प्राप्त करने के लिए भुनाया जा सकता है. छात्र इन क्रेडिट को एक क्रेडिट खाते में इकठ्ठा कर सकते है, जो कुछ हद तक किसी आम बैंक खाते की तरह ही है.

कुमार ने कहा कि यदि विश्वविद्यालय ऑनलाइन पाठ्यक्रम की पेशकश करते हैं, तो इसके लिए एबीसी योजना अधिक फायदेमंद होगी क्योंकि छात्रों के पास चुनने के लिए कई विकल्प होंगे.

यूजीसी अध्यक्ष ने कहा, ‘यह छात्रों के लिए एक बेहतरीन योजना है और उन्हें ऐसी योजनाओं से अवगत कराने की आवश्यकता है ताकि वे अपने लाभ के लिए उनका उपयोग कर सकें. यह छात्रों को पाठ्यक्रमों के बारे में निर्णय लेने के मामले में बहुत अधिक लचीलापन प्रदान करेगा. इसके लिए हमें कार्यशालाओं और अन्य माध्यमों से जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.’

उन्होंने आगे बताया कि आयोग ने विभिन्न केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों के साथ एबीसी योजना के कार्यान्वयन की व्याख्या करने और ऑनलाइन शिक्षा पर उनके साथ चर्चा करने के लिए बैठकें करनी शुरू कर दी हैं.

इस बीच कई सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि एबीसी योजना अभी तक गति नहीं पकड़ पाई है क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, आईआईटी और आईआईएम जैसे शीर्ष क्रम के संस्थान इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आगे बढ़ने से पहले केंद्र सरकार द्वारा ऑनलाइन शिक्षा के नियमों को परिभाषित किये जाने का इंतजार कर रहे हैं.

इस बारे में पूछे जाने पर, कुमार ने कहा: ‘एबीसी को व्यापक रूप से फैलाने के लिए, हमें ऑनलाइन शिक्षा के लिए परिभाषित किये गए नियमों की आवश्यकता है. हम इन सभी मुद्दों पर आंतरिक रूप से चर्चा कर रहे हैं और अगले एक महीने में ऑनलाइन शिक्षा के लिए नियम तैयार कर लेंगे.‘


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ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के छात्रों के लिए कोई कट-ऑफ नहीं

सरकार यूजीसी (ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम्स एंड ऑनलाइन प्रोग्राम्स) रेगुलेशन, 2020 में संशोधन के जरिए ऑनलाइन शिक्षा के लिए उपलब्ध स्थान को बड़े पैमाने पर खोलने की कोशिश कर रही है.

इस बारे में समझाते हुए जगदीश कुमार ने कहा, ‘हम उन नियमों पर काम कर रहे हैं जिनके माध्यम से टॉप रेटेड (शीर्ष क्रम के) शिक्षा संस्थान भी शैक्षणिक सत्र 2022-23 से ऑनलाइन पाठ्यक्रम पेश कर सकेंगे. ऑनलाइन पेश किए जाने वाले कार्यक्रमों (पाठ्यक्रमों) में प्रवेश लेने हेतु छात्रों के लिए कोई कट-ऑफ भी नहीं होगी. न्यूनतम योग्यता कक्षा 12वीं पास की होगी, जिसके आधार पर छात्र अपनी पसंद के पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकेंगे.’

साथ ही, उन्होंने कहा, ‘ये विनियम डिजिटल यूनिवर्सिटी के लिए भी मार्ग प्रशस्त करेंगे, जिसे हम ‘हब-एंड-स्पोक मॉडल’ (एक धुरी से जुड़ी हुई कई तीलियों वाले मॉडल) के माध्यम से बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इस के तहत विभिन्न संस्थान ज्ञान प्रदान करने वाले केंद्र होंगे.’

यूजीसी के नए प्रमुख ने डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना के बाद एडटेक कंपनियों के लिए एक बड़ी भूमिका के बारे में भी बातें की. इस बारे में विचार यह है कि एडटेक कंपनियां विभिन्न शिक्षा संस्थानों के साथ साझेदारी कर सकती हैं और सीखने की प्रक्रिया तथा परीक्षा के संचालन में सहायता प्रदान कर सकती हैं.

उन्होंने कहा, ‘डिजिटल यूनिवर्सिटी के अस्तित्व में आने के बाद एडटेक क्षेत्र की कंपनियां बड़े पैमाने पर भाग लेने में सक्षम होंगी … वे अपने पास मौजूद संसाधनों, जैसे कि लाइव लेक्चर्स और परीक्षा आयोजित करने की तकनीक, के साथ सहयोग और समर्थन की पेशकश कर सकते हैं .’

कुमार ने कहा, ‘एडटेक कंपनियों के लिए हमारी तरफ से शर्त यही है कि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें और छात्रों के लिए उनकी लागत वहन करने योग्य हो.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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