scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमएजुकेशनQS वर्ल्ड रैंकिंग्स में IISc बनी टॉप रिसर्च यूनिवर्सिटी, पहली बार भारतीय विश्वविद्यालय को मिले सौ में सौ

QS वर्ल्ड रैंकिंग्स में IISc बनी टॉप रिसर्च यूनिवर्सिटी, पहली बार भारतीय विश्वविद्यालय को मिले सौ में सौ

कुल मिलाकर IISc को भारत में तीसरी रैंकिंग दी गई है जबकि IIT बॉम्बे और दिल्ली क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर रहे हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरू को क्वाकरेली सिमंड्स विश्व वरीयता (क्यूएस) 2022 में, ‘दुनिया की टॉप रिसर्च यूनिवर्सिटी’ का दर्जा दिया गया है. क्यूएस हर साल यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स प्रकाशित करती है.

क्यूएस की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ‘प्रशस्ति-पत्र प्रति फैकल्टी सूचक (सीपीएफ) के अनुसार, विश्वविद्यालयों को फैकल्टी साइज़ के अनुकूल करने पर (सीपीएफ का हिसाब लगाने के लिए, संस्थान के साइज़ को ध्यान में रखा जाता है), आईआईएससी बेंगलुरू दुनिया की टॉप रिसर्च यूनिवर्सिटी है, जिसे इस मेट्रिक के लिए 100/100 का परफेक्ट स्कोर मिला है’.

प्रशस्ति-पत्र प्रति फैकल्टी उन छह व्यापक मानदंडों में से एक है, जिनपर क्यूएस रैंकिंग्स आधारित होती हैं और इसमें शोध का प्रभाव मापा जाता है. इसमें यूनिवर्सिटी के रिसर्च पेपर्स को पांच साल में मिले, कुल प्रशस्ति-पत्रों की संख्या को संस्थान के फैकल्टी की संख्या से भाग दिया जाता है.

मध्यपूर्व, उत्तरी अफ्रीका व दक्षिण एशिया में क्यूएस इंटेलिजेंस यूनिट के रीजनल डायरेक्टर, अश्विन फर्नांडिस ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसा पहली बार है कि किसी संस्थान ने किसी भी मानदंड पर 100 अंक हासिल किए हैं.

लेकिन कुल वरीयता में आईआईएससी को भारत में तीसरे सर्वश्रेष्ठ संस्थान का दर्जा मिला है, जबकि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे और दिल्ली क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर रहे हैं. बुधवार को जारी रैंकिंग के अनुसार, तीनों भारतीय संस्थानों ने दुनिया के शीर्ष 200 में जगह बनाई है.

दुनिया भर में तीन शीर्ष संस्थान हैं- मैसेक्यूसट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एमआईटी), ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी- क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.

प्रशस्ति-पत्र प्रति फैकल्टी के अलावा, अन्य मानदंड जिनके आधार पर रैंकिंग्स तय की जाती हैं, उनमें फैकल्टी/अनुपात भी है- जो पढ़ाने की क्षमता को दर्शाता है. छात्रों की संख्या को फैकल्टी की संख्या से बांट दिया जाता है, जिससे दुनिया भर के छात्रों को कुछ अंदाज़ा मिल जाता है कि उनके चुनिंदा संस्थान में क्लास के साइज़ क्या हो सकते हैं.

इसके बाद संस्थान की शैक्षिक प्रतिष्ठा होती है, जो 130,000 से अधिक अकैडमिक्स की सर्वेक्षण प्रतिक्रियाओं (इस वर्ष की रैंकिंग के लिए) पर आधारित होती है, नियोक्ता या मालिक की प्रतिष्ठा, जो संस्थान और ग्रेजुएट रोज़गार क्षमता के बारे में 75,000 से अधिक नियोक्ताओं (इस वर्ष के लिए) की सर्वेक्षण प्रतिक्रियाओं पर आधारित होती है. अंतर्राष्ट्रीय फैकल्टी अनुपात और अंतर्राष्ट्रीय छात्र अनुपात, अंतर्राष्ट्रीयकरण के दो ऐसे पैमाने हैं, जिनसे किसी यूनिवर्सिटी की दुनिया भर से प्रतिभा को आकर्षित करने की क्षमता का संकेत मिलता है.

भारतीय संस्थानों की रैंकिंग्स पर टिप्पणी करते हुए, क्यूएस में रिसर्च के डायरेक्टर बेन सोटर ने कहा: ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स का इस साल का संस्करण दिखाता है कि भारत के बहुत से विश्वविद्यालय, अपने रिसर्च फुटप्रिंट को सुधारने के लिए कितना शानदार काम कर रहे हैं, जिससे विश्व स्तर पर उनकी प्रतिष्ठा के लिए सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके विपरीत, हमारा डेटा ये भी संकेत देता है कि भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र अभी भी पर्याप्त शिक्षण क्षमता मुहैया कराने में जूझ रहा है. अगर भारत को लगातार नई ऊंचाइयां छूते रहना है तो उसे विश्वविद्यालयों के भीतर और कुल मिलाकर पूरे क्षेत्र में अपने प्रावधान का विस्तार करते रहना होगा’.


यह भी पढ़ें: तमिलनाडु, केरल के साथ पंजाब, मोदी सरकार के स्कूल ग्रेडिंग इंडेक्स में शीर्ष पर


रैंकिंग में भारतीय संस्थान

क्यूएस प्रेस विज्ञप्ति में ये भी कहा गया कि ‘आईआईटी बॉम्बे ने लगातार चौथे साल, क्यूएस रैंकिंग में शीर्ष भारतीय संस्थान के तौर पर अपनी स्थिति बनाए रखी है’.

आईआईटी बॉम्बे संयुक्त रूप से 177वें स्थान पर है, जिसमें पिछले साल के मुकाबले पांच स्थान की गिरावट है. आईआईटी दिल्ली भारत की दूसरी सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी बन गई है, जो पिछले साल की 193वीं रैंक से ऊपर उठते हुए ताज़ा रैंकिंग में 185 पर आ गई है. ये आईआईएससी बेंगलुरू से आगे निकल गई है, संयुक्त रूप से 186वें स्थान पर है.

दूसरे भारतीय संस्थान जिन्होंने रैंकिंग में टॉप 500 में जगह बनाई है, वो हैं आईआईटी मद्रास, जो पिछले साल की अपनी स्थिति में 20 स्थानों का सुधार करके, अब 255 ब्रैकेट में आ गया है. आईआईटी कानपुर, खड़गपुर, गुवाहाटी और रुड़की वो अन्य संस्थान हैं, जो इसी क्रम से 500 ब्रैकेट में हैं.

दिल्ली विश्वविद्यालय 501-510 ब्रैकेट में है, जबकि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) को पहली बार क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप 600 ब्रैकेट में जगह मिली है. पैंतीस भारतीय संस्थानों को इस साल क्यूएस रैंक में जगह मिली है.

मोदी सरकार विश्वविद्यालयों की विश्व रैंकिंग्स को काफी अहमियत देती है. इंस्टीट्यूट्स ऑफ एमिनेंस (आईओईएस) स्कीम शुरू करने के पीछे विचार यही था कि संस्थानों को अचानक उठाकर विश्व रैंकिंग्स के स्तर पर ले आया जाए. फिलहाल 20 ऐसे संस्थान हैं- 10 निजी और 10 सार्वजनिक- जिनमें आईआईटी दिल्ली, बॉम्बे और आईआईएससी बेंगलुरू शामिल हैं, जिन्हें मोदी सरकार की ओर से इंस्टीट्यूट्स ऑफ एमिनेंस घोषित किया गया है.

आईआईटीज़ और आईआईएससी जैसे सार्वजनिक संस्थानों को स्कीम के तहत सरकार से फंड्स मिलते हैं और निजी संस्थानों को सरकारी नियमों से स्वायत्तता मिलती है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: CA फाइनल, इंटर के छात्रों की परीक्षा पोस्टपोन कराने की मांग, ICAI अध्यक्ष ने कहा- ‘छात्रों का अहित नहीं चाहते’


 

share & View comments