scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमएजुकेशनQS रैंकिंग में 41 भारतीय संस्थानों को जगह, IISC 31 पायदान उछाल के बाद फिर से विश्वविद्यालयों में टॉप पर पहुंचा

QS रैंकिंग में 41 भारतीय संस्थानों को जगह, IISC 31 पायदान उछाल के बाद फिर से विश्वविद्यालयों में टॉप पर पहुंचा

गुरुवार को जारी नवीनतम क्यूएस रैंकिंग के मुताबिक, अकैडमिक रेप्यूटेशन, फैकल्टी/ स्टूडेंट रेश्यो और इंटरनेशनलाइजेशन की बात करें तो भारतीय संस्थानों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है.

Text Size:

नई दिल्ली: भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु ने गुरुवार को जारी क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में टॉप 200 में अपनी जगह बनाई है. यह संस्थान भारत में नंबर एक पर रहा है और उसने 155वीं रैंक हासिल की है.

वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषक क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) की एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि 2023 की विश्व रैंकिंग में वैश्विक स्तर पर टॉप 1400 संस्थानों में 41 भारतीय संस्थानों को जगह मिली है. उनमें से 12 ने पिछली बार से अपनी रैंक में सुधार किया है. जबकि लिस्ट में अन्य 10 संस्थानों ने अपनी रैंकिंग गिरा दी हैं.

यह भी नोट किया गया कि अकैडमिक रेप्यूटेशन, फैकल्टी/ स्टूडेंट रेश्यो और इंटरनेशनलाइजेशन की बात करें तो भारतीय संस्थानों के प्रदर्शन में सुधार नहीं हुआ है.

IISc उन संस्थानों में से है जिन्होंने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है. पिछली 2022 की सूची में यह संस्थान 186वें पायदान पर था लेकिन इस बार 31 स्थान ऊपर चढ़कर इसने 155 रैंक हासिल की है.

IISc के अलावा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे और IIT दिल्ली विश्व स्तर पर टॉप 200 में अपनी जगह बनाने वाले अन्य दो भारतीय संस्थान हैं. दोनों संस्थानों ने पिछले वर्ष के क्रमशः 177 और 185 से अपनी रैंक में सुधार किया है. इस बार वह रैंकिंग में 172 और 174 वें पायदान पर खड़े हैं.

क्यूएस की प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘IISc बेंगलुरु क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग टॉप-200 में सबसे तेजी से उभरता हुआ दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय है. इसने पिछले साल की तुलना में 31 स्थान की छलांग लगाई हैं.’

टॉप 500 में जगह बनाने वाले अन्य भारतीय संस्थानों में आईआईटी मद्रास ने 250, आईआईटी कानपुर ने 264, आईआईटी खड़गपुर ने 270, आईआईटी रुड़की ने 369, आईआईटी गुवाहाटी ने 384 और आईआईटी इंदौर ने 396 वीं रैंक हासिल की है.


यह भी पढ़ें: कश्मीरी पंडितों पर हमले सिर्फ बातचीत से रुक सकते हैं, सेना से नहीं, मगर पहले जम्मू-कश्मीर को राज्य तो बनाइए


एमआईटी 11 साल से लगातार नंबर 1 पर

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग छह संकेतकों के आधार पर तैयार की जाती है. इनमें इंपलोयर रेप्यूटेशन, फैकल्टी, स्टूडेंट रेश्यो, प्रत्येक फैकल्टी का साइटेशन और इंटरनेशनल स्टूडेंट/फैकल्टी रेश्यो आदि शामिल है.

क्यूएस प्रेस रीलिज के अनुसार, 41 भारतीय संस्थानों में से 17 संस्थानों की अकैडमिक रेप्यूटेशन में गिरावट आई है जबकि 17 में इस स्तर पर सुधार हुआ है. दो संकेतकों- ‘स्टूडेंट/फैकल्टी रेश्यो’ और ‘इंटरनेशनलाइजेशन’ में भारतीय संस्थानों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है.

प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘भारतीय यूनिवर्सिटी क्यूएस के संस्थागत शिक्षण क्षमता के संकेतक में पहले की तरह कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई हैं. रैंकिंग में जगह बनाने वाले 41 भारतीय विश्वविद्यालयों में से 30 को क्यूएस के स्टूडेंट/फैकल्टी रेश्यो (FSR) संकेतक में गिरावट का सामना करना पड़ा है. इनमें से सिर्फ चार संस्थानों ने इस स्तर पर अपनी रैंकिंग में सुधार किया है.

इसमें आगे लिखा है, ‘आश्चर्यजनक रूप से, भारत क्यूएस के इंटरनेशनलाइजेशन मेट्रिक्स में भी खास प्रदर्शन नहीं कर पाया है. उदाहरण के तौर पर, अमृता विश्व विद्यापीठम (1001-1200) इंटरनेशनल फैकल्टी के अनुपात के लिए सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला स्थानीय संस्थान है लेकिन यह विश्व स्तर पर 411वें स्थान पर है. दूसरी ओर, एमिटी यूनिवर्सिटी (1001-1200) अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के अनुपात में राष्ट्रीय स्तर पर नंबर वन है लेकिन यह भी सूची में 542वें पायदान पर है.’

जब विश्व रैंकिंग की बात आती है, तो मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) को लगातार ग्यारहवें वर्ष में दुनिया के नंबर एक यूनिवर्सिटी के रूप में चिह्नित किया गया है. जबकि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी दूसरे स्थान पर पहुंच गई और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय तीसरे स्थान पर रहा.

प्रेस रीलीज में कहा गया है, ‘चीन की दो यूनिवर्सिटी ने दुनिया के टॉप-15 में अपनी जगह बनाई है. इसकी पेकिंग यूनिवर्सिटी 12वें पायदान पर और सिंघुआ यूनिवर्सिटी 14वें स्थान पर है. यह चीन की अब तक की सर्वोच्च रैंकिंग है. दूसरी ओर, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर बेहतर प्रदर्शन करने वाले एशियाई विश्वविद्यालयों में सबसे टॉप पर है. वह लगातार पांचवें साल में भी 11वें स्थान पर बना रहा है लेकिन चीन की  नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी 2015 के बाद पहली बार टॉप-15 से बाहर हो गई और सूची में 19वीं रैंक हासिल की. 9वीं रैंक पाकर स्विस ईटीएच ज्यूरिख कॉन्टिनेंटल यूरोप का अग्रणी विश्वविद्यालय बना हुआ है.’

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: चीन के पावर गेम्स से थक चुके हैं पश्चिमी देश, भारत उठा सकता है इसका फायदा


share & View comments