नई दिल्ली: कोटा में छात्रों के बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर लगाम लगाने के लिए सप्ताह में एक दिन ‘आधे दिन पढ़ाई, आधे दिन मस्ती’, आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले छात्रों की पहचान करना और मनोवैज्ञानिक परामर्श देना जैसे कदम उठाए जाएंगे.
छात्रों की बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं पर सोमवार को एक अहम बैठक में ये फैसले लिए गए. अधिकारियों ने ये जानकारी दी.
अधिकारियों ने बताया कि प्रमुख सचिव (उच्च एवं तकनीकी शिक्षा) भवानी सिंह देथा की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई बैठक में कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल एसोसिएशन के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.
देथा इस मुद्दे पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर गठित एक समिति के अध्यक्ष भी हैं. समिति जल्द ही कोटा का दौरा भी करेगी.
बैठक में लिए गए अन्य निर्णयों में, छात्रों पर पाठ्यक्रमों का बोझ कम करने के प्रयास के लिए कोचिंग संस्थानों को विषय विशेषज्ञों की एक समिति बनाने के लिए कहा गया है. संस्थानों को विशेषज्ञों द्वारा ऑनलाइन प्रेरक सत्र आयोजित करने और सभी छात्रों के लाभ के लिए इसे सोशल मीडिया पर अपलोड करने के लिए भी कहा गया है.
अधिकारियों ने बताया कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कोचिंग संस्थान प्रत्येक बुधवार को ‘आधे दिन पढ़ाई, आधे दिन मस्ती’ जैसे सत्र रखेंगे.
बैठक में कोटा के जिला कलेक्टर ओ पी बुनकर, पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी, अतिरिक्त कलेक्टर (प्रशासन) राजकुमार सिंह और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भगवत सिंह शामिल हुए.
इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सालाना दो लाख से अधिक विद्यार्थी कोटा पहुंचते हैं. शहर में रविवार को चार घंटे के अंतराल में दो छात्रों ने अपनी जान दे दी.
अधिकारियों के अनुसार कोटा जिले में 2023 में अब तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे 22 छात्रों ने आत्महत्या की है. यह किसी भी साल के लिए अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. पिछले साल यह आंकड़ा 15 था.
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