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Friday, 22 November, 2024
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परीक्षाएं नजदीक होने के बीच दिल्ली के सरकारी शिक्षकों ने कहा- हैप्पीनेस, देशभक्ति कोर्स से नियमित पढ़ाई प्रभावित

देशभक्ति, हैप्पीनेस और एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट जैसे करिकुलम छात्रों के लिए बेहतर लर्निंग के साथ-साथ पढ़ाई का दबाव घटाने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ शिक्षकों के लिए ये मुश्किलें बढ़ाने वाले साबित हो रहे हैं.

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नई दिल्ली: सरकारी स्कूल के शिक्षक संत राम के लिए छात्रों को देशभक्तिपूर्ण वीरता की कहानियां सुनाने और माइंडफुलनेस से परिचित कराने के बीच कक्षा 7 का हिंदी पाठ्यक्रम पूरा कराना काफी मुश्किल साबित हो रहा है, वो भी ऐसे समय पर जब मिड-टर्म एग्जाम सिर पर हैं.

सुभाष नगर में दिल्ली सरकार संचालित सर्वोदय बाल विद्यालय में काम करने वाले संत राम के मुताबिक, हिंदी, अंग्रेजी और गणित जैसे मुख्य विषयों के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है.

ऐसा इसलिए, क्योंकि स्कूलों के लिए पिछले साल लॉन्च हुआ देशभक्ति करिकुलम और 2018 में लागू किया गया हैप्पीनेस करिकुलम पढ़ाना जरूरी है. कक्षा 11-12 के छात्रों के लिए एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम (ईएमसी) भी है, जिसे 2019 में शुरू किया गया था.

यद्यपि दिल्ली सरकार की तरफ से ये शैक्षिक पहल छात्रों को बेहतर लर्निंग में सक्षम बनाने और उन पर पढ़ाई का दबाव घटाने के उद्देश्य से शुरू की गई थीं लेकिन ऐसा लगता है कि इनकी वजह से कुछ शिक्षकों की मुश्किलें खासी बढ़ गई हैं.

दिलशाद गार्डन स्थित एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘कक्षा 3 से 9 तक हैप्पीनेस और देशभक्ति कक्षाओं के लिए 45 मिनट की अवधि चाहिए. हमारे पास हर दिन आठ पीरियड होते हैं, उनमें से दो इन विषयों के लिए निर्धारित किए जाते हैं.’

हैप्पीनेस क्लासेस में ऐसी एक्टिविटीज कराना और कहानियां पढ़ाना शामिल हैं जो माइंडफुलनेस और आत्म-अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करती हों, जबकि देशभक्ति के पाठ्यक्रम का उद्देश्य कहानियों और चर्चाओं के जरिये राष्ट्रीय गौरव और कर्तव्य की भावना उत्पन्न करना है.

शिक्षक ने कहा, ‘हमारा मानना है कि अगर इन पीरियड की फ्रीक्वेंसी या समय घटा दिया जाए तो हम बच्चों को नियमित कोर्स ठीक से पढ़ा सकेंगे.’

बहरहाल, ऐसा न होने तक कुछ स्कूलों ने अस्थायी समाधान निकाल लिए हैं. पिछले करीब 20 साल से पढ़ा रहे शिक्षक संत राम ने कहा, ‘इन अतिरिक्त विषयों को पढ़ाने के लिए मेरा स्कूल खेल/पीई और संस्कृत के पीरियड में कटौती कर रहा है.’ लेकिन फिर भी, मिड-टर्म से पहले मुख्य विषयों के पाठ्यक्रम को पूरा करना कठिन हो रहा है.

शिक्षा निदेशालय (डीओई) के नए मूल्यांकन दिशानिर्देशों के मुताबिक, शैक्षणिक सत्र 2022-23 में मध्यावधि परीक्षा सितंबर/अक्टूबर और सामान्य वार्षिक स्कूल परीक्षा (सीएएसई) फरवरी/मार्च में आयोजित की जाएगी.

जुलाई में जारी नए दिशानिर्देश यह भी निर्धारित करते हैं कि छात्रों का मूल्यांकन अब अन्य शैक्षिक विषयों के साथ-साथ हैप्पीनेस, देशभक्ति और ईएमसी जैसे विषयों के उनके व्यवहार पर प्रभाव के आधार पर भी किया जाएगा.

दिप्रिंट ने इस संदर्भ में डीओई के निदेशक हिमांशु गुप्ता से टेक्स्ट मैसेज और फोन कॉल के जरिये संपर्क साधा लेकिन उनकी तरफ से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.


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एमसीडी शिक्षकों की स्थिति थोड़ी बेहतर

कक्षाओं में नियमित पढ़ाई के साथ अतिरिक्त विषयों के प्रबंधन के मामले में केंद्र सरकार से सहायता प्राप्त दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा संचालित स्कूलों की स्थिति अन्य सरकारी स्कूलों की तुलना में थोड़ी बेहतर है.

इसका एक बड़ा कारण तो यही है कि एमसीडी प्रबंधित 1,530 स्कूलों में से अधिकांश केवल कक्षा 1 से 5 तक के हैं, जहां पाठ्यक्रम का साइज और दिक्कतें दोनों ही कम हैं.

रोहिणी स्थित एक सिविल स्कूल की शिक्षिका मीनाक्षी यादव ने कहा कि कक्षा 1 और 2 में केवल तीन विषय हैं, जिससे देशभक्ति और हैप्पीनेस पर क्लास लेना आसान है. उन्होंने कहा, ‘समस्या केवल पांचवीं कक्षा को लेकर आती है, जिसमें पांच विषय हैं लेकिन उनका नियमित पाठ्यक्रम भी मिड-टर्म तक कवर कर लिया जाएगा.’

एमसीडी टीचर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष विभा सिंह ने कहा, ‘एमसीडी ने सुबह के लिए 20 मिनट का एक अलग स्लॉट बनाया है, जब छात्रों की प्रार्थना के साथ हैप्पीनेस करिकुलम पर आधारित गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय मिल सके.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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