scorecardresearch
Friday, 14 June, 2024
होमएजुकेशनएडटेक ऐप का अध्ययन- सातवीं के बाद छात्रों के गणित के प्रदर्शन में 20% की गिरावट, ‘वर्ड प्रॉब्लम’ समझ ही नहीं आती

एडटेक ऐप का अध्ययन- सातवीं के बाद छात्रों के गणित के प्रदर्शन में 20% की गिरावट, ‘वर्ड प्रॉब्लम’ समझ ही नहीं आती

बेंगलुरु स्थित काउंटिंगवेल ने अपने साल भर के अध्ययन से जाना कि सिर्फ 28 फीसदी छात्रों को ही गणित शब्दावली की अच्छी समझ है. यही कारण है कि जब बच्चों का सामना गणित की ‘वर्ड प्रोब्लेम्स’ को हल करने से होता है तो उनके परिणाम प्रभावित होने लगते हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: छठी क्लास से लेकर 10वीं में पढ़ने वाले मिडिल-स्कूल छात्रों के बीच गणित सीखने पर एक साल के लंबे अध्ययन से पता चला है कि अधिकांश बच्चों में गणीतीय भाषा यानी शब्दावली की अच्छी समझ नहीं है और वे ‘वर्ड प्रोब्लेम्स’ को समझने में सक्षम नहीं होते. शब्दावली को समझने की अपनी खराब क्षमता के चलते सातवीं क्लास के बाद बच्चों के गणित के प्रदर्शन में 20 फीसदी की गिरावट देखी गई है.

बेंगलुरु स्थित मैथ्स-लर्निंग एडटेक प्लेटफॉर्म काउंटिंगवेल ने साल 2021 में किए गए अपने इस अध्ययन में देश भर में 75,000 से अधिक मिडिल-स्कूल के छात्रों की निगरानी की और पाया कि सिर्फ 28 प्रतिशत छात्रों के पास ही बेहतर सीखने की क्षमता थी.

लर्निंग प्लेटफॉर्म के संस्थापक निर्मल शाह ने निष्कर्षों को यह कहते हुए सारांशित किया कि ‘गणित में सवालों को समझने और उन्हें सुलझाने की स्किल के बीच एक सकारात्मक संबंध है.’

शाह ने दिप्रिंट को बताया, ‘सातवीं क्लास के बाद से ही सिलेबस में ‘वर्ड प्रोब्लम्स’ शुरू हो जाती है और उन्हें समझने में अधिकांश बच्चे असफल रहते हैं. इसी कारण उनके प्रदर्शन में गिरावट आने लगती है.’

इसके अलावा छठी क्लास तक पहुंचने के बाद 17.4 प्रतिशत या कहे कि पांच में से लगभग एक छात्र बेसिक कैलकुलेशन तक कर पाने में असमर्थ नजर आए.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

अध्ययन में पाया गया कि ‘शब्द समस्या’ को हल करने में परेशानी के बाद अगर किसी चीज ने उन्हें ज्यादा परेशान किया तो वह है गणित के स्वरूप की पहचान करना. गणित के सवालों को किस तरह से लिखा गया है, अधिकांश छात्रों के लिए इसे समझ पाना चुनौतीपूर्ण था. केवल 39 प्रतिशत छात्र टेस्ट या परीक्षा में दी गई समस्याओं के स्वरूप की सही ढंग से पहचान कर पाने में सक्षम थे. जबकि 63.5 प्रतिशत छात्रों ने गणित की अवधारणाओं के पर्याप्त ज्ञान का प्रदर्शन किया.


यह भी पढ़ें : दिल्ली यूनिवर्सिटी@100- एक ऐतिहासिक विरासत, सफल संस्थान और कॉफी-शॉप रोमांस


टियर-2, टियर-3 के छात्रों का बेहतर प्रदर्शन

आम धारणा है कि छोटे शहरों के छात्रों को महानगरों या बड़े शहरों में पढ़ने वाले छात्रों के समान बेहतर शिक्षा नहीं मिल पाती है और वे बेहतर प्रदर्शन कर पाने में विफल रहते हैं. लेकिन इस सोच के विपरीत अध्ययन में पाया गया कि टियर -2 और टियर -3 शहरों के छात्रों ने महानगरों के छात्रों के समान ही अच्छा प्रदर्शन किया है.

शाह के अनुसार, अध्ययन में शामिल 50 प्रतिशत से कुछ अधिक छात्र टियर-2 और टियर-3 शहरों से थे. उन्होंने कहा, ‘बाद के सालों में बच्चों की पढ़ाई में माता-पिता की भागीदारी कम होती चली जाती है, क्योंकि अवधारणाएं अधिक जटिल हो जाती हैं. गणित के शिक्षक शब्दावली की समझ पर जोर नहीं देते हैं. उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाता है. यही कारण है कि यह समस्या ग्रेड बढ़ने के साथ-साथ कम होने की बजाय बढ़ती चली जाती है.’

अध्ययन में छात्र और छात्राओं में प्रदर्शन का स्तर समान पाया गया. प्रारंभिक डेटा विश्लेषण से पता चला कि लड़कों ने लड़कियों की तुलना में सिर्फ 10 प्रतिशत बेहतर प्रदर्शन किया था. लेकिन जब उन पर पर्याप्त ध्यान दिया गया तो ये अंतर भी कम हो गया.

काउंटिंगवेल क्या है?

काउंटिंगवेल एक मैथ्स-लर्निंग ऐप है जो छात्रों के बीच कॉन्सेप्ट रिटेंशन को बढ़ाने के लिए 20 मिनट के बाइट-साइज लर्निंग मॉड्यूल प्रदान करता है.

ऐप को दिसंबर 2020 में लॉन्च किया गया था और अब तक यह 90,000 से अधिक छात्रों को गणित की शिक्षा दे चुका है. यह ऐप एडवांस एआई-संचालित एल्गोरिदम के साथ बच्चों को गणित सिखाने में मदद करता है. बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए ऐप में 20 मिनट के दैनिक ‘गणित वर्कआउट’ को खासतौर पर डिजाइन किया गया है.

ऐप के अकादमिक सलाहकारों में जाने-माने शिक्षाविद अनीता शर्मा और डॉ धरम प्रकाश शामिल हैं. शर्मा को शिक्षा और गणित में उनके योगदान के लिए ऑल इंडिया रामानुजन मैथ्स क्लब की ओर से आर्यभट्ट अवार्ड और पं. मदन मोहन मालवीय शिक्षा विद सम्मान दिया गया है.

एनसीईआरटी से जुड़े डॉ प्रकाश को अखिल भारतीय शैक्षिक अनुसंधान संघ (एआईएईआर) द्वारा संस्थापित बी.के. पासी पुरस्कार (2008) से भी सम्मानित किया जा चुका है.

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


यह भी पढ़ें : IIM-रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा के खिलाफ पात्रता वाले मामले में कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहा है मंत्रालय


 

share & View comments