नई दिल्ली: बुधवार को जारी सर्वश्रेष्ठ छात्र शहरों 2024 के लिए क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) रैंकिंग में मुंबई 118वें नंबर पर भारतीय शहरों में सर्वोच्च स्थान पर है. हालांकि, यह पिछले वर्ष की रैंकिंग से 15 स्थान नीचे आ गया है.
वार्षिक क्यूएस रैंकिंग के अनुसार, जो दुनिया भर के 160 प्रमुख शैक्षिक स्थलों की तुलना करती है, मुंबई ने अन्य भारतीय शहरों की तुलना में इसकी सामर्थ्य के कारण बेहतर प्रदर्शन किया है. इस सूचक पर यह विश्व स्तर पर 21वें स्थान पर है.
एक प्रेस बयान में, क्यूएस ने कहा, “मुंबई की सामर्थ्य एक प्रमुख लाभ है जो लागत प्रभावी अध्ययन विकल्पों की तलाश में अधिक छात्रों को आकर्षित कर सकती है. इसके अतिरिक्त, नियोक्ता गतिविधि संकेतक में मुंबई का मजबूत प्रदर्शन स्नातकों के लिए पर्याप्त अवसरों को दर्शाता है.”
शहरों को छह मापदंडों पर रैंक किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय रैंकिंग, स्टूडेंट मिक्स, डिज़ाइरबिलिटी, नियोक्ता गतिविधि, सामर्थ्य और छात्र की आवाज शामिल है.
लंदन पांचवीं बार छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ शहर के रूप में रैंकिंग में शीर्ष पर रहा, उसके बाद टोक्यो और सियोल क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे.
मुंबई के अलावा, सूची में अन्य भारतीय शहरों में दिल्ली 132वें नंबर पर, बेंगलुरु 147वें और सबसे नीचे चेन्नई 154वें स्थान पर है. और जबकि तीनों ने अपनी पिछली रैंकिंग से गिरावट देखी, बेंगलुरु की गिरावट सबसे तेज थी – 2023 में 114 से इस वर्ष 147 हो गया.
चेन्नई 29 स्थान और दिल्ली तीन स्थान नीचे खिसक गया.
सभी भारतीय शहरों के लिए चिंता का एक क्षेत्र डिज़ाइरबिलिटी संकेतक रहा, जहां कोई भी वैश्विक स्तर पर शीर्ष 100 में जगह नहीं बना सका.
डिज़ाइरबिलिटी संकेतक जीवन की गुणवत्ता, प्रदूषण सूचकांक, सुरक्षा और भावी छात्रों द्वारा अपने विश्वविद्यालय के अनुभव के लिए एक शहर का चयन करने की प्रवृत्ति से संबंधित मैट्रिक्स पर विचार करता है.
इस साल की शुरुआत में जारी क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में, कैंपस में छात्र विविधता उन क्षेत्रों में से एक थी जहां भारतीय विश्वविद्यालयों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था.
भारतीय शहर डिज़ाइरबिलिटी पैरामीटर के निचले 16 प्रतिशत में स्थान पर हैं, जिसमें मुंबई 134वें, दिल्ली 149वें, चेन्नई और बेंगलुरु 146वें स्थान पर हैं. इस पैरामीटर पर भी, सभी भारतीय शहरों ने अपने पिछले वर्ष की रैंकिंग से गिरावट देखी है.
क्यूएस के बयान में कहा गया है, “भारत के शहरों ने विभिन्न संकेतकों में क्षमता दिखाई है, लेकिन डिज़ाइरबिलिटी कारक को सामूहिक रूप से संबोधित करने और सुधार के लिए विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. शिक्षा की गुणवत्ता, सामर्थ्य, रोजगार के अवसर और समग्र शहर की डिज़ाइरबिलिटी को बढ़ाकर, भारतीय शहर अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित कर सकते हैं और अपनी वैश्विक स्थिति में सुधार कर सकते हैं.”
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(संपादन: अलमिना खातून)
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