नई दिल्ली: देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए केंद्र सरकार नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स फॉर टीचर्स’ (एनपीएसटी) नाम से शिक्षकों के लिए एक नया मैन्युअल लेकर आई है.
एनपीएसटी मसौदा नीति, जिसे राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने तैयार किया है- वो इकाई जिसके पास देश में शिक्षकों की शिक्षा और प्रशिक्षण का जिम्मा है- पिछले महीने के अंत में जारी की गई थी. फिलहाल ये एनसीटीई वेबसाइट पर लोगों के सुक्षावों के लिए खुली है, जिसके बाद उसे स्वीकृति के लिए शिक्षा मंत्रालय में पेश किया जाएगा.
नीतिगत दस्तावेज में सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है कि छात्रों को हर स्तर पर ‘उत्साही, प्रेरित, उच्च-योग्यता प्राप्त और अच्छे से प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाए’ और इसमें उन सभी अपेक्षाओं तथा योग्यताओं को कवर किया जाए, जिनकी शिक्षकों से अनुभव के अलग-अलग स्तरों पर उनके करियर के विभिन्न चरणों में जरूरत होती है.
एनपीएसटी दस्तावेज में एक शिक्षक के करियर के सभी पहलुओं को छुआ गया है, जिनमें कार्यकाल, सालों के अंदर पेशेवर विकास के लिए जरूरी प्रयास, वेतन वृद्धि, पदोन्नति और दूसरे सम्मान शामिल हैं. नीति दस्तावेज में व्याख्या की गई है, ‘करियर उन्नति और वेतन वृद्धि न सिर्फ कार्यकाल की अवधि और वरिष्ठता बल्कि मूल्यांकन पर भी निर्भर होगी’.
इसमें शिक्षण स्टाफ को चार समूहों में वर्गीकृत भी किया गया है, जो अनुभव और निपुणता पर आधारित है.
2030 में नीति की राष्ट्रीय स्तर पर समीक्षा करके, उसमें संशोधन किया जाएगा और उसके बाद हर दस साल पर ये समीक्षा होगी. इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप तैयार किया गया है जिसमें देश में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए विस्तार से शिक्षकों का स्तर सुधारने की बात कही गई थी.
केंद्र सरकार ने पहले अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे बीएड कॉलेजों की पहचान करने की कोशिश की थी और बीएड कार्यक्रम की अवधि भी बढ़ाई थी. भारत में स्कूल शिक्षकों के लिए प्रवेश स्तर की योग्यता का बीएड कार्यक्रम, अब एक चार साल का कोर्स है, जो पहले दो वर्ष का हुआ करता था.
चार-वर्षीय कार्यक्रम का पहला बैच, 2022-23 शैक्षणिक सत्र से प्रारंभ होगा.
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एनपीएसटी का विवरण
एनपीएसटी में शिक्षकों के अनुभव की श्रेणी के आधार पर उनकी तैयारी, अभ्यास और प्रदर्शन पर जोर दिया जाता है.
इसमें हर स्कूल में शिक्षकों के वार्षिक आंकलन का भी उल्लेख किया गया है, जिसे एनसीटीई द्वारा किया जाएगा. इसमें सुझाया गया है कि शिक्षकों को निरंतर अपना कौशल सुधार करना होगा और साल में 50 घंटे के अनिवार्य पेशेवर कौशल सुधार से गुजरना होगा, चाहे वो ऑनलाइन हो या ऑफलाइन.
एनपीएसटी मसौदा नीति के अनुसार, एक शिक्षक के करियर को चार चरणों में बांटा जाएगा- शुरुआती, कुशल, विशेषज्ञ, और लीड, जो उनकी वरिष्ठता के हिसाब से होगा.
ड्राफ्ट मैन्युअल के अनुसार, एक शुरुआती स्तर के शिक्षक से अपेक्षा की जाती है कि वो शिक्षण ज्ञान के बुनियादी स्तर का प्रदर्शन करेगा और अपने करियर में विकसित होकर अगले स्तर पर पहुंचेगा. बाद के स्तरों में भी शिक्षकों से यही अपेक्षा की जाती है.
एक शुरुआती स्तर का शिक्षक- प्रगामी शिक्षक– वो होता है जिसे एमएड/बीएड/शिक्षा में डिप्लोमा या एमसीटीई द्वारा स्वीकृत कोई दूसरी योग्यता हासिल करने के बाद हाल ही में किसी स्कूल में रखा गया है.
इस स्तर पर एक नए शिक्षक से अपेक्षा की जाएगी कि वो उस स्तर से जुड़ी योग्यताओं को दिखाए, जिसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया गया है. स्कूल के गुरु नए शिक्षक के शिक्षण का विकास करने और सेवा पूर्व ग्रहण किए गए उसके ज्ञान को मजबूत करने में उसकी सहायता करेंगे.
इस ट्रेनिंग से शुरुआती स्तर के शिक्षक को अगले स्तर- ‘प्रवीण शिक्षक’ तक पहुंचने में सहायता मिलेगी. इस स्तर पर एक शिक्षक से अपेक्षा की जाएगी कि वो सिखाने और सीखने के लिए जरूरी कौशल के इस्तेमाल में पेशेवर रूप से स्वतंत्र हो जाएंगे.
अगले लेवल- ‘कुशल शिक्षक’ के स्तर पर, शिक्षक से उम्मीद की जाएगी कि वो अपने शिक्षण अभ्यास में लगातार ऊंचे स्तर का प्रदर्शन करेगा और अपने सहकर्मियों के साथ सहयोग से काम करेगा. एक कुशल शिक्षक से ये भी अपेक्षा की जाती है कि वो अपने कनिष्ठ सहकर्मियों की सहायता और मार्गदर्शन करेगा.
सबसे वरिष्ठ स्तर है लीड टीचर या ‘प्रमुख शिक्षक’ का. इस स्तर पर उससे अपेक्षा की जाएगी कि वो शिक्षण के उच्चतम स्तर का प्रदर्शन करेगा, जो सिखाने-सीखने की प्रक्रिया से जुड़ी सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों पर आधारित होगी.
नीति में कहा गया है, ‘वो सिखाने और सीखने के काम की अगुवाई करेंगे और स्कूलों में सीखने वाले समुदाय विकसित कर खुद अपनी तथा दूसरों की शिक्षण प्रणाली को सुधारने की असाधारण क्षमता का प्रदर्शन करेंगे’.
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