नई दिल्ली: भारत में तीसरी कक्षा के 34 प्रतिशत छात्रों ने अंग्रेजी भाषा में ‘वैश्विक दक्षता स्तर को हासिल कर लिया’ है. जबकि गणित में दस फीसदी छात्र इस कैटेगरी में थे, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या बिहार के छात्रों की रही.
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि देश भर में 11 फीसदी छात्रों में बुनियादी गणित की समझ की कमी है.
रिपोर्ट से पता चलता है कि तीसरी कक्षा के छात्रों में हिंदी की बेहतर समझ रखने वाले बच्चों का प्रतिशत 25 था.
एनसीईआरटी के अनुसार, इसका मतलब यह होगा कि इन छात्रों ने बेहतर ज्ञान और कौशल विकसित किया है और वे दिए गए मुश्किल कामों को पूरा कर सकते हैं.
परिषद ने मंगलवार को जारी ‘फाउंडेशनल लर्निंग स्टडी 2022’ नामक एक सर्वे में इन निष्कर्षों का खुलासा किया. यह अध्ययन निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के दस हजार स्कूलों के कक्षा तीन के लगभग 86,000 छात्रों पर किया गया था.
अध्ययन का लक्ष्य तीसरी कक्षा के छात्रों के भाषा और संख्या के लर्निंग लेवल को समझना और उसके अनुसार उसमें सुधार लाना है.
सर्वे शिक्षा मंत्रालय की NIPUN भारत योजना के तहत आयोजित किया गया था. जिसका मकसद 2026-27 तक तीसरी कक्षा के सभी बच्चों में भाषा और गणित की बेहतर समझ विकसित करना है.
अन्य निष्कर्ष
सर्वेक्षण में बच्चों के बीच विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शिक्षा के माध्यम के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली 20 भाषाओं को समझने और उसे जानने के स्तर का परीक्षण किया गया था. सर्वे में शामिल भाषाओं में असमिया, बंगाली, बोडो, अंग्रेजी, गारो, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, खासी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, मिजो, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू थीं.
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छात्रों का टेस्ट उनके राज्य और भाषा के आधार पर लिया गया. मसलन बंगाली भाषा के लिए जिन बच्चों का टेस्ट लिया गया वो सभी छात्र पश्चिम बंगाल से थे या फिर मलयालम भाषा के टेस्ट के लिए चुने गए छात्र केरल से थे.
अंग्रेजी भाषा के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सभी बच्चों का टेस्ट लिया गया था. जबकि दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और असम सहित 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदी भाषा के लिए उनके ज्ञान का परीक्षण किया गया.
अंग्रेजी में 34 फीसदी छात्रों का प्रदर्शन ग्लोबल अपेक्षाओं से अधिक था, जबकि 15 फीसदी बच्चों में ‘भाषा की बुनियादी ज्ञान की कमी’ पाई गई. 21 फीसदी छात्र हिंदी को सही ढंग से लिखने और पढ़ पाने में सक्षम नहीं थे, जबकि 25 प्रतिशत छात्रों ने इसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन किया.
कक्षा तीन के बच्चों में सभी क्षेत्रीय भाषाओं में पंजाबी सबसे अधिक समझी जाने वाली भाषा के रूप में उभरी. सर्वे से पता चला कि पंजाब में 47 फीसदी छात्रों में भाषा की समझ काफी अधिक थी. इसका मतलब है कि वे अपनी भाषा में बहुत अच्छी तरह से पढ़, लिख और संवाद कर सकते हैं.
अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के परिणाम पंजाबी जितने अच्छे नहीं रहे. अधिकांश छात्र या तो वैश्विक अपेक्षाओं तक पहुंच पाए थे- जिसका मतलब है कि वे भाषा के सबसे बुनियादी स्तर के कार्य कर सकते हैं – या आंशिक रूप से वहां तक पहुंचे हैं. यानी वे कार्य को सही ढंग से पूरा करने में सक्षम नहीं थे.
उदाहरण के लिए बंगाली में 24 प्रतिशत छात्रों ने वैश्विक दक्षता को पार कर लिया और 43 प्रतिशत आंशिक रूप से वहां तक पहुंच पाए. मलयालम भाषा में सिर्फ 16 फीसदी छात्रों ने वैश्विक दक्षता को पार किया जबकि 39 फीसदी आंशिक रूप से इसे पूरा कर पाए.
न्यूमेरिसी स्किल
गणित में पूरे देश में सिर्फ 10 प्रतिशत छात्र ‘उम्मीदों से अधिक’ का स्तर पार कर सके. जबकि अधिकांश छात्रों का प्रदर्शन औसत रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि 42 प्रतिशत छात्र ‘वैश्विक न्यूनतम मानक को पूरा करते हैं’ यानी वे जोड़-घटा जैसे बुनियादी गणित करने में सक्षम थे. सैंतीस प्रतिशत इस विषय में आंशिक रूप से दक्ष थे. इसका मतलब है कि वह सिर्फ आधे कार्य को पूरा कर पाने में सक्षम हैं. जबकि 11 फीसदी छात्र बेसिक गणित के सवाल हल करने में भी सक्षम नहीं थे.
बिहार में गणित में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों का प्रतिशत सबसे अधिक है. राज्य में अठारह प्रतिशत छात्र ‘उम्मीद से अधिक’ श्रेणी में थे. इस कैटेगरी में 16 प्रतिशत के साथ पश्चिम बंगाल, बिहार के साथ चलता नजर आया.
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