नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने ऑनलाइन क्लासेज़ जारी रखने का फैसला किया है, जबकि इसकी लाइब्रेरी पीएचडी स्कॉलर्स तथा अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए फिर से खुल रही है. इसके बाद छात्र शिकायत कर रहे हैं, जिनका कहना है कि दूर बैठे क्लासेज़ करने और लाइब्रेरी सुविधाएं न मिलने की वजह से, उनके लिए अपने कोर्स और परीक्षाओं को संभालना मुश्किल हो रहा है.
बुधवार को एक नोटिफिकेशन में यूनिवर्सिटी ने बताया कि सभी छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लासेज़ जारी रहेंगी, जबकि नवंबर से अंतिम वर्ष के छात्रों को प्रैक्टिकल क्लासेज़ के लिए कैंपस में आने की अनुमति होगी. उसमें आगे कहा गया कि पीएचडी और अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए लाइब्रेरी फिर से खुल रही है.
आदेश के बाद दिल्ली के इस संस्थान के कई छात्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जामिया के लिए बहुत ज़रूरी है कि वो अपनी लाइब्रेरी सभी छात्रों के लिए फिर से खोल दे.
मास्टर्स के एक 29 वर्षीय छात्र मुसद्दिक़ हुसैन ने कहा कि लाइब्रेरी सुविधा न होने की वजह से, वो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पाए हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘लाइब्रेरी या रीडिंग रूम्स उपलब्ध न होने की वजह से पठन सामग्री जुटाना मुश्किल हो रहा है’.
एक दूसरे मास्टर्स छात्र अबुल कलाम ने कहा कि रीडिंग रूम की सुविधा के बिना ऑनलाइन शिक्षा ने छात्रों के लिए पढ़ाई मुश्किल कर दी है. कलाम ने कहा, ‘बेहद ज़रूरी है कि यूनिवर्सिटी सभी छात्रों के लिए लाइब्रेरी खोल दे’.
छात्रों की चिंताओं पर प्रतिक्रिया लेने के लिए दिप्रिंट ने टेक्स्ट और कॉल्स के ज़रिए जामिया के रजिस्ट्रार डॉ नाज़िम हुसैन से संपर्क किया, लेकिन इस खबर के छपने तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला.
दिल्ली यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी समेत कई विश्वविद्यालयों ने चरणबद्ध रूप से कोविड-पूर्व व्यवस्था में लौटने की योजना के तहत, इस महीने से अंतिम वर्ष और पीएचडी छात्रों के लिए अपने परिसर खोल दिए हैं.
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अधिकारियों ने कहा, फैसला यूजीसी आदेशों के अनुसार
यूनिवर्सिटी अधिकारियों ने नाम छिपाने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा कि 22 सितंबर का जामिया नोटिफिकिशन, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा संस्थान की शैक्षणिक और कार्यकारी परिषद के आदेशों पर आधारित था.
एक अधिकारी ने कहा, ‘ऑनलाइन क्लासेज़ जारी रखने का फैसला, 13 सितंबर को हुई यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक परिषद की बैठक के बाद लिया गया था. हम इंतज़ार कर रहे हैं कि अक्टूबर का पूर्वानुमानित पीक गुज़र जाए. अगर हालात सामान्य रहते हैं तो परिषद एक और बैठक करके फैसला कर सकती है कि कैसे आगे बढ़ा जाए’.
यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने कहा, ‘जामिया की 90 प्रतिशत फैकल्टी को पहले ही टीके लग चुके हैं, लेकिन हमें अभी तक अंदाज़ा नहीं है कि कितने छात्रों का टीकाकरण हो चुका है. अगर सभी छात्रों का टीकाकरण सुनिश्चित किए बगैर हम फिर से खोल देते हैं, तो डर है कि उससे कोविड फैल सकता है’.
प्रोफेसर ने आगे कहा, ‘हम अक्टूबर तक इंतज़ार करने को तैयार हैं कि क्या पैटर्न उभरता है, अगर कोविड की स्थिति काबू में रहती है, तो हम नवंबर में फिर से खोल देंगे’.
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