नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग ने देशभर में स्कूलों को खोले जाने को लेकर जो एसओपी तैयार की है उनमें दो चीज़ों पर ख़ास ध्यान दिया गया है. एसओपी का पहला हिस्सा हेल्थ, हाइजीन और सेफ़्टी के बारे में है और दूसरे हिस्से में फ़िज़िकल सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए सीखने-सिखाने पर ज़ोर दिया गया है.
इसमें सबसे अहम बात ये है कि स्कूली बच्चों को पूरे समय न सिर्फ़ मास्क पहने रहना होगा बल्कि स्कूल में प्रवेश से पहले उनकी स्क्रीनिंग (जांच) भी की जाएगी.
शिक्षा मंंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी इस विषय में सोमवार को एक वीडियो ट्वीट करके जानकारी दी.
DoSEL, @EduMinOfIndia has issued SOP/Guidelines for reopening of schools. pic.twitter.com/pwJXZZd40w
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) October 5, 2020
शिक्षा मंत्री ने ज़ोर देते हुए कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि राज्य इस एसओपी का अच्छे से पालन करेंगे. किसी को भी जबर्दस्ती स्कूल नहीं बुलाया जाएगा.’
इससे जुड़े एक डॉक्युमेंट में लिखा है, ‘हेल्थ, हाइजीन और सेफ़्टी से जुड़े एसओपी में बताया गया है कि स्कूलों को खोलने से पहले क्या करना है. जैसे कि खोलने से पहले स्कूल के हर हिस्से को अच्छे से साफ़ और सैनिटाइज़ करना है. हाथ धोने और डिसइंफेक्शन का प्रबंध करना है.’
इसके अलावा स्कूल खोलने के लिए बच्चों के बैठने का प्लान बनाने से लेकर सुरक्षित ट्रांसपोर्ट प्लान, कक्षाओं के बीच समय के खासे अंतर का प्लान, एंट्री और एक्ज़िट के पॉइंट पर भी सुरक्षा के तमाम प्रबंध, हॉस्टलों में सुरक्षित रहन-सहन के प्रबंध के अलावा छात्रों, शिक्षकों, स्कूल प्रशासन और परिजनों के लिए सैनिटाइज़ेशन के प्रबंध पर भी ज़ोर दिया गया है.
कोविड महामारी से जुड़ी बाकी एसओपी की तरह इसमें भी स्कूलों के खुलने के बाद छह फ़ीट की सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने की बात कही गई है. क्लास, लैबोरेट्री और खेल-कूल से जुड़े इलाकों में सभी को हमेशा मास्क पहनना पड़ेगा. ज़ाहिर सी बात है कि सबको बार-बार हाथ धोने, इसे सैनिटाइज़ करने और सांस संबंधी शिष्टाचार का पालन करने को भी कहा गया है.
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गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई अनलॉक 5 की गाइडलाइन में कहा गया कि बिना परिजनों की लिखित अनुमति के बच्चे स्कूल नहीं जा सकेंगे. यही बात शिक्षा मंत्रालय ने अपनी एसओपी में शामिल की है. अनलॉक 5 की गाइडलाइन के मुताबिक एसओपी में भी अटेंडेंस में लचीलेपन की बात को शामिल किया गया है. वहीं, अगर छात्र चाहें तो वो स्कूल जाने के बजाय ऑनलाइन क्लास का विकल्प चुन सकते हैं.
शिक्षा मंत्रालय की एसओपी में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य संबंधी प्रोटोकॉल का पालन करने को कहा गया है. एसओपी में मिड-डे मील तैयार करने और इसे परोसने को लेकर भी सावधानियां बरतने से जुड़ी बातें कही कई हैं.
एसओपी के दूसरे हिस्से में पढ़ाई से मिली सीख के परिणामों पर ज़ोर देते हुए पढ़ने-पढ़ाने और मूल्याकंन पर ग़ौर किया गया है. स्कूलों को एनसीईआरटी के वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर का पालन करने को कहा गया है. मूल्याकंन के दौरान पेन, पेपर टेस्ट की जगह सीख आधारित मूल्याकंन के लिए अलग-अलग फॉर्मेट अपनाने पर ज़ोर दिया गया है.
स्कूल खुलने के 2 से तीन हफ़्ते के बाद तक तुरंत किसी तरह के मूल्याकंन की अनुमति नहीं होगी.
एसओपी में ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने को भी कहा गया है. मनोदर्पण से उल्लेख करते हुए एसओपी में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गाइडलाइन भी दी गई है.
इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों, स्कूलों के प्रमुखों, शिक्षकों और परिजनों की भूमिका और ज़िम्मेदारियों के बारे में भी बताया गया है. कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए यूनिसेफ की गाइडलाइन के आधार पर एसओपी में स्कूल में सुरक्षित वातावरण के लिए एक चेक लिस्ट भी शामिल की गई है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोरोना महामारी के मद्देनज़र 30 सितंबर को अनलॉक 5 के लिए जारी गाइडलाइंस में स्कूलों को खोलने को लेकर बड़ा फैसला लिया है. मंत्रालय ने राज्य सरकारों को ये तय करने का अधिकार दिया है कि वो 15 अक्टूबर के बाद से ग्रेडेड मैनर में स्कूलों को खोलने का फैसला ले सकते हैं.
इसके पहले अनलॉक 4 में 9वीं से 12वीं तक के कंटेनमेंट ज़ोन के बाहर के बच्चों को स्कूल जाने की अनुमति दी गई थी. हालांकि, शनिवार को किए गए ऐलान में दिल्ली सरकार ने स्कूलों को नहीं खोलने का फ़ैसला किया है. शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि 31 अक्टूबर तक दिल्ली के स्कूल नहीं खुलेंगे. हालांकि, उत्तर प्रदेश ने अपने यहां स्कूलों को खोलने का निर्णय लिया है.
कोविड-19 का संक्रमण प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है इस कारण सरकार को अक्टूबर तक स्कूल नहीं खोलना चाहिए अगर स्कूल खुलता है तो बच्चों में संक्रमण का खतरा अधिक बढ़ जाएगा