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Thursday, 25 April, 2024
होमएजुकेशनPhD नहीं की है? आप इस साल भी असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए कर सकते हैं आवेदन, शिक्षा मंत्री ने कहा

PhD नहीं की है? आप इस साल भी असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए कर सकते हैं आवेदन, शिक्षा मंत्री ने कहा

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि पीएचडी की जरूरत को अस्थायी रूप से स्थगित किया जा रहा है, ताकि पद के लिए अधिक आवेदन आ सकें और रिक्तियां भरी जा सकें.

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नई दिल्ली: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि केंद्र सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए पीएचडी की अनिवार्यता पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है. जो उम्मीदवार नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) पास कर चुके हैं, वो इस पद के लिए आवेदन के पात्र बने रहेंगे.

2018 में, सरकार ने ऐलान किया था कि 2021-22 शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में तमाम भर्तियां, पीएचडी के आधार पर की जाएंगी और नेट चयन का एकमात्र मानदंड नहीं रहेगा.

बुधवार को पत्रकारों के एक समूह से बात करते हुए शिक्षा मंत्री ने सूचित किया कि इस साल के लिए उस योजना को रोक दिया गया है और उम्मीदवार असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन कर सकते हैं, भले ही उनके पास पीएचडी डिग्री है या नहीं.

असिस्टेंट प्रोफेसर किसी भी यूनिवर्सिटी के अध्यापन विभाग में प्रवेश स्तर का पद होता है और इसके लिए आवेदन करने वाले अधिकतर उम्मीदवार, पोस्ट-ग्रेजुएट तथा नेट पास किए हुए होते हैं, जो या तो पीएचडी कर रहे होते हैं या फिर बाद में अपने करियर में ब्रेक लेकर इसके लिए पंजीकृत होते हैं.

प्रधान ने कहा, ‘हमारे पास बहुत सारे उम्मीदवारों के अनुरोध आ रहे हैं, जो असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन करना चाहते थे लेकिन पीएचडी की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे थे’.

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ये नियम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की नीति- ‘विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अध्यापकों की भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा का स्तर बनाए रखने के लिए उपाय’ के तहत लागू किया जा रहा था.

वर्ष 2018 में जब ये पहली बार प्रस्तावित किया गया था, तब उम्मीदवारों को पीएचडी की जरूरत पूरी करने के लिए तीन साल का समय दिया गया था. लेकिन उस योजना पर फिर से रोक लगा दी गई है.

2018 में जब तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पीएचडी डिग्री की अनिवार्यता का ऐलान किया था, तब उन्होंने कहा था कि इसका उद्देश्य ‘उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को आकर्षित करना तथा उसे देश के अंदर रोक कर रखना था’.


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रिक्तियां भरने की जरूरत

मंत्री ने ये भी बताया कि पीएचडी से छूट देने का उद्देश्य ये है कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्तियों को तेज़ी से भरा जा सके. पिछले महीने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्रमुखों के साथ बातचीत में प्रधान ने उनसे इस साल अक्टूबर तक भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा था.

अप्रैल में उन्होंने संसद को सूचित किया था कि 1 अप्रैल तक 44 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अध्यापन के 40 प्रतिशत से अधिक पद खाली थे.

प्रधान ने कहा, ‘तमाम केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में अध्यापन के पद खाली हैं और मैंने उन्हें जिम्मा दिया है कि जितनी जल्द संभव हो, इन रिक्त पदों को भर लें. मैं नियमित रूप से यूनिवर्सिटी के प्रमुखों से जानकारी लेता रहता हूं और उनमें से कई ने विज्ञापन जारी भी कर दिए हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘उनसे कहा गया है कि अक्टूबर अंत तक विज्ञापन जारी करने का काम पूरा कर लें और उसके बाद वो इंटरव्यू तथा भर्ती की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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