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Friday, 22 November, 2024
होमएजुकेशनप्रोफेसरों ने कहा- CUET टलने से UG दाखिले में 2 महीने की होगी देरी, कोर्स पूरा करने का दबाव बढ़ेगा

प्रोफेसरों ने कहा- CUET टलने से UG दाखिले में 2 महीने की होगी देरी, कोर्स पूरा करने का दबाव बढ़ेगा

देशव्यापी स्तर पर 10 अगस्त तक पूरे हो जाने वाले सीयूईटी के दूसरे चरण को कई परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी गड़बड़ियों के कारण 28 अगस्त तक टाल दिया गया है.

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नई दिल्ली: पहले सीबीएसई नतीजों में देरी और अब कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) का आयोजन टलने से 2022 में 12वीं कक्षा पास करने के बाद स्नातक कोर्स में प्रवेश लेने के इच्छुक छात्रों की परेशानियां बढ़ गई हैं.

देशव्यापी स्तर पर 10 अगस्त तक पूरे हो जाने वाले सीयूईटी के दूसरे चरण को कई परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी गड़बड़ियों के कारण 28 अगस्त तक टाल दिया गया है.

देशभर के विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों का दावा है कि इसके परिणामस्वरूप प्रवेश प्रक्रिया और शैक्षणिक अवधि (2022-23) अक्टूबर तक खिंच जाने के आसार हैं. पहले, स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश प्रक्रिया जून और जुलाई के पहले पखवाड़े के बीच पूरी हो जाती थी और शैक्षणिक सत्र जुलाई के दूसरे पखवाड़े या अगस्त में शुरू हो जाता था.

प्रोफेसरों के मुताबिक, दो महीने की देरी के कारण छुट्टियां घट सकती हैं और शैक्षणिक सत्र की अवधि भी कम हो सकती हैं, साथ ही छात्रों पर कम समय में अपने कोर्स का एक बड़ा हिस्सा पूरा करने का दबाव भी बढ़ेगा.

इस वर्ष, कुल 44 केंद्रीय विश्वविद्यालयों, 12 राज्य विश्वविद्यालयों, 11 डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी और 19 निजी यूनिवर्सिटी ने सीयूईटी-यूजी के नतीजों के आधार पर प्रवेश लेने का फैसला किया है.

इस साल लगभग 14.9 लाख उम्मीदवारों के परीक्षा में बैठने की उम्मीद थी— पहले चरण में 8.1 लाख और दूसरे चरण में 6.8 लाख.

सीयूईटी टलने को लेकर दिप्रिंट ने ये परीक्षा आयोजित कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के निदेशक विनीत जोशी से फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज के जरिये संपर्क किया लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. उनका जवाब आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


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कम छुट्टियां, पीजी दाखिले में देरी

हैदराबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर बी.जे. राव का मानना है कि आगामी शैक्षणिक सत्र में छह से आठ हफ्ते की देरी हो सकती है और इसे अक्टूबर में शुरू करना ही मुमकिन हो पाएगा.

राव ने दिप्रिंट से कहा, ‘सीयूईटी में देरी अपेक्षित ही थी क्योंकि यह पहली बार आयोजित हो रहा एक राष्ट्रव्यापी कॉमन टेस्ट है. हालांकि, इसकी वजह से शैक्षणिक सत्र अक्टूबर तक खिंच सकता है क्योंकि प्रवेश प्रक्रिया ही सितंबर के दूसरे पखवाड़े तक पूरी हो पाएगी.’

उन्होंने कहा कि इस समय की भरपाई के लिए हमें सर्दियों और गर्मियों की छुट्टियों को कम करना पड़ सकता है, जैसा हमने कोविड के दौरान भी किया था.

दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में रेक्टर प्रोफेसर अजय दुबे ने कहा, ‘हम पहले से ही तैयारी के मोड में हैं और काउंसलिंग सेशन के लिए उपयुक्त लोगों का चयन कर लिया है. जैसे ही सीयूईटी-यूजी के नतीजे आएंगे, हम एडमिशन की प्रक्रिया शुरू कर देंगे और अगर कोई देरी नहीं हुई तो शिक्षण सत्र अक्टूबर में शुरू हो जाएगा.’

हालांकि, दुबे ने कहा कि वह स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि अभी ‘परीक्षाओं की घोषणा नहीं की गई है और इनमें प्रवेश के लिए बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी सीयूईटी का उपयोग करेंगी.’

दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया में आठ विषयों— बीए (ऑनर्स) हिंदी, बीए (ऑनर्स) संस्कृत, बीए (ऑनर्स) फ्रेंच, बीए (ऑनर्स) स्पेनिश, बीए (ऑनर्स) इकोनॉमिक्स, बीए (ऑनर्स) हिस्ट्री, बीएससी बायोटेक्नोलॉजी एंड बीवोक (सौर ऊर्जा)— को सीयूईटी के दायरे में लाया गया है.

जामिया के एक प्रवक्ता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि अन्य पाठ्यक्रमों के लिए तो कक्षाएं शुरू हो गई हैं लेकिन इन आठ पाठ्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और एनटीए के दिशानिर्देशों का इंतजार है.

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के एक प्रवक्ता डॉ. राजेश सिंह ने भी इसी तरह की चिंता जताई, ‘भले ही प्रवेश की तारीखों की घोषणा कर दी गई हो लेकिन शैक्षणिक सत्र तो प्रमुख पाठ्यक्रमों में सभी सीटों के भरने के बाद ही शुरू हो पाएगा.’

दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन का भी दावा है कि नया शैक्षणिक सत्र सितंबर के दूसरे पखवाड़े या अक्टूबर में शुरू हो जाएगा, लेकिन साथ ही कहा कि ऐसी अप्रत्याशित परिस्थितियों को एडजस्ट करने के लिए कभी-कभी एक बफर रखा जाता है.

डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने दिप्रिंट से कहा, ‘भले ही प्रवेश देरी से हो लेकिन किसी भी छात्र को अपनी पढ़ाई को लेकर कोई समस्या नहीं आएगी. 2020 का बैच महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुआ था, उनका शिक्षण सत्र दिसंबर में शुरू हुआ था लेकिन उन छात्रों को भी समय पर रिजल्ट दे दिया गया था.’

उन्होंने कहा कि डीयू स्नातक कोर्स के लिए अपनी प्रवेश प्रक्रिया ‘सितंबर में’ शुरू करेगा, साथ ही जोड़ा कि विदेशी छात्रों के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया ‘बहुत जल्द शुरू हो जाएगी.’

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अमितेश कुमार ने कहा कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले स्कूल अपने प्रवेश मानदंड कैसे तय करेंगे, इस पर अस्पष्टता के साथ प्रक्रिया लंबी खिंचने के आसार हैं.

उन्होंने कहा, ‘चूंकि सीयूईटी एक नई परीक्षा है, हमें अभी नहीं पता कि अलग-अलग स्कूलों के लिए कट-ऑफ कैसा दिखेगा. उदाहरण के तौर पर डीयू के कॉलेजों में आमतौर पर अलग-अलग पाठ्यक्रमों के लिए अलग-अलग कट-ऑफ होते हैं. यह सीयूईटी स्कोर के साथ कैसे निर्धारित किया जाएगा?’


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‘छात्रों में बेचैनी’

कर्नाटक सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली रजा मुसवी ने शैक्षणिक सत्रों में कटौती पर चिंता जाहिर की.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कारण विभिन्न विषयों में कंटेंट ‘बहुत घटा’ दिए जाने की बात कहते हुए मूसवी ने बताया कि शैक्षणिक सत्र अक्टूबर या नवंबर में शुरू होने की उम्मीद है, छात्र बमुश्किल 90 दिन अध्ययन कर पाएंगे. साथ ही जोड़ा, ‘इतने कम समय में कितनी पढ़ाई हो पाएगी.’

10 अगस्त को आम सभा की बैठक में जेएनयू के प्रोफेसरों ने देरी से दाखिले पर गहरी चिंता जताई.

उन्होंने मांग की कि यूनिवर्सिटी ‘एनटीए के साथ समझौते से पीछे हट जाए और जेएनयू की अपनी पुरानी प्रवेश प्रक्रिया और प्रवेश पर स्थायी समिति जैसे संस्थागत ढांचे को तुरंत बहाल करे.’

यह स्वीकारते हुए कि सीयूईटी के कारण देरी ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है, जेएनयू के रेक्टर प्रोफेसर अजय दुबे ने कहा कि ‘सीयूईटी को लागू करने का निर्णय जेएनयू की अकादमिक और कार्यकारी परिषद ने लिया था.’

उन्होंने कहा, ‘इसे इतनी आसानी से पलटा नहीं जा सकता. इसके अलावा, इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि पहले भी एनटीए की तरफ से ही जेएनयू प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई थी.’

डीयू की अकादमिक परिषद के सदस्य मिथुनराज धूसिया का मानना है कि प्रवेश में देरी से न केवल छात्रों को निजी कॉलेजों या संस्थानों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, बल्कि कम समय में पूरा कोर्स कवर करने को लेकर भी उनकी परेशानी बढ़ जाएगी.

उन्होंने कहा कि प्रवेश प्रक्रिया फिर शुरू होने के बाद छात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय लौट सकते हैं लेकिन निजी सीट हासिल करने के लिए अतिरिक्त पैसा खर्च करने के बाद.

उन्होंने कहा, ‘प्रवेश प्रक्रिया में कम से कम एक महीने का समय लगने के मद्देनजर यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि कक्षाएं फिर से कब शुरू होंगी. हम स्पष्ट तौर पर छात्रों में बेचैनी देख सकते हैं, उन पर कम समय में कोर्स कवर करने का दबाव होगा. पिछले सत्र में कोविड के कारण देरी हुई थी लेकिन इस साल कुप्रबंधन का कोई औचित्य नहीं है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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