नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा सरकार ने पिछले चार महीनों में सोनीपत के तीन निजी विश्वविद्यालयों – अशोका यूनिवर्सिटी, वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन (डब्ल्यूयूडी) और एसआरएम यूनिवर्सिटी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इसमें उन पर गबन करने और दिशानिर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.
इन सभी विश्वविद्यालयों को हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 की धाराओं के तहत राज्य के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नोटिस जारी किए गए हैं.
एक तरफ जहां अशोका यूनिवर्सिटी और डब्ल्यूयूडी ने इन सारे आरोपों से इनकार किया है, वहीं एसआरएम यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता को दिप्रिंट द्वारा किए गए फोन कॉल और भेजे गए ईमेल का इस खबर के प्रकाशित किए जाने तक कोई जवाब नहीं आया था.
इन नोटिसों को भेजने वाले हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (उच्च शिक्षा) आनंद मोहन शरण ने इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने ‘पिछले दो-तीन महीनों में तीन निजी विश्वविद्यालयों को कारण बताओ नोटिस दिया है.
उन्होंने कहा, ‘हमें इन विश्वविद्यालयों के बारे में लगातार शिकायतें मिल रही थीं और इसलिए हमें उनसे स्पष्टीकरण मांगना पड़ा.’
नोटिस पाने वाले तीनों विश्वविद्यालयों में अशोका विश्वविद्यालय का मामला सबसे नया है जिसपर ‘वित्तीय गबन’ के साथ-साथ ‘कुप्रशासन’ का भो आरोप लगाया गया है.
हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत, सभी यूनिवर्सिटी को हरियाणा के मूल निवासी छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करनी चाहिए और उन्हें फीस में भी रियायतें दी जानी चाहिए. राज्य सरकार के कारण बताओ नोटिस के अनुसार, विश्वविद्यालय ऐसा करने में विफल रहे हैं.
शरण ने आगे कहा, ‘अशोका विश्वविद्यालय के मामले में हमें शिकायतें मिल रही थीं कि वह हरियाणा अधिवास के छात्रों को प्रवेश ही नहीं दे रहा है. हमने शुरुआत में इस विश्वविद्यालय से नामांकन से संबंधित डेटा देने के लिए कहा था लेकिन हम उनके द्वारा साझा किए गए डेटा से संतुष्ट नहीं थे इसलिए हमने उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा. उन्होंने जो कुछ भी किया है उसके बारे में माना जाता है कि यह वित्तीय गबन जैसा है.’
अशोका विश्वविद्यालय ने इन सभी आरोपों से इनकार करते हुए नोटिस को ‘पूरी तरह से गलत और हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत’ बताया है.
अन्य दो विश्वविद्यालयों, एसआरएम विश्वविद्यालय और डब्ल्यूयूडी, के बारे में बात करते हुए, शरण ने कहा, ‘उन्होंने राज्य सरकार से अनुमोदन के बिना कई पाठ्यक्रम (कोर्स) शुरू किया’ और यह उनकी ओर से की गयी ‘गंभीर चूक’ थी .
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूयूडी पर इसी साल मई में 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था.
हालांकि इस विश्वविद्यालय ने भी सभी आरोपों से इनकार किया है. दिप्रिंट द्वारा भेजे गए एक ईमेल के जवाब में, डब्ल्यूयूडी के कुलपति संजय गुप्ता ने कहा, ‘डब्ल्यूयूडी ने राज्य सरकार की अनुमति के बिना कभी भी कोई कोर्स शुरू नहीं किया है.’
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अशोका यूनिवर्सिटी का मामला
इस महीने की शुरुआत में अशोका विश्वविद्यालय को भेजे गए कारण बताओ नोटिस में लिखा है, ‘यह पाया गया है कि अशोका विश्वविद्यालय, सोनीपत की ओर से एक गंभीर चूक की गई है जो हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 का स्पष्ट उल्लंघन है.’
‘इसी वजह से कुलपति, अशोका विश्वविद्यालय, को यह बताने के लिए कारण बताओ नोटिस दिया जाता है कि क्यों न उन पर इस अधिनियम के तहत निर्धारित जुर्माना लगाया जाए और क्यों न वित्तीय गबन के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाये?’
दिप्रिंट द्वारा भेजे गए सवालों के विस्तृत जवाब में अशोका विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘गलत सूचना देने और कोष का गबन करने के आरोप पूरी तरह से अनुचित हैं’.
इस जवाब में आगे कहा गया है, ‘विश्वविद्यालय ने हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत राज्य के मूल निवासी छात्रों के लिए निर्धारित आरक्षण की आवश्यकताओं का सख्ती से पालन किया है. प्रवेश दिए गए सभी छात्र जो (हरियाणा के) मूल निवासी हैं, अशोका विश्वविद्यालय की तरफ से इस अधिनियम में निर्दिष्ट शुल्क सम्बन्धी रियायतें भी प्राप्त करते हैं.’
जवाब में आगे में कहा गया है, ‘वास्तव में, अशोका विश्वविद्यालय अपने 45 प्रतिशत से अधिक छात्रों को उदारता के साथ वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जो हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम की आवश्यकताओं से भी परे है.’
इसने कहा कि ‘विश्वविद्यालय अधिनियम द्वारा अनिवार्य किये गए योग्यता-आधारित प्रवेश नीति का ही पालन करता है’.
इसमें कहा गया है, ‘यही योग्यता-आधारित प्रवेश नीति हरियाणा के छात्रों और उनके साथ-साथ सामान्य श्रेणी के छात्रों सहित सभी आवेदकों के लिए लागू की गई है. विश्वविद्यालय ने यह सुनिश्चित किया है कि योग्यता संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने वाले छात्रों को किसी भी सीट से वंचित नहीं किया जाए. अन्य श्रेणियों में सीटों के ट्रांसफर के प्रावधान के बावजूद, हरियाणा कोटे से नहीं भरी गई सीटें काफी हद तक बिना प्रवेश के खाली ही रखी गई हैं.‘
ऑडिट की बन रही है योजना
इस बीच, शरण के मुताबिक, हरियाणा सरकार सभी निजी विश्वविद्यालयों का ऑडिट शुरू करने की योजना बना रही है. हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत, सभी विश्वविद्यालयों का ऑडिट किया जाना चाहिए.
शरण ने दिप्रिंट को बताया, ‘सोनीपत स्थित निजी विश्वविद्यालयों का भी ऑडिट होना तय है.’
उन्होंने कहा, ‘उनमें से कोई भी ऑडिट संबंधी नियमों का पालन नहीं कर रहा है. इसलिए अब हम उनका ऑडिट कराने पर काम कर रहे हैं. हमें ऐसा करने के लिए पहले ही एक एजेंसी मिल गई है और हम जल्द ही इस प्रक्रिया को शुरू करेंगे.’
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि हरियाणा सरकार ने अनुपालन सम्बन्धी जांच को और सख्त कर दिया है क्योंकि सोनीपत में बड़ी संख्या में निजी विश्वविद्यालय खुल गए हैं.
हरियाणा सरकार की आधिकारिक वेबसाइट बताती है कि उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत फिलहाल 24 निजी विश्वविद्यालय आते हैं.
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