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Wednesday, 24 April, 2024
होमएजुकेशन'जिहादी आतंकवाद' को 'कट्टरपंथी-धार्मिक आतंक' का एकमात्र रूप बताने वाले कोर्स को JNU ने दी मंजूरी

‘जिहादी आतंकवाद’ को ‘कट्टरपंथी-धार्मिक आतंक’ का एकमात्र रूप बताने वाले कोर्स को JNU ने दी मंजूरी

पिछले कुछ दिनों से छात्र संघ और शिक्षक संघ द्वारा 'काउंटर टेररिज्म, एसिमेट्रिक कॉन्फ्लिक्ट्स एंड स्ट्रैटेजीज फॉर कोऑपरेशन अमंग मेजर पॉवर्स' शीर्षक वाले पाठ्यक्रम का विरोध किया जा रहा था.

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नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद ने गुरुवार को आतंकवाद विरोधी एक विवादास्पद पाठ्यक्रम को मंजूरी दे दी जिसका विश्वविद्यालय के छात्र परिषद और शिक्षक संघ ने विरोध किया था. विश्वविद्यालय का 17 सदस्यीय समिति, कार्यकारी परिषद प्रबंधन और प्रशासनिक मुद्दों पर निर्णय लेती है.

शीर्षक ‘काउंटर टेररिज्म, एसिमेट्रिक कॉन्फ्लिक्ट्स एंड स्ट्रैटेजीज फॉर कोऑपरेशन अमंग मेजर पॉवर्स’, वैकल्पिक पाठ्यक्रम ने पिछले कुछ दिनों में कथित तौर पर ‘आरएसएस की विचारधारा को आगे बढ़ाने’ और एक धर्म को अलग करने के लिए विवाद खड़ा कर दिया था.

पाठ्यक्रम में विवाद के प्राथमिक बिंदु ‘जिहादी आतंकवाद’ को ‘कट्टरपंथी-धार्मिक आतंकवाद’ के एकमात्र रूप के रूप में नामित करने से संबंधित हैं और यह बताते हुए कि तत्कालीन सोवियत संघ और चीन ‘आतंकवाद के प्रमुख राज्य-प्रायोजक’ हैं जिसने ‘कट्टरपंथी इस्लामी राज्यों’ को प्रभावित किया.

यह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में दोहरी डिग्री कार्यक्रम करने वाले छात्रों के लिए एक वैकल्पिक पेपर होगा. यह उनकी एक साल की मास्टर डिग्री (एमएस) का हिस्सा है, जिसका अध्ययन इंजीनियरिंग विषयों के अध्ययन के चार साल बाद किया जाता है.

17 अगस्त को विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद- शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालय की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था- द्वारा इस पाठ्यक्रम को मंजूरी दी गई थी और द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जेएनयू शिक्षक संघ ने आरोप लगाया है कि बैठक मे इस पाठ्यक्रम पर कोई चर्चा नहीं हुई.

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जेएनयूटीए की सचिव और यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की प्रोफेसर मौसमी बसु ने दिप्रिंट को बताया, ‘विश्वविद्यालय जो चाहता था वो कर दिया गया. जेएनयू में जिस सख्ती के साथ कोर्स कराया जाता था, वह पूरी तरह से कमजोर हो गया है. जिस तरह से इन पाठ्यक्रमों को बनाया गया और पारित किया गया है, वह आश्चर्यजनक है.’

इस पाठ्यक्रम के साथ, दो अन्य- ‘इक्कीसवीं सदी के भारत का उभरता हुआ विश्व दृष्टिकोण’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व’- को भी कार्यकारी परिषद की बैठक में पारित किया गया.

इन पाठ्यक्रमों पर, बसु ने कहा, ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए डिज़ाइन किया गया पाठ्यक्रम बिना रीडिंग लिस्ट के है, बिना इस लिस्ट के पाठ्यक्रम बनाना कभी ऐसा नहीं किया गया. छात्र क्या सीखेंगे? यह हमारा कर्तव्य था कि हम वहां मौजूद भ्रम और समस्याओं को इंगित करें. अंतिम निर्णय स्पष्ट रूप से विश्वविद्यालय ही लेता है, इसमें कुछ भी नहीं किया जा सकता है.’


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कोर्स के पक्ष में हैं जेएनयू के वीसी 

जेएनयू के वाइस-चांसलर, एम जगदीश कुमार ने बुधवार को आतंकवाद विरोधी पाठ्यक्रम पर हंगामे का जवाब देते हुए इसे ‘अनावश्यक’ बताया.

कुमार ने एक बयान में कहा, ‘पिछले कुछ दिनों के दौरान, पाठ्यक्रम के अकादमिक गुणों को जाने बिना पहले पाठ्यक्रम के बारे में एक अनावश्यक विवाद पैदा हुआ. पाठ्यक्रम का उद्देश्य मुख्य रूप से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में आतंकवाद से उत्पन्न चुनौतियों और किसी भी घटना के मामले में भारत कैसे पर्याप्त प्रतिक्रिया से लैस हो सकता है, ये बताना है.’

गुरुवार की बैठक में, कार्यकारी परिषद ने यह भी घोषणा की कि वह 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाएगा.

विश्वविद्यालय ने एक बयान मे कहा, ‘विश्वविद्यालय हर साल 14 अगस्त को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेगा, जिसमें वेबिनार/सेमिनार, प्रदर्शनियां, विशिष्ट व्याख्यान, जीवित बचे लोगों के माध्यम से घटनाओं के सही विवरण की रिकॉर्डिंग,
और अन्य संबंधित गतिविधियां शामिल हैं ताकि युवा पीढ़ी को शिक्षित किया जा सके कि कैसे लाखों भारतीयों ने बंटवारे के दौरान अपनी जान गंवाई.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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