नई दिल्ली: जब बात विदेश जाकर पढ़ाई करने की आती है तो भारतीय छात्रों की पसंद हमेशा से ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा रही है. लेकिन पिछले तीन सालों में इन देशों में जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या में कमी देखी गई है. जबकि यूनाइटेड किंगडम की तरफ उनका झुकाव बढ़ा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे कोविड से लेकर छात्रों के चयन में सख्ती बरतने जैसे अलग-अलग कारण जिम्मेदार रहे हैं.
बुधवार को राज्यसभा में साझा किए गए डेटा से पता चलता है कि 2019 से 2021 तक पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की कुल संख्या में कमी आई है. जहां 2019-20 में 5,86,337 भारतीय छात्र विदेश गए थे, वहीं महामारी के सालों में यह संख्या काफी कम हो गई थी– 2020-21 में 2,59,655 और 2021-22 में 4,44,553 छात्रों ने दूसरे देशों का रुख किया था.
अगर बात न्यूजीलैंड की करें तो सबसे कम आकड़े इसी देश के रहे. 2021-22 में सिर्फ 64 छात्र यहां गए, जबकि 2020-21 में यह संख्या 5,321 और 2019-20 में 10,297 थी.
ऑस्ट्रेलिया को लेकर भी कुछ ऐसा ही ट्रेंड सामने आया है. 2019-20 में 73,808 छात्र इस देश के लिए रवाना हुए थे. लेकिन 2021-22 में यह संख्या घटकर 8,950 रह गई. कनाडा में भी जहां 2019-20 में 1,32,620 छात्र गए थे, 2021-22 में यह संख्या 1,02,688 हो गई. ये तीनों देश हमेशा से भारतीय छात्रों के बीच खासे लोकप्रिय रहे हैं.
लेकिन बात जब यूके की आती है तो यह आंकड़े बदले हुए नजर आते है. 2019-20 में 36,612 छात्रों ने ब्रिटेन की तरफ रुख किया था. 2020-21 में यह बढ़कर संख्या 44,901 और 2021-22 में 77,855 हो गई.
महामारी के बाद विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में कमी आने के बावजूद अमेरिका के लिए ज्यादा कुछ नहीं बदला. 2019-20 में वहां 1,22,535 छात्र उच्च शिक्षा के लिए गए थे. 2020-21 में यह संख्या घटकर 62,415 हो गई और 2021-22 में फिर से 1,25,115 पर पहुंच गई थी.
ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड कोविड प्रतिबंधों से प्रभावित
रुझानों में बदलाव के बारे में बात करते हुए, विशेषज्ञों ने कहा कि छात्रों का ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड न जाने की वजह कोविड की वजह से लगाए गए वीजा प्रतिबंध रहे हैं. हो सकता है अगले साल यह संख्या बढ़ जाए. कनाडा के लिए उन्होंने कहा कि यह देश अपने यहां आने वाले छात्रों के साथ सख्त हो रहा है और इसलिए संख्या में गिरावट आई है.
स्टडी अब्रोड प्लेटफार्म ‘यॉकेट’ के सह-संस्थापक और उच्च शिक्षा विशेषज्ञ सुमीत जैन ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने अभी छात्रों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं. कोविड प्रतिबंधों के चलते वहां जाना आसान नहीं था. इसलिए छात्रों की संख्या कम रही. लेकिन अब ये फिर से जोड़ पकड़ेगा क्योंकि प्रतिबंधों में ढील दी गई है.’
कनाडा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘ स्टूडेंट वीजा पर जाने वाले लोगों के साथ बहुत सख्ती बरती जा रही है. अक्सर वहां जाने वाले बहुत से लोगों की प्रोफाइल अच्छी नहीं होती है. वो नहीं चाहते कि ऐसे लोग उनके देश में आएं, इसलिए अब वे ऐसे प्रोफाइल को अस्वीकार कर देना चाहते हैं. अब भले ही यह देश भविष्य में जो करना चाहता है या अपने देश के लिए उनके पास जो दृष्टिकोण है, उससे मेल नहीं खाता हो…’
यूके की संख्या बढ़ने के बारे में उन्होंने कहा, ‘संख्या बढ़ गई है क्योंकि यूके ने छात्रों के लिए पोस्ट-वर्क वीजा खोल दिया है. महामारी के समय में भी यह बना रहा था इसलिए संख्या अच्छी दिख रही है. हालांकि, यह देखना होगा कि भविष्य में यह झुकाव कैसा रहता है, और क्या संख्या आगे भी इसी तरह बढ़ती रहेगी.
उन्होंने कहा, ‘अगर यूके भी कनाडा की तरह सख्त होना शुरू कर देता है, तो, भविष्य में संख्या उतनी नहीं बढ़ेगी.’
विदेशी शिक्षा के लिए दिल्ली स्थित सलाहकार नताशा जैन ने कहा, ‘यूके के प्रधानमंत्री विदेशी छात्रों पर प्रतिबंध लगाने और सिर्फ बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए आने वाले छात्रों को स्वीकार करने के बारे में बात कर रहे हैं. हो सकता है भविष्य में ब्रिटेन जाने वाले छात्रों की संख्या उतनी ज्यादा न रहे है.’
उन्होंने आगे कहा कि इंतजार करना और देखना बेहतर होगा कि भविष्य में नीतियां कैसे सामने आती हैं. फिलहाल तो छात्र पोस्ट स्टडी वीज़ा अवसर को छोड़ना नहीं चाहते हैं.
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(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या )
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