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Thursday, 31 October, 2024
होमएजुकेशनछात्रों को महीनों से पैसे की समस्या, स्कॉलरशिप फॉर्म को 14 दिनों के लिए क्वारेंटीन कर देता है प्रशासन: JNUSU

छात्रों को महीनों से पैसे की समस्या, स्कॉलरशिप फॉर्म को 14 दिनों के लिए क्वारेंटीन कर देता है प्रशासन: JNUSU

छात्रों का ये भी कहना है कि स्टूडेंट वेलफ़ेयर को ताक पर रख दिया गया. उन्हें 9बी से वंचित किया जा रहा है. 9बी के तहत पीएचडी कर रहे छात्रों को चार साल बाद एक साल एक्स्ट्रा मिलता है.

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नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) यूनिवर्सिटी के छात्रों ने आरोप लगाया है कि रिसर्च स्कॉलर्स को महीनों से उनका स्टाइपेंड नहीं मिल रहा है. आरोप ये भी है कि जो छात्र कैंपस में हैं, वो जब अपना स्कॉरशिप फॉर्म जमा करने जाते हैं तो उनके फॉर्म को क्वारेंटीन कर दिया जाता है.

यूनिवर्सिटी के छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने ज़ूम के माध्यम से एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके ये आरोप लगाया. जेएनयूएसयू के जेनरल सेकेरेट्री सतीश यादव ने कहा, ‘रिसर्च स्कॉर्स की स्कॉलरशिप की समस्या महीनों से बनी हुई है. कैंपस में जो बच्चे हैं, वो जब अपने फेलोशिप का फॉर्म लेकर जाते हैं तो उनके डॉक्यूमेंट को 14 दिन के लिए क्वारेंटीन कर दिया जाता है.’ यादव ने कहा कि उन्हें ख़ुद महीनों से स्कॉलरशिप नहीं मिली.

छात्रों का आरोप ये भी है कि स्कॉलरशिप की समस्या सिर्फ़ जेएनयू और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ है. एंट्रेस को लेकर जेएनयूएसयू अध्यक्ष आयशी घोष ने कहा, ‘यूनिवर्सिटी प्रशासन और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) एंट्रेस किसी तरह करा के इसे रफ़ा-दफ़ा करना चाहता है, जबकि काफ़ी सारी दिक्कते सामने आ रही हैं.’


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उन्होंने कहा कि जिन बच्चों ने तीन कोर्स के लिए अप्लाई किया था, उनके दो का एडमिट कार्ड आया है. एक ही दिन में होने वाली दो परीक्षाओं का सेंटर शहर के अलग-अलग छोर पर है. छात्रों ने नई शिक्षा नीति के तहत एमफ़िल हटाए जाने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इससे रिसर्च की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा.

छात्रों का ये भी कहना है कि स्टूडेंट वेलफ़ेयर को ताक पर रख दिया गया. उन्हें 9बी से वंचित किया जा रहा है. 9बी के तहत पीएचडी कर रहे छात्रों को चार साल बाद एक साल एक्स्ट्रा मिलता है. छात्रों का कहना है कि उन्हें ये एक्सटेंश अप्लाई करने में दिक्कतें आ रही हैं. जेएनयू छात्रों द्वारा किए गए एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा गया कि 53 प्रतिशत छात्रों को उन्हें अपना रिसर्च छोड़ना पड़ सकता है.

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