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Saturday, 21 December, 2024
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महामारी के बीच छात्रों की प्री-स्क्रीनिंग के साथ खुले केंद्र सरकार के रेजिडेंसियल स्कूल

जवाहर नवोदय विद्यालय केवल सिक्किम, पांडुचेरी, अंडमान व निकोबार और लक्षद्वीप में खुले हैं.

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नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के बीच, केंद्र सरकार द्वारा चलाए जाने वाले आवासीय स्कूल, जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), देश में फिर से खुलने वाले, अपनी तरह के पहले स्कूल बन गए हैं.

लेकिन, शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आदेशों के मुताबिक़, ये स्कूल केवल उन्हीं प्रांतों में खुले हैं, जिन्होंने उन्हें इसकी अनुमति दी है.

सिक्किम, पांडुचेरी, अंडमान व निकोबार और लक्षद्वीप के अलावा, किसी दूसरे राज्य या केंद्र-शासित प्रदेश ने, अभी तक आवासीय स्कूलों को खुलने की इजाज़त नहीं दी है.

असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने भी, जिन्होंने स्कूलों के फिर से खोलने को अनुमति दे दी है, आवासीय स्कूलों को ये इजाज़त नहीं दी है.

देशभर में जेएनवी स्कूलों को संभालने वाली इकाई, नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) के पदाधिकारियों के अनुसार, सिक्किम, पांडुचेरी, अंडमान व निकोबार और लक्षद्वीप ने आवासीय स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दे दी है, इसलिए जेएनवीज़ सिर्फ इन्हीं राज्यों और यूटीज़ में खोले गए.

हर राज्य और यूटी ने स्कूलों को फिर से खोलने के लिए अपनी गाइडलाइन्स बनाई हैं. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से जारी कुछ सामान्य गाइडलाइन्स, सभी राज्यों पर लागू होती हैं.


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‘शयनकक्षों में छात्रों के बीच दूरी, मेस में सफाई’

इन स्कूलों के फिर से खुलने के बारे में बात करते हुए एनवीएस आयुक्त विनायक गर्ग ने दिप्रिंट से कहा, ‘जेएनवीज़ सिर्फ उन राज्यों में खुलेंगे, जो आवासीय स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति देंगे.

‘अभी तक, सिर्फ मुट्ठीभर प्रांतों ने अनुमति दी है. सामान्य एसओपी जिनका स्कूलों को पालन करना है, उनमें से कुछ हैं शयनकक्षों में छात्रों के बीच पर्याप्त दूरी, भोजन कक्ष में सफाई…

उन्होंने आगे कहा, ‘जिन राज्यों ने स्कूलों के फिर से खुलने की अनुमति दी भी है, वहां भी आवासीय स्कूलों के लिए, अलग तरीक़ा अपनाया गया है. वो सुनिश्चित करना चाहते हैं कि परिस्थितियां इसके लिए अनुकूल हों’.

30 सितंबर को शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, स्कूल अथॉरिटीज़ को डॉर्मिटरीज़ के अंदर, दो बेड्स के बीच पर्याप्त दूरी रखनी है, स्कूल परिसर में आइसोलेशन केंद्र बनाने हैं, एक बच्चा प्रति डेस्क सुनिश्चित करना है, और एक समय पर 50 प्रतिशत छात्र रखने हैं.

स्कूलों को ये भी कहा गया है कि परिसर के अंदर, अनिवार्य रूप से चिकित्सा सहायता का प्रबंध करें.

केंद्र सरकार ने भी हॉस्टल में रहने से पहले, हर छात्र की स्क्रीनिंग करने के लिए कहा है.

गाइडलाइन्स में कहा गया है, ‘केवल बिना लक्षण वाले बोर्डिंग छात्रों को ही आने दिया जाएगा, और हॉस्टल में किसी को घुसने नहीं दिया जाएगा, सिवाय आवश्यक स्टाफ के, जिनके स्वास्थ्य की स्थिति मालूम हो’.

ऑनलाइन शिक्षा

लॉकडाउन के दौरान पढ़ाई के बारे में बात करते हुए कमिश्नर गर्ग ने कहा: ‘किसी भी दूसरे स्कूल की तरह, जेएनवीज़ के छात्र भी स्कूल बंद रहने के दौरान ऑनलाइन पढ़ते रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘उन छात्रों के लिए जिनकी ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच नहीं थी, हम स्कूल के काम के प्रिंटआउट्स भेजते रहे हैं, टीचर्स भी नियमित रूप से छात्रों को कॉल करके, उनकी प्रगति के बारे में अपडेट्स लेते रहे हैं’.

गर्ग ने कहा, ‘हमने सीनियर छात्रों के ज़रिए साथी छात्रों की मीटिंग्स आयोजित कराई हैं, जहां उन्होंने अपने पड़ोस में छात्रों को गाइड किया है’.

सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक बार छात्र कक्षा में वापस आ जाएं, तो अध्यापकों को उन छात्रों पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए, जो स्कूल बंद होने के दौरान ऑनलाइन शिक्षा का लाभ नहीं उठा पाए थे.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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