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Friday, 22 November, 2024
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एथिकल सेल, फाइनेंस पॉलिसी और शिकायतों का निवारण- कैसे एडटेक कंपनियां कर रहीं खुद को रेग्युलेट

इस महीने की शुरुआत में, भारत की एडटेक कंपनियों ने एक स्व-नियामक संस्था इंडियन एडटेक कंसोर्टियम, जो इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में काम करेगी, के निर्माण हेतु आपस में हाथ मिलाया.

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नई दिल्ली: नैतिक विक्रय वाली प्रथाओं को सुनिश्चित करना, प्रामाणिक आकंड़ो के साथ पारदर्शी विपणन सम्बन्धी संवाद (मार्केटिंग कम्युनिकेशन), प्रदर्शन का मान्य प्रमाण, एक मजबूत वित्तीय नीति और उचित शिकायत निवारण तंत्र – ये कुछ ऐसे लक्ष्य हैं जो इंडियन एडटेक कंसोर्टियम (आईईसी) द्वारा तैयार की गई आचार संहिता में शामिल हैं. आईईसी उन सभी एडटेक प्लेटफार्मों के लिए हाल ही में शुरू किया गया स्व-विनियमन निकाय है जो इसका हिस्सा बनना चाहते हैं.

हालांकि वर्तमान में चल रही महामारी और इसके दौरान ‘सीखने- सिखाने’ के परंपरागत माध्यमों में लगातार आते व्यवधान के परिणामस्वरूप पिछले दो वर्षों में भारत में शिक्षा प्रौद्योगिकी या एडटेक क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि हुई है, लेकिन यह अभी तक एक अनियमित क्षेत्र ही रहा है.

शिक्षा मंत्रालय ने भी एडटेक प्लेटफार्मों को विनियमित करने की आवश्यकता के बारे में बात की है और इसके मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसी महीने की शुरुआत में कहा था कि सरकार इन प्लेटफार्मों के लिए एक समान नीति पर काम करेगी.

लेकिन इस महीने की शुरुआत में, बायजू, अपग्रेड और वेदांतु जैसी प्रमुख एडटेक कंपनियां एक स्व-विनियमन निकाय बनाने के लिए एक साथ आ गयी हैं’

यह नवगठित कंसोर्टियम (संघ) पहले से ही मौजूद उद्योग निकाय, इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) के तत्वावधान में कार्य करेगा. आईएएमएआई द्वारा 12 जनवरी को जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अब तक जिन अन्य कंपनियों ने इस कंसोर्टियम में शामिल होने का फैसला किया है, उनमें करियर 360, क्लासप्लस, डाउटनट, ग्रेट लर्निंग, हड़प्पा, टाइम्स एडुटेक एंड इवेंट्स लिमिटेड, स्केलर, सिंपललर्न, टॉपर, अनएकेडमी, यूनेक्स्ट लर्निंग और व्हाइटहैट जूनियर शामिल हैं.

आईएएमएआई के अनुसार, इस क्षेत्र के लिए किसी नियामक की स्थापना की सरकार योजनाओं की तुलना में आईईसी पर बहुत समय पहले से ही काम चल रहा था. आईएएमएआई में सार्वजनिक नीति के प्रमुख भानुप्रीत सैनी ने दिप्रिंट को बताया कि इस कंसोर्टियम के गठन को लेकर एडटेक कंपनियां लंबे समय से उनके साथ चर्चा कर रही थीं.

सैनी ने आगे कहा, ‘कंसोर्टियम ने शिक्षा मंत्रालय से मुलाकात की है और उनके साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करता है.’

आईएएमएआई के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि कोई भी एडटेक कंपनी जो आगे चलकर इस कंसोर्टियम में शामिल होना चाहती है, उसे पहले इस संस्था के पास आकर अपनी रुचि व्यक्त करनी होगी और फिर आईएएमएआई अपनी तरफ से सत्यापन की कार्यवाही पूरी करेगा और तभी किसी नए सदस्य को मंजूरी देगा.


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भारत के एडटेक क्षेत्र का विनियमिन

सैनी से मिली जानकारी के अनुसार, आईईसी आचार संहिता के तहत इसकी सदस्य सभी एडटेक कंपनियां यह सुनिश्चित करेंगी कि उनकी विक्रय सम्बन्धी प्रथाएं नैतिक हैं और वे जो वादा कर रहीं हैं तथा उपभोक्ता को वास्तव में क्या प्राप्त होता है, के बीच कोई अंतर नहीं है’

इसी तरह, मार्केटिंग कम्युनिकेशन को भी पारदर्शी होना चाहिए तथा प्रामाणिक डेटा और कंपनियों के प्रदर्शन के मान्य प्रमाण के साथ इसका समर्थन किये जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इस बात पर चर्चा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि कंपनियों को अपनी मार्केटिंग वाले व्यव्हार के प्रति आक्रामक नहीं होना चाहिए.

सैनी ने यह भी कहा कि इस आचार संहिता में तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य इन कंपनियों द्वारा एक मजबूत वित्तीय नीति अपनाना है. उन्होंने कहा, ‘सभी एडटेक प्लेटफॉर्म की वित्तीय नीतियां बहुत स्पष्ट और पारदर्शी होनी चाहिए, ताकि उपभोक्ता उन्हें समझ सकें. यदि कोई प्लेटफार्म अपनी सेवाओं के साथ किसी ऋण की पेशकश कर रहा है, तो ग्राहक को इसके संबंध में नियम और शर्तें स्पष्ट होनी चाहिए’

उन्होंने कहा कि कंपनियों के पास उपभोक्ताओं के लिए एक मजबूत दो-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र भी होगा, जिसके तहत वे एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करेंगे.

क्या कहती हैं एडटेक क्षेत्र की कंपनियां?

अपग्रेड के सह-संस्थापक और एमडी मयंक कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘आईईसी ऑनलाइन पढाई के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए एक उद्योग-विशिष्ट नियम पुस्तिका (इंडस्ट्री स्पेसिफिक रूल बुक) के रूप में कार्य करेगी, जिसमें सभी सीखनेवालों के मूल्यवर्धन में सहायता करने के लिए कुछ दिशानिर्देश होंगे.’

उन्होंने कहा, ‘यह शिकायतों को दूर करने और इसमें शामिल सभी हितधारकों के हितों की रक्षा करने में भी मदद करेगा. इस प्रकार यह इस सारे इकोसिस्टम (पारिस्थितिकी तंत्र) के भीतर एक सख्त अनुशासन बनाए रखेगा’

लागू की जा रही इन नियामक प्रथाओं का प्राथमिक उद्देश्य छात्रों के लिए सबसे अच्छी तरह से संभव एक शिक्षण प्रणाली सुनिश्चित करना है.

वेदांतु के सीईओ और सह-संस्थापक वामसी कृष्णा ने कहा, ‘नवगठित आईईसी के एक हिस्से के रूप में, हम छात्रों के लिए एक मजबूत और अधिक नैतिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेंगे, ताकि हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें और भविष्य के लिए तैयार होने की उनकी यात्रा में आने वाले किसी भी जोखिम को कम कर सकें’

आईएएमएआई की प्रेस विज्ञप्ति में कंसोर्टियम के बारे में टिप्पणी करते हुए, बायजू की सह-संस्थापक दिव्या गोकुलनाथ ने भी कहा कि उनकी कंपनी ‘उपभोक्ता हितों की रक्षा पर सरकार के सिद्धांतों के साथ पूरी तरह से सहमत है और दिशानिर्देशों के बनाये जाने का स्वागत करती है’.

इस कंसोर्टियम से मिलने वाले फायदों को उन एडटेक कंपनियों द्वारा भी स्वीकार किया गया है जो वर्तमान में इसका हिस्सा नहीं हैं.

सरकारी स्कूलों के साथ काम करने वाले एडटेक प्लेटफॉर्म कनेक्टएड टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक लहर तावड़े ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम उम्मीद करते हैं कि आईईसी भारत की शिक्षा प्रणाली में शिक्षा-प्रौद्योगिकी के उपकरणों के प्रति एक प्रगतिशील और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य दृष्टिकोण स्थापित करने के लिए एडटेक कंपनियों और अन्य नियामक प्राधिकरणों के साथ मिलकर काम करेगा.‘

तावड़े ने कहा, ‘ऐसी स्थिति का निर्माण एडटेक कंपनियों को नैतिक और टिकाऊ तरीके से अपनी उपस्थिति बढ़ाने में सक्षम बनाएगा. साथ ही यह भारत के विकास की गाथा में एक बड़ी भूमिका निभाने हेतु भविष्य के लिए तैयार हो रहे शिक्षार्थियों (पढाई करने वालों) की भी रक्षा करेगा.’

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