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Thursday, 25 April, 2024
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DU 2022 से 4-वर्षीय UG कार्यक्रम लागू करेगा, छात्रों को कई एंट्री-एग्जिट का विकल्प देगा

चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) अध्ययन किए गए वर्षों की संख्या के आधार पर योग्यता प्रदान करता है - 1 वर्ष के लिए प्रमाण पत्र, 2 में डिप्लोमा और तीन साल या चार साल की ऑनर्स डिग्री मिलती है.

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नई दिल्ली : मंगलवार देर रात अकादमिक परिषद से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय अगले शैक्षणिक सत्र (2022-23) से चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) शुरू करने के लिए तैयार है.

बैठक में, परिषद – जो विश्वविद्यालय के सभी शैक्षणिक और प्रशासनिक मामलों को देखती है – ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत प्रावधानों के कार्यान्वयन को मंजूरी दी और एफवाईयूपी इसी नीति का हिस्सा है.

चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम में एंट्री-एग्जिट का विकल्प और ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड ऑफ़ लर्निंग होंगे.

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ विकास गुप्ता ने कहा, ‘चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम को अकादमिक परिषद द्वारा इस सुझाव के साथ अनुमोदित किया गया है कि पूर्व अनुमति से पेपर्स में फेरबदल की अनुमति दी जाएगी.’ इसका मतलब है कि छात्रों को उन पेपरों को चुनने की अनुमति होगी जो वे अपने पाठ्यक्रम के लिए पढ़ना चाहते हैं.

गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, छात्रों के लेटरल एंट्री की भी अनुमति होगी– यदि कुछ समय के लिए डीयू में अध्ययन करने के बाद, यदि कोई छात्र किसी अन्य संस्थान में स्थानांतरित करना चाहता है तो वे ऐसा कर सकते हैं. हालांकि, डीयू में ऐसी प्रविष्टियों को स्वीकार करने के लिए, उपलब्ध सीटों और बुनियादी ढांचे का आकलन किया जाएगा और प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी.

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इसके अलावा, नए नियमों के तहत, विश्वविद्यालय तीन साल के ऑनर्स कोर्स या चार साल के ऑनर्स कोर्स के बीच एक विकल्प प्रदान करेगा, जिसमें एक साल का शोध शामिल है.

स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की अवधि तब स्नातक की डिग्री की अवधि पर निर्भर करेगी.


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नए कार्यक्रम के तहत कई प्रवेश और निकास विकल्पों से भी छात्रों को लचीलेपन की अनुमति मिलने की उम्मीद है और उन्होंने जितने वर्षों का अध्ययन किया है, उसके आधार पर योग्यता प्रदान करेंगे. चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) अध्ययन किए गए वर्षों की संख्या के आधार पर योग्यता प्रदान करता है – 1 वर्ष के लिए प्रमाण पत्र, 2 में डिप्लोमा और तीन साल या चार साल की ऑनर्स डिग्री मिलती है.

सितंबर 2020 में, दिल्ली विश्वविद्यालय में एनईपी के कार्यान्वयन की जांच के लिए 42 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. प्रबंधन अध्ययन संकाय के डीन प्रोफेसर विवेक सुनेजा की अध्यक्षता में प्राचार्यों, शिक्षकों और प्रोफेसरों वाली इस समिति की अध्यक्षता की गई.

एफवाईयूपी पर प्रोफेसरों का विरोध

हालांकि, दिल्ली विश्वविद्यालय के कर्मचारी एफवाईयूपी के कई प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं.

डीयू के प्रोफेसर राजेश झा ने दिप्रिंट को बताया, ‘चार साल के कार्यक्रम के साथ, छात्र आसानी से हार मान लेंगे. सीखने के मिश्रित तरीके का मतलब है कि 40 प्रतिशत कोर्स वर्क ऑनलाइन सीखने के माध्यम से कवर किया जाएगा और महामारी ने एक एक परेशानी खड़ी कर दी हैं कि डिजिटल लर्निंग सभी के लिए सुलभ नहीं है.

प्रोफेसरों ने यह भी दावा किया कि एनईपी के कई प्रावधानों पर उनके साथ खुले तौर पर चर्चा नहीं की गई थी और उन्हें डर है कि इससे उनकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी क्योंकि छात्रों की संख्या में सालाना उतार-चढ़ाव होगा.

डीयू ने इससे पहले 2013 में एफवाईयूपी लागू किया था, जब प्रोफेसर दिनेश सिंह कुलपति थे, लेकिन एक साल बाद स्मृति ईरानी के नेतृत्व वाले मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) द्वारा कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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