नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने तय किया है कि भारत के गणित में योगदान पर एक बड़ा दस्तावेज़ तैयार किया जाएगा, जिसमें प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक दौर की खोजों के साथ-साथ खगोलशास्त्र और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों में भारतीय गणित के इस्तेमाल को भी शामिल किया जाएगा.
इसके साथ ही, CBSE 11वीं और 12वीं के लीगल स्टडीज़ के सिलेबस में हाल ही में भारत के कानूनों में हुए बड़े बदलावों को भी जोड़ेगा.
ये प्रस्ताव जून में हुई CBSE की गवर्निंग बॉडी बैठक में पास हुए थे, जिसके मिनट्स पिछले हफ्ते जारी किए गए. यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के मुताबिक है, जिसमें भारतीय ज्ञान परंपराओं को पढ़ाई में शामिल करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोगी पढ़ाई का सामग्री तैयार करने पर ज़ोर दिया गया है.
बैठक के मिनट्स के मुताबिक, बोर्ड 150–175 पन्नों की एक विस्तृत मोनोग्राफ तैयार करेगा, जिसका नाम होगा ‘भारतीय गणित परंपरा: गणित में भारत का योगदान’.
इस मोनोग्राफ में अहम गणितीय खोजों और नवाचारों, प्रमुख गणितज्ञों, विचारधाराओं और मूल ग्रंथों जैसे शुल्ब सूत्र, आर्यभटीय, ब्रह्मस्फुटसिद्धांत, लीलावती और केरल स्कूल ऑफ़ मैथमैटिक्स के योगदान का ज़िक्र होगा.
मिनट्स में कहा गया, “इसमें खगोलशास्त्र और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों में भारतीय गणित के उपयोग को भी समझाया जाएगा. साथ ही, असली संस्कृत श्लोकों के अनुवाद और स्रोतों का ज़िक्र भी होगा, ताकि सामग्री प्रमाणिक रहे.”
बोर्ड गणित के इतिहासकारों, संस्कृत विद्वानों, गणित शिक्षकों और अकादमिक विशेषज्ञों की एक सलाहकार समिति बनाएगा, जो मोनोग्राफ की रूपरेखा और सामग्री तय करने में मदद करेगी.
इसमें कहा गया, “मोनोग्राफ किसी शैक्षणिक साझेदार या एजेंसी के ज़रिये तैयार होगी, जिसे खुले चयन प्रक्रिया से चुना जाएगा, और बाद में इसे डिजिटल और प्रिंट—दोनों रूप में स्कूलों, छात्रों और शिक्षकों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.”
लीगल स्टडीज़ के सिलेबस में बदलाव
मिनट्स के अनुसार, बोर्ड ने 11वीं और 12वीं के लीगल स्टडीज़ के सिलेबस में हाल के कानूनी सुधारों को शामिल करने का फैसला किया है. इनमें औपनिवेशिक दौर के कुछ अहम कानूनों को हटाना और 2023–24 में तीन नए कानून लाना शामिल है—भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA).
ये नए कानून क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। सरकार ने ये बदलाव आपराधिक न्याय व्यवस्था को आधुनिक, नागरिक-केन्द्रित और तेज़ बनाने के लिए किए हैं.
CBSE के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “लीगल स्टडीज़ की किताबें 11वीं और 12वीं के लिए पांच साल पहले लाई गई थीं, ताकि वरिष्ठ माध्यमिक छात्रों को कानून की बुनियादी समझ दी जा सके, लेकिन इसके बाद भारत की कानूनी व्यवस्था में बड़े बदलाव आए हैं.”
इसलिए, बोर्ड ने प्रस्ताव रखा है कि नई किताबों में शामिल हों: BNS, BNSS और BSA के मुख्य प्रावधान, अहम अदालत के फैसले और हाल की कानूनी अवधारणाएं, पुराने या हटाए गए कानूनों जैसे देशद्रोह, धारा 377 और तीन तलाक को हटाना.
इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाएगी और कंटेंट तैयार करने के लिए किसी एजेंसी को काम सौंपा जा सकता है. अधिकारी के मुताबिक, नया सिलेबस और किताबें 2026–27 के शैक्षणिक सत्र तक तैयार होने की उम्मीद है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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